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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Vitan Chapter 2 - Rajasthan Ki Rajat Bunde

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CBSE Class 11 Hindi Vitan Important Questions Chapter 2 - Rajasthan Ki Rajat Bunde - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Vitan Chapter 2 - Rajasthan Ki Rajat Bunde prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class-11 Hindi Vitan Chapter - 2 - राजस्थान की रजत बूंदें

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                               (1 अंक)

1.रेत के कण कैसे होते हैं? 

उत्तर: रेत के कण अत्यंत बारीक होते हैं। और वह अन्य किसी मिलने वाली मिट्टी की कणों की भाँती एक दूसरे से चिपकते नहीं है।


2. बसौली क्या होता है?

उत्तर: बसौली एक औज़ार को कहा जाता है, जो एक छोटे फावड़े की तरह होता है। इसके आगे का  नुकीला भाग लोहे का और हत्था लकड़ी का  होता है। 


3.मरुभूमि में किसका विस्तार देखने को मिलता है?

उत्तर: मरुभूमि मैरिड का विस्तार और गहराई अथाह देखने को मिलता है। भारत का सबसे बड़ा रेगिस्तान राजस्थान में ही है।


4. रेजाणीपानी क्या है?

उत्तर: रेजाणीपानी को पार्लर पानी और पातालपानी के बीच पानी का तीसरा रूप कहा जाता है अर्थात धरातल से नीचे उतरा लेकिन पाताल में ना मिल पाया वह पानी रेजाणी है।


5. पंद्रह हाथ लम्बा रस्सा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

उत्तर: लगभग पांच छात्र के व्यास की कुई में रस्से की एक ही कुंडली का सिर्फ एक घेरा बनाने के लिए लगभग पंद्रह हाथ लम्बा रस्ता चाहिए।


लघुउत्तरीय  प्रश्न                                                                                        (2 अंक)

1.रेजाणी पानी किसके कारण पाताली पानी से अलग बना रहता है?

उत्तर: रेजाणी पानी खड़िया पट्टी के कारण पतालीपानी से अलग बना रहता है। ऐसी पट्टी के अभाव में रेजाणीपानी धीरे-धीरे नीचे जाकर पाताली पानी में मिलकर अपना विशिष्ट रूप खो देता है।


2.एक विकसित शास्त्र ने समाज के लिए उपलब्ध पानी को कितने रूपों में बांटा है?

उत्तर: एक विकसित शास्त्र ने समाज के लिए उपलब्ध पानी को तीन रूपों में बांटा है। जिसमें पहला रूप है पालरपानी, दूसरा रूप है पातालपानी, और तीसरा रूप है ये रेजाणीपानी।


3.चेलवांजी, कुई के भीतर काम कर रहे मजदूर पसीने में तरबतर क्यों है?

उत्तर: चेलवांजी, कुई की खुदाई लगभग तीस -पेंतिस हाथ गहरी हो चुकी थी और अंदर गर्मी बढ़ती जा रही थी। इसी कारण से अंदर काम कर रहे मजदूर पसीने में तरबतर थे।


4.खड़ खड़िया पट्टी के अन्य नाम क्या क्या है?

उत्तर: खड़ खड़िया पट्टी के निम्नलिखित नाम  है- चारोली, धंधडो, खड़ी, धड़धड़ों, बिट्टू रो बल्लियों के नामों  से जाना जाता है।


5.कुई किन क्षेत्रों में बनती है? नमी की मात्रा वहाँ कैसे तय होती है?

उत्तर: गाँव के सार्वजनिक छेत्र पर कुई का निर्माण कराया जाता है और वहाँ साल भर के बरसात का पानी जमा होता है जिससे उस भूमि में नमी पैदा होती है। नमी की मात्रा हो चुकी बरसात से ही तय की जा सकती है। 


लघुउत्तरीय    प्रश्न                                                                                      (3 अंक)

1.कुई और कुआं में क्या अंतर है?

उत्तर: एक ऐसे सामान्य अन्तर में बात करें तो कुई  को स्त्रीलिंग कहा जाता है, जहाँ कुआं को पुर्लिंग।कुआं भूजल को पाने के लिए बनता है पर कोई भूजल से ठीक वैसे नहीं जुड़ती जैसे कुआं जुड़ता है। अर्थार्थ कुई बहुत ही छोटा सा कुआं होता है। कुई वर्षा के जल को बड़े विचित्र ढंग से समेटती है।


2.पालरपानी क्या है.? 

उत्तर: जल ही जीवन है। पानी को संग्रहित करने के लिए पानी को अनेक भागो में बाँटा गया है। जिसमें की एक पालरपानी है। पालरपानी,  वर्षा से सीधे मिलने वाले पानी को कहते है। धरातल पर बहते पानी को नदी, तालाब आदि में रोका जाता है।


3.रेज क्या है .? 

उत्तर: वर्षा की मात्रा को मापने में भी  इंच या सेंटीमीटर के स्थान पर रेजा शब्द का उपयोग होता है। रेजा का माप धरातल पर हुई वर्षा को नहीं अपितु धरातल में समाई वर्षा को ना पता है। जैसे मरुभूमि में पानी इतना गिरे की पांच अंगुल भीतर समा जाए तो उस दिन की वर्षा को पांच अंगुल रेजा कहते हैं।


4.मरुभूमि में धरती पर दरारें क्यों नहीं पड़ती?

उत्तर:  मरुभूमि में रेत के कण बिखरे हुए रहते हैं और उनमे लगाव नहीं होता है, वह कण पानी के गिरने पर थोड़े भारी हो जाते है। परंतु अपनी जगह  बनाए रखते है। और भीतर जमा बरसात का पानी भीतर ही रहता है। यही कारण है की मरुभूमि की धरती पर दरारें नहीं पड़ती। 


5.फ़रेडी क्या है.? 

उत्तर: कुई गहरी बनी होई हो तो पानी को खींचने की सुविधा के लिए उसके ऊपर घिरनी या चकरी भी लगी होती है जो की किगरेडि, चरखी या फ़रेडी भी कहलाती है। यह लोहे की दो भुजाओं पर लगती है लेकिन प्राय: यह गुलेल के आकार के एक मजबूत तने को काटकर, उसमें आरपार छेद बना कर लगाई जाती है।


 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                      (5 अंक)

1.राजस्थान में पानी को कितने रूप में बांटा है? उल्लेख करें?

उत्तर: राजस्थान में पानी को तीन रूपों में बांटा है जिनको निम्नलिखित बताया गया है,

1.पालरपानी-  पालरपानी का तात्पर्य है कि सीधे बरसात से मिलने वाला पानी यह पानी धरातल पर बहता है।

2.पातालपानी-  कुओं में से निकाले गए पानी को पातालपानी कहा गया है। 

3. रेजाणीपानी - पानी के रूप में यह है एक रजाणीपानी जो धरातल से नीचे उतरा, परन्तु पाताल में न मिलने वाला पानी जारी है।


2.लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि निजी होते हुए भी सार्वजनिक क्षेत्र में कुईयो पर ग्राम समाज का अंकुश लगा रहता है?

उत्तर:  राजस्थान को भारत का एक ऐसा राज्य कहा जाता है जहाँ सबसे ज्यादा पानी की कमी रहती है। यहाँ के गांव में लोग पानी के लिए हमेशा उपयोग और बावड़ियों पर निर्भर रहते हैं। पानी की उपलब्धता हेतु इन कोई का निर्माण ग्राम समाज की सार्वजनिक भूमि पर होता है। ग्राम समाज का ऐसा मानना है कि कुओं में पानी, बरसात से होई नमी के कारण कुईयों में वर्ष भर पानी भरा रहता है। और इस नमी की मात्रा को वहाँ पर हुई वर्षा से निर्धारित या मापा जाता है। नया और निजी कुंईयो के निर्माण का तात्पर्य है कि बारिश की नमी का बंटवारा करना। ऐसा करने से जल्द के स्तर में भारी गिरावट आएगी इस कारण से निजी होने के बावजूद भी सार्वजनिक क्षेत्र में बने सभी कुईयो पर ग्राम समाज का नियंत्रण होता है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो सभी लोग अपने घर में की कुईया बना देंगे और प्रत्येक को बराबर पानी नहीं मिलेगा।


3. भारत में पानी की समस्या से निपटने के लिए क्या किया जा रहा है?

उत्तर: भारत में पानी की समस्या से निपटने के लिए देश में भी कई जगहों पर सरकार द्वारा कई सरकारी और गैर सरकारी अभियान चलाए जा रहा है। देश के सभी लोगों को प्रिंट मीडिया कार्यक्रम और विज्ञापन आदि के माध्यम से जागरूक किया जा  रहा है। जिससे लोगो में जलसंकट से बचने की समझ पैदा करी जा रही है। सिनेमा जगत की हस्तियों द्वारा पानी के विषय में सभी लोगों को अवगत कराया जा रहा है जल को पुनरावृत्ति करने के विभिन्न तरीकों को जनमानस तक पहुंचाया जा रहा है वर्षा के पानी को बचाने के कई उपाय गांवों और शहरों में उपलब्ध कराए जा रहे हैं। गांव के तालाब को पुनः निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही नदियों को साफ कराया जा रहा है। छोटे कुएं और जलाशयों का बहुतायत स्थर पर निर्माण कर पानी के भूमिगत जल स्तर को बढ़ाया जा रहा है।


4.दिन प्रतिदिन बढ़ती पानी की समस्या से निपटने में यह पाठ आपकी किस प्रकार से मदद कर सकता है?

उत्तर: दिन प्रतिदिन बढ़ती पानी की समस्या एक विकेट और विकराल समस्या का रूप लेते जा रही है। इसका मुख्य कारण है, मानव जाति के द्वारा प्रकृति से अत्यधिक छेड़छाड़। पेड़ पौधों और जंगलों के दोहन के कारण से पानी की समस्या और भी भयंकर रूप लेती जा रही है। प्रत्येक वर्ष बारिश सामान्य स्तर से कम होती जा रही है और इस कारण वर्ष नदियों और तालाबों का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है। भारत में आज लगभग सभी स्थानो में लोगों को पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। ‘राजस्थान की रजत बूंदें ‘ पाठ से हमें जल को बचाने और जल संग्रह के बहुत उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है। यह सभी जानकारी आज के समय में बहुत सहायक साबित हो सकती है। 


5.कुई से पानी निकालना कैसे कठिन बन सकता है?

उत्तर: जब कोई गहरी बनाई जाती है तो उसमें पानी खींचने की सुविधा के लिए ऊपर चकरी भी लगाई जाती है जो कि चरखी , गरेडी और फ़रेडी भी कही जाती है। यह लोहे की दो भुजाओं पर लगाई जाती है फिर एक गुलेल के आकार के मजबूत तने को काटकर, उसमें छेद बनाकर लगाई जाती है जिसे ओडाक कहते हैं। ओडाक और चरखी के बिना इतनी गहरी और संकृति कुएं से पानी निकालना अत्यंत कठिन काम बन जाता है। ओडाक और चरखी, चडसी को बिना इधर उधर टकराए सीधे ऊपर तक लाती है।