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Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar Class 11 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 14

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Chapter 14 (Poem) Hindi Class 11 Notes and Summary - FREE PDF Download

Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 features a curated selection of literary works designed to deepen your understanding and appreciation of the language. "Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar" is a poem by Akka Mahadevi, a renowned 12th-century Kannada poet. This poem is a beautiful expression of spiritual yearning and the conflict between worldly desires and divine devotion.

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Table of Content
1. Chapter 14 (Poem) Hindi Class 11 Notes and Summary - FREE PDF Download
2. Access Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 14 Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar Notes
    2.1कवि के बारे में
    2.2हे भूख! मत मचल
    2.3हे भूख! मत मचल कविता का सार 
    2.4हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर
    2.5हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर कविता का सार 
3. Learnings from Class 11 Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar
4. Importance of Revision Notes Class 11 Hindi Aroh Chapter 14  - PDF
5. Tips for Learning the Hindi Aroh Class 11 Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar
6. Important Study Material Links for Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar
7. Chapter-wise Revision Notes Links for Class 11 Hindi (Aroh)
8. Important Study Materials Class 11 Hindi
FAQs


These notes are perfect for quick revisions and for gaining a thorough understanding of the chapter's core themes. For detailed notes and further information, check out the Class 11 Hindi Aroh Revision Notes. You can download these FREE notes from Vedantu’s website, created by their Master teachers. Also, refer to the updated CBSE Hindi Class 11 Syllabus for the latest information.

Access Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 14 Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar Notes

कवि के बारे में

अक्कमहादेवी

अक्कमहादेवी कर्नाटक की प्रसिद्ध कवयित्री और संत रही हैं। वे भक्ति आंदोलन की प्रमुख हस्तियों में से एक थीं और भगवान शिव की अनन्य भक्त थीं। उनकी कविताएँ और वचन उनके आध्यात्मिक अनुभवों और शिव भक्ति के प्रति उनके समर्पण को दर्शाते हैं। अक्क महादेवी ने सांसारिक सुख-सुविधाओं का त्याग कर अपने जीवन को ईश्वर की भक्ति में समर्पित कर दिया। उनकी रचनाओं में उनका आध्यात्मिक ज्ञान, सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से झलकती है।


इस इकाई में अक्कमहादेवी की दो कविताएँ हैं: "हे भूख! मत मचल", “हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर ” और उनके लिए नोट्स नीचे दिए गए हैं।


हे भूख! मत मचल

सारांश

अक्कमहादेवी के वचनों में इंद्रियों पर नियंत्रण और ईश्वर के प्रति समर्पण का संदेश मिलता है। प्रथम वचन में, उन्होंने इंद्रियों को वश में करने की बात की है। वह इंद्रियों से आग्रह करती हैं कि वे मनुष्य को प्रभु भक्ति से विचलित न करें। दूसरे वचन में, उन्होंने अपने अहंकार को नष्ट कर ईश्वर में समाहित होने की इच्छा व्यक्त की है। वह ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि वे उन्हें ऐसी परिस्थितियाँ प्रदान करें जिससे उनका पारिवारिक मोह समाप्त हो जाए और वे ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण कर सकें।


विषयवस्तु

अक्कमहादेवी के वचनों का मुख्य थीम इंद्रियों पर नियंत्रण और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है। वह मानती हैं कि इंद्रियों के वश में रहकर मनुष्य ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकता। उनके वचनों में अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे भावों को त्यागने की बात की गई है। उन्होंने अपने वचनों में जीवन के वास्तविक अर्थ और ईश्वर की भक्ति का महत्व बताया है। वह चाहती हैं कि मनुष्य अपने सारे मोह-बंधनों को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाए।


पात्र चित्रण

अक्कमहादेवी के वचनों में प्रमुख चरित्र स्वयं कवयित्री अक्कमहादेवी ही हैं। उन्होंने अपने वचनों में अपने अनुभवों और भावनाओं को व्यक्त किया है। वह एक संत और शिव भक्त हैं जो इंद्रियों के नियंत्रण और ईश्वर के प्रति समर्पण की शिक्षा देती हैं। उनकी कविताओं में उनका आध्यात्मिक ज्ञान और संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वे अपनी कविताओं में जीवन के वास्तविक अर्थ और ईश्वर की भक्ति का महत्व बताती हैं। उनकी कविता "हे भूख! मत मचल" और "हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर" उनके ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और सांसारिक मोह से मुक्ति की भावना को व्यक्त करती हैं।


हे भूख! मत मचल कविता का सार 

पंक्तियाँ- हे भूख! मत मचल 

प्यास, तड़प मत 

हे नींद! मत सता 

क्रोध, मचा मत उथल-पुथल 

हे मोह! पाश अपने ढील 

लोभ, मत ललचा 

हे मद ! मत कर मदहोश 

ईर्ष्या, जला मत 

ओ चराचर ! मत चूक अवसर 

आई हूँ सदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का


व्याख्या: इस पद में कवयित्री अक्क महादेवी इंद्रियों पर नियंत्रण का संदेश देती हैं। वह भूख से कहती हैं कि मचलकर उन्हें परेशान न करे। प्यास से कहती हैं कि मन में और कुछ पाने की तड़प न जगाए। नींद से आग्रह करती हैं कि उसे सताना छोड़ दे, क्योंकि नींद से उत्पन्न आलस्य प्रभु-भक्ति में बाधा डालता है। क्रोध से कहती हैं कि वह उथल-पुथल न मचाए, क्योंकि इससे मनुष्य का विवेक और बुद्धि नष्ट हो जाती है। मोह से कहती हैं कि अपने बंधन ढीले कर दे, जिससे मनुष्य दूसरे का अहित न सोचे। लोभ से कहती हैं कि मनुष्य को ललचाना छोड़ दे। अहंकार से कहती हैं कि मनुष्य को पागल न बनाए। ईर्ष्या से आग्रह करती हैं कि मनुष्य को जलाना बंद कर दे। अंत में, वे सृष्टि के जड़-चेतन जगत को संबोधित करते हुए कहती हैं कि शिव-भक्ति के अवसर को चूकना नहीं चाहिए, क्योंकि वह चन्नमल्लिकार्जुन का संदेश लेकर आई हैं। चराचर को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।


हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

सारांश

अक्कमहादेवी के वचनों में इंद्रियों पर नियंत्रण और ईश्वर के प्रति समर्पण का संदेश मिलता है। प्रथम वचन में, उन्होंने इंद्रियों को वश में करने की बात की है। वह इंद्रियों से आग्रह करती हैं कि वे मनुष्य को प्रभु भक्ति से विचलित न करें। दूसरे वचन में, उन्होंने अपने अहंकार को नष्ट कर ईश्वर में समाहित होने की इच्छा व्यक्त की है। वह ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि वे उन्हें ऐसी परिस्थितियाँ प्रदान करें जिससे उनका पारिवारिक मोह समाप्त हो जाए और वे ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण कर सकें।


विषयवस्तु

अक्कमहादेवी के वचनों का मुख्य थीम इंद्रियों पर नियंत्रण और ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण है। वह मानती हैं कि इंद्रियों के वश में रहकर मनुष्य ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकता। उनके वचनों में अहंकार, लोभ, मोह, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे भावों को त्यागने की बात की गई है। उन्होंने अपने वचनों में जीवन के वास्तविक अर्थ और ईश्वर की भक्ति का महत्व बताया है। वह चाहती हैं कि मनुष्य अपने सारे मोह-बंधनों को त्यागकर ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाए।


पात्र चित्रण

अक्कमहादेवी के वचनों में प्रमुख चरित्र स्वयं कवयित्री अक्क महादेवी ही हैं। उन्होंने अपने वचनों में अपने अनुभवों और भावनाओं को व्यक्त किया है। वह एक संत और शिव भक्त हैं जो इंद्रियों के नियंत्रण और ईश्वर के प्रति समर्पण की शिक्षा देती हैं। उनकी कविताओं में उनका आध्यात्मिक ज्ञान और संवेदनशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। वे अपनी कविताओं में जीवन के वास्तविक अर्थ और ईश्वर की भक्ति का महत्व बताती हैं। उनकी कविता "हे भूख! मत मचल" और "हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर" उनके ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण और सांसारिक मोह से मुक्ति की भावना को व्यक्त करती हैं।


हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर कविता का सार 

पंक्तियाँ- हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर 

मँगवाओ मुझसे भीख 

और कुछ ऐसा करो 

कि भूल जाऊँ अपना घर पूरी तरह 

झोली फैलाऊँ और न मिले भीख 

कोई हाथ बढ़ाए कुछ देने को 

तो वह गिर जाए नीचे 

और यदि मैं झुकूँ उसे उठाने तो कोई कुत्ता आ जाए 

और उसे झपटकर छीन ले मुझसे।


व्याख्या: इस पद में कवयित्री ईश्वर के प्रति अपने संपूर्ण समर्पण का भाव व्यक्त करती हैं। वह अपने अहंकार को पूरी तरह से नष्ट कर, ईश्वर में विलीन होना चाहती हैं। कवयित्री ईश्वर से प्रार्थना करती हैं कि हे जूही के फूल जैसे कोमल और परोपकारी ईश्वर! आप मुझसे ऐसे कार्य करवाइए जिससे मेरा अहंकार समाप्त हो जाए। ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कीजिए कि मुझे भीख माँगनी पड़े और मेरे पास कोई साधन न बचे। ऐसा कीजिए कि मैं अपने पारिवारिक मोह से दूर हो जाऊँ, क्योंकि घर का मोह ही संसार में उलझने का सबसे बड़ा कारण है। जब वह भीख माँगने के लिए झोली फैलाए, तो उसे कोई भीख न दे। यदि कोई उसे कुछ देने के लिए हाथ बढ़ाए, तो वह वस्तु नीचे गिर जाए। और जब वह उसे उठाने के लिए झुके, तो कोई कुत्ता आकर उसे छीन ले। यहाँ कवयित्री त्याग की चरम सीमा को प्राप्त करना चाहती हैं। वह मान-अपमान के बंधनों से मुक्त होकर ईश्वर में पूरी तरह से विलीन होना चाहती हैं और सभी मोह-बंधनों से मुक्त होना चाहती हैं।


Learnings from Class 11 Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar

  • Control Over Desires: The poem emphasises the need to control basic human urges like hunger, thirst, and sleep to achieve spiritual growth.

  • Overcoming Negative Emotions: It teaches the importance of overcoming emotions like anger, attachment, greed, arrogance, and jealousy for inner peace.

  • Detachment from Materialism: The poet urges detachment from material possessions and familial bonds to focus on spiritual goals.

  • Complete Surrender to God: The poem highlights the value of complete surrender to God's will, seeking His guidance to eliminate ego and pride.

  • Spiritual Liberation: It promotes the idea of attaining spiritual liberation by renouncing all worldly ties and merging with the divine.


Importance of Revision Notes Class 11 Hindi Aroh Chapter 14  - PDF

  • Concise Summary: They provide a condensed overview of the poem's key points, saving you time and effort.

  • Enhanced Understanding: By focusing on essential details, revision notes help you learn the poem's core themes and messages more effectively.

  • Improved Retention: Regular review of notes strengthens your memory and recall of important information.

  • Effective Exam Preparation: They serve as a valuable resource for quick revision before exams, helping you feel confident and prepared.

  • Analysis and Interpretation: Well-structured notes can facilitate deeper analysis and interpretation of the poem's literary devices and poetic techniques.


Tips for Learning the Hindi Aroh Class 11 Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar

  • Understand the Poet's Background: Research Akka Mahadevi's life and work to gain insights into her spiritual and philosophical perspectives.

  • Focus on Key Themes: Identify and understand the central themes of desire control, emotional regulation, detachment, surrender to God, and spiritual liberation.

  • Analyse the Language: Pay attention to the language and imagery used in the poem to convey deeper meanings and emotions.

  • Summarise Each Section: Break down the poem into sections and summarise each one to ensure a clear understanding of the message.

  • Discuss with Others: Engage in discussions with classmates or teachers to explore different interpretations and deepen your comprehension.


Conclusion

The poem "Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar" by Akka Mahadevi describes the poet's deep spiritual yearning and her desire for liberation from worldly attachments. This poem not only reflects her intense devotion but also serves as an inspiring message for readers to seek a higher path of self-realisation and inner peace. Download the FREE PDF to read the full text and understand the important parts of this chapter.


Important Study Material Links for Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar


Chapter-wise Revision Notes Links for Class 11 Hindi (Aroh)


Important Study Materials Class 11 Hindi

S. No

Class 11 Hindi Study Resources 

1.

Important Questions for Class 11 Hindi 

2.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi

3.

Revision Notes for Class 11 Hindi

FAQs on Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar Class 11 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 14

1. What is the central theme of the Chapter 14 poem "Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar" from Hindi Class 11?

The poem revolves around controlling one's desires and emotions, and the poet's deep devotion to God.

2. Who is the poet of the poem Hindi Class 11 Aroh Chapter 14 "Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar"?

The poet is Akka Mahadevi.

3. What does the poet request from hunger and other senses in the Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

The poet requests hunger, thirst, sleep, anger, and other senses to not disturb or distract her from her spiritual path.

4. What does the poet symbolise with the "juhi ke phool" (jasmine flower) in the Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem?

The jasmine flower symbolises the purity and divine qualities of God.

5. How does the poet express her devotion to God in the Class 11 Hindi Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

The poet expresses her devotion through surrender and a desire to completely detach from worldly attachments.

6. What are the key emotions portrayed in the Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

Key emotions include longing, frustration with worldly distractions, and deep devotion.

7. What is the poet’s attitude towards worldly possessions and attachments, according to the Class 11 Hindi Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

The poet advocates for detachment from worldly possessions and attachments to attain spiritual purity.

8. What literary devices are used in the Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

The poem uses imagery, personification, and symbolic language to convey its messages.

9. How does the poet address the concept of ego in the poem?

The poet desires to eliminate her ego by asking God to create situations that diminish her self-importance.

10. What role does the concept of self-sacrifice play in the Class 11 Hindi Chapter 14 Poem Hey Bhookh! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Ishwar?

Self-sacrifice is central, as the poet wishes to give up her worldly desires and personal ego to achieve spiritual enlightenment.