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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha

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CBSE Class 11 Hindi Aroh Important Questions Chapter 5 - Galta Loha - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.


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Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter - 5 गलता लोहा

अति लघु उत्तरीय प्रश्न     (1 अंक)

1. निहाई तथा घसियारे का शब्दार्थ बताइए।

उत्तर: निहाई का अर्थ है एक लोहे का टुकड़ा जिसपर दूसरे लोहे को रखकर पीटा जाता है।

घसियारे का अर्थ है घास काटने वाला।


2. प्रतिद्वंदी और निष्ठा का विलोम शब्द बताइए।

उत्तर: प्रतिद्वंदी का विलोम शब्द सहयोगी है।

 निष्ठा का विलोम शब्द  अनिष्ठा है।


3. इस पाठ के दो पात्र लड़कों के क्या नाम है?

उत्तर: इस पाठ के दो पात्र लड़कों के नाम मोहन तथा धनराम है।


4. वंशीधर को धनराम की कौन सी बात कचोटती रही?

उत्तर: वंशीधर को धनराम की ये बात की ‘मोहन तो बचपन से हो बुद्धिमान थे’ बहुत देर तक कचोटती रही।


5. वंशीधर ने धनराम से मोहन के बारे में क्या झूठ बोला?

उत्तर: धनराम के द्वारा मोहन के बारे में पूछने पर वंशीधर ने उससे झूठ बोला की उसकी सेक्रेटेरियेट में नियुक्ति हो गई है और जल्द ही विभागीय परीक्षा देकर बड़े पद पर पहुंच जाएगा।


लघु उत्तरीय प्रश्न    (2 अंक)

6.धनराम को मास्टर त्रिलोक ने तेरह का पहाड़ा न सुनने पर क्या कहा?

उत्तर: धनराम ने जब तेरह का पहाड़ा नहीं सुनाया था तो मास्टर त्रिलोक ने उसे बेंत से मारने की जगह अपनी चाबुक जैसी चुभने वाली जुबान का प्रयोग किया और कहा– “ तेरे दिमाग में तो लोहा भरा हुआ है रे! विद्या का ताप कहाँ लगेगा इसमें? 


7. मोहन की क्या विशेषता थी?

उत्तर: मोहन एक बुद्धिमान बालक था। उसकी विशेषता थी की वह जाति व्यवस्था के व्यवसाय से जुड़ा नहीं रहना चाहता था। वह अपनी मेहनत के सहारे एक अच्छी नौकरी करनी चाहता था। अपने दोस्तों की सहायता के लिए भी वह हमेशा उदार रहता था।


8. पाठ में वंशीधर का पात्र कैसा है?

उत्तर: पाठ में वंशीधर का पात्र अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित पिता की तरह था। जो यह चाहता है की उसका बेटा पढ़ – लिखकर एक अच्छा अफसर बने। वह इस जाति व्यवसाय में फंसकर न रहे। वह चाहता है की उसके बेटे तथा उसके परिवार को एक बेहतर जिंदगी मिलें।


9. मास्टर त्रिलोक सिंह तो अब गुजर गए होंगे? मोहन की इस बात पर धनराम ने क्या उत्तर दिया?

उत्तर: मास्टर त्रिलोक सिंह के गुजर जाने के सवाल पर धनराम ने जवाब दिया की मास्टर साहब भी क्या आदमी थे। आखरी दिनों तक उनके डंडे और बेंत याद आती थी। अभी पिछले साल ही गुजरे हैं।


10. वंशीधर किस घटना से डर गए थे?

उत्तर: मोहन को स्कूल एक नदी पार कर के जाना पड़ता था। एक दिन नदी का स्तर बारिश के पानी से अधिक उफ्फान पर था। तब मोहन नदी पार कर रहा था। उस दिन मोहन बहुत मुश्किल से नदी पार कर पाया था। वह डूबने से बाल– बाल बचा था। इस घटना से वंशीधर डर गया था।


लघु उत्तरीय प्रश्न     (3 अंक)

11.जब मोहन भट्टी के पास बैठकर काम करता है, तो उसकी आँखों के लिए क्या कहा गया है?

उत्तर: जब मोहन धनराम से मिलता है, तो धनराम अपनी भट्टी में काम कर रहा होता है। मोहन भी वहां बैठ जाता है और एक घुमावदार लोहे की मोटी छड़ बनाता  है। धनराम यह देखकर हैरान हो जाता है। उसकी आँखों में एक सृजक की चमक थी, जिसमें ना कोई स्पर्धा और नाही कोई हार जीत का भाव था। यह बातें मोहन की आँखों के लिए कही हुई है जब वह धनराम की भट्टी में काम कर रहा था।


12. मोहन की गांव में किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है तथा शहर के जीवन में किस तरह को परेशानीयां थी?

उत्तर: मोहन को गांव और शहर दोनो ही जगहों पर कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन ये दोनों जगह अलग अलग थी। मोहन एक बुद्धिमान बालक था। वह पढ़ना चाहता था। लेकिन गांव में आठवीं के आगे स्कूल नहीं था और दूसरी जगह पर उसे नदी पार कर के जाना पड़ता था। जिसके कारण वह एक बार डूबने से बाल-बाल बचा था। शहर में स्कूल तो था लेकिन रमेश और उसका परिवार उसको आगे पढ़ना नहीं चाहते थे। वह वहां पर घर का सारा काम करता था। जिस कारण उसकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती थी। इसलिए उसे गांव और शहर में अलग अलग परेशानियों का सामना करना पड़ा था।


13. एक अध्यापक की दृष्टि से त्रिलोक सिंह को कौन सी बातें सही नही थी?

उत्तर: एक अध्यापक का काम होता है पढ़ाना । वह अपने सभी विद्यार्थियों को समान रूप से पढ़ाता है। किसी में कोई भी भेद या अंतर नहीं करता है। लेकिन मास्टर त्रिलोक सिंह ऐसा नहीं करते थे। वह मोहन और धनराम के बीच जाति भेद रखते थे। वहीँ धनराम से अच्छे से बात भी नहीं करते थे। बार बार वह उसे उसकी जाति या उसके निम्न होने पर तंज कसते थे। वही दूसरी तरफ वह मोहन के प्रति अच्छा व्यवहार करते थे क्योंकि वह एक उच्च जाति से संबंध रखता था और पढ़ने में भी अच्छा था। वह उसे प्रोत्साहित भी करते थे। लेकिन धनराम के साथ वह ऐसा नहीं करते क्योंकि वह पढ़ने में भी अच्छा नहीं था।


14. मास्टर त्रिलोक सिंह “ तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे। विद्या का ताप कहां लगेगा इसमें? यह बात किससे और क्यों कही?

उत्तर: मास्टर त्रिलोक ने ये बात की तेरे दिमाग में तो लोहा भरा है रे। विद्या का ताप कहां लगेगा इसमें? धनराम से कही थी। क्योंकि धनराम ने मास्टर को तेरह का पहाड़ा नहीं सुनाया था। वह एक लोहार था और अपने पिता का वह कार्य करने में हाथ बटाता था। सारा दिन लोहे का काम करने के कारण वह पढ़ाई नहीं कर पाता था। इसलिए मास्टर ने धनराम को ये बात कही।


15. धनराम के पिता के पास उसे पढ़ाने का सामर्थ्य क्यों नहीं था तथा उन्होंने उसकी पढ़ाई छुड़ाकर उसे किस काम में लगा दिया?

उत्तर: धनराम के पिता लोहार थे। उनकी आमदनी इतनी नहीं थी की वह धनराम को आगे पढ़ा सके। जितनी कमाई होती थी उस से बस वह अपना और अपने परिवार का पेट ही भर पाते थे। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जिस कारण वह धनराम को पढ़ाने में समर्थ नहीं थे। जैसे ही धनराम कुछ समझने और सोचने के लायक हुआ उन्होंने उसे अपने लोहार के काम में ही लगा दिया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न     (5 अंक)

16.मोहन पढ़ने में अच्छा था फिर भी धनराम उसे अपना प्रतिद्वंदी क्यों नहीं समझता था?

उत्तर: मोहन पढ़ने में अच्छा था। इसलिए उसे पूरे स्कूल का मॉनिटर बनाया गया था। धनराम भी उसी स्कूल में पढ़ता था लेकिन फिर भी वह मोहन को अपना प्रतिद्वंदी नहीं समझता था। इसका एक कारण यह था की मोहन उच्च जाति से संबंध रखता था और धनराम निम्न जाति का बालक था। जाति के नाम पर उन्हें हमेशा जो कुछ भी मिला है वह सब बचा हुआ ही मिला है। उनके साथ व्यवहार भी अच्छे से नही किया जाता था। उच्च जाति के लोगो का अधिकार सभी वस्तुओं और फलों पर रहता था। इसी कारण धनराम भी यही सोचता था की मोहन का विद्या पाना और उसमे अच्छा होना उसका अधिकार है क्योंकि वह उच्च जाति का है। इसलिए धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंदी नहीं मानता था।


17. मोहन जब धनराम के साथ भट्टी पर काम करने लगा तो धनराम को आश्चर्य क्यों हुआ? इस घटना का पूर्ण वर्णन करें।

उत्तर: जब मोहन धनराम के साथ बैठकर भट्टी में काम करने लगा तो यह देखकर धनराम को आश्चर्य हुआ। उसे यह आश्चर्य उसकी कारीगिरी देख कर नही हुआ बल्कि मोहन को यह काम करते देख कर हुआ। क्योंकि बचपन से ही उन्हें जाति भेद के बारे में बताया जाता है। उच्च और निम्न का फर्क समझाया जाता है। जाति के आधार पर बांटे गए काम और व्यवसाय को उन्हें बचपन में ही समझा दिया जाता है। धनराम एक निम्न जाति से संबंधित था और मोहन उच्च जाति से। मोहन की आँखों में कोई स्पर्धा और कोई हार जीत और उच्च – निम्न का भाव नहीं  था। यह सब देखकर धनराम आश्चर्य हुआ।


18.  मोहन के जीवन के किस समय को लेखक नया अध्याय कहता है?

उत्तर: मोहन के गांव से लखनऊ शहर जाना लेखक ने उसके जीवन का नया अध्याय कहा है। क्योंकि यहां पर आने से मोहन का जीवन पूरी तरह बदल चुका था। उसे यहां एक नई जिंदगी का आभास हुआ। सभी लोग उसे केवल अपने काम और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। उसे यहां पढ़ने का समय भी नहीं मिलता था। वह किसी से कुछ कह भी नही सकता था। वह अपने गांव भी जाकर अपने पिता से नहीं मिल सकता था। जब लखनऊ से कोई गांव जाता तभी वह उसके साथ गांव जा सकता था। यहां पर एक मेधावी छात्र केवल सभी के कार्य मात्र रह गया था। इसलिए लेखक ने इसे मोहन के जीवन का नया अध्याय बताया है।


19. मास्टर त्रिलोक द्वारा धनराम को बोली गई बातों को लेखक ने जुबान का चाबुक क्यों कहा है?

उत्तर: मास्टर त्रिलोक द्वारा धनराम को बोली गए ये शब्द की “तेरे दिमाग में तो लौहा भरा हुआ है विद्या का ताप कहां से आएंगे’ जुबान का चाबुक इसलिए कहा है क्योंकि धनराम निम्न जाति से संबंध रखता है और लोहार का काम करता है। मास्टर जी उसके काम और उसकी जाति पर तंज कसते हुए यह सब कहते है। जिससे हर किसी इंसान को बुरा लगेगा और मार तो सिर्फ शरीर पर दिखाई देती है। लेकिन जुबान से बोले गए शब्द इंसान को अंदर तक दुखी करती है। जिस प्रकार चाबुक भी बहुत दर्द और दुख देता है, उसी प्रकार जुबान रूपी चाबुक भी बहुत दुःख और दर्द देता है। इसलिए मास्टर के शब्दों को लेखक ने जुबान का चाबुक कहा है।


20.पंडित वंशीधर ने रमेश से क्या कहा तथा उसका क्या आशय था?

उत्तर: पंडित वंशीधर अपने बेटे मोहन की पढ़ाई के बारे में चिंतित थे। जिसका जिक्र वह रमेश के सामने करते है। रमेश उनसे कहता है की आप फिक्र मत कीजिए और मोहन को मेरे साथ शहर भेज दीजिए। मैं उसका एक अच्छे से स्कूल में दाखिला करवा दूंगा। वह अच्छे से अपनी पढ़ाई पूरी कर लेगा। ये सब बातें सुनकर वंशीधर बहुत खुश हुआ। उसे अपने बेटे का अफसर बनने का सपना पूरा होता नजर आ रहा था। उसने रमेश से कहा की ‘बिरादरी का यही सहारा होता है’। उसके कहने का आशय था की एक दूसरे की मदद करना और उसकी मजबूरी को समझना ही जाति बंधुत्व के लोगों का सहारा और कर्तव्य होता है।


Conclusion 

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FAQs on Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha

1. What are important questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - "Galta Loha"? 

Important questions for Chapter 5 - "Galta Loha" are a set of specific questions designed to focus on key concepts and topics covered in the chapter. They help students understand the text better and prepare for examinations effectively.

2. Why are these important questions helpful for students? 

These important questions provide students with a clear understanding of the important topics and concepts covered in the chapter. By practicing these questions, students can improve their comprehension, enhance their writing skills, and boost their overall performance in the examination.

3. How can I access the important questions for Chapter 5 - "Galta Loha"?

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4. Can practicing these important questions guarantee better marks in the examination? 

While practicing important questions can significantly improve preparation, it is important to note that the examination pattern may vary, and the questions asked may not be exactly the same as the ones provided in the important questions. It is advisable to thoroughly understand the concepts and practice a variety of questions to perform well in the examination.

5. Are these important questions comprehensive enough to cover the entire chapter?

Important questions are designed to cover the key topics and concepts of the chapter. However, they may not cover every single aspect of the chapter. It is recommended to refer to the complete chapter and other study materials to have a thorough understanding of the content.

6. Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha does it help to understand the chapter better?

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8. What behavior of Mohan surprises Dhanram and why?

Dhanram tried to round an iron ingot one day by melting it in a furnace. Despite his best efforts, he did not succeed in bringing it into the desired form. Noticing his difficulty, Mohan took up the work and quickly and safely shaped the iron rod into a flawless circle. Dhanram was amazed at Mohan's skill as he was a Brahmin by birth and had never learned the trade of blacksmith. This is further explained easily on vedantu.com.

9. Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha does it cover all aspects of this chapter?

Yes, of course, Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha covers all the details of NCERT. This will cover every part of the chapter including key ideas. These questions provide the core knowledge of the chapter and the entire syllabus. For all key questions, students can download free PDF files from Vedantu.com.

10. How did the author talk about the education of books and the education of money in CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 5 - Galta Loha?

The author speaks about two types of education, he refers to Dhanram, a blacksmith's son. Dhanram received a formal education at the school while also learning the art of blacksmithing from his father, which would provide him with an income. The teachers scolded and beat him because he was weak in math. Even his masters provided him with equipment to improve his skills as a blacksmith.