Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 - In Hindi

ffImage
widget title icon
Latest Updates

widget icon
Enrol Now :
NEET Test Series
widget icon
Grab Your Seat :
NEET Pro Course
widget icon
Register Today :
NEET One to One Coaching

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 Biotechnology and its Applications in Hindi Mediem

Download the Class 12 Biology NCERT Solutions in Hindi medium and English medium as well offered by the leading e-learning platform Vedantu. If you are a student of Class 12, you have reached the right platform. The NCERT Solutions for Class 12 Biology in Hindi provided by us are designed in a simple, straightforward language, which are easy to memorise. You will also be able to download the PDF file for NCERT Solutions for Class 12 Biology  in Hindi from our website at absolutely free of cost.


NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT Textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards.


Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Biology

Chapter Name:

Chapter 12 - Biotechnology And Its Applications

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes



We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes. 

Competitive Exams after 12th Science
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow
tp-imag
bottom-arrow

Access NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 – जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

1. बीटी (Bt) आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाये जाते हैं, लेकिन जीवाणु स्वयं को नहीं मारते हैं; क्योंकि -

(क) जीवाणु आविष के प्रति प्रतिरोधी हैं।

(ख) आविष अपरिपक्व है।

(ग) आविष निष्क्रिय होता है।

(घ) आविष जीवाणु की विशेष थैली में मिलता है।

उत्तर: बीटी (Bt) आविष के रवे कुछ जीवाणुओं द्वारा बनाये जाते हैं, लेकिन जीवाणु स्वयं को नहीं मारते हैं; क्योंकि आविष निष्क्रिय होता है।


2. पारजीनी जीवाणु क्या है? किसी एक उदाहरण द्वारा सचित्र वर्णन कीजिए।

उत्तर: जब किसी इच्छित लक्षण वाली जीन (gene) को जीवाणु के जीनोम में प्रविष्ट कराकर कोई उत्पादन प्राप्त किया जाता है तो उस विदेशी जीन युक्त जीवाणु को पारजीनी जीवाणु कहा जाता हैं।


उदाहरण - मानव इन्सुलिन आनुवंशिक प्रौद्योगिकी के द्वारा तैयार किया गया है। इन्सुलिन दो छोटी पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं का बना होता है, श्रृंखला 'ए' व श्रृंखला 'बी' जो आपस में डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़ी होती हैं। मानव इन्सुलिन में प्राक् हार्मोन संश्लेषित होता है जिसमें पेप्टाइड-सी' होता है। यह पेप्टाइड 'सी' परिपक्व इन्सुलिन में नहीं पाया जाता, यह परिपक्वता के समय इन्सुलिन से पृथक् हो जाता है। सन् 1983 में मानव इंसुलिन की श्रृंखला 'ए' और 'बी' के अनुरूप दो डी०एन०ए० परिणामों से तैयार किया गया जिसे ई० कोलाई के प्लाज्मिड (plasmid) में प्रवेश कराकर इन्सुलिन श्रृंखलाओं का उत्पादन किया गया। इन अलग-अलग निर्मित श्रृंखलाओं 'ए' और 'बी' को निकालकर डाइसल्फाइड बंध (disulfide bonds) द्वारा आपस में मिला कर मानव इंसुलिन को तैयार किया गया। इंसुलिन डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक सहायक औषधि है। इन्सुलिन के जीन की क्लोनिंग करने का श्रेय भारतीय मूल के डॉ० शरण नारंग (Dr. Saran Narang) को जाता है। इन्होंने अपना प्रयोग कनाडा के ओटावा (Ottava) में किया था।


Transgenic Bacteria


3. आनुवांशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद कीजिए।

उत्तर: आनुवांशिक रूपांतरित फसलों के उत्पादन के लाभ व हानि का तुलनात्मक विभेद निम्नलिखित किया गया है - 

लाभ

  हानि

1. फसली पौधे आनुवंशिक रूपांतरण के द्वारा उत्पादकता की दर को बढ़ाते हैं।

1. अपतृणनाशी जीन पौधों में प्रविष्ट कराये जाते हैं, इनसे फसली पौधों में से कोई भी स्वयं सुपर अपतृण बन सकती है।

2. आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पौधे प्रतिकूल परिस्थितियों; जैसे- सूखे, अत्यधिक ठंड को सहने की क्षमता विकसित करते हैं।

2. आनुवंशिक रूपांतरित फसलें लोगों में एलर्जी उत्पन्न कर सकती हैं।

3. आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पौधों में विषाणु प्रतिरोधकता व हानिकारक कीट से प्रतिरोधकता का गुण विकसित किया जाता है।

3. आनुवंशिक रूपांतरित फसलें बहुत महंगी पड़ती हैं।

4. फसली पौधों में आनुवंशिक रूपांतरण करके खनिज लवण को अवशोषित करने व उपयुक्त करने के लिए पौधे विकसित किये गये हैं।

4. ऐसी फसलें काटने की प्रक्रिया में बहुत-से
पौधों के अवशेष भूमि में छोड़ दिये
जाते हैं, जो जैविक वायुमण्डल को
नुकसान पहुंचाते हैं।

5. आनुवंशिक रूपांतरण से पौधे विकसित किए गए जिससे मण्ड व अन्य व्यावसायिक उत्पादन की उच्च मात्रा प्राप्त हो सके।

5. इस विधि द्वारा उत्पादित कुछ फसलों में
बीज पैदा करने की क्षमता का क्षय हो
सकता है |

6. आनुवंशिक रूप से रूपांतरित पौधों की रासायनिक पीड़कनाशी पर निर्भरता कम होती है। आनुवंशिक रूपान्तरित फसलें कटाई के पश्चात होने वाले नुकसान को कम करने में सहायता होती हैं।

 


4. क्राई प्रोटीन्स क्या हैं? उस जीव का नाम बताइए जो इसे पैदा करता है। मनुष्य इस प्रोटीन को अपने फायदे के लिए कैसे उपयोग में लाता है?

उत्तर: क्राई प्रोटीन एक विषाक्त प्रोटीन है जो cry gene द्वारा कोड की जाती है। क्राई प्रोटीन्स बहुत प्रकार के होते हैं, जैसे- जो प्रोटीन्स जीन क्राई 1 ए०सी० वे क्राई 2 ए० बी० द्वारा कूटबद्ध होते हैं, वे कपास के मुकुल कृमि को नियंत्रित करते हैं, जबकि क्राई 1 ए० बी० मक्का छेदक को नियंत्रित करता है। 1 क्राई प्रोटीन बैसिलस थुरिंजिनिसिस (Bt) द्वारा बनता है। इसके निर्माण को नियंत्रित करने वाले जीन को क्राई जीन कहा जाता हैं। जैसे—क्राई 1 ए० वी०, क्राई 1 ए० सी०, क्राई 11 ए० वी०। यह जीवाणु प्रोटीन को एंडोटोक्सीन के रूप में प्रोटॉक्सिन क्रिस्टलीय अवस्था में उत्पन्न करता है। 

दो क्राई (cry) जीन कॉटन (Bt) कॉटन में डाले जाते हैं, जबकि एक कॉर्न (Bt) कॉर्न में डाला जाता है। जिसके परिणामस्वरूप Bt कॉटन बॉलवर्म के लिए प्रतिरोधी बन जाता है, जबकि Bt कॉर्न प्रतिरोधकता-कॉर्नबोर के लिये विकसित करता है। 


5. जीन चिकित्सा क्या है? एडिनोसिन डीएमिनेज (ADA) की कमी का उदाहरण देते हुए इसका सचित्र वर्णन कीजिए। 

उत्तर: जीन चिकित्सा में मानव में उपस्थित दोषपूर्ण जीन को स्वस्थ्य व क्रियाशील जीन से बदला जाता है। जीन चिकित्सा द्वारा किसी बच्चे या भ्रूण में चिह्नित किए गये जीन के दोषों को सुधार किया जा सकता है। इसमें रोग के उपचार के लिए जीन को व्यक्ति की कोशिकाओं या ऊतकों में प्रवेश कराया जाता है। इस विधि में आनुवंशिक दोष वाली कोशिकाओं के उपचार हेतु सामान्य जीन को व्यक्ति या भ्रूण में स्थानांतरित करते हैं जो निष्क्रिय जीन की क्षतिपूर्ति कर उसके कार्यों को सम्पन्न करते हैं।


Gene Therapy


जीन चिकित्सा का पहला प्रयोग सन्  में एक चार वर्षीय लड़की में एडिनोसिन डीएमिनेज (ADA) की कमी को दूर करने के लिए किया गया था। यह एंजाइम प्रतिरक्षा तंत्र में कार्य के लिए अति अनिवार्य होता है। कुछ बच्चों में ADA की कमी को उपचार अस्थिमज्जा में प्रत्यारोपण से होता है। जीन चिकित्सा में सर्वप्रथम रोगी के रुधिर से लसीकाणु को निकालकर शरीर से बाहर संवर्धन किया जाता है। सक्रिय ADA का सी० डीएनए (cDNA) संवाहक द्वारा लसीकाणु में स्वीकृत कराकर लसीकाणु को रोगी के शरीर में वापस पहुँचा दिया जाता है। ये कोशिकाएँ मृत काय होती हैं। इसलिए आनुवंशिक निर्मित लसीकाणु को समय-समय पर रोगी के शरीर से अलग करने की जरूरत होती है। यदि मज्जा कोशिकाओं से विलगित अच्छे जीन्स को प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था की कोशिकाओं से उत्पादित ADA में प्रवेश करा दिया जाए तो यह एक स्थाई उपचार हो सकता है।


6. ई. कोलाई जैसे जीवाणु में मानव जीन की क्लोनिंग एवं अभिव्यक्ति के प्रायोगिक चरणों का आरेखीय निरूपण प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: पुनर्योगज डी०एन०ए० तकनीक

DNA में किसी प्रकार के हेर-फेर या एक जीव के DNA में दूसरे जीव के DNA को जोड़ना, DNA पुनर्योगज (DNA recombination) कहलाता है। इस तकनीक को आनुवंशिक इंजीनियरिंग या DNA इंजीनियरिंग भी कहते हैं। इस तकनीक द्वारा DNA खण्डों के नए क्रम तैयार किए जाते हैं। प्रकृति में यह कार्य गुणसूत्रों में विनिमय (crossing over) प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न होता है। DNA पुनर्योगज तकनीक द्वारा उच्च जंतु और पौधों के DNA के इच्छित भागों की अनेकों प्रतिकृतियाँ (copies) तैयार की जाती हैं। इस प्रक्रिया को प्रायः जीवाणुओं में सम्पन्न कराया जाता है। 

पुनर्योगज DNA प्राप्त करने के लिए निम्न तीन विधियां प्रयुक्त की जाती हैं –

(i) DNA की दो श्रृंखलाओं के अंतिम छोर पर नई DNA श्रृंखलाएँ जोड़कर (By joining new DNA chains at the end point of two chains of DNA) –  

DNA के सिरे पर कुछ क्षारक (जैसे- ccccc) जोड़ दें तथा दूसरे DNA के सिरे पर इसके संयुग्मी क्षारक (GGGGG) जोड़ दें और फिर इन दोनों प्रकार के DNA को मिलाएँ तो नई श्रृंखला आपस में हाइड्रोजन बन्ध बनाकर दो भिन्न DNA अणुओं को संयुक्त कर देगी। इस कार्य के लिए विशेष एंजाइम टर्मिनल ट्रान्सफरेज (terminal transferase) का उपयोग किया जाता हैं। अंनजुड़े स्थानों को डी ०एन०ए लाइगेज (DNA ligase ) नामक एंजाइम द्वारा जोड़ देते हैं।


Regenerative DNA Technology


(ii) प्रतिबंध एंजाइम की सहायता से (With the help of restriction enzymes) - 

इस विधि में संयुग्मी क्षारकों के बीच हाइड्रोजन बंध बनाकर संकर DNA का निर्माण किया जाता है। इस विधि में एक विशेष एन्जाइम, प्रतिबन्ध एण्डोन्यूक्लिएज टाइप-I एन्जाइम (restriction endonuclease enzyme) का प्रयोग किया जाता है। ये एंजाइम चाकू की तरह काम करते हैं तथा DNA श्रृंखला को विशिष्ट स्थानों पर इस प्रकार से काटते हैं कि वांछित जीन्स वाले खंड प्राप्त हो सके। अब तक लगभग 350 प्रकार के प्रतिबन्ध एण्डोन्यूक्लिएज एन्जाइम ज्ञात हैं जो DNA अणु में 100  से अधिक अभिज्ञान स्थलों (recognition sites) को पहचानते हैं। पृथक् DNA खण्ड को लाइगेज एंजाइम द्वारा आवश्यकतानुसार DNA खण्ड से जोड़कर पुनर्योगज DNA अणु के रूप में (संवाहक वेक्टर) किसी पोषद कोशिका में प्रवेश कराकर इसकी असंख्य प्रतियां प्राप्त की जा सकती हैं।

 जैसे - ई. कोलाई प्लाज्मिड संवाहक के रूप में उपयुक्त किया जाता है। इस विधि से दो विभिन्न जीवों; विभिन्न प्रकार के पौधों जैसे की मध्य संकरण की सम्भावना बढ़ गई है। इतना ही नहीं, पौधों और जन्तुओं में संक्रमण की संभावना भी बढ़ गई है। संकरित जीन में दोनों ही जीवों के गुण उपस्थित होंगे।


Restriction Enzymes


(iii) क्लोनिंग (Cloning) -

यह विधि सबसे आसान और  उपयोगी है। शरीर में प्रत्येक पदार्थ के संयुक्ता के लिए कोई निश्चित जीन जवाबदेह होता है। अगर इस विशिष्ट जीन को प्लाज्मिड के साथ संकरित करा दिया जाए और इस संकरित DNA को पुनः जीवाणु की कोशिका में स्थापित कर उपयुक्त संवर्धन माध्यम में उगने दिया जाए तो जीवाणु में वह जीन उसी पदार्थ को संश्लेषण करता है जो कि वह मूल शरीर में करता था। इस समस्त प्रक्रिया को क्लोनिंग कहते हैं। पोषी जीवाणु के लिए ई. कोलाई का उपयोग किया जाता है।


7. तेल के रसायन शास्त्र तथा  rDNA तकनीक के बारे में आपको जितना भी ज्ञान प्राप्त है, उसके आधार पर बीजों से तेल हाइड्रोकार्बन हटाने की कोई एक विधि सुझाइए।

उत्तर: ग्लिसरॉल के एक अणु के साथ तीन वसीय अम्लों के संघनन द्वारा तेल बनता है। वसीय अम्ल एक एंजाइम संकर द्वारा बनते हैं जिसे वसीय अम्ल सिन्थेटेज कहा जाता हैं। एक या उससे ज्यादा जीन बनाने वाले वसीय अम्ल की निष्क्रियता वसीय अम्लों का संश्लेषण मना कर सकती है। प्लेवट् टोमेटो में एंजाइम पॉलीग्लेक्टोमूटेनेज की निष्क्रियता से जुड़ा होता है। यह बिना तेल वाले बीज उत्पन्न करेगा।


8. इंटरनेट से पता लगाइए कि गोल्डन राइस (गोल्डन धान) क्या है?

उत्तर:  गोल्डन राइस (ओराइजा सैटाइवा) जैव प्रौद्योगिकी द्वारा उत्पन्न चावल की एक किस्म है। इस किस्म के चावल में बीटा कैरोटीन (प्रो-विटामिन A) पाया जाता है जो कि जैव संश्लेषित है। सन् 2005  में गोल्डन राइस 2 की एक और किस्म तैयार की गई जिसमें 23 गुना अधिक बीटा कैरोटीन होता है।


Golden Rice


9. क्या हमारे रक्त में प्रोटीओजेज तथा न्यूक्लिक एजेज हैं?

उत्तर: हमारे रक्त में प्रोटीओजेज तथा न्यूक्लिक एजेज नहीं होता है।


10. इंटरनेट से पता लगाइए कि मुखीय सक्रिय औषध प्रोटीन को किस प्रकार बनाएं? इस कार्य में आने वाली मुख्य समस्याओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर: मुखीय औषध प्रोटीन के निर्माण में ड्यूटेरियम एक्सचेंज मास स्पेक्ट्रोमीटर (DEMS : Deuterium Exchange Mass Spectrometry) तकनीक का प्रयोग किया जाता है। यह तकनीक प्रोटीन संरचना और उसके प्रकार्यों का अध्ययन करने के लिए एक शक्तिशाली माध्यम है। इस काम में आने वाले महत्वपूर्ण समस्याएं श्रम और समय की हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है। अत: मुखीय प्रोटीन्स का निर्माण कम ही किया जा रहा है। जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके जीवाणुओं की सहायता से पुनर्योगज चिकित्सीय औषधि मानव इन्सुलिन (ह्यूमेलिन) प्राप्त की जाती है। यह एक औषधि प्रोटीन है। निकट भविष्य में मानव इंसुलिन मधुमेह रोग से पीड़ित लोगों को मुख से दिया जा सकेगा।


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 Biotechnology and its Applications in Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 12 Biology Chapter 12 solution Hindi medium is created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 in Hindi medium PDF download are easily available on our official website (vedantu.com). Upon visiting the website, you have to register on the website with your phone number and email address. Then you will be able to download all the study materials of your preference in a click. You can also download the Class 12 Biology Biotechnology and its Applications solution Hindi medium from Vedantu app as well by following the similar procedures, but you have to download the app from Google play store before doing that. 

NCERT Solutions in Hindi medium have been created keeping those students in mind who are studying in a Hindi medium school. These NCERT Solutions for Class 12 Biology Biotechnology and its Applications in Hindi medium pdf download have innumerable benefits as these are created in simple and easy-to-understand language. The best feature of these solutions is a free download option. Students of Class 12 can download these solutions at any time as per their convenience for self-study purpose. 

These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 12 Biology in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.

FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 - In Hindi

1. What are transgenic bacteria? Illustrate using any one example.

Transgenic bacteria have foreign genes which are introduced into their genome intentionally. They are worked and manipulated to form desired genome chains for commercial products. E. Coli is the most common example of transgenic bacteria. The two corresponding chains of human insulin are intentionally introduced to E. Coli’s genome. The genome of E. Coli starts to produce the gene chains for both sequences. These sequences are then extracted from the bacteria and combined to form human insulin.  

2. What is golden rice?

Golden Rice is the genetically modified type of rice that is formed by the biosynthesis of Vitamin A that is Beta-Carotene. As it is produced by a synthesis of Vitamin A, it is highly rich in vitamin A nutrition. It was first produced by Peter Bayer. Golden Rice was created and introduced for the places where there is a lack of vitamin A in the diet of people.  

3. How using the NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 will help you with your exam preparation?

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 12 are prepared by the subject experts at Vedantu. They are specialists in this area who have years of experience in it. These NCERT Solutions are prepared in simple language so you can easily understand each question and its answer in-depth. These solutions are highly reliable and help you to understand the correct format of how you should write your answers in the exam to score good marks. The PDFs of these NCERT Solutions are at free of cost on the Vedantu website. You can also download the Vedantu app to access these solutions.

4. What will I gain by learning Chapter 12 of NCERT Solutions for Class 12 Biology?

By learning Chapter 12 of NCERT Solutions for Class 12 Biology, you will gain the knowledge of the correct formatting of your responses during the exam. Having this understanding is very important as it will help you to score high marks in the examination. It will also help you to have proper knowledge of the chapter where you will get a well-elaborated solution for every question. 

5. What is Gene Therapy?

Gene therapy is the procedure of correcting the defect in genes in the host body. If there is a defect in the gene, that particular gene is replaced by another healthy gene. For example in the Adenosine Deaminase or ADA where the individual is ADA deficient. ADA genes help each individual to have a proper and regular immune system. This deficiency can be sorted by the process of bone marrow cells transplantation.