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Antim Daur – Dho (अंतिम दौर - दो) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Bharat Ki Khoj) Chapter 7.

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Hindi (Bharat Ki Khoj) Important Questions for Chapter 7 अंतिम दौर - दो (जवाहरलाल नेहरू) Class 8 - FREE PDF Download

Vedantu offers important questions for Chapter 7, "Antim Daur – Dho" from Hindi Bharat Ki Khoj. In this chapter, Jawaharlal Nehru highlights the themes of perseverance, inner strength, and determination through the story of an athlete’s struggle in a race. The protagonist, despite physical exhaustion, draws on mental fortitude to continue the race, showcasing the power of willpower and resilience. Nehru emphasizes the importance of not giving up in the face of adversity, inspiring readers to overcome challenges with courage and self-belief. Download the FREE PDF to access important questions and ensure a deeper understanding of this thought-provoking chapter, enhancing your comprehension of the CBSE Class 8 Hindi syllabus.

Access Class 8 Hindi Chapter 7: Antim Daur – Dho (अंतिम दौर - दो) Important Questions

Short Answer Questions

1. "अंतिम दौर-द्वितीय" का नामकरण किस आधार पर किया गया है?

"अंतिम दौर" का नामकरण उस समय के राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाने के लिए किया गया था जब भारतीय स्वतंत्रता संग्राम अपने अंतिम चरण में था। इसमें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय संघर्ष की तीव्रता और विस्तार को बताया गया है।


2. इस पाठ में 'भ्रष्टाचार' को किस प्रकार से चित्रित किया गया है?
इस पाठ में भ्रष्टाचार को भारतीय प्रशासन में व्याप्त एक गंभीर समस्या के रूप में चित्रित किया गया है। ब्रिटिश साम्राज्य ने भारतीय प्रशासन को अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया, जिससे भ्रष्टाचार फैल गया और सरकारी तंत्र कमजोर हुआ।


3. गांधी जी के विचारों का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्या योगदान था?
गांधी जी के विचारों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा, सत्याग्रह, और नागरिक अवज्ञा जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया। उनका उद्देश्य ब्रिटिश शासन को शांति और सत्य के साथ चुनौती देना था, जो अंततः भारतीय स्वतंत्रता का कारण बना।


4. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत में किस प्रकार की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियाँ बनीं?
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत में ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर हो गया था, जिससे स्वतंत्रता संग्राम में और तेजी आई। सामाजिक तौर पर, युद्ध ने भारतीय जनता को गरीबी और भूखमरी का सामना कराया, जिससे वे और अधिक आक्रोशित हुए और स्वतंत्रता की मांग बढ़ी।


5. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की धीमी गति के कारणों पर प्रकाश डालिए।
राष्ट्रीय आंदोलन की गति धीमी होने के मुख्य कारण थे ब्रिटिश साम्राज्य की शक्तिशाली नियंत्रण प्रणाली, भारत में विभाजन की नीतियाँ, और कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच मतभेद। इसके अलावा, भारतीय समाज में जातिवाद, धार्मिक भेदभाव और स्थानीय मुद्दों ने आंदोलन को प्रभावित किया।


6. कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संबंधों में कौन सी महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं?
कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संबंधों में मतभेद और टकराव कई बार हुए, खासकर जब मुस्लिम लीग ने अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग की। 1940 में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग की, जिससे दोनों संगठनों के बीच दूरियाँ बढ़ गईं। इसका परिणाम 1947 में विभाजन के रूप में हुआ।


7. नेहरू जी और गांधी जी के दृष्टिकोण में क्या अंतर था?
नेहरू जी और गांधी जी के दृष्टिकोण में अंतर था। नेहरू जी ने औद्योगिकीकरण और समाजवाद का समर्थन किया, जबकि गांधी जी ने स्वदेशी उत्पादों और ग्रामोदय की दिशा में काम किया। नेहरू जी आधुनिकता के पक्षधर थे, जबकि गांधी जी परंपरा और सादगी के पक्षधर थे।


8. 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के पहले चुनौतियों का सामना किस प्रकार से किया गया?
स्वतंत्रता के बाद भारत को विभाजन की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें लाखों लोग विस्थापित हुए और हिंसा का सामना किया। इसके अलावा, भारत को एक नई संविधान की आवश्यकता थी, साथ ही सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों की दिशा में काम करना था।


9. पाठ में वर्णित ‘भारतीय समाज’ में प्रमुख बदलावों के बारे में बताइए।
भारतीय समाज में स्वतंत्रता के बाद कई बदलाव हुए, जैसे कि जातिवाद और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर काम करना। सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, भारतीय समाज में समानता और धार्मिक सहिष्णुता की ओर कदम बढ़ाए गए, और भारतीय संविधान ने इन मुद्दों को कानूनी तौर पर मान्यता दी।


10. भारत में विभाजन के समय हुए प्रभाव और मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा कीजिए।
भारत के विभाजन के समय लाखों लोग हिंसा का शिकार हुए और अपनी जान की सलामती के लिए अपने घरों से पलायन किया। महिलाओं के खिलाफ बलात्कार, हत्या, और अपहरण की घटनाएँ बढ़ी। विभाजन के कारण कई लोगों को असहमति, धार्मिक संघर्ष, और मानवीय संकटों का सामना करना पड़ा, जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।


Long Answer Questions

1. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा करें।

गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया। उनका मानना था कि हिंसा से कोई भी संघर्ष सफल नहीं हो सकता, और केवल सत्य और अहिंसा के माध्यम से ही ब्रिटिश साम्राज्य को हराया जा सकता है। गांधी जी ने 1915 में भारत लौटने के बाद बर्मा और दक्षिण अफ्रीका में किए गए संघर्षों से मिली सीख को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लागू किया।


गांधीजी ने 1919 में असहमति की राजनीति को एक नया मोड़ दिया जब उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद असहमति का आंदोलन शुरू किया। 1930 में नमक सत्याग्रह और 1942 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' उनके प्रमुख आंदोलन थे। गांधीजी के नेतृत्व में भारत के जन-जन को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का प्रोत्साहन मिला। उनका विश्वास था कि अगर भारतीय जनता एकजुट हो जाए तो ब्रिटिश साम्राज्य भारत से हमेशा के लिए हट जाएगा।


गांधी जी का दृष्टिकोण केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि समाज के सामाजिक सुधारों को भी उन्होंने महत्व दिया। उन्होंने अस्पृश्यता का विरोध किया, महिलाओं के अधिकारों की बात की और भारतीय समाज को सांप्रदायिक सौहार्द की ओर ले जाने का प्रयास किया। गांधी जी ने अपनी शिक्षा में हरिजन उद्धार, जातिवाद का उन्मूलन, और ग्रामोदय को प्राथमिकता दी।


2. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत की राजनीतिक और सामाजिक स्थिति पर विस्तार से विचार करें।

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर हो गया था, और उसकी सत्ता भारत पर लगातार बनी रहना कठिन हो गया था। युद्ध के दौरान ब्रिटेन को भारतीय संसाधनों की जरूरत थी, और युद्ध के बाद भारत की अर्थव्यवस्था बहुत कमजोर हो गई थी। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय जनता में असंतोष और आक्रोश बढ़ गया था, जो स्वतंत्रता संग्राम को तेज करने का कारण बना।


इसके अलावा, युद्ध ने भारतीय समाज पर भी प्रभाव डाला। देश में आर्थिक संकट, महंगाई और खाद्यान्न की कमी जैसी समस्याएँ बढ़ गईं। सामाजिक दृष्टिकोण से, युद्ध के दौरान श्रमिकों, किसानों और अन्य वर्गों के बीच असंतोष फैल गया। 1942 में गांधीजी ने 'भारत छोड़ो आंदोलन' शुरू किया, जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक निर्णायक कदम था।


राजनीतिक तौर पर, भारत में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेद और बढ़ गए थे। मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग शुरू की, जो भारत के विभाजन की ओर एक कदम था। इसके साथ ही, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने एक निर्णायक मोड़ लिया, जब ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत को स्वतंत्रता देने का निर्णय लिया, और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ।


3. भारत में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संघर्ष के कारणों और परिणामों पर विस्तृत चर्चा करें।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच संघर्ष के मुख्य कारण उनके राजनीतिक दृष्टिकोणों और स्वार्थों में अंतर थे। कांग्रेस का उद्देश्य भारतीय जनता को एकजुट करके स्वतंत्रता प्राप्त करना था, जबकि मुस्लिम लीग का लक्ष्य मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा करना था। कांग्रेस में हिंदू-मुस्लिम एकता का समर्थक दृष्टिकोण था, लेकिन मुस्लिम लीग ने मुस्लिमों के लिए एक अलग देश की मांग की, जिसे पाकिस्तान के रूप में देखा गया।


मुस्लिम लीग ने 1940 में पाकिस्तान की मांग की, और इसके बाद कांग्रेस और मुस्लिम लीग के रिश्ते बिगड़ गए। कांग्रेस इस विभाजन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन मुस्लिम लीग ने इसे अपनी रणनीति के रूप में देखा। इसके कारण भारत में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया, और विभाजन की प्रक्रिया 1947 में पूरी हुई। विभाजन के परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का गठन हुआ और लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हुए। इस विभाजन के दौरान भारी हिंसा, रक्तपात, और साम्प्रदायिक संघर्ष हुआ, जिससे लाखों लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए।


4. नेहरू जी और गांधी जी के विचारों और दृष्टिकोणों में अंतर पर विस्तृत चर्चा करें।

नेहरू जी और गांधी जी के दृष्टिकोणों में कई महत्वपूर्ण अंतर थे। गांधी जी का मानना था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाना चाहिए और ग्रामोदय के सिद्धांत पर काम करना चाहिए। उनका ध्यान भारतीय समाज के गरीब, किसान और मजदूर वर्ग पर था। वे आधुनिकता के मुकाबले परंपराओं में विश्वास रखते थे, और उनका उद्देश्य स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना था। गांधी जी ने विश्वास किया कि यदि भारतीय समाज आत्मनिर्भर होगा, तो ब्रिटिश साम्राज्य का मुकाबला किया जा सकेगा।


वहीं, नेहरू जी का दृष्टिकोण अधिक आधुनिक और प्रौद्योगिकी आधारित था। उन्होंने भारतीय समाज को औद्योगिकीकरण, विज्ञान, और तकनीकी प्रगति की ओर बढ़ाने का समर्थन किया। उनका मानना था कि भारतीय अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के लिए बड़े उद्योगों और विज्ञान में निवेश करना होगा। नेहरू जी समाजवादी नीतियों के समर्थक थे, और उन्होंने भारतीय समाज में समानता, शैक्षिक सुधार और विज्ञान के क्षेत्र में विकास की दिशा में कई कदम उठाए।


गांधी जी का ध्यान ग्रामीण विकास और शांति पर था, जबकि नेहरू जी का ध्यान औद्योगिकीकरण, विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर था। इन दोनों के दृष्टिकोण अलग थे, लेकिन दोनों ही भारतीय समाज की बेहतरी के लिए काम कर रहे थे।


5. भारत के विभाजन के समय हुए मानवाधिकारों के उल्लंघन और सामाजिक प्रभाव पर विस्तृत चर्चा करें।

भारत का विभाजन 1947 में हुआ, और यह भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास का एक भयावह और त्रासदीपूर्ण अध्याय है। विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हुए, और भारत और पाकिस्तान के बीच सांप्रदायिक हिंसा और दंगे शुरू हो गए। इस हिंसा में हजारों लोग मारे गए, महिलाएँ अपहृत हुईं, और परिवारों को अपनी जान बचाने के लिए सीमा पार करनी पड़ी।

विभाजन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बलात्कार की घटनाएँ बढ़ गईं। कई परिवारों को अपनी जिंदगियाँ बचाने के लिए अपनों से अलग होना पड़ा, जिससे मानवीय संकट और आक्रोश पैदा हुआ। विभाजन ने भारतीय समाज को मानसिक और सामाजिक रूप से टूटकर छोड़ दिया। लोग अपनी जड़ों और संस्कृति से दूर हो गए, और यह विभाजन का सामाजिक प्रभाव था।

इस प्रकार, विभाजन ने न केवल भारतीय समाज को भयंकर सामाजिक और मानसिक संकट में डाल दिया, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन भी किया। लाखों लोग अपनी सम्पत्ति, घर और परिवार से बेघर हो गए, और यह घटनाएँ कई सालों तक समाज पर गहरी छाप छोड़ती रहीं।


Value - Based Questions

1. गांधीजी के सिद्धांत "अहिंसा" और "सत्य" का पालन करके आप अपने जीवन में कौन से बदलाव ला सकते हैं? इस सिद्धांत का आपके समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

गांधीजी के सिद्धांत "अहिंसा" और "सत्य" का पालन करके हम अपनी जिंदगी में शांति, ईमानदारी और समझदारी से काम करेंगे। अहिंसा से हम संघर्षों को बिना हिंसा के हल करेंगे और सत्य के सिद्धांत से हमेशा ईमानदार और सच्चे रहेंगे। अगर हम समाज में इन सिद्धांतों का पालन करें, तो समाज में शांति, सहयोग और एकता बढ़ेगी, जिससे साम्प्रदायिक हिंसा कम होगी और लोग आपस में अच्छे संबंध बनाएंगे।


2. भारत के विभाजन के समय हुए हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन को देखकर आप समाज में समानता और एकता को बढ़ावा देने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं?

विभाजन के समय हुई हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें सभी धर्मों और जातियों का समान आदर करना चाहिए। समाज में समानता और एकता बढ़ाने के लिए हम किसी भी प्रकार के भेदभाव और हिंसा का विरोध करेंगे और सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए काम करेंगे। अगर हम यह कदम उठाएं, तो समाज में शांति और भाईचारा बढ़ेगा और विभाजन जैसी घटनाओं से बचा जा सकेगा।


Points to Remember From Class 8 Hindi Chapter 7: Antim Daur – Dho

1. Gandhi led the freedom struggle using non-violence and truth, uniting millions against British rule.

2. Non-violence (ahimsa) and truth (satya) were central to Gandhi’s leadership.

3. World War II weakened the British Empire, increasing India’s demand for independence.

4. The Indian National Congress and Muslim League had differing views, leading to the demand for Pakistan.

5. Gandhi’s Quit India Movement in 1942 called for immediate British withdrawal, despite harsh repression.

6. The partition of India in 1947 created India and Pakistan, causing violence and displacement.

7. Partition led to mass migration, riots, and suffering, especially for women and children.

8. Post-war India faced political, economic, and social challenges.

9. Leaders like Nehru, Bose, and Patel also played significant roles in India’s independence.

10. The freedom struggle inspired movements for social equality and justice in India.


Benefits of Important Questions for Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 7: Antim Daur – Dho

  • Important Questions provide a clear summary, helping students recall the main points and key ideas without re-reading the whole chapter.

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Conclusion

Antim Daur-Dho, highlights the final phase of India’s struggle for independence, marked by Gandhi's leadership and non-violent movements. Despite the challenges of World War II, the demand for independence grew stronger, leading to mass protests like the Quit India Movement. The chapter also addresses the intense political conflict between the Indian National Congress and Muslim League, culminating in the partition of India in 1947. The partition caused widespread violence, displacement, and social upheaval. The chapter underscores the sacrifices made by leaders and citizens, shaping India’s path towards freedom and the establishment of a democratic nation.


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FAQs on Antim Daur – Dho (अंतिम दौर - दो) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Bharat Ki Khoj) Chapter 7.

1. What was the significance of Gandhi's leadership in India's independence struggle?

Gandhi's leadership emphasized non-violence and truth, which united millions in the fight against British rule.

2. What was the Quit India Movement?

Launched by Gandhi in 1942, the Quit India Movement demanded the immediate withdrawal of British rule from India.

3. How did World War II impact India’s demand for independence?

The war weakened the British Empire economically and politically, increasing India’s demand for independence.

4. What was the main disagreement between the Indian National Congress and the Muslim League?

The Congress wanted a united India, while the Muslim League demanded a separate state for Muslims, leading to the creation of Pakistan.

5. What was the outcome of the partition of India in 1947?

The partition resulted in the creation of two countries, India and Pakistan, causing widespread violence, displacement, and loss of life.

6. How did the partition affect the social fabric of India?

The partition led to deep communal divides, riots, and large-scale migration, especially affecting women and children.

7. What role did leaders like Nehru, Patel, and Bose play in the independence movement?

Nehru became the first Prime Minister, Patel united India post-independence, and Bose led the Azad Hind Fauj against British forces.

8. What was the impact of Gandhi’s principle of non-violence on the independence movement?

Gandhi’s principle of non-violence inspired peaceful protests and resistance, uniting people from all walks of life.

9. How did India’s political and social situation change after independence?

Post-independence, India faced challenges like rebuilding the nation, economic recovery, and addressing social inequalities.

10. What legacy did the freedom struggle leave on Indian society?

The freedom struggle inspired movements for equality, justice, and social reforms, shaping modern India's democratic and inclusive character.