NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 5 Law of Motion in Hindi PDF Download
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- 2.1अतिरिक्त अभ्यास
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Access NCERT Solutions for Science Chapter 5 – Laws of Motion
1 .निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी aदिशा लिखिए –
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूंद
उत्तर:
∵ त्वरण शून्य है; अत: नेट बल भी शून्य होगा।
(b) जल में तैरता \[\mathbf{10{\text{ g}}}\]संहति का कोई कॉर्क
उत्तर (b)
∵ उपरिमुखी गति के समय कॉर्क जल पर स्थिर तैर रहा है अर्थात् गति नहीं हो रही है,
अत : त्वरण शून्य है,
∴नेट बल भी शून्य है।
(c) कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग
उत्तर (c)
∵ पतंग को स्थिर रोका गया है; अत: त्वरण \[{\text{a }} = {\text{ }}0\]
∴ नेट बल भी शून्य है।
(d) \[\mathbf{30{\text{ km}}{{\text{h}}^{{\text{ - 1}}}}{\text{}}}\]के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार
उत्तर (d)
∵ कार का वेग एकसमान है; अतः त्वरण \[{\text{a }} = {\text{ }}0\]
∴ नेट बल भी शून्य होगा।
(e) सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों से मुक्त, अन्तरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।
उत्तर (e)
∵ इलेक्ट्रॉन गुरुत्वीय पिण्डों, वैद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों से दूर है; अतः उस पर कोई बल नहीं लगेगा।
2. \[\mathbf{0.05{\text{ kg}}}\] संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए –
(a) उपरिमुखी गति के समय।
उत्तर :
(a) उपरिमुखी गति के समय कंकड़ पर बल = कंकड़ का भार = \[{\text{mg }} = {\text{ }}0.05{\text{ kg }} \times {\text{ }}10{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 2}}\; = {\text{ }}0.5{\text{ N}}\]
(b) अधोमुखी गति के समय।
उत्तर :
(b) अधोमुखी गति के समय भी कंकड़ पर बल उसके भार के बराबर अर्थात् \[0.5{\text{ N}}\]लगेगा।
(c) उच्चतम बिन्दु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से \[45^\circ \]कोण पर फेंका जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा? वायु-प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर :
(c) इस स्थिति में भी कंकड़, पर वही बल \[0.5{\text{ N}}\]ही लगेगा।
कंकड़ को क्षैतिज से\[45^\circ \] के कोण पर फेंकने पर भी कंकड़ पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र में गति करता है; अतः इस स्थिति में भी, प्रत्येक दशा में कंकड़ पर बल \[0.5{\text{ N}}\] ही लगेगा।
3. \[{\mathbf{0}}.{\mathbf{1}}{\text{ kg}}\]संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व सकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए –
(a) पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्
उत्तर : स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने पर, पत्थर पर एकमात्र बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल = \[{\text{mg }} = {\text{ }}0.1{\text{ kg }} \times {\text{ }}10{\text{ m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}\]
\[ = {\text{ }}1{\text{N}}\] ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(b) पत्थर को \[36{\text{ km}}{{\text{h}}^{{\text{ - 1}}}}\]के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
उत्तर : ऐसी स्थिति में भी पत्थर को गाड़ी से गिराने पर गाड़ी की गति के कारण उस पर लगने वाले बल का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और केवल उसका भार ही पत्थर पर कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल \[ = {\text{ }}1{\text{N}}\] ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर।
(c) पत्थर को \[1{\text{ m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}\]के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
उत्तर : ∵ पत्थर गाड़ी से नीचे गिरा दिया गया है; अतः अब उस पर केवल उसका भार कार्य करेगा।
∴ पत्थर पर बल \[ = {\text{ }}1{\text{N}}\] ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
(d) पत्थर \[1{\text{ m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}\] के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है।उपर्युक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर : ∵ पत्थर रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है,
∴ पत्थर का त्वरण \[{\text{a }} = \]रेलगाड़ी का त्वरण \[ = {\text{ }}1{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 2}}\]
∴ \[{\text{F = m a}}\]से, गाड़ी की त्वरित गति के कारण पत्थर पर नेट बल
\[{\text{F = m a}}\] \[ = {\text{ }}0.1{\text{ kg }} \times {\text{ }}1{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 2}}\]
\[ = {\text{ }}0.1{\text{ N}}\](क्षैतिज दिशा में)।
पत्थर पर कार्यरत अन्य बल उसका भार तथा फर्श की अभिलम्ब प्रतिक्रिया परस्पर सन्तुलित हो जाते हैं।
4. \[l\] लम्बाई की एक डोरी का एक सिरा \[m\] संहति के किसी कण से तथा दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी बँटी से बँधा है। यदि कण चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर (केन्द्र की ओर निर्देशित) नेट बल है-
(i) ${\text{ T, }}$
(ii) $T - \dfrac{{m{v^2}}}{l}$
(iii) $T + \dfrac{{m{v^2}}}{{{l^2}}}$
(iv) $0$
\[T\] डोरी में तनाव है। सही विकल्प चुनिए।
उत्तर : (i) ${\text{ T, }}$सही विकल्प है। कण को वृत्तीय गति देने के लिए अभिकेन्द्र बल $\dfrac{{m{v^2}}}{l}$चाहिए जो उसे डोरी में तनाव T से मिलता है। अर्थात $\left( {T = \dfrac{{m{v^2}}}{l}} \right)$
अत: कण पर नेट बल $ = {\text{T}}$
5. \[\mathbf{15{\text{ }}m{s^{ - 1}}}\] की आरम्भिक चाल से गतिशील \[20{\text{ kg}}\] संहति के किसी पिण्ड पर \[50{\text{ N}}\]का स्थायी मन्दन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
उत्तर :मंदक बल ${\text{F}} = - 50$ न्यूटन, पिण्ड का द्रव्यमान ${\text{m}} = 20$ किग्रा
अत: पिण्ड में अवमन्दन, ${\text{a}} = \dfrac{{\text{F}}}{{\text{m}}} = \dfrac{{ - 50}}{{20\;{\text{kg}}}} = - 2.5\;{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$
गति की समीकरण ${{\text{v}}_{\text{t}}} = {{\text{v}}_0} + {\text{at}}$${\text{s}}$
रुकने पर ${{\text{v}}_{\text{t}}} = 0$ तथा आरम्भिक चाल ${{\text{v}}_{\text{0}}} = 15\;{\text{m/s}}$
$0 = 15 + ( - 2.5) \times {\text{t}}$
${\text{t}} = \left( {\dfrac{{15}}{{2.5}}} \right)$
∴ समय, ${\text{t}} = \left( {\dfrac{{15}}{{2.5}}} \right)$ सेकण्ड $ = 6$ सेकण्ड
वैकल्पिक विधि-मंदक बल ${\text{F}} = - 50$ न्यूटन;
द्रव्यमान (संहति) ${\text{m}} = 20\mid $ किग्रा
प्रारम्भिक चाल ${{\text{v}}_1} = 15$ मी/से तथा रुकने पर अन्तिम चाल ${{\text{v}}_2} = 0$
माना पिण्ड को रोकने में $\Delta {\text{t}}$ सेकण्ड समय लगता है,
आवेग = संवेग-परिवर्तन
$F \times \Delta t = {{\text{p}}_{\text{2}}}{\text{ - }}{{\text{p}}_{\text{1}}}{\text{ = m}}{{\text{v}}_{\text{2}}}{\text{ - m}}{{\text{v}}_{\text{1}}}{\text{ = m}}\left( {{{\text{v}}_{\text{2}}}{\text{ - }}{{\text{v}}_{\text{1}}}} \right)$$ - 50 न्यूटन $ \times \Delta {\text{t}} = 20$ किग्रा $ \times (0 - 15)$ मी/से
$\Delta {\text{t}} = \dfrac{{20 \times 15}}{{50}} = 6$ सेकण्ड
6. \[\mathbf{3.0{\text{ kg}}}\] संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल \[25{\text{ s}}\]में उसकी चाल को \[{\mathbf{2}}.{\mathbf{0}}{\text{ ms}}{{\text{}}^{ - 1}}\]से \[3.5{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 1}}\]कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
उत्तर: पिण्ड का द्रव्यमान ${\text{m}} = 3.0$ किग्रा
समयान्तराल $\left( {{{\text{t}}_{\text{2}}}{\text{ - }}{{\text{t}}_{\text{1}}}} \right) = 25$ सेकण्ड
$\therefore $ Tit की समाकरण
अत: पिण्ड में उत्पन्न त्वरण, ${\text{a}} = \dfrac{{(3.5 - 2.0){\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}}}{{25\;{\text{s}}}} = 0.06\;{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$
∴ बल का परिमाण ${\text{F = mg}} = 3.0$\[ \times {\text{ }}0.06\] \[ = {\text{ }}0.18\]${\text{n}}$
चूँकि आरोपित बल का दिशा अपरिवर्तित है तथा यह पिण्ड की चाल को बढ़ा रहा है, अतः बल की दिशा पिण्ड की गति की दम में ही होगी।
7. \[\mathbf{5.0{\text{ kg}}}\]संहति के किसी पिण्ड पर \[8{\text{ N}}\] व \[{\mathbf{6}}{\text{ N}}\] के दो लम्बवत् बल आरोपित हैं। पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर: पिण्ड का द्रव्यमान $M = 5.0$ किग्रा, बलों के परिमाण $\left| {\overrightarrow {{F_1}} } \right| = 8$ न्यूटन तथा $\left| {\overrightarrow {{F_2}} } \right| = 6$ न्यूटन हैं तथा ये परस्पर लम्बवत् हैं।
अत: इन बलों के परिणामी बल का परिमाण
$F = \sqrt {{{\left| {\overrightarrow {{F_1}} } \right|}^2} + {{\left| {\overrightarrow {{F_2}} } \right|}^2}} $
$ = \sqrt {\left[ {{8^2} + {6^2}} \right]} = \sqrt {(64 + 36)} $
$ = \sqrt {100} = 10$ न्यूटन
$\therefore $ त्वरण $\vec a$ का परिमाण,
$a = \dfrac{F}{M} = \dfrac{{10{\text{ N}}}}{{5.0{\text{ Kg}}}} = 2{\text{ m }}/{\text{ }}{{\text{s}}^2}$
इस त्वरण की दिशा बल $\vec F$ की दिशा में होगी। चित्र में बल $\vec F$, की दिशा से $\theta $ कोण बना रहा है, जहाँ चित्रानुसार,
$\tan \theta = \dfrac{{\left| {{{\vec F}_2}} \right|}}{{\left| {{{\vec F}_1}} \right|}} = \dfrac{6}{8} = \dfrac{3}{4} = 0.75$
$\therefore \quad $ दिशा $\theta = {\tan ^{ - 1}}(0.75) = {36^\circ }{53^\prime } \approx {37^\circ }$
यही दिशा पिण्ड में उत्पन्न त्वरण की भी होगी।
8. \[\mathbf{36{\text{ km }}{{\text{h}}^{ - 1}}}\] की चाल से गतिमान किसी ऑटो रिक्शा का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन को ठीक \[4.0{\text{s}}\] में रोककर उस बच्चे को बचा लेता है। यदि ऑटो रिक्शा बच्चे के ठीक निकट रुकता है तो वाहन पर लगा औसत मन्द्रन बल क्या है? ऑटो रिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमशः \[400{\text{ kg}}\] और \[65{\text{ kg}}\] हैं।
उत्तर:ऑटो रिक्शा की प्रारम्भिक चाल $v_{o} = 36$ किमी/घण्टा
\[ = 36{\text{ }} \times {\text{ }}\left( {5{\text{ }}/{\text{ }}18} \right)\] मी/से \[ = {\text{ }}10\] मी/से
रुकने पर ऑटो-रिक्शा की अन्तिम चाल $v_{t}= 0$
रुकने में लिया गया समय \[{\text{t }} = {\text{ }}4.0\] सेकण्ड
गति की समीकरण $v_t =v_o + at$ से,
$0 = 10 + a\times 4$
या
मंदक, \[{\text{a = - }}\left( {{\text{10/4}}} \right){\text{m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}{\text{ = - 2}}{\text{.5m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}\]
निकाय (ऑटो-रिक्शा + चालक) का द्रव्यमान
\[{\text{M }} = 400\] किग्रा \[ + 65\]किग्रा \[ = {\text{ }}465\] किग्रा
∴ औसत मंदन बल \[F = M \times a = 465{\text{ kg }} \times {\text{ }} - 2.5{\text{ ms}} - 2\]
\[ = - 1.162{\text{ }} \times {\text{ }}103\] न्यूटन [यहाँ (-) चिह्न मंदन का प्रतीक है।]
9. \[\mathbf{20000{\text{ kg}}}\] उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में \[5{\text{ }}m{s^{ - 2}}\] के आरम्भिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरम्भिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
उत्तर: माना रॉकेट पर आरम्भिक प्रणोद है|
जो ऊपर की ओर कार्य करता रॉकेट पर दो बल है|
रॉकेट का भार $mg$ नीचे की ओर।
${\text{ - F - mg = ma}}$रॉकिट ऊपर उठ रहा
रॉकेटपरप्रणोद ${\text{F = m(g + a)}}$
${\text{n}} = 20000\;{\text{kg}} \times (10 + 5){\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}{\text{F}} = \quad 3.0 \times {10^5}\;{\text{N}}$
10. उत्तर की ओर \[10{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 1}}\] की एकसमान आरम्भिक चाल से गतिमान \[0.40{\text{ kg}}\] संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश \[8.0{\text{ N}}\] का स्थायी बल \[30{\text{ s}}\] के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे । \[--{\text{ }}0\] तथा उस समय पिण्ड की स्थिति \[{\text{x }} = {\text{ }}0\] लीजिए। \[{\text{t }}--{\text{ }}5{\text{s}},{\text{ }}25{\text{ s}},{\text{ }}100{\text{ s}}\]पर इस कण की स्थिति क्या होगी?
उत्तर: ${\text{F}} = - 8.0{\text{ }}$
बल की दिशा दक्षि तीओर है पिण्ड में मंदक${\text{a}} = \dfrac{{\text{F}}}{{\text{m}}} = \dfrac{{ - 8.0\;{\text{N}}}}{{0.40\;{\text{kg}}}} = - 20\;{\text{ms}} - 2$
अर्थात्य ह दक्षिण दिशा में है | चूँकि पिण्ड पर बल ${\text{t = 0}}$ पर कार्य करने लगता है।
अत: ${\text{t}} = - 5$ से कण्ड पर पिण्ड पर कोई बल न लगने के कारण पिण्ड में त्वरण ${\text{a}} = 0$
${\text{t = - 5}}$सेकण्ड पर,गति के समीकरण से, ${{\text{x}}_{\text{t}}}{\text{ = }}{{\text{x}}_{\text{0}}}{\text{ + }}{{\text{v}}_{\text{0}}} \times t+ 1/2{\text{a}}{{\text{t}}^{\text{2}}}{{\text{x}}_{\text{t}}}$
$ = 0 + 10{\text{x}} - 5 + 1/2(0){( - 5)^2} = - 50{\text{m}}$
अर्थात् 50 m पर दक्षिण की ओर।
अर्थात् 6.0 km पर दक्षिण कीओर।
चूँकि पिण्ड पर बल्केवल 30 s तक कार्य करता है,
अत:30 सेकण्ड पश्चात्पिण्ड इस एक समान चाल से चलेगा जिसको यह t=30 s पर प्राप्त कर लेगा।
${{\text{v}}_{\text{t}}}{\text{ = }}{{\text{v}}_{\text{0}}}{\text{ + at }}$
${{\text{v}}_{30}} = 10 + ( - 20)30 = - \dfrac{{590\;{\text{m}}}}{{\;{\text{s}}}}$
${\text{t}} = 30\;{\text{s}}$
${{\text{x}}_{30}} = \left[ {10 \times 30 + \dfrac{1}{2}( - 20) \times {{30}^2}} \right]{\text{m}} = - 8700\;{\text{m}}$
तथा शेष \[70\] सेकण्ड में वस्तुनियतवेग \[\left( { - 590\;{\text{m/s}}} \right)\] सेचलतीहै।
दूरी \[{\text{x}}\_70 = \left( { - 590\;{\text{m/s}}} \right)\left( {70{\text{s}}} \right) = - 41300\;{\text{m}}\]
∴\[{\text{t}} = 100\] सेकण्डपर
${{\text{x}}_{100}}{\text{ }} = - 41300\;\;{\text{m}} + \left( {{{\text{x}}_{30}}} \right) = - 41300\;{\text{m}} + ( - 8700\;{\text{m}}) = - 50000\;{\text{m}} = - 50\;{\text{km}}$
11. कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरम्भ करके \[2.0{\text{ m}}{{\text{s}}^{{\text{ - 2}}}}\] के समान त्वरण से गतिशील रहता है। \[t = 10{\text{ s}}\] पर, ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से की \[6{\text{ m}}\] ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है। \[t = 11{\text{s}}\] पर, पत्थर का – (a) वेग तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
किसी टुक से पत्थर को गिराते समय पत्थर का क्षैतिज वेग ट्रक के तात्कालिक वेग के
बराबर होता है (जड़त्व के कारण) तथ. यह ऊर्ध्वाधर वेग गुरुत्व के कारण प्राप्त करता है जबकि गिराते क्षण ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर वेग $ {\upsilon _0} =$ शून्य।
$t = 10$ सेकण्ड पर ट्रक का वेग,
${v_{10}} = {v_0} + \overrightarrow {a \cdot } t = 0 + 2.0m{s^{ - 2}} \times 10$ सेकण्ड
$ = 20$ मी/से
$\because $ क्षैतिज दिशा में गिरते हुए पत्थर में कोई त्वरण नहीं है, अत: इस दशा में पत्थर का वेग \[{v_x} = 20\] मी/से नियत रहेगा। $t = 11$ सेकण्ड पर अर्थात् $t = 10$ सेकण्ड पर ट्रक से पत्थर गिराये जाने के \[\Delta t = 11 - 10 = 1\] सेकण्ड पश्चात् पत्थर का ऊर्ध्वाधरत: नीचे के ओर वेग,
\[{v_y} = {v_0} + g \cdot \Delta t\]
$0 + ( - 10)1 = - 10$ मी/से [ - चिह्न $\overrightarrow {{v_y}} $ की दिशा का प्रतीक है।]
अत: पत्थर का $t = 11$ सेकण्ड पर नेट वेग,
$v = \sqrt {v_x^2 + v_y^2} = \sqrt {{{(20)}^2} + {{(10)}^2}} = \sqrt {500} = 22.4$
यदि $\overrightarrow v $ द्वारा क्षैतिज से बना कोण $\theta $ हो, तो
$ \tan \theta = \dfrac{{{v_y}}}{{{v_x}}} = \left( {\dfrac{{ - 10}}{{20}}} \right) = - 0.5$
$ \theta = {\tan ^{ - 1}}(0.5) $
$ = - {26.6^o}$
($ - $) चिह्न,यह दर्शाता है कि $\overrightarrow v $ की दिशा ${29.5^o}$ क्षैतिज से नीचे की ओर अर्थात् दक्षिणावर्त है।
$t = 11$ सेकण्ड पर, पत्थर का त्वरण नुरुत्वीय त्वरण $ = 10$ मी $/$ से$2$ ऊध्वाधरतः नीचे की ओर है।
12.किसी कमरे की छत से \[2{\text{ m}}\] लम्बी डोरी द्वारा \[0.1{\text{ kg}}\] संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरम्भ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल \[1{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 1}}\;\] है। गोलक का प्रक्षेप्य-पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी –
चरम स्थितियों में से किसी एक पर है तथा
उत्तर : चरम स्थिति में गोलक का वेग शून्य होगा; अत: डोरी काट देने पर, गोलक ऊर्ध्वाधर रेखा में नीचे की ओर गिर जाएगा।
माध्य स्थिति पर है?
उत्तर : माध्य स्थिति में गोलक के पास क्षैतिज दिशा में अधिकतम वेग होगा; अत: इस स्थिति में डोरी काट दिए जाने पर गोलक प्रक्षेप्य की भाँति परवलयाकार पथ पर चलता हुआ अन्त में भूमि पर गिर जाएगा।
13.किसी व्यक्ति की संहति \[70{\text{ kg}}\] है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो –
(a) \[\mathbf{10{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 1}}}\] की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है
उत्तर: दिया है। व्यक्ति की संहति \[{\text{m }} = {\text{ }}70{\text{ kg}}\]
(a) ∵ लिफ्ट एकसमान वेग से गतिमान है; अत: त्वरण \[{\text{a }} = {\text{ }}0\]
∴ तुला का पाठ्यांक \[{\text{R = mg }} = {\text{ }}70{\text{ kg }} \times {\text{ }}9.8{\text{ m s}}{{\text{}}^{ - 2}}\]
\[ = 686{\text{ N}}\]
(b) \[\mathbf{5{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 2}}}\] के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है
उत्तर: (b) यहाँ लिफ्ट त्वरण \[{\text{a }} = {\text{ }}5{\text{ m }}{{\text{s}}^{ - 2}}\] से नीचे जा रही है
∴ तुला का पाठ्यांक \[{\text{R = m }}\left( {{\text{g -- a}}} \right)\]
$ = {\text{ }}70{\text{ kg }}\left( {9.8{\text{ }}--{\text{ }}5} \right){\text{ m }}{{\text{s}}^{ - 2}}$
$ = {\text{ }}336{\text{ N}} $
(c) \[\mathbf{5{\text{ m}}{{\text{s}}^{ - 2}}}\] के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
उत्तर: (c) यहाँ लिफ्ट त्वरण $a = 5 m s^{-2}$ से ऊपर जा रही है,
∴ तुला का पाठ्यांक \[{\text{R = m }}\left( {{\text{g - a}}} \right)\]
\[ = {\text{ }}70{\text{ kg }}\left( {9.8{\text{ }}-{\text{ }}5} \right){\text{ m }}{{\text{s}}^{ - 2}}\]
\[ = 1036{\text{ N}}\]
(d) यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?
उत्तर: (d) ∵ लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से गिर रही है, अर्थात् \[{\text{a = g}}\]
तब, तुला का पाठ्यांक \[{\text{R = m }}\left( {{\text{g - a}}} \right)\]
$ = 70 kg \times 0 = 0$
14. चित्र में \[4{\text{ kg}}\] संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है।
(a) \[t < 0;t > 4{\text{ s}};0 < t, < 4{\text{ }}s\] के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
उत्तर :
(a) \[t{\text{ }} < 0\] के लिए स्थिति-समय ग्राफ समय अक्ष के साथ सम्पाती है अर्थात् पिण्ड मूलबिन्दु पर विराम में स्थित है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।
\[t{\text{ }} > {\text{ }}4{\text{ }}s\] के लिए स्थिति-समय माफ समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा है जो बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत है।
अर्थात् पिण्ड विराम में है।
∴ पिण्ड पर कार्यरत बल शून्य है।
पुन: \[0{\text{ }} < {\text{ }}t{\text{ }} < {\text{ }}4s\] के लिए स्थिति समय-ग्राफ एक झुकी हुई सरल रेखा है जो यह बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत दर से बढ़ रही है।
अर्थात् पिण्ड नियत वेग से गति कर रहा है; अतः उसको त्वरण शून्य है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।
(b) t=0 तथा \[t{\text{ }} = 4{\text{ }}s\] पर आवेग क्या है? (केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए)
उत्तर : ${\text{(b)}}t = 0$से पूर्व पिण्ड का वेग $t = 0$के तुरन्त बाद पिण्ड का वेग
${v_1} = 0{v_2} = $ ग्राफ OA का ढाल $ = \dfrac{{3 - 0}}{{4 - 0}} = \dfrac{3}{4}m{s^{ - 1}}\therefore t = 0$ .पर, आवेग= संवेग - परिवर्तन $ = m$
पुन: $t = 4s$ के ठीक पहले वेग ${v_1} = \dfrac{3}{4}m{s^{ - 1}}\because (t = 0$ से $t = 4s$ तक वेग नियत है)
$t = 4s$ के ठीक बाद वेग ${v_2} = 0$
$t = 4s$ पर आवेग= संवेग परिवर्तन $ = m{v_2} - m{v_1} = 4 {\text{kg}} \times 0 - 4{\text{kg}} \times \dfrac{3}{4}{\text{m}}\;{{\text{s}}^{ - 1}} = - 3{\text{kg}}{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
15.किसी घर्षणरहित मेज पर रखे \[10{\text{ }}kg\] तथा के\[20kg\] दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। \[600{\text{ }}N\] का कोई क्षैतिज बल
(i) \[A\] पर,
(ii) \[B\] पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?
उत्तर: दिया है : $F = 600{\text{N}},{m_A} = 10{\text{kg}},{m_B} = 20{\text{kg}}$
(i) माना पिण्ड $A$ पर बल लगाने से दोनों पिण्ड $a$ त्वरण से चलना प्रारम्भ करते हैं तथा डोरी में तनाव $T$ है।
पिण्ड $A$ पर बल $F$ आगे की ओर तथा तनाव $T$ पीछे की ओर लगेगा; अत: नेट बल ${F_A} = F - T$ होगा।
$\therefore $ गति के द्वितीय नियम से, ${F_A} = {m_A}a$ or $F - T = {m_A}a$ $600 - T = 10a$
पिण्ड $B$ पर एकमात्र बल, डोरी का तनाव $T$ आगे की ओर लरेगेग
$\therefore $ या
$ {T = {m_B}a} $
$ {T = 20a} $
समी० (1) को 2 से गुणा करके समी॰ (2) में से घटाने पर,
$3T - 1200 = 0$
$\therefore $ डोरी का तनाव $T = \dfrac{{1200{\text{N}}}}{3} = 400{\text{N}}$
(ii) इस स्थिति में, पिण्ड $B$ पर नेट बल ${F_B} = F - T$ होगा; अत: गति के द्वितीयनियम से,
या $T = 10a$ समीकेरण (2) को 2 से गुणा करके समीं० (1) में से घटाने पर,
$600 - 3T = 0$
$ 3T = 600{\text{N}} $
$\therefore $ डोरी का तनाव $T = \dfrac{{600{\text{N}}}}{3} = 200{\mathbf{N}}$
16. \[8{\text{ }}kg\] तथा \[12kg\] के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त रूप से छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
हल: – माना पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर भारी पिण्ड \[a\] त्वरण से नीचे की ओर उतरता है। चूंकि डोरी अवितान्य है; अत: हल्का पिण्ड त्वरण से ऊपर की ओर चढ़ेगा।
माना डोरी में तनाव $T$ है, जो कि पूरी डोरी में एकसमान होगा।भारी अर्थात् \[12kg\] के पिण्ड पर नेट बल \[F{\text{ }} = {\text{ }}12g{\text{ }}-{\text{ }}T\] नीचे की ओर कार्य करेगा।
अत: गति के द्वितीय नियम से, $F = ma$ अर्थात्
$12g - T = 12a$
$\because 8{\text{kg}}$ का पिण्ड ऊपर की ओर चढ़ रहा है; अत: इसकी गति का समीकरण
$T - 8g = 8a$
समीकरण $\left( 1 \right)$ व (2) को जोड़ने पर,
$ {12g - 8g = 20a} $
$ {4g = 20a} $
$\therefore $ पिण्डोंक्समंस्धरण $a = \dfrac{{4g}}{{20}} = \dfrac{{4{\text{kg}} \times 10{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}}}{{20{\text{kg}}}} = 2.0{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$
समीकरण (2) में त्वरण $a$ का मान रखने पर,
$T - 8g = 8 \times 2.0$
अत: डोरी का तनाव
$ T = 8g + 8 \times 2 \cdot 0 \\$
$ { = 8{\text{kg}} \times \left( {10 + 2.0} \right){\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}} = 96.0{\text{N}}} $
17.अयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता हैं तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
उत्तर :माना नाभिक का द्रव्यमान m है तथा प्रश्नानुसार यह विराम में है अर्थात्
$\xrightarrow{v} = 0$∴ नाभिक को प्रारम्भिक संवेग \[\; = {\text{ }}m{\text{ }} \times {\text{ }}0{\text{ }} = {\text{ }}0\]
माना इसके टूटने से बने दो नाभिकों के द्रव्यमान \[{m_1}\] तथा \[{m_2}\] हैं तथा ये क्रमशः $\xrightarrow{{v1}}$तथा $\xrightarrow{{v2}}$ वेगों से गति करते हैं।
अतः इन नए नाभिकों का कुल संवेग $ = m1\xrightarrow{{v1}} + m2\xrightarrow{{v2}}$
∵ नाभिक स्वतः विघटित हुआ है अर्थात् उस पर बाह्य बल शून्य है; अत: निकाय का संवेग संरक्षित रहेगा।
∴ विघटन के बाद कुल संवेग = विघटन के पूर्व कुल संवेग
अथवा ${m_2}{\vec v_2} = 0$ ${m_2}\overrightarrow {{{\vec v}_2}} = - {m_1}{\vec v_1}{\text{\;}} \Rightarrow {\text{\;}}{\vec v_2} = - \left( {\dfrac{{{m_1}}}{{{m_2}}}} \right){\vec v_1}$
$\overrightarrow {v_2} = - \lambda \overrightarrow {v_1} (\lambda = \dfrac{{m_1}}{{m_2}} )$
उक्त सम्बन्ध से स्पष्ट है कि वेग ${\vec v_1}$ तथा ${\vec v_2}$ परस्पर विपरीत हैं अर्थात् उत्पाद नाभिक विपरीत दिशाओं में गति करेंगे।
18.दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति \[0.05{\text{ }}kg\] है, \[6\] मी / से\[ - 1\] की चाल से विपरीत . दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
उत्तर:संघट्ट के पश्चात् प्रत्येक गेंद के वेग की दिशा उलट जाती है। अत: प्रत्येक गेंद के वेग में परिवर्तन का परिमाण
$\left| \Delta \vec v \right| = 6$ मी/से - ( - 6मी/से) = 12 मी/से
$\therefore $ प्रत्येक गेंद द्वारा दूसरी गेंद पर आरोपित आवेग का परिमाण
= संवेग में परिवर्तन का परिमाण $ = m \times \left| \Delta \vec v \right|$
यहाँ प्रत्येक गेंद के लिए, $m = 0.05$ किग्रा
$\therefore $ आवेग का परिमाण $ = 0.05$ किग्रा $ \times 12$ मी/से $ = 0.60$ किग्रा-मी से स्पष्ट है कि दोनों आवेग परस्पर विपरीत दिशाओं में होंगे।
19. \[\mathbf{100{\text{ }}kg}\] संहति की किसी तोप द्वारा \[0.020{\text{ }}kg\] का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल \[80\] मी/से\[ - 1\] है तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
उत्तर:तोप का द्रव्यमान $M = 100$ किग्रा
गोले का द्रव्यमान $m = 0.020$ किग्रा
गोले की नालमुखी चाल $ = 80$ मी/से
माना तोप की प्रतिक्षेप चाल $ = V$ मी/से
प्रारम्भ में गोला व तोप दोनों विरामावस्था में हैं। अत: प्रारम्भ में प्रत्येक का संवेग शून्य था।
अतः रेखीय संवेग-संरक्षण नियम के अनुसार,
तोप तथा गोले का अन्तिम संवेग = प्रारम्भिक संवेग
$ MV = - mv \\ $
$ V = - \dfrac{m}{M} v$
$ V = -\dfrac{0.020}{100} 80$
$ V = - 0.016 $
यहाँ (-) चिह्न इस तथ्य का प्रतीक है कि तोप का वेग गोले के वेग की विपरीत दिशा में होगा। इसीलिए इसको प्रतिक्षेप चाल कहते हैं। अत: तोप की प्रतिक्षेप चाल \[ = {\text{ }}0.016\] सेमी/से।
20.कोई बल्लेबाज किसी गेंद को \[45^\circ \] के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरम्भिक चाल, जो \[54{\text{ km}}{{\text{h}}^{{\text{ - 1}}}}\] है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति \[0.15{\text{ kg}}\] है)
उत्तर:माना गेंद पथ \[AB\] के अनुदिश बल्लेबाज की ओर $v = 54$ किमी/घण्टा $ = 54{\text{ }} \times (5/18)$ मी/से $ = 15$ मी/से की चाल से आ रही है। यह बिन्दु $B$
पर बल्लेबाज द्वारा उसी चाल से कोण $ABC = {45^o}$ पर पथ $BC$ के अनुदिश विक्षेपित कर दी जाती है। $B$ से गुजरते ऊर्ध्वाधर तल पर अभिलम्ब है।
$\angle ABX' = \angle X'BC = {45^ \circ }/2 = {22.5^ \circ }$
यहाँ गेंद की प्रारम्भिक तथा अन्तिम चाल समान हैं अर्थात् प्रारम्भिक व अन्तिम वेगों के परिमाण $v = 15$ मी/से
प्रारम्भिक संवेग $\overrightarrow {{p_1}} $ का परिंमाण $ = $ अन्तिम संवेग $\overrightarrow {{p_2}} $ का परिमाण $ = mv$ ${\vec p_1}$ का $Y$-अक्ष की धन दिशा में घटक का परिमाण
${p_{1y}} = mv{\text{sin}}{22.5^ \circ }$
${\vec p_2}$ का $Y$-अक्ष की धन दिशा में घटक का परिमाण
${p_{2x}} = mv{\text{cos}}\left( {{{90}^ \circ } - {{22.5}^ \circ }} \right) = mv{\text{sin}}22.5$
$\therefore Y$-अक्ष के अनुदिश संवेग में परिवर्तन
${\vec p_1}$ का $X$-अक्ष की धन दिशा में घटक का परिमाण
${p_{1x}} = mv{\text{cos}}{22.5^ \circ }$${\vec p_2}$ का $X$-अक्ष की ऋण दिशा में घटक का परिमाण
${p_{2x}} = mv{\text{cos}}{22.5^ \circ }$ $\therefore X$-अक्ष की ऋणात्मक दिशा में संवेग में परिवर्तन
$ \Delta {p_x} = - {p_{2x}} - {p_{1x}} = - 2mv{\text{cos}}{22.5^ \circ }$
$\therefore $ संवेग में परिणामी परिवर्तन,
$\Delta p = \sqrt \Delta {p_x}^2 + \Delta {p_y}^2 = \sqrt {{{( { - 2mv{\text{cos}}{{22.5}^ \circ }})}^2} + {0^2}} = 2mv{\text{cos}}{22.5^ \circ }$
$\therefore $ गेंद को दिया गया आवेग =संवेग-परिवर्तन
$ = 2mv{\text{cos}}{22.5^ \circ } = 2 \times 0.15$ किग्रा $ \times 15$ मी/से $ \times 0.924$ $ = 4.16$ किग्रा-मी/से $ = 4.16\left( {} \right.$ किग्रा-मी/से $\left. {{\;^2}} \right)$ सेकण्ड $ = 4.16$ न्यूटन-सेकण्ड
21.किसी डोरी के एक सिरे से बँधा \[0.25{\text{ }}kg\] संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में \[1.5{\text{ }}m\] त्रिज्या के वृत्त पर \[40{\text{ }}rev/min\] की चाल से चक्कर लगाता है। डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी \[200{\text{ }}N\] के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है, तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
उत्तर: दिया है : पत्थर का द्रव्यमान $m = 0.25kg$
(i) वृत्तीय पथ की त्रिज्या $R = 1.5{\text{m}}$,
घूर्णन आवृत्ति $v = \dfrac{{40{\text{}}}}{{1{\text{min}}}} = \dfrac{{40}}{{60s}}= \dfrac{2}{3}$ चक्कर $/{\text{s}}$
डोरी में तनाव $T = $ ?
पत्थर को वृत्तीय पथ पर घूमने के लिए अभिकेन्द्र बल डोरी के तनाव $T$ से मिलता है,
अत:
$T = mR \omega^{2} = mR {(2\pi v)}^{2} ( \because \omega = 2\pi v) \\ $
$ = 4 \pi^2mRv^{2} $
$= 4 \times {{(3.14)}^2} \times 0.25kg \times 1.5m \times {( \dfrac{2}{3} s^{-1} )}^2\\ $
$ = 4\pi m\kappa v \\ $
$ = 6.6 N $
(ii) डोरी का अधिकतम तनाव ${T_{{\text{max}}}} = 200{\text{N}}$ तो पत्थर की अधिकतम चाल $ = $ ?
T = $\dfrac{{m{v^2}}}{R}{\text{}}T \propto {v^2}$
अत: जब $T$ महत्तम होग्गा तो चाल $v$ भी महत्तम होगी।
$\therefore {v_{{\text{max}}}^2}{ = \dfrac{{T_{{\text{max}}}^{\dot i}R}}{m}} \\ $
$ = \dfrac{{200 N \times 1 \cdot 5 m}}{{0 \cdot 25kg }} = 1200m^{2}s^{-2} \\ $
$ \therefore {{v_{{\text{max}}}}}{ = 20 \times \sqrt 3{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}} = 34 \cdot 6{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}} \approx 35{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}} $
22.यदि अभ्यास प्रश्न \[21\] में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाए तथा डोरी यकायक टूट जाए, तो डोरी के टूटने के पश्चात पत्थर के प्रक्षेप का सही वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है –
वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यतः बाहर की ओर जाता है।
डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है।
पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
उत्तर : (b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है क्योंकि उस क्षण पर पत्थर की चाल स्पर्शरेखीय होती है।
23.स्पष्ट कीजिए कि क्यों :
(a) कोई घोड़ा रिक्त दिकस्थान (निर्वात) में किसी गाड़ी को खींचते हुए दौड़ नहीं सकता।
उत्तर : (a) रिक्त दिक्स्थान (निर्वात) में घोड़े को गाड़ी खींचने के लिए आवश्यक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाएगी।
(b) किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
उत्तर: ( (b) तीव्र गति से गतिशील बस में बैठे यात्री का शरीर गाड़ी के ही वेग से गति करता रहता है। जब यकायक गाड़ी रुकती है तो फर्श के सम्पर्क में स्थित यात्री के पैर तो ठीक उसी समय विराम में आ जाते हैं, परन्तु गति के जड़त्व के कारण ऊपर का शरीर गतिशील बना रहता है और यात्री आगे की ओर गिर जाते हैं।
(c) लान मूवर को धकेलने की तुलना में खींचना आसान होता है।
उत्तर : लान मूवर को धकेलने की अपेक्षा खींचना आसान है – मान लीजिए कि चित्र (a) के अनुसार एक लान मूवर को धकेलकर ले जाया जा रहा है। इसके लिए हम मूवर के हत्थे के अनुदिश एक बल $\xrightarrow{F}$ लगाते हैं, जो क्षैतिज से नीचे की ओर $\theta $ कोण (माना) पर कार्य करता है। मूवर पर कार्यरत अन्य बल, उसका भार \[Mg\], भूमि की अभिलम्ब प्रतिक्रिया \[N\] तथा पश्चमुखी घर्षण बल \[{f_1}\] है।
∵ ऊध्र्वाधर दिशा में कोई गति नहीं है।
अतः इस दिशा में नेट बल शून्य होगा।
$N - Mg - F\sin \theta = 0$
अथवा
$N = Mg + F\sin \theta $
यदि लान मूवर को चित्र-5.9 (b) के अनुसार खींचकर ले जाएँ तो इसके लिए मूवर के हत्थे के अनुदिश बल $\vec F$ क्षैतिज से ऊपर की ओर कोण $\theta $ (माना) पर लगाया गया है।
पुन: चूँकि ऊध्र्वाधर दिशा में कोई गति नहीं है; अत:
$N + F\sin \theta - Mg = 0$
अथवा
$N = Mg - F\sin \theta $
समीकरण (1) व (2) से स्पष्ट है कि मूवर को खींचते समये अभिलम्ब प्रतिक्रिया उसे धकेलते समय अभिलम्ब प्रतिक्रिया से कम है। चूंकि सीमान्त घर्षण बल अभिलम्ब प्रतिक्रिया के अनुक्रमानुपाती होता है; अतः मूवर को खींचते समय अपेक्षाकृत कम घर्षण बल लगेगा।इससे स्पष्ट है कि मूवर को खींचकर ले जाना धकेलकर ले जाने की तुलना में आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।
उत्तर: (d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है – ऐसा करने में गेंद को विराम में आने तक पर्याप्त समय मिल जाता है, इससे गेंद के संवेग की परिवर्तन की दर कम हो जाती है और हाथों पर लगने वाला बल घट जाता है फलस्वरूप चोट लगने की सम्भावना कम हो जाती है।
अतिरिक्त अभ्यास
24.चित्र में \[0.04kg\] संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है। इस गति के लिए कोई उचित भौतिक संदर्भ प्रस्तावित कीजिए। पिण्ड द्वारा प्राप्त दो क्रमिक आवेगों के बीच समय-अन्तराल क्या है? प्रत्येक आवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:यह स्थिति-समय ग्राफ दो समान्तर ऊर्ध्वाधर दीवारों के बीच एकसमान चाल से क्षैतिज गति करती हुई गेंद का ग्राफ हो सकता है, जो बारम्बार एक दीवार से टकराती है
फिर $2s$ बाद दूसरी दीवार से टकराती है। यह क्रिया लगातार चलती है।
पिण्ड के वेग में प्रत्येक $2s$ के अन्तराल के बाद परिवर्तन आता है।
अत: दो क्रमिक आवेगों के बीच समयान्तराल $ = 2s$
$t = 2{\text{s}}$ से पहले वेग ${v_1} = $ ग्राफ का ढाल $ = \dfrac{{2 - 0}}{{2 - 0}} = 1{\text{cm}}{{\text{s}}^{ - 1}} = 0.01{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
$t = 2{\text{s}}$ के बाद वेग ${v_2} = $ ग्राफ का ढाल $ = \dfrac{{0 - 2}}{{4 - 2}} = - 1{\text{cm}}{{\text{s}}^{ - 1}} = - 0.01{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
$\therefore $ प्रारम्भिक संवेग ${p_1} = m{v_1} = 0.04 \times 0.01 = 4 \times {10^{ - 4}}{\text{kgm}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
अन्तिम संवेग ${p_2} = m{v_2} = 0.04 \times \left( { - 0 \cdot 01} \right) = - 4 \times {10^{ - 4}}{\text{kgm}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
$\therefore $ प्रत्येक आवेग का परिमाण = संवेग परिवर्तन
$ = {p_1} - {p_2} = 4 \times {10}^{- 4} -( - 4 \times {10}^{-4}) \\ $
$ = 8 \times {10}^{-4}kgms^{-1} $
$ = 8 \times {10}^{-4}Ns $
25.चित्र में कोई व्यक्ति \[1{\text{ }}m{s^{ - 2\;}}\] त्वरण से गतिशील क्षैतिज संवाहक पट्टे पर स्थिर खड़ा है। उस व्यक्ति पर आरोपित नेट बल क्या है? यदि व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक \[0.2\] है तो पट्टे के कितने त्वरण तक वह व्यक्ति उस पट्टे के सापेक्ष स्थिर रह सकता है? (व्यक्ति की संहति \[ = {\text{ }}65{\text{ }}kg\])
उत्तर:(i) दिया है : पट्टे का त्वरण \[a{\text{ }} = {\text{ }}1{\text{ }}m{\text{ }}s{^{ - 2}}\], व्यक्ति का द्रव्यमान \[m{\text{ }} = {\text{ }}65{\text{ }}kg\]
∵ व्यक्ति पट्टे पर स्थिर खड़ा है; अत: व्यक्ति का त्वरण भी $a = 1m{s^{ - 2}}$ है।
सूत्र $F = ma$ से,
व्यक्ति पर आरोपित नेट बल $F = 65kg \times 1ms^{ - 2} = 65N$
(ii) व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक $\mu s = 0.2$
∵ पट्टा क्षैतिज है; अतः मनुष्य पर पट्टे की अभिलम्ब प्रतिक्रिया
$N = mg = 65kg \times 10ms^{ - 2} = 650N$
माना पट्टे का अधिकतम त्वरण $a$ है, तब पट्टे के साथ गति करने के लिए व्यक्ति को \[ma\] के बराबर बल की आवश्यकता होगी जो उसे स्थैतिक घर्षण से मिलेगा।
इसके लिए आवश्यक है कि
$ma \leqslant {\mu _s}N$
$\therefore $ अधिकतम त्वरण $a = \dfrac{{{\mu _s}N}}{m} = \dfrac{{0.2 \times 650{\text{N}}}}{{65{\text{kg}}}} = 2.0{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$
26. \[m\] संहति के पत्थर को किसी डोरी के एक सिरे से बाँधकर \[R\] त्रिज्या के ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमायो जाता है। वृत्त के निम्नतम तथा उच्चतम बिन्दुओं पर ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी दिशा में नेट बल है- (सही विकल्प चुनिए)
निम्नतम बिन्दु पर उच्चतम बिन्दु पर
(i) $mg - {T_1}$
$mg + {T_2}$
$ (ii) mg + {T_1}mg - {T_2} \\$
$ (iii)mg + {T_1} -( \dfrac{{mv_1^{2}}}{{R}}) mg - {T_2} + ( \dfrac{{m{v_2}^{2}}}{{R}}) $
(iv) $mg - {{\mathbf{T}}_1} - \left( {\dfrac{{mv_1^2}}{R}} \right) mg + {{\mathbf{T}}_2} + \left( {\dfrac{{mv_2^2}}{R}} \right)$
उत्तर :निम्नतम बिन्दु पर तनाव \[{T_1}\] ऊपर की ओर, भार $mg$ नीचे की ओर है।
∴ नेट अधोमुखी बल $ = mg{\text{ - }}$\[{T_1}\]
.उच्चतम बिन्दु पर तनाव \[{T_2}\] व भार $mg$ दोनों नीचे की ओर लगेंगे।
∴ नेट अधोमुखी बल \[ = {\text{ }}mg{\text{ }} + {\text{ }}{T_2}\]
अतः विकल्प (i) सही है।
27. \[\mathbf{1000{\text{ }}kg}\] संहति का कोई हेलीकॉप्टर \[15{\text{ }}m{s^{ - 2}}\] के ऊध्र्वाधर त्वरण से ऊपर उठता है। चालक दल तथा यात्रियों की संहति \[300{\text{ }}kg\] है। निम्नलिखित बलों का परिमाण व दिशा लिखिए –
(a) चालक दल तथा यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल
उत्तर: हेलीकॉप्टर का द्रव्यमान ${m_1} = 1000$ किग्रा चालक दल + यात्रियों की संहति ${m_2} = 300$ किग्रा ऊपर की और त्वरण $a = 15$ मी/से ${\;^2}$ तथा $g = 10$ मी/से ${\;^2}$
(a) चित्र में हेलीकॉप्टर के अन्दर स्थित निकाय (चालक दल $ + $ यात्री) का मुक्त पिण्ड आरेख प्रदर्शित है। इंस निकाय पर निम्नलिखित बल कार्यरत हैं-
(i) निकाय का भार ${m_2}g$ (ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर)
(ii) फर्श द्वारा निकाय (चालक दल + यात्री) पर आरोपित बल $F$ (ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर)
इस निकाय की गति की समीकरण $F - {m_2}g = {m_2}a$,
$\therefore F = {m_2}\left( {a + g} \right) = 300$ किग्रा $ \times \left( {15 + 10} \right)$ मी $/$ से ${^2}$
$ = 7500$ न्यूटन (ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर)
यों द्वारा फर्श पर आरोपित बल
$ = 7500$ न्यूटन (ऊर्ध्वाधरत: नीचे की ओर)
(b) चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया, तथा
उत्तर: सम्पूर्ण निकाय (हेलीकॉप्टर + चालक दल + यात्री) का कुल द्रव्यमान
$M = {m_1} + {m_2}{\text{ }} = (1000{\text{ Kg }} + 300{\text{ kg) }} = 1300{\text{ kg}}$
माना चारों ओर की वायु द्वारा सम्पूर्ण निकाय पर आरोपित बल $F$ है तो सम्पूर्ण निकाय के मुक्त पिण्ड आरेख (चित्र 5.13) से इसकी गति समीकरण
$F - Mg = Ma$
$F = M(a + g) = 1300$ किग्रा $ \times (15 + 10)$ मी/से $^2$
$ = 32500$ न्यूटन $ = 3.25 \times {10^4}$ न्यूटन
(ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर)
अत: चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया
$A = - F$ (न्यूटन के गति विषयक तृतीय नियम के अनुसार)
$ = 3.25 \times {10^4}$ न्यूटन
(ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर)
.(c) चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल।
उत्तर: चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल
${F^\prime } = 3.25 \times {10^4}$ न्यूटन
(ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर)
28. \[15{\text{ }}m{s^{ - 1}}\] चाल से क्षैतिजतः प्रवाहित कोई जलधारा \[10{\;^{ - 2}}\;\]मी \[{\mathbf{2}}\] अनुप्रस्थ काट की किसी नली से बाहर निकलती है तथा समीप की किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से टकराती है। जल की टक्कर द्वारा, यह मानते हुए कि जलधारा टकराने पर वापस नहीं लौटती, दीवार पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:नली के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल \[A = 10{\;^{ - 2\;}}\] मी\[{\mathbf{2}}\]
इससे निकलने वाली जल-धारा का वेग अर्थात् प्रति सेकण्ड तय की दूर
\[\upsilon = 15\]मी/से
∴ नली से निकलकर दीवार पर प्रति सेकण्ड लम्बवत् टकराने वाले जल को आयतन =A × υ
अतः दीवार पर प्रति सेकण्ड लम्बवत् टकराने वाले जल का द्रव्यमान
$m = $ आयतन × जल का घनत्व $ = A{\text{ }} \times v \times p$
जल का घनत्व, $p = 103$ किग्रा/मी $3$
\[m = {10^{ - 2}}\] मी\[{\mathbf{2}}\] \[ \times {\text{ }}15\] मी/से \[ \times 10\]$3$ किग्रा/मी $ = 150$ किग्रा
चूँकि दीवार पर टकराने पर जल-धारा वापस नहीं लौटती है अर्थात् उसका वेग शून्य हो जाता है, अत: \[\Delta t = 1\]सेकण्ड में जल-धारा के संवेग में परिवर्तन,
$ \Delta p = m.\Delta v = m ({{v_2} - {v_1}}) = m( 0 - v) = - mv$
$\therefore $ जल-धारा के संवेग-परिवर्तन की दर
$ = \dfrac{{\Delta p}}{{\Delta t}} = - \dfrac{{ - mv}}{{\Delta t}}$
परन्तु न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से, $F = \dfrac{{\Delta p}}{{\Delta t}}$
$\therefore $ जल-धारा पर दीवार द्वारा आरोपित बल, $F = \dfrac{{ - mv}}{{\Delta t}}$ )
अत: न्यूटन के गति विषयक तृतीय नियम के अनुसार,
जल-धारा द्वारा दीवार पर आरोपित बल, $F = - F$
अर्थात् $F' = -( - \dfrac{mv}{{\Delta t}}) = \dfrac{mv}{{ \Delta t}} = \dfrac{{150 \times 15}}{{1}} = 2250$ किग्रा-मी/से ${^2}$
$ = 2250$ न्यूटन $ = 2.250 \times {10^3}$ न्यूटन
29.किसी मेज पर एक-एक रुपये के दस सिक्कों को एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येके सिक्के की संहतिm है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दिशा लिखिए
(a) सातवें सिक्के (नीचे से गिनने पर) पर उसके ऊपर रखे सभी सिक्कों के कारण बल
उत्तर:(a) नीचे से सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं।
अतः सातवाँ सिक्का इन तीन सिक्कों के भार के बराबर बल का अनुभव करेगा।
∴ सातवें सिक्के पर ऊपर के सिक्कों के कारण बल $ = 3mgN$
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल, तथा
हल: (b) आठवें सिक्के के ऊपर दो सिक्के और रखे हैं; अत: सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल, आठवें सिक्के तथा ऊपर के दो सिक्कों के भारों के योग के बराबर होगा।
∴सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल $ = mg + 2mg = 3mgN$
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।
हल: (c) सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं; अत: सातवाँ सिक्का अपने तथा ऊपर के तीन सिक्कों के भारों के योग के बराबर बल से छठवें सिक्के को दबाएगा।
अत: छठे सिक्के पर सातवें के कारण बल $ = mg + 3mg = 4mgN$
∴ छठवें सिक्के की सातवें पर प्रतिक्रिया $ = 4mgN$
30.कोई वायुयान अपने पंखों को क्षैतिज से \[15^\circ \] के झुकाव पर रखते हुए \[720{\text{ }}km{h^{ - 1}}\] की चाल से एक क्षैतिज लूप पूरा करता है। लूप की त्रिज्या क्या है?
उत्तर: दिया है : वायुयान की चाल $v = 720{\text{km}}{{\text{h}}^{ - 1}} = 720 \times \dfrac{5}{{18}} = 200{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}}$,
क्षैतिज से झुकाव $\theta = {15^ \circ }$
माना लूप की त्रिज्या $R$ है तो
'सूत्र ${\text{tan}}\theta = \dfrac{{{v^2}}}{{gR}}$ से,
$R = \dfrac{{{v^2}}}{{g{\text{tan}}\theta }} = \dfrac{{200 \times 200}}{{10 \times 0.27}} = 14814{\text{\;m}} = 14.8{\text{\;km}}$
31.कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले \[30{\text{ }}m\] त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर \[54{\text{ }}km{h^{ - 1}}\] की चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति \[{10^6}\;kg\] है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल कौन प्रदान करता है, इंजन अथवा पटरियाँ ? पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल-कोण कितना होना चाहिए?
उत्तर:आवश्यक अभिकेन्द्र बल पटरियाँ प्रदान करती हैं।
यहाँ $v = 54{\text{km}}{{\text{h}}^{ - 1}} = 54 \times \dfrac{5}{{18}} = 15{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 1}},g = 10{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$
वृत्तीय मोड़ की त्रिज्या $R = 30{\text{m}},m = {10^6}{\text{kg}}$
पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए ढाल-कोण इतना होना चाहिए कि रेलगाड़ी को मोड़ पार करने हेतु घर्षण की आवश्यकता न पड़े।
$v^2 = Rg tan \theta \\ $
$ \therefore {{\text{tan}}\theta = } {\dfrac{{{v^2}}}{{Rg}} = \dfrac{{15 \times 15}}{{30 \times 10}} = \dfrac{3}{4}} \\ $
$ \therefore {\theta = {\text{ta}}{{\text{n}}^{ - 1}}\left( {\dfrac{3}{4}} \right) = {{40}^ \circ }} \\ $
अत: पटरियों को क्षतिप्रस्त होने से बचाने के लिए पटरियों का ढाल-कोण ${40^ \circ }$ रखना चाहिए।
32.चित्र-5.14 में दर्शाए अनुसार \[50{\text{ }}kg\] संहति का कोई व्यक्ति \[25{\text{ }}kg\] संहति के किसी गुटके को दो भिन्न ढंग से उठाता है। दोनों स्थितियों में उस व्यक्ति द्वारा फर्श पर आरोपित क्रिया-बल कितना है? यदि \[700{\text{ }}N\]अभिलम्ब बल से फर्श धंसने लगता है तो फर्श को धंसने से बचाने के लिए उस व्यक्ति को गुटके को उठाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाना चाहिए?
उत्तर: गुटके का द्रव्यमान ${m_1} = 25$ किग्रा
व्यक्ति का द्रव्यमान ${m_2} = 50$ किग्रा
$g = 10$ मी / से ${^2}$
गुटके का भार ${W_1} = {m_1} \times g = 25$ किग्रा $ \times 10$ मी / से ${^2} = 250$ न्यूटन
व्यक्ति का भार ${W_2} = {m_2} \times g = 50$ किग्रा $ \times 10$ मी / से ${^2} = 500$ न्यूटन
चित्रों $5.14$ (a) तथा (b) के लिए मुक्त पिण्ड आरेख क्रमशः चित्र $5.15$ (a) तथा (b) की भाँति होगा।
(a) गुटके को उठाने के लिए व्यक्ति द्वारा उस पर आरोपित बल
$F = $ गुटके का भार
${W_1} = 250$ न्यूटन
चित्र $5.15$ (a) में बल $\vec F$ की दिशा ऊप्रर की ओर है। अत: न्यूटन के गति विषयक तृतीय नियम से इसकी फर्श पर प्रतिक्रिया $R = F$ नीचे की ओर होगें
इसलिए फर्श द्वारा व्यक्ति पर आरोपित ऊर्ध्वाधर बल
$F' = W2 + F = (500 + 250)$ न्यूटन $ = 750$ न्यूटन
(b) चित्र 5.15 (b) में व्यक्ति द्वारा बल $F$ नीचे की ओर लगाया जा रहा है। अतः फर्श पर प्रतिक्रिया $R = F$ ऊपर की ओर होगी।
अतः फर्श द्वारा व्यक्ति पर आरोपित लम्बवत् बल $F'' = W2{\text{ - }}F$
न्यूटन $ - 250$ न्यूटन $ = 250$ न्यूटन
∵ दिया है कि फर्श $700$ न्यूटन के लम्बवत् बल से नीचे धंसने लगता है, अत: उपर्युक्त विवेचना से स्पष्ट है कि व्यक्ति को गुटके को उठाने के लिए विधि (b) अपनानी चाहिए।
33. \[40{\text{ }}kg\] संहति का कोई बन्दर \[600{\text{ }}N\] का अधिकतम तनाव सह सकने योग्य किसी रस्सी पर चढता है (चित्र-5.16)। नीचे दी गई स्थितियों में से किसमें रस्सी टूट जाएगी –
बन्दर 6 ms -2 त्वरण से ऊपर चढ़ता है
उत्तर:(a) माना बन्दर का द्रव्यमान $m$ है, तब गुरुत्व के कारण उसका भार \[mg\] है। माना रस्सी में उत्पन्न तनाव $T$ है।
जब बन्दर रस्सी के सहारे ऊपर की ओर त्वरित गति करे, तब
${T_1} - mg = m{a_1}$
अर्थात् डोरी में तनाव,
${T_1} = m{a_{1}} + mg = m({a_1} + g)$
$ = 40$ किग्रा $ \times (6 + 10)$ मी/से2 $ = 640$ न्यूटन
${T_1} > 600$ न्यूटन (अतः रस्सी टूट जायेगी)
बन्दर $4m{s^{ - 2}}$ त्वरण से नीचे उतरता है
हल: (b) जब बन्दर नीचे को त्वरित गति करे, तब
$mg - {T_2} = m{a_2}$
या डोरी में तनाव, $T2 = m(g - a2)$
$ = 40{\text{ }} \times (10{\text{ - }}4)$ न्यूटन $ = 240$ न्यूटन
${T_2} < 600$ न्यूटन (अतः रस्सी नहीं टूटेगी।)
बन्दर \[5{\text{ }}m{s^{\; - 2\;}}\]की एकसमान चाल से ऊपर चढ़ता है,
(c) जब बन्दर रस्सी के सहारे ऊपर चढ़नी शुरू करे, तब
\[{a_3} = {\text{ }}0\therefore {T_3} -{\text{ }}mg{\text{ }} = {\text{ }}m{a_3} = {\text{ }}0\]
या
\[{T_3} = {\text{ }}mg\]
∴ डोरी में तनाव, \[{T_3} = 40{\text{ }} \times {\text{ }}10\]न्यूटन \[ = {\text{ }}400\]न्यूटन
इस दशा में भी \[{T_3} < 600\]न्यूटन (अतः रस्सी नहीं टूटेगी।)
बन्दर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है। (रस्सी की संहति उपेक्षणीय मानिए)
(d) जब बन्दर मुक्त रूप से नीचे उतरता है तो बन्दर भारहीनता की अवस्था में होगा अर्थात् डोरी में तनाव शून्य होगा।
चूँकि नीचे उतरने की दशा में,
$T = m(g - d)$ तथा यहाँ $a = g$
$T = 0$ (अतः रस्सी नहीं टूटेगी।)
केवल स्थिति (a) में रस्सी टूटेगी क्योंकि इसमें महत्तम तनाव \[600\] न्यूटन से अधिक है।
34.दो पिण्ड \[A\] तथा \[B,\] जिनकी संहति क्रमशः \[5{\text{ }}kg\] तथा \[10{\text{ }}kg\] है-एक-दूसरे के सम्पर्क में एक मेज पर किसी दृढ विभाजक दीवार के सामने विराम में रखे हैं। (चित्र-5.17)। पिण्डों तथा मेज के बीच घर्षण गुणांक \[A{\text{ }}B{\text{ }}E{\text{ }}0.15\] है। \[200{\text{ }}N\] का कोई बल क्षैतिजतः \[A\] पर आरोपित किया जाता है।
विभाजक दीवार की प्रतिक्रिया तथा
(b) \[A\] तथा \[B,\] के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल क्या है? विभाजक दीवार को हटाने पर क्या होता है? यदि पिण्ड गतिशील है तो क्या \[\left( b \right)\] का उत्तर बदल जाएगा? \[\mu s\] तथा \[\mu k\] के बीच अन्तर की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर: विभाजक दीवार की उपस्थिति में, पिण्डों में कोई गति उत्पन्न नहीं होती है।
अर्थात् पिण्डों का त्वरण $a = 0$ है।
माना पिण्ड $A$ द्वारा $B$ पर आरोपित बल ${R_1}$ तथा पिण्ड $B$ द्वारा पिण्ड $A$ पर विपरीत दिशा में आरोपित बल ${R_1}$ है। (क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम).
$\because $ पिण्ड $A$ स्थिर है; अत: इस पर नेट बल शून्य होगा,
$\therefore {200{\text{N}} - {R_1} = 0} \\ $
$ \therefore {{R_1} = 200 {\text{N}}} $
पुन: माना पिण्ड $B$ दीवार पर ${R_2}$ बल आरोपित करता है तो दीवार भी पिण्ड $B$ पर इतना ही बल विपरीत दिशा में लगाएगी।
( क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम)
$\because $ पिण्ड $B$ भी स्थिर है; अत: उस पर कार्यरत नेट बल $ = 0$
$ \Rightarrow \quad {R_1} - {R_2} = 0 \Rightarrow {R_2} = {R_1} = 200{\text{N}}$
अत: दीवार की प्रतिक्रिया ${{\mathbf{R}}_2} = 200\;{\text{N}}$
पिण्डों $A$ व $B$ कें बींच क्रिया व प्रतिक्रिया ${{\mathbf{R}}_1} = {\mathbf{200N}}$
विभाजक दीवार को हटाने पर प़िण्डों में गति करने की प्रवृत्ति उत्पन्न हो जाती है और घर्षण बल कार्यशील हो जाते हैं।
इस स्थिति में पिण्ड $A$ का बल आरेख संलग्न चित्र-5.17(d) में प्रदर्शित है।
मेज की अभिलम्ब प्रतिक्रिया $N = 5g{\text{N}}$.
माना यह पिण्ड $a$ त्वरण से चलना प्रारम्भ करता है तो पिण्ड की गति का समी० निम्नलिखित होगा-
या $200 - {R_1} - 5\mu g = 5a$ पिण्ड $B$ का बल-आरेख संलग्न चित्र $ - 5.17\left( {\text{e}} \right)$ में प्रदर्शित है।
अभिलम्ब प्रतिक्रिया $N = 10{\text{g}}$
चित्र 5.17(d) कि गति का समीकरण या
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
$ = \dfrac{{\left( {200 - 15 \times 0.15 \times 10} \right){\text{N}}}}{{15{\text{kg}}}}$
${ = \dfrac{{200 - 22.5}}{{15}},{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}} = 11.83{\text{m}}/{{\text{s}}^2}} \\ $
$ { = 12{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}} $
इससे स्पष्ट है कि पिण्ड गतिशील हो जाएँगे।
समी० (2) में मान रखने पर,
${R_1} - 10 \times 0.15 \times 10 = {10 \times 12} \\ $
$ \therefore {{R_1} = 15 + 120 = 135{\text{N}}} $
स्पष्ट है कि पिण्डों के गतिशील होने पर भाग $\left( b \right)$ का उत्तर बदल गया है।
35. \[15{\text{ }}kg\] संहति का कोई गुटका किसी लंबी ट्रॉली पर रखा है। गुटके तथा ट्रॉली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक \[0.18\] है। ट्रॉली विरामावस्था से \[20{\text{ }}s\] तक \[0.5{\text{ }}m{s^{ - 2}}\;\] के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है-
धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को तथा
ट्रॉली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को, गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी, इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:गुटके का द्रव्यमान $m = 15kg,{\text{ }}\mu = 0.18$
$t = 20s$ के लिए, ट्रॉली का त्वरण \[{a_1} = 0.5m{s^{ - 2}}\]
तत्पश्चात् ट्रॉली का वेग अचर है।
∵प्रारम्भ में ट्रॉली त्वरित गति करती है ; अत: यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र है।
∴ गुटके पर एक छद्म बल \[{F_1} = m{a_1}= 15{\text{ }} \times {\text{ }}0.5{\text{ }} = {\text{ }}7.5{\text{ }}N\] पीछे की ओर कार्य करेगा।
जबकि ट्रॉली के फर्श द्वारा गुटके पर आरोपित अग्रगामी घर्षण बल
\[{F_2}= \mu {\text{ }}N. = \mu m{\text{ }}g{\text{ }} = {\text{ }}0.18{\text{ }} \times {\text{ }}15{\text{ }} \times {\text{ }}10{\text{ }} = {\text{ }}27{\text{ }}N\]
∵ गुटके पर पश्चगामी बेल घर्षण बल की तुलना में कम है; अतः गुटका पीछे की ओर नहीं फिसलेगा और ट्रॉली के साथ-साथ गति करेगा।
धरती पर खड़े स्थिर प्रेक्षक को गुटका ट्रॉली के साथ गति करता प्रतीत होगा।
ट्रॉली के साथ गतिमाने प्रेक्षक को गुटका स्वयं के सापेक्ष विराम अवस्था में दिखाई देगा।
36.चित्र-5.18 में दर्शाए अनुसार किसी ट्रक का पिछला भाग खुला है तथा \[40{\text{ }}kg\] संहति का एक सन्दूक खुले सिरे से \[5{\text{ }}m\] दूरी पर रखा है। ट्रक के फर्श तथा संदूक के बीच घर्षण गुणांक \[0.15\] है। किसी सीधी सड़क पर ट्रक विरामावस्था से गति प्रारम्भ करके \[2m{\text{ }}{s^{ - 2}}\] से त्वरित होता है। आरम्भ बिन्दु से कितनी दूरी चलने पर वह सन्दूक ट्रक से नीचे गिर जाएगा? (सन्दूक के आमाप की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर: दिया है : सन्दूक का द्रव्यमान $\text{m = }40\text{kg}$, खुले सिरे से दूरी $s = 5{\text{m}}$ घर्षण गुणांक $\mu$ = $0.15$, ट्रक के लिए u = 0 a = $2{\text{m}}\text{s}^{ - 2}$
ट्रक द्वारा तय दूरी, जर्बकि सन्दूक गिर जाएगा =?
$\because $ ट्रक त्वरित गति कर रहा है; अत: यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र होगा।
$\therefore $ ट्रक के पीछे रखे सन्दूक पर पीछे की ओर एक छदम् बल $F = ma$ लगेगा।
जहाँ
$F = 40{\text{kg}} \times 2{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}} = 80{\text{N}}$
जबकि सन्दूक् पर स्थैतिक घर्षण बल ${\mu _s}N$ (जो सन्दूक को ट्रक के साथ गति कराना चाहता है) आगे की ओर लगेगा।
$\therefore $ सन्दूक पर नेट बल ${F_1} = F - {\mu _s}N$
$ = 80{\text{N}} - 0.15 \times 40{\text{kg}} \times 10{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}\left( {\because N = mg} \right)$ $ = 80{\text{N}} - 60{\text{N}} = 20{\text{N}}$ पीछे की ओर
$\therefore $ ट्रक के सापेक्ष सन्दूक का त्वरण ${a_1} = \dfrac{{{F_1}}}{m} = \dfrac{{20{\text{N}}}}{{40{\text{kg}}}} = 0.5{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}$ (पीछे की ओर)
माना सन्दूक को $5{\text{m}}$ की दूरी तय करने में $t$ समय लगता है तो
गति के समीकरण $s = ut + \dfrac{1}{2}a{t^2}$ से,
$5 = 0 \times t + \dfrac{1}{2} \times 0.5 \times {t^2}\Rightarrow {\text{}}{t^2} = 20$ $\therefore t = 4.47$ इस दौरान ट्रक द्वारा तय दूरी
$s = ut + \dfrac{1}{2}a{t^2} = 0 \times 4.47{\text{s}} + \dfrac{1}{2} \times 2{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}} \times {(4.47{\text{s}})^2} = 20{\mathbf{m}}$
37. \[15{\text{ }}cm\] त्रिज्या का कोई बड़ा ग्रामोफोन रिकार्ड $33\dfrac{1}{3}rev/min$ की चाल से घूर्णन कर रहा है। रिकार्ड पर उसके केन्द्र से \[4cm\] तथा \[14{\text{ }}cm\] की दूरियों पर दो सिक्के रखे गए हैं। यदि सिक्के तथा रिकार्ड के बीच घर्षण गुणांक \[0.15\] है तो कौन-सा सिक्का रिकार्ड के साथ परिक्रमा करेगा?
उत्तर: रिकार्ड की घूर्णन आवृत्ति $v = \dfrac{{33\dfrac{1}{3}{\text{rev}}}}{{{\text{min}}}} = \dfrac{{\dfrac{{100}}{3}}}{{60}}{\text{rev}}/{\text{s}} = \dfrac{5}{9}{\text{rev}} - {{\text{s}}^{ - 1}}$
$\therefore $ कोणीय वेग $\omega = 2\pi v = 2 \times \dfrac{{22}}{7} \times \dfrac{5}{9} = \dfrac{{220}}{{53}} = 3.5{\text{rad}}/{\text{s}}$
सिक्कों के पथों की त्रिज्याएँ ${r_1} = 0.04{\text{m}},{r_2} = 0.14{\text{\;m}}$
जबकि ${\mu _s} = 0.15$
सिक्कों को रिकार्ड के साथ घूमने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल क्रमश: ${m_1}{r_1}{\omega ^2}$ तथा ${m_2}{r_2}{\omega ^2}$ होंगे जो इन्हें स्थैतिक घर्षण बल से प्राप्त होंगे।
इसके लिए आवश्यक है कि
${mr{\omega ^2} = {f_s}}{ \leqslant {\mu _s}N} \\ $
$ {mr{\omega ^2}}{ \leqslant {\mu _s}mg} \\ $
$ r \leqslant \dfrac{{{\mu _s}g}}{{{\omega ^2}}} \\ $
$ R.H.S = \dfrac{{{\mu _s}g}}{{{\omega ^2}}} = \dfrac{{0.15\times10 m s^{-2}}}{{(3.5{rad}/s^{2})}} = 0.12 m = 12cm $
या
स्पष्ट है कि प्रथम सिक्के के लिए
${r_1} = 4{\text{cm}} < \dfrac{{{\mu _s}g}}{{{\omega ^2}}} = 12{\text{cm}}$
अत: प्रथम सिक्का रिकार्ड के साथ परिक्रमा करेगा।
जबकि दूसरे सिक्के के लिए ${r_2} = 14{\text{cm}} > \dfrac{{{\mu _s}g}}{{{\omega ^2}}} = 12{\text{cm}}$.
$\therefore $ दूसरा सिक्का फिसलकर बाहर गिर जाएगा।
38.आपने सरकस में ‘मौत के कुएँ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊध्र्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिन्दु से नीचे क्यों नहीं गिरता? यदि चैम्बर की त्रिज्या \[25{\text{ }}m\] है तो ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
उत्तर: गोलीय चैम्बर के उच्चतम बिन्दु पर मोटरसाइकिल सवार चैम्बर को बाहर की ओर दबाता है और प्रतिक्रिया स्वरूप चैम्बर सवार पर गोले के केन्द्र की ओर दिष्ट प्रतिक्रिया \[R\] लगाता है। सवार वे मोटरसाइकिल का भार \[mg\] भी गोले के केन्द्र की ओर कार्य करते हैं। ये दोनों बल सवार को वृत्तीय गति करने के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करते हैं, जिसके कारण सवार नीचे नहीं गिर पाता।
इस बिन्दु पर गति की समीकरण
\[R{\text{ }} + {\text{ }}mg{\text{ }} = {\text{ }}\dfrac{{m{\upsilon ^2}}}{r}\]
जहाँ \[\upsilon \] सवार की चाल तथा \[r\] गोले की त्रिज्या है।
ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा पार करने के लिए उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल (क्रान्तिक चाल)
${{v_c} = \sqrt {gr} }{ = \sqrt {10{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}} \times 25{\text{m}}} } \\ $
$ = 15.8 ms^{-1} $
39. \[\mathbf{70{\text{ }}kg}\] संहति का कोई व्यक्ति अपने ऊध्र्वाधर अक्ष पर \[200{\text{ }}rev/min\] की चाल से घूर्णन करती \[3\;m\] त्रिज्या की किसी बेलनाकार दीवार के साथ उसके सम्पर्क में खड़ा है। दीवार तथा उसके कपड़ों के बीच घर्षण गुणांक \[0.15\] है। दीवार की वह न्यूनतम घूर्णन चाल ज्ञात कीजिए, जिससे फर्श को यकायक हटा लेने पर भी, वह व्यक्ति बिनागिरे दीवार से चिपका रह सके।
उत्तर: दिया है : व्यक्ति का द्रव्यमान $m = 70{\text{kg}}$, आवृत्ति $v = 200{\text{rev}}/{\text{min}} = \dfrac{{200}}{{60}} = \dfrac{{10}}{3}{\text{rev}}/{\text{s}}$ त्रिज्या $R = 3{\text{m}},\quad \mu = 0.15$
माना दीवार की न्यूनतम घूर्णन चाल $\omega $ है।
व्यक्ति घूर्णन करते समय, दीवार को बाहर की ओर दबाता है तथा
दीवार की अभिलम्ब प्रतिक्रिया, जो केन्द्र की ओर कार्य करती है, आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करती है।
$\therefore $$N = mR{\omega ^2}$
फर्श को हटा लेने पर अपने भार के कारण व्यक्ति की प्रवृत्ति नीचे को फिसलने की होती है; अत: घर्षण बल $\mu N$ ऊपर की ओर कार्य करता है।
व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रहेगा यदि घर्षण बल, व्यक्ति के भार को सन्तुलित कर ले।
अर्थात् $\quad \dot \mu N = mg$
$\mu mR{\omega ^2} = mg$
$\therefore \quad {\omega ^2} = \dfrac{g}{{\mu R}} = \dfrac{{10{\text{m}}{{\text{s}}^{ - 2}}}}{{0.15 \times 3}} = 22.22$
$\therefore $ न्यूनतम घूर्णन चाल $\omega = \sqrt {22 \cdot 22} = 4.72{\text{rad}}/{\text{s}} \approx 5{\text{rad}}{{\text{s}}^{ - 1}}$
40. \[R\] त्रिज्याका पतला वृत्तीय तार अपने ऊर्ध्वाधरं व्यास के परितः कोणीय आवृत्ति से घूर्णन कर रहा है। यह दर्शाइए कि इस तार में डली कोई मणिका $\omega \leqslant \sqrt {\dfrac{g}{R}} $ के लिए अपने निम्नतम बिन्दु पर रहती है। $\omega = \sqrt {\dfrac{{2g}}{R}} $ के लिए, केन्द्र से मनके को जोड़ने वाला त्रिज्य सदिश ऊर्ध्वाधर अधोमुखी दिशा से कितना कोण बनाता है? (घर्षण को उपेक्षणीय मानिए)
उत्तर:
माना कि मणिका का द्रव्यमान \[m\] है तथा किसी क्षण मणिका को वृत्तीय तार के केन्द्र से मिलाने वाली त्रिज्या ऊर्ध्वाधर से \[\theta \] कोण पर झुकी है।
इस समय मणिका पर दो बल लगे हैं –
वृत्तीय तार की अभिलम्ब प्रतिक्रिया \[N\] केन्द्र \[O\] की ओर।
भूमिका का भार \[mg\] नीचे की ओर।
मणिका वृत्तीय तार के साथ \[PQ{\text{ }} = {\text{ }}r\] त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर घूम रही है, जिसका केन्द्र \[Q\] है।
जहाँ \[r{\text{ }} = {\text{ }}PQ = OP{\text{ }}sin\theta = {\text{ }}R{\text{ }}sin{\text{ }}\theta \]
प्रतिक्रिया \[N\] की ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज घटकों में वियोजित करने पर, ऊध्र्वाधर घटक N cos θ भार को सन्तुलित करता है।
अर्थात् \[N cos \theta = mg\]
क्षैतिज घटक \[N sin\theta \], अभिकेन्द्र बल \[mr \omega ^2\] प्रदान करता है।
अर्थात्
$ N{\text{ }}sin{\text{ }}\theta {\text{ }}mr{\text{ }}{\omega ^2} \\$
$ N{\text{ }}sin{\text{ }}\theta {\text{ }} = m{\text{ }}\left( {R{\text{ }}sin{\text{ }}\theta } \right){\text{ }}{\omega ^2} \\$
$ N{\text{ }} = {\text{ }}mR{\text{ }}{\omega ^2} \\ $
समी० (1) में मान रखने पर,
यदि $\dfrac{g}{{R{\omega ^2}}} \geqslant 1$
तब $\theta $ का कोई भी मान समी० (2) को सन्तुष्ट नहीं कर पाएगा, ऐसी स्थिति में मणिका निम्नतम बिन्दु पर पड़ी रहेगी।
इसके लिए आवश्यक शर्त निम्नलिखित है-
$ {\dfrac{g}{{R{\omega ^2}}}}{ \geqslant 1} $
$ \Rightarrow \dfrac{g}{R} \geqslant {\omega ^2} $
$ \Rightarrow {\omega ^2} \leqslant \dfrac{g}{R} $
$\omega = \sqrt {\dfrac{{2g}}{R}} {\text{ (2),}}$
${\text{cos}}\theta = \dfrac{g}{R} \times \left( {\dfrac{R}{{2g}}} \right) = \dfrac{1}{2}\therefore \theta = {60^ \circ }$
अर्थात् मणिका को केन्द्र से जोड़ने वाली त्रिज्या ऊध्वाधर से ${60^ \circ }$ का कोण बनाएगी।
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