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Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi (धो पुरुषत्वभूमिया - भारतीय और अंग्रेज़ी) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Bharat Ki Khoj) Chapter 9

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Hindi (Bharat Ki Khoj) Important Questions for Chapter 9 Class 8 - FREE PDF Download

Vedantu offers Hindi (Bharat Ki Khoj) Important Questions for Chapter 9, "Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi" is a chapter that provides an in-depth look at the complex relationship between India and the British Empire during the colonial period. Nehru explores the profound changes brought about by British rule in India, focusing on the socio-political and economic shifts that deeply impacted Indian society. The chapter highlights the increasing tensions and unrest caused by British oppression, alongside the growing sense of resistance among Indians. Nehru examines the emergence of new ideas and movements that laid the groundwork for the freedom struggle. He emphasizes the importance of unity, resilience, and determination in the face of adversity. Through this chapter, students gain insight into the historical struggles and sacrifices made for India's independence. Download the FREE PDF to access CBSE Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Important Questions to ensure a thorough understanding of the chapter's themes and lessons, alongside the CBSE Class 8 Hindi Syllabus, helping you build a solid foundation for the upcoming exams.

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Table of Content
1. Access Class 8 Hindi Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi (धो पुरुषत्वभूमिया - भारतीय और अंग्रेज़ी) Important Questions
    1.1Short Answer Questions
    1.2Long Answer Questions
    1.3Value - Based Questions
2. Points to Remember From Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi
3. Benefits of Important Questions for Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi
4. Related Study Materials for Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9
5. Chapter-wise Important Questions for Hindi (Bharat Ki Khoj) Class 8
6. Bookwise Important Questions Links for Class 8 Hindi
7. Important Study Material for Hindi Class 8
FAQs

Access Class 8 Hindi Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi (धो पुरुषत्वभूमिया - भारतीय और अंग्रेज़ी) Important Questions

Short Answer Questions

1. "धो पृथ्वीभूमिया - भारतीय और अंग्रेजी" अध्याय का मुख्य विचार क्या है?

इस अध्याय का मुख्य विचार यह है कि भारत और अंग्रेजों के बीच का संबंध केवल उपनिवेशी नहीं था, बल्कि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण था। अंग्रेजों के आने से भारतीय समाज और संस्कृति पर गहरे प्रभाव पड़े, जिनके परिणामस्वरूप भारतीयों ने अंग्रेजी शिक्षा और पश्चिमी सभ्यता को अपनाया।


2. अंग्रेजी शासन के कारण भारतीय समाज में कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन हुए?

अंग्रेजी शासन के कारण भारतीय समाज में कई प्रमुख परिवर्तन हुए। सबसे बड़ा परिवर्तन था अंग्रेजी शिक्षा और पश्चिमी विचारधारा का भारत में प्रवेश। इसके अलावा, भारतीय समाज में औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और प्रशासनिक ढांचे में बदलाव आया। साथ ही भारतीय समाज में जातिवाद, धर्म, और संस्कृति से संबंधित परंपराओं में भी परिवर्तन देखने को मिला।


3. भारतीय और अंग्रेजी सभ्यताओं के बीच क्या मुख्य अंतर था?

भारतीय और अंग्रेजी सभ्यताओं के बीच मुख्य अंतर यह था कि भारतीय सभ्यता एक पारंपरिक और धार्मिक दृष्टिकोण पर आधारित थी, जबकि अंग्रेजी सभ्यता ने तार्किक सोच, विज्ञान, औद्योगिकीकरण और पश्चिमी विचारधारा को महत्व दिया। अंग्रेजों ने भारतीय समाज को आधुनिकता की दिशा में अग्रसर किया, जबकि भारतीय सभ्यता अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़ी हुई थी।


4. भारतीय शिक्षा व्यवस्था और अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर था?

भारतीय शिक्षा व्यवस्था परंपरागत रूप से गुरुकुलों, धार्मिक संस्थानों और आधिकारिक पाठ्यक्रमों पर आधारित थी, जबकि अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली में पश्चिमी विचारधारा, गणित, विज्ञान, और आधुनिक भाषा का अध्ययन किया जाता था। अंग्रेजी शिक्षा ने तार्किक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया, जबकि भारतीय शिक्षा में अधिकतर धार्मिक और नैतिक शिक्षा दी जाती थी।



5. अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय समाज पर किस प्रकार के सांस्कृतिक प्रभाव पड़े?

अंग्रेजी शासन ने भारतीय समाज में कई सांस्कृतिक प्रभाव डाले। अंग्रेजों ने भारतीयों को पश्चिमी शिक्षा, कला, साहित्य और सभ्यता से परिचित कराया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय समाज ने अंग्रेजी साहित्य, संगीत और कला को अपनाया। इसके अलावा, भारतीय परंपराओं और धर्मों में भी बदलाव आया, और भारतीय समाज के भीतर एक नया दृष्टिकोण विकसित हुआ।


6. "धो पृथ्वीभूमिया" के संदर्भ में भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को कैसे समझा जा सकता है?

"धो पृथ्वीभूमिया" के संदर्भ में भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को इस प्रकार समझा जा सकता है कि अंग्रेजों ने भारत में अपनी संस्कृति, शिक्षा और शासन प्रणाली को प्रस्तुत किया, जबकि भारतीयों ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर, कला, और धार्मिक विचारों का भी अंग्रेजों के साथ आदान-प्रदान किया। इस आदान-प्रदान से दोनों देशों की सभ्यताओं में मिश्रण हुआ और एक नई सोच का विकास हुआ।


7. भारतीय राजनीति और अंग्रेजी राजनीति में क्या प्रमुख अंतर थे?

भारतीय राजनीति और अंग्रेजी राजनीति में मुख्य अंतर यह था कि भारतीय राजनीति परंपरागत रूप से स्थानीय नेताओं और राजाओं के अधीन थी, जबकि अंग्रेजी राजनीति केंद्रीकृत और साम्राज्यवादी थी। अंग्रेजों ने भारतीय राजनीति को नियंत्रित करने के लिए एक औपनिवेशिक ढांचा स्थापित किया, जहां भारतीयों को कम अधिकार मिले और अंग्रेजों ने भारतीय संसाधनों का शोषण किया।


8. अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में किस प्रकार के बदलाव लाए?

अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में बड़े बदलाव लाए। यह भारतीयों को पश्चिमी विचारधारा, विज्ञान, गणित, और तर्कशक्ति से परिचित कराती थी। अंग्रेजी शिक्षा के माध्यम से भारतीयों ने औद्योगिक क्रांति, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और समानता के विचारों को समझा। इसके साथ ही भारतीय समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ा और महिलाएं तथा दलित वर्ग भी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े।


9. भारतीय समाज में अंग्रेजी शासन के समय विकास की कौन सी नई दिशाएँ प्रकट हुईं?

अंग्रेजी शासन के समय भारतीय समाज में विकास की नई दिशाएँ प्रकट हुईं। औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, और विज्ञान के क्षेत्र में नए विचारों का प्रवेश हुआ। अंग्रेजों ने भारतीयों को नई शिक्षा प्रणाली दी और प्रशासनिक सुधार किए, जिससे भारतीय समाज में राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके अलावा, समाज में स्त्री शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों को लेकर भी नई सोच आई।


10. अंग्रेजी शासन ने भारतीयों के जीवन में क्या स्थायी प्रभाव छोड़े?

अंग्रेजी शासन ने भारतीयों के जीवन में स्थायी प्रभाव छोड़े। अंग्रेजी शिक्षा, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी का भारतीयों के जीवन में गहरा प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, ब्रिटिश शासन ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी और भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को जन्म दिया। हालांकि अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीयों को शोषण और अत्याचार का सामना करना पड़ा, फिर भी इसने भारतीय समाज में कई बदलावों का मार्ग प्रशस्त किया, जैसे कि सामाजिक सुधार, शिक्षा में वृद्धि और राजनीतिक जागरूकता।


Long Answer Questions

1. अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय समाज में सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे हुए?

अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय समाज में कई सांस्कृतिक परिवर्तन हुए। अंग्रेजों ने भारतीयों को अपनी शिक्षा, साहित्य, कला, और विचारधारा से परिचित कराया। सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तन था अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का भारतीय समाज में प्रवेश। अंग्रेजों ने भारतीयों को पश्चिमी शिक्षा का महत्व बताया और इसे अपनाने के लिए प्रेरित किया। इसके परिणामस्वरूप भारतीयों ने अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी विचारों को अपनाया, जिससे भारतीय समाज में एक नई सोच का जन्म हुआ। 


अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को आधुनिकता, विज्ञान, गणित और तार्किक सोच से परिचित कराया। साथ ही, भारतीय समाज में शहरीकरण और औद्योगिकीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई। इस शिक्षा के द्वारा भारतीय समाज के कुछ वर्गों में अपने पारंपरिक विचारों और मान्यताओं पर पुनर्विचार करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई। हालांकि, यह परिवर्तन भारतीय संस्कृति और परंपराओं के लिए चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि यह पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में था। 


इसके अतिरिक्त, अंग्रेजों ने भारतीय कला और साहित्य में भी बदलाव लाए। भारतीयों को अंग्रेजी साहित्य, संगीत और कला से प्रभावित किया गया। इसने भारतीय सांस्कृतिक धारा में मिश्रण उत्पन्न किया, जिससे भारतीय संस्कृति में नए दृष्टिकोण और विचार जुड़े। 


इस प्रकार, अंग्रेजी शासन ने भारतीय समाज में एक नई दिशा दी, जिसने भारतीय समाज की पारंपरिक सोच और जीवनशैली को प्रभावित किया और उसे पश्चिमी सोच के साथ जोड़ने का प्रयास किया।


2. भारतीय और अंग्रेजी सभ्यताओं के बीच अंतर की विस्तृत चर्चा कीजिए।

भारतीय और अंग्रेजी सभ्यताओं के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर थे। भारतीय सभ्यता मुख्य रूप से धार्मिक और पारंपरिक थी, जबकि अंग्रेजी सभ्यता पश्चिमी विचारों, औद्योगिकीकरण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित थी। भारतीय सभ्यता ने परिवार, धर्म, और सामाजिक संरचनाओं को अधिक महत्व दिया, वहीं अंग्रेजी सभ्यता ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता, तर्क, और आधुनिकता को प्राथमिकता दी।


भारतीय सभ्यता में धार्मिकता का अत्यधिक प्रभाव था। समाज में विविध धर्मों का पालन होता था, और यह समाज की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। दूसरी ओर, अंग्रेजी सभ्यता में धर्म से अधिक तर्क, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का महत्व था। पश्चिमी समाज में तर्कशक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने संस्कृति और समाज की दिशा तय की।


इसके अलावा, भारतीय सभ्यता में जातिवाद और सामाजिक भेदभाव बहुत अधिक था। यहां परंपरागत व्यवस्था के तहत समाज के विभिन्न वर्गों के लिए अलग-अलग अधिकार थे। लेकिन अंग्रेजी सभ्यता में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता के विचार थे, जो धीरे-धीरे भारतीय समाज में भी फैलने लगे। 


अंग्रेजों के भारत आने के बाद भारतीय समाज में पश्चिमी सभ्यता के विचार और मूल्यों का प्रवेश हुआ। इससे भारतीय समाज में तात्कालिक परंपराओं, सांस्कृतिक मान्यताओं और दृष्टिकोणों में बदलाव आया। अंग्रेजी शिक्षा के कारण भारतीयों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तार्किक सोच का विकास हुआ, जबकि भारतीय समाज अपनी धार्मिक और पारंपरिक जड़ों से जुड़ा हुआ था।


इस प्रकार, भारतीय और अंग्रेजी सभ्यताओं के बीच विचारधारा, धर्म, समाज, और संस्कृति के कई महत्वपूर्ण अंतर थे, जो दोनों सभ्यताओं के बीच परस्पर प्रभाव और आदान-प्रदान का कारण बने।


3. अंग्रेजी शिक्षा का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?

अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज पर गहरा और स्थायी प्रभाव डाला। अंग्रेजों ने भारत में अपनी शिक्षा प्रणाली को लागू किया, जिससे भारतीय समाज में व्यापक बदलाव हुआ। अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को पश्चिमी विचारधारा, विज्ञान, गणित और तकनीकी ज्ञान से परिचित कराया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में शिक्षा का स्तर बढ़ा और नई विचारधाराओं का प्रसार हुआ।


पहले, भारतीय शिक्षा का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और नैतिक शिक्षा देना था, लेकिन अंग्रेजी शिक्षा के आने के बाद तार्किक सोच, विज्ञान और गणित पर जोर दिया गया। अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का मुख्य माध्यम बनाने से भारतीयों में एक नया दृष्टिकोण और विचारधारा विकसित हुई। इससे भारतीय समाज के अधिकतर वर्गों को पश्चिमी संस्कृति और आधुनिकता के साथ एक नई दिशा मिली।


अंग्रेजी शिक्षा के कारण भारतीयों में सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता आई। उन्होंने अपने अधिकारों की समझ विकसित की और अंग्रेजी शासन के खिलाफ आवाज उठाई। इस शिक्षा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को भी एक नया दृष्टिकोण और मार्ग दिया। भारतीय नेता और विचारक जैसे रवींद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ ठाकुर), बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, और लोकमान्य तिलक ने अंग्रेजी शिक्षा का उपयोग करते हुए भारतीय समाज में सामाजिक सुधारों की दिशा में कार्य किया।


इसके अतिरिक्त, अंग्रेजी शिक्षा ने महिलाओं और अन्य सामाजिक वर्गों के लिए नए अवसर खोले। भारतीय महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में भी अवसर प्राप्त हुए, जो पहले नहीं थे। इस प्रकार, अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जो सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों का कारण बनी।


4. अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय राजनीति में क्या बदलाव हुए?

अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए, जिनकी वजह से भारतीय समाज में जागरूकता और सुधार की प्रक्रिया तेज हुई। अंग्रेजों के आने के बाद भारतीय राजनीति में कई परिवर्तन हुए। अंग्रेजों ने भारत को उपनिवेश बनाकर उसे अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली के तहत समायोजित किया। उन्होंने भारतीयों को राजनीतिक अधिकारों से वंचित किया और खुद को शासक के रूप में स्थापित किया। 


अंग्रेजों के द्वारा स्थापित प्रशासनिक व्यवस्था और केंद्रीय सत्ता ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ लिया। अंग्रेजों ने भारतीय समाज को शासकीय ढांचे में बांध दिया, जिससे भारतीयों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ा। भारतीयों में राजनीतिक जागरूकता की कमी थी, लेकिन अंग्रेजी शासन के दौरान यह जागरूकता बढ़ी और भारतीयों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना शुरू किया।


अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत हुई, जिसे स्वतंत्रता संग्राम के रूप में जाना जाता है। भारतीय नेताओं ने भारतीय जनता को जागरूक करने के लिए विभिन्न आंदोलनों का संचालन किया। 1857 का विद्रोह, स्वदेशी आंदोलन, और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन इस बदलाव के मुख्य उदाहरण थे। 


इसके अलावा, भारतीय राजनीति में विचारधाराओं की विविधता और संघर्ष भी बढ़ा। भारतीयों ने अपनी संस्कृति, धर्म, और राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना शुरू किया। इस संघर्ष के कारण भारतीय राजनीति में एक नई ऊर्जा और राष्ट्रीयता का जन्म हुआ, जो अंततः स्वतंत्रता संग्राम की नींव बनी।


5. "धो पृथ्वीभूमिया" के संदर्भ में भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को कैसे समझा जा सकता है?

"धो पृथ्वीभूमिया" के संदर्भ में भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को इस प्रकार समझा जा सकता है कि दोनों देशों के बीच एक गहरा सांस्कृतिक और विचारधारात्मक आदान-प्रदान हुआ। अंग्रेजों के भारत आने से भारतीय समाज में पश्चिमी संस्कृति और विचारधारा का प्रभाव पड़ा। अंग्रेजों ने भारत में अपनी शिक्षा, कला, और साहित्य का प्रसार किया, जिससे भारतीयों के जीवन और सोच में बदलाव आया। 


इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कारण भारतीय समाज ने अंग्रेजी भाषा, साहित्य, और पश्चिमी विचारों को अपनाया। भारतीयों ने औद्योगिकीकरण, विज्ञान, और लोकतंत्र के सिद्धांतों को समझा और उन्हें अपने जीवन में लागू किया। इसके साथ ही, भारतीयों ने अंग्रेजों को अपनी कला, संस्कृति, और साहित्य से परिचित कराया। भारतीय साहित्य, कला, और धार्मिक विचारधाराओं का भी अंग्रेजों पर प्रभाव पड़ा।


इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों देशों के बीच एक नया संबंध स्थापित किया, जिसने भारतीय और अंग्रेजी समाजों को एक-दूसरे के विचारों और संस्कृतियों के प्रति संवेदनशील बनाया। हालांकि, यह आदान-प्रदान साम्राज्यवादी दृष्टिकोण से हुआ था, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में नए विचारों और दृष्टिकोणों का जन्म हुआ।


Value - Based Questions

1. अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में कई सकारात्मक बदलाव लाए, लेकिन इसके साथ ही कुछ नकारात्मक प्रभाव भी उत्पन्न हुए। आपके अनुसार, इस शिक्षा प्रणाली को अपनाते हुए भारतीय समाज को अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए थे?

अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीय समाज में कई सकारात्मक बदलाव लाए, जैसे कि तार्किक सोच, विज्ञान, गणित, और पश्चिमी विचारधारा का प्रसार हुआ, लेकिन इसके साथ ही नकारात्मक प्रभाव भी थे, जैसे कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं की उपेक्षा करना। इस स्थिति में, भारतीय समाज को अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए थे। 


1. संस्कृति का संरक्षण: भारतीय समाज को अपनी सांस्कृतिक धरोहर, जैसे भाषा, कला, संगीत और परंपराओं को संजोए रखना चाहिए था। स्कूलों में भारतीय इतिहास, संस्कृति और साहित्य को शिक्षा का हिस्सा बनाना आवश्यक था।

2. संतुलित शिक्षा प्रणाली: अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ भारतीय शिक्षा प्रणाली में भी सुधार किए जाने चाहिए थे, जिसमें भारतीय परंपराओं, इतिहास और दर्शन को सिखाया जाता। इससे बच्चों में दोनों संस्कृतियों के प्रति सम्मान और समझ बढ़ती।

3. समाज में जागरूकता फैलाना: भारतीय समाज को अपने आदर्शों और परंपराओं के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए था। इसके लिए सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों को सक्रिय रूप से काम करना चाहिए था।

4. भाषा और साहित्य का प्रचार: भारतीय भाषाओं और साहित्य का संरक्षण करना बहुत जरूरी था। स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देना और भारतीय साहित्य को पढ़ाना भारतीय पहचान को बनाए रखने में सहायक हो सकता था।

इस प्रकार, अंग्रेजी शिक्षा के सकारात्मक प्रभावों को अपनाते हुए, भारतीय समाज को अपनी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को भी संरक्षित रखने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए थे।


2. अंग्रेजी शासन के दौरान भारतीय राजनीति में बदलाव आने के साथ-साथ राष्ट्रीय जागरूकता भी बढ़ी। यदि आप उस समय के भारतीय नेता होते, तो आप भारतीय समाज में जागरूकता और स्वतंत्रता की भावना को कैसे फैलाते?

यदि मैं उस समय का भारतीय नेता होता, तो मैं भारतीय समाज में जागरूकता और स्वतंत्रता की भावना फैलाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाता:


1. शिक्षा के माध्यम से जागरूकता फैलाना: मैं शिक्षा का उपयोग भारतीय जनता को अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए करता। अंग्रेजी शिक्षा का सही उपयोग करते हुए, लोगों को लोकतंत्र, समानता, और स्वतंत्रता के विचारों से परिचित कराता। इसके लिए स्कूलों और सार्वजनिक स्थानों पर भाषण, लेख, और साहित्य का प्रसार करता।

2. सामाजिक सुधार आंदोलनों का आयोजन: मैं समाज में फैले सामाजिक कुरीतियों, जैसे जातिवाद, महिलाओं के अधिकारों की उपेक्षा, और अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलनों का आयोजन करता। इन आंदोलनों के माध्यम से लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता।

3. संघर्ष की भावना को प्रोत्साहित करना: भारतीयों में स्वतंत्रता संग्राम की भावना पैदा करने के लिए मैं जनसभाएं और संगठनों का गठन करता, जिससे लोग संगठित होकर अंग्रेजी शासन के खिलाफ एकजुट हो सकें।

4. स्वदेशी उत्पादों का प्रचार: मैं स्वदेशी आंदोलन के माध्यम से भारतीयों को विदेशी वस्त्रों और उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए प्रेरित करता। इसके साथ ही स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देता, जिससे भारतीय उद्योग और कारीगरों को प्रोत्साहन मिलता।

5. नेतृत्व और उदाहरण प्रस्तुत करना: मैं भारतीय जनता के बीच नेतृत्व क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत करता। मैं खुद को एक साधारण व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करता और लोगों को यह विश्वास दिलाता कि हर भारतीय का योगदान स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण है। 

इन कदमों से, मैं भारतीय समाज में स्वतंत्रता और जागरूकता की भावना फैलाने में सफल होता, जिससे लोग अंग्रेजी शासन के खिलाफ उठ खड़े होते और देश की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करते।


Points to Remember From Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi

  • British rule brought significant changes in Indian society and politics.

  • Indian civilization was traditional and religious, while English civilization was modern and scientific.

  • English education exposed Indians to modern thinking, science, and mathematics.

  • The British influence led to a cultural transformation in India, adopting Western literature and art.

  • English education raised social and political awareness among Indians.

  • The foundations of India's national movement were laid during British rule.

  • Leaders like Gandhi and Tilak played a crucial role in the freedom struggle.

  • The English language became a common medium of communication across India.

  • Swadeshi movements promoted the use of indigenous products and fostered unity.

  • Despite Western influence, efforts were made to preserve Indian traditions and culture.


Benefits of Important Questions for Class 8 Hindi Bharat Ki Khoj Chapter 9: Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi

  • Important Questions provide a clear summary, helping students recall the main points and key ideas without re-reading the whole chapter.

  • They highlight important themes, questions, and ideas, making exam prep faster and more effective.

  • Simplified Important Questions make it easier for students to remember essential details and understand the core message of the chapter.

  • Important Questions offer guidance on framing answers, especially for important questions likely to appear in exams.

  • With concise Important Questions, students can revise quickly, ensuring that they cover all syllabus topics in less time.


Conclusion

"Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi" highlights the significant transformation India underwent under British colonial rule. Nehru sheds light on the socio-economic exploitation, political oppression, and cultural changes that Indians faced during this period. However, the chapter also emphasizes the rise of resistance movements, reflecting the growing awareness and desire for freedom. The conflict between British control and Indian aspirations for independence is portrayed as a driving force for change. Ultimately, the chapter underscores the importance of unity, resilience, and determination in overcoming adversity and achieving India's freedom, inspiring future generations to stay committed to their goals.


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FAQs on Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi (धो पुरुषत्वभूमिया - भारतीय और अंग्रेज़ी) Class 8 Important Questions: CBSE Hindi (Bharat Ki Khoj) Chapter 9

1. What is the main theme of the chapter "Dho Prushatbhomiya - Bharatiya Aur Angrezi"?

The chapter explores the impact of British colonial rule on India and the growing tensions between British oppression and Indian resistance.

2. How did British rule affect Indian society, according to Nehru in chapter 9?

British rule led to socio-economic exploitation, political repression, and cultural changes, disrupting traditional Indian society and its values.

3. What role did resistance movements play in chapter 9?

The chapter highlights the emergence of resistance movements and the growing unrest among Indians against British oppression, which contributed to the freedom struggle.

4. What cultural changes occurred in India due to British influence in chapter 9?

British education, Western values, and the introduction of the English language began to reshape Indian society, affecting both the elite and common people.

5. How did the British exploit India's resources, as discussed in chapter 9?

The British exploited India's resources for their benefit, draining wealth and imposing policies that served British interests while harming India's economy.

6. What is Nehru's perspective on unity and resilience in the face of colonialism in the chapter ‘Bharat Ki Khoj’?

Nehru emphasizes the importance of unity, resilience, and determination among Indians in resisting British oppression and ultimately achieving independence.

7. How did the educated Indian class contribute to the resistance against British rule in the chapter ‘Bharat Ki Khoj’?

The educated Indian class, influenced by Western ideas, played a significant role in spreading awareness, questioning British policies, and mobilizing the masses for independence.

8. What were the early signs of the freedom struggle depicted in chapter 9?

The chapter outlines the rise of political consciousness, protests, and movements that marked the early stages of India's fight for independence.

9. Why does Nehru consider this period significant for India's independence in the chapter Bharat Ki Khoj?

Nehru views this period as crucial because it laid the foundation for the national movement and fostered a sense of unity and collective resistance among Indians.

10. How does the chapter inspire readers to face challenges in their own lives in the chapter Bharat Ki Khoj?

The chapter encourages resilience and determination in the face of adversity, highlighting that struggles can lead to positive change and progress when approached with unity and strength.