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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 16 Poem Aao Milkar Bachaye

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CBSE Class 11 Hindi Aroh Important Questions Chapter 16 Poem Aao Milkar Bachaye - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 16 Poem Aao Milkar Bachaye prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 16 - आओ, मिलकर बचाएँ

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                    (1 अंक)

1. कवयित्री ने अपनी कविता “आओ मिलकर बचाएँ” में किसको लेकर चिंता व्यक्त   की है?

उत्तर: कविता “आओ मिलाकर बचाएँ“ की पंक्तियों से कवयित्री ये स्पष्ट  करती हैं की वे वातावरण तथा आदिवासियों के प्राकृतिक वास एवं संस्कृति लेकर चिंतित हैं। 


2. निम्न का पर्यायवाची लिखिए। 

शहर, जंगल तथा भाषा 

उत्तर: शहर - क़स्बा,नगर, इलाक़ा  

जंगल - वन, अरण्य,कानन 

भाषा - बोली, वचन,वाणी 


3. निम्न का शब्दार्थ बताइए-

एकांत, माटी तथा दौर 

उत्तर: एकांत - अकेला या जहाँ कोई ना हो 

माटी - मिट्टी 

दौर - समय 


4. कवयित्री क्या-क्या बचाना चाहती है?

उत्तर: कवयित्री पर्यावरण, आदिवासियों की पौराणिक संस्कृति, उनके प्राकृतिक वास अर्थात बस्ती को शहरी अपसंस्कृति से बचाना चाहती हैं। 


5. कवयित्री एकांत की इच्छा क्यों करती हैं?

उत्तर: कवयित्री कहती हैं की शहर की भीड़ में मुट्ठी भर एकांत अर्थात थोड़ा सा एकांत हो जहाँ  अपने मन की पीड़ा को रो कर कम किया जा सके। 


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                     (2 अंक)

1. “अपनी बस्तियों को

नंगी होने से 

शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे।”

उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री क्या बचाने का आह्वाहन करती हैं?

उत्तर: निम्न पंक्तियों से कवयित्री आह्वाहन करती है की हमे अपनी पौराणिक संस्कृति को शहरी अमर्यादित तौर-तरीकों अर्थात जीवनशैली से बचाना होगा, हमें स्थानीय भाषा को बनावटी शहरी भाषा में परिवर्तित होने से रोकना होगा, हमें पर्यावरण में हो रहे बदलाव तथा मानवीय शोषण से उसे बचाना होगा। 


2. निम्न पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो। 

“भोलापन दिल का 

अक्खरड़पन, जुझारुपन भी।”

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों से कवयित्री दर्शाती हैं आदिवासी अथवा छेत्रिय लोगों के स्वभाव अर्थात प्रवत्ति  को, वह स्वभाव जिसमे भोलापन, बोल-चाल में सफ़ाई एवं सटीकता, तथा संघर्ष करने की अटूट छमता हुआ करती थी।  कवयित्री कुछ ऐसा करना चाहती हैं जिससे ये सारे गुण लोगों में फिरसे विलीन हो जाएँ।  


3. ‘अक्खड़पन’ से कवयित्री क्या संदेश देना चाहती हैं?

उत्तर: ‘अक्खड़पन’ अर्थात बोली में सफ़ाई एवं सटीकता का प्रमाण होना। कवयित्री इस गुण को आदिवासियों की बोली में बताती है अर्थात आदिवासियों के मन में कोई छल, कपट नहीं होता, वे साफ़ एवं सीढ़ी बात करते हैं। कवयित्री इस गुण को बचाना चाहती हैं।  


4. “पशुओं के लिए हरी-हरी घाँस” से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: निम्न पंक्तियों से कवयित्री कहना चाहती हैं की  जिस तरह मानव जाति पर्यावरण का शोषण कर उसे ख़तम कर रहे  है, पेड़-पौधों को काट रहे है उसके कारण पशु-पंछियों पर बुरा प्रव्हाव पड़ रहा है चूँकि कई सारे जानवर घास,पौधों पर निर्भर है। इसी गति से नष्ट होते पर्यावरण का सीधा प्रभाव पशुओं पर होगा, इस दुष्प्रभाव को कवयित्री रोकना चाहती हैं। 


5. “बूढ़ों के लिए पहाड़ो शान्ति” से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: कवयित्री बताती है की पहाड़ो की निर्मलता एवं शांत वातावरण आजकल की शहरी भीड़ में खो गया है तथा बढ़ते प्रदुषण से हवा दूषित हो गयी है।  कवयित्री बड़े-बूढ़ो के लिए वही पहाड़ो जैसी पवित्र, शांत, शीतल वातावरण की कामना करती हैं। 


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                                               (3 अंक)

1."अपनी बस्तियों को 

नंगी होने से

शहर की आबो-हवा से बचाएँ उसे।"

उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ लिखों ।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री सचेत करती है की हमें बस्तियों को शहरी व्यवस्था के दुष्प्रव्हाव से बचाना होगा अर्थात जिस प्रकार शहरी परिवर्तन पर्यावरण को क्षति पहुंचा कर,पेड़-पौधों को नष्ट कर, प्रदुषण को बढ़ा, प्रकृति के संतुलन को ध्वस्त कर रहे हैं इसे हमे एकस्थ होकर बचाना है अर्थात हमे अपने गांव को गांव ही रखना है उन्हें ऊंची इमारतों में परिवर्तित होने से बचाना है अन्यथा हमारी पूरी बस्ती हड्डियों में दब कर रह जायेगी। 


2. “ठंडी होती दिनचर्या में 

जीवन की गर्माहट 

मन का हरापन।”

उपरोक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो। 

उत्तर: कवयित्री अपनी रचना की निम्न पंक्तियों में नई शहरी जीवन शैली की ओर संकेत करते हुए बताती है की शहरों में रह रहे लोगों की दिनचर्या असमान रूप से मंद होती जा रही है। उनके जीवन में उत्साह, उमंग अल्प होता जा रहा है अथवा खुशियों का अवाभ है।  कवयित्री चाहती हैं की ये सारे अवगुण लोगों  में ना आए अथवा मन का उल्लास, उत्साह, जीवन जीने की उमंग, गतिशीलता एवं ख़ुशी इत्यादि का सदैव वास रहे। 


3. “भीतर की आग 

धनुष की डोरी 

तीर का नुकीलापन।”

उपरोक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो। 

उत्तर: उपरोक्त पंक्ति “भीतर की आग” से कवयित्री आदिवासियों की प्रवत्ति को दर्शाती है और कहती है की आदिवासियों के संघर्ष करने की क्षमता, परिश्रम की आदत, जोश तथा सहशीलता होती है अथवा “धनुष की डोरी, तीर का नुकीलापन” पंक्ति से कवयित्री का तात्पर्य आदिवासियों के उपयोग में आने वाले पारम्परिक हतियार धनुष व उसकी डोरी, तीर एवं कुल्हाड़ी इत्यादि। कवयित्री इन्हे विलुप्त होने से बचाना चाहती हैं अर्थात वे चाहती है की आदिवासी अपनी पहचान को इसी प्रकार बनाये रखें, भूले न। 


4. “नदियों की निर्मलता 

पहाड़ों का मौन 

गीतों की धुन 

मिट्टी का सौंधाप 

फसलों की लहलहाहट।”

उपरोक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिये। 

उत्तर: उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री प्रकृति के सौंदर्य पर प्रकाश डालते हुए कहती हैं की हमें नदियों की निर्मलता, पहाड़ो की शांति को नहीं खोने देना चाहिए क्यूंकि हम  पशु-पक्षी पर्यावरण पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निर्भर हैं अर्थात पर्यावरण को क्षति खुद को क्षति पोहोचने के बराबर है इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा कर उसे शहरी सुविधा के अनुसार ढलने से बचाना होगा। कवयित्री कहती हैं की हमे अपने सांस्कृतिक गीत को भी बचाना होगा क्यूंकि वे हमारे  मूल को दर्शाते हैं अथवा मिट्टी की सौंध हमारी सभ्यता एवं फसलों  स्वास्थ को दर्शाती है। 


5. “नाचने के लिए खुला आँगन 

गाने के लिए गीत 

हॅसने के लिए थोड़ी सी खिलख़िलाहट।”

उपरोक्त पंक्तियों का भावार्थ लिखिए। 

उत्तर: उपरोक्त पंक्तियों से कवयित्री का तात्पर्य बढ़ती जनसँख्या एवं शहरी विकास से सांस्कृतिक ह्रास पर है। कवयित्री बताती हैं की बढ़ती आबादी के कारण घर इतने छोटे हो गए हैं की अब उनमे खुल कर नाचने के लिए आँगन नहीं हैं, शहरी फ़िल्मी गीतों ने सांस्कृतिक लोक गीत की जगह ले ली है अथवा शहर के जीवन जीने के तरीको में खुल कर, खिलखिला कर हॅसने का समय भी क्षीण कर दिया है।  कवयित्री चाहती हैं की किसी तरीके शहरी विकास से हो रहे  दुष्परिणाम को रोका जा सके और स्थानीय संस्कृति को बचाया जा सके। 


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                            (5 अंक) 

1. मिट्टी के रंग का उपयोग करके क्या संकेत दिया गया है?

उत्तर: कवयित्री स्वं संथाली समाज से जोड़ रखती हैं इसलिए “संथाल परगना की माटी का रंग” से उनका तात्पर्य संथाल समाज की संस्कृति, उनका रहन-सहन, लोकशैली, बोल-चाल अर्थात  प्रवति से है जो कि उनकी पहचान है। इस पंक्ति से कवयित्री ने बड़े ही सुंदरता से सभी को अपनी मिट्टी अर्थात पहचान से जुड़े रहने को कहा है।  वे चाहती हैं की संथाल समाज़ के लोग अपनी पहचान को ना भूले अर्थात उनका भोलापन, अक्खड़पन, जुझारूपन इत्यादि जैसी विशेष्ताओँ को बचाये रखे। 


2. “इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है” से कवयित्री का कया अभिप्राय है?

उत्तर: निम्न से कवयित्री का अभिप्राय  शहरी विकास में विलुप्त होते हुए एवं  शून्य की ओर बढ़ते हुए संस्कारपूर्ण मौलिक तत्वों का है परन्तु कवयित्री निराश नहीं हैं चूँकि अभी भी समय है अपनी शेष संस्कृति को बचाने का, पर्यावरण के संतुलन को बचाने का।  सामूहिक प्रयासों से हम अपनी टूटती उमीदों को बचा सकते है, सपनो को पूरा कर सकते है, अपने पौराणिक इतिहास को संजो सकते हैं बस जरुरत है थोड़े विश्वास की, थोड़ी उम्मीद की।  


3. कवयित्री ऐसा क्यों कहती  है “की बस्तियों को शहर से रक्षा

करने की क्या आवश्यकता है?”

उत्तर: बढ़ती जनसँख्या और शहरी विकास धीरे धीरे बस्तियों के भोलेपन, भावनात्मकता, सादगी, खुले आँगन, शीतल हवा, सुखद वातावरण को ढकती जा रही है। कवयित्री इस ढकाव से बस्तियों को बचाना चाहती हैं। शहर में प्रदुषण भी एक अहम समस्या है जो बस्तियों में न के बराबर है साथ ही साथ कटते हुए जंगल आदिवासियों का स्थायी निवास छीन रहे हैं जिससे  शहरों में बस अपनी  भूलते जा रहे हैं।  कवयित्री इन सभी से बस्तियों की रक्षा करना चाहती हैं। 



4. “भाषा में झारखंडीपन” का क्या अर्थ है?

उत्तर: इसका अभिप्राय है की भाषा में अपने छेत्र का स्वाभाविक स्पर्श होना चाहिए। संथाल समाज की भाषा संथाली है जिसमे झारखण्ड राज्य का स्पर्श अथवा एक विशिष्ट उच्चारण होता है जो संथाली समाज की पहचान है अथवा उनके निवास की पहचान है।  कवयित्री इसकी रालश करना चाहती हैं। वे नहीं चाहती की संथाल समाज़ के लोग इस पहचान को विलुप्त होने दे इसलिए वे इसकी रक्षा करने को कहती हैं। 


5. कवयित्री भोलेपन, अहंकार और युद्धविद्या के तीनों गुणों की रक्षा क्यों करना चाहती हैं?

उत्तर: कवयित्री के दृष्टिकोण से यह तीन गुण आवश्यक हैं चूँकि भोलेपन अर्थात मन का साफ़ होना, ईमानदारी, सच्चाई, सहजता का भाव प्रकट करता है जो कि एक आदर्श मनुष्य के सद्गुण हैं किन्तु शहर की भीड़ में यह गुण मिलना कठिन है वहीं कवयित्री के अनुसार अक्खड़पन भी जरुरी है क्यूंकि भोलापन सदैव हानिकारक भी हो सकता है अर्थात व्यक्ति को भोला होने के साथ-साथ अक्खड़ बोली का भी होना चाहिए। युद्धविद्या संथाल के मजबूद एवं साहसी होने का प्रमाण देती है अथवा कई मुश्किल समय में काम आती है  इसलिए यह गुण भी आवश्यक है तथा कवयित्री इन तीनो गुणों की रक्षा करना चाहती हैं। 

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