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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 - In Hindi

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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease in Hindi Mediem

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Apart from Class 12 Biology NCERT Solutions in Hindi, students of Class 11 can also download the NCERT Solutions for Biology in Hindi medium from Vedantu site. These solutions are written as per the latest CBSE guidelines and explained with minute details. Besides, students of Class 11 and 12 can also download the NCERT Solutions PDF files for Physics, and Math from Vedantu’s site.


Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Biology

Chapter Name:

Chapter 8 - Human Health And Disease

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes



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NCERT, which stands for The National Council of Educational Research and Training, is responsible for designing and publishing textbooks for all the classes and subjects. NCERT textbooks covered all the topics and are applicable to the Central Board of Secondary Education (CBSE) and various state boards. 


We, at Vedantu, offer free NCERT Solutions in English medium and Hindi medium for all the classes as well. Created by subject matter experts, these NCERT Solutions in Hindi are very helpful to the students of all classes. You can download the PDF files of NCERT Solutions for Class 6th, 7th, 8th, 9th, 12th, 11th, and 12th for absolutely free.

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Access NCERT Solutions Class 12 for Biology Chapter 8- Human Health and Disease

1. कौन-से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध रक्षा-उपायों के रूप में सुझायेंगे?

उत्तर: संक्रामक रोगों के विरुद्ध हम निम्नलिखित जन-स्वास्थ्य उपायों को सुझायेंगे– 

  • अपशिष्ट व उत्सर्जी पदार्थों का समुचित निपटान होना।

  • संक्रमित व्यक्ति व उसके सामान से दूर रहना।

  • नाले-नालियों में कीटनाशकों का छिड़काव करना।

  • आवासीय स्थलों के निकट जल-ठहराव को रोकना, नालियों के गंदे पानी की समुचित निकासी होना।

  • संक्रामक रोगों की रोकथाम हेतु वृहद स्तर पर टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जाना।


2. जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?

उत्तर: जीव विज्ञान (जैविकी) के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियन्त्रित करने में हमारी सहायता निम्नलिखित प्रकार से की है –

  • जीव विज्ञान रोगजनकों को पहचानने में हमारी सहायता करता है।

  • रोग फैलाने वाले रोगजनकों के जीवन चक्र का अध्ययन किया जाता है।

  • रोगजनक के मनुष्य में स्थानान्तरण की क्रिया-विधि की जानकारी होती है।

  • रोग से किस प्रकार सुरक्षा की जा सकती है, ज्ञात होता है।

  • बहुत से रोगों के विरुद्ध इन्जेक्शन तैयार करने में सहायता मिलती है।


3. निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?

अमीबता

उत्तर:अमीबता – अमीबता या अमीबी अतिसार नामक रोग मानव की वृहद् आंत्र में पाए जाने वाले एण्टअमीबा हिस्टोलिटिका नामक प्रोटोजोआ परजीवी से होता है। इस रोग के लक्षण कोष्ठबद्धता (कब्ज), उदर पीड़ा और ऐंठन, अत्यधिक श्लेष्म और रुधिर के थक्के वाला मल आदि हैं। इस रोग की वाहक घरेलू मक्खियाँ होती हैं जो परजीवी को संक्रमित व्यक्ति के मल से खाद्य और खाद्य पदार्थों तक ले जाकर उन्हें संदूषित कर देती हैं। संदूषित पेयजल और खाद्य पदार्थ संक्रमण के प्रमुख स्रोत हैं। इससे बचने के लिए स्वच्छता के नियमों का पालन करना चाहिए और खाद्य पदार्थों को ढककर रखना चाहिए।

मलेरिया

उत्तर: मलेरिया – इस रोग के लिए प्लाज्मोडियम नामक प्रोटोजोआ उत्तरदायी है। मलेरिया के लिए प्लाज्मोडियम की विभिन्न प्रजातियाँ (जैसे–प्ला० वाइवैक्स, प्ला० मैलेरिआई, प्ला० फैल्सीपेरम) तथा प्ला० ओवेल उत्तरदायी हैं। इनमें से प्ला० फैल्सीपेरम द्वारा होने वाला दुर्दम मलेरिया सबसे गम्भीर और घातक होता है। इसके संक्रमण के कारण रक्त केशिकाओं में थ्रोम्बोसिस हो जाने के कारण ये अवरुद्ध हो जाती हैं और रोगी की मृत्यु हो जाती है।मादा ऐनोफेलीज रोगवाहक अर्थात् रोग का संचारण करने वाली है। जब मादा ऐनोफेलीज मच्छर किसी. संक्रमित व्यक्ति को काटती है तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और जब संक्रमित मादा मच्छर किसी अन्य स्वस्थ मानव को काटती है तो स्पोरोज्वाइट्स मादा मच्छर की लार से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मलेरिया में ज्वर की पुनरावृत्ति एक निश्चित अवधि (48 या 72 घण्टे) के पश्चात् होती रहती है। इसमें लाल रक्त कणिकाओं की निरन्तर क्षति होती रहती है।

ऐस्कैरिसता 

उत्तर: ऐस्कैरिसता – यह रोग आंत्र परजीवी ऐस्कैरिस से होता है। इस रोग के लक्षण आन्तरिक रुधिरस्राव, पेशीय पीड़ा, ज्वर, अरक्तता, आंत्र का अवरोध आदि है। इस परजीवी के अण्डे संक्रमित व्यक्ति के मल के साथ बाहर निकल आते हैं और मिट्टी, जल, पौधों आदि को संदूषित कर देते हैं। स्वस्थ व्यक्ति में संक्रमण संदूषित पानी, शाक-सब्जियों, फलों, वायु आदि से होता है। इससे रक्ताल्पता, दस्त, उण्डुकपुच्छ शोध आदि रोग हो जाते हैं। कभी-कभी ऐस्कैरिस के लार्वा पथ भ्रष्ट होकर विभिन्न अंगों में पहुँचकर क्षति पहुँचाते हैं।

न्यूमोनिया।

उत्तर: न्यूमोनिया – मानव में न्यूमोनिया रोग के लिए स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी और हिमोफिलस इंफ्लुएन्ज़ी जैसे जीवाणु उत्तरदायी हैं। इस रोग में फुफ्फुस अथवा फेफड़ों  के वायुकोष्ठ संक्रमित हो जाते हैं। इस रोग के संक्रमण से वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण साँस लेने में परेशानी होती है। इस रोग के लक्षण ज्वर, ठिठुरन, खाँसी और सिरदर्द आदि हैं। न्यूमोनिया विषाणुजनित एवं कवक जनित भी होता है।


4. जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये आप क्या उपाय अपनायेंगे?

उत्तर:  जलवाहित रोगों की रोकथाम के लिये उपाय -

  1. सभी जल स्रोतों; जैसे- जल कुण्ड, पानी के टैंक इत्यादि की नियमित सफाई करनी चाहिये तथा इन्हें असंक्रमित रखना चाहिये।

  2. वाहित मल एवं कूड़ा-करकट आदि को जलीय स्रोतों में बहाने से रोकना चाहिये।

  3. भोजन बनाने के लिये, पीने के लिये व अन्य घरेलू कार्यों हेतु परिष्कृत (संक्रमण, निलम्बित व घुले हुए पदार्थों से स्वतन्त्र) जल का उपयोग करना चाहिये।


5. डी०एन०ए० वैक्सीन के सन्दर्भ में ‘उपयुक्त जीन के अर्थ के बारे में अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।

उत्तर: DNA वैक्सीन में उपयुक्त जीन’ का अर्थ है कि इम्युनोजेनिक प्रोटीन का निर्माण इसे नियन्त्रित करने वाले जीन से हुआ है। ऐसे जीन क्लोन किये जाते हैं तथा फिर वाहक के साथ समेकित करके व्यक्ति में प्रतिरक्षा उत्पन्न करने के लिए उसके शरीर में प्रवेश कराये जाते हैं।


6.प्राथमिक और द्वितीयक लसिकाओं के अंगों के नाम बताइये।

उत्तर: प्राथमिक लसिका अंग-अस्थिमज्जा व थाइमस हैं।

द्वितीयक लसिकाएँ- प्लीहा, लसिका नोड्स, टॉन्सिल्स, अपेन्डिक्स व छोटी आँत के पियर्स पैचेज आदि हैं।

 

7. इस अध्याय में निम्नलिखित सुप्रसिद्ध संकेताक्षर इस्तेमाल किये गये हैं। इनका पूरा रूप बताइये –

एम०ए०एल०टी०

उत्तर: म्यूकोसल एसोसिएटिड लिम्फॉइड टिशू

सी०एम०आई०

उत्तर: सेल मीडिएटिड इम्यूनिटी

एड्स

उत्तर: एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएन्सी सिन्ड्रोम 

एन०ए०सी०ओ

उत्तर: नेशनल एड्स कन्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन

एच०आई०वी०

उत्तर: ह्यमन इम्यूनो डेफिशिएन्सी वायरस


8. निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण दीजिए –

(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जिल प्रतिरक्षा

उत्तर: सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा में अन्तर-

सहज (जन्मजात)  प्रतिरक्षा

उपार्जिल प्रतिरक्षा

सहज प्रतिरक्षा एक प्रकार   अविशिष्ट प्रतिरक्षा है।

यह जन्म के समय से मौजूद होता है।

यह प्रतिरक्षा हमारे शरीर के बह्मा कारकों के प्रवेश के सामने विभिन्न प्रकार के अवरोध खड़ा करने से अर्जित होती है जैसी:- शारीरिक रोध, कर्कियरोध, कोशिकीय रोध, साइटों काइन रोध आदि।

 उदहारण:- मानव  में त्वचा रोगानुआओ 

के  शरीर में प्रवेश को रोकती है।मुंह की लार, आंखो के रोगनुआओ की वृद्धि में रोकते  है।  

उपर्जिल प्रतीरक्षा रोग विशिष्ट होता है।

इसका अभिलक्षण स्मृति (memory B & T cells)

हमारे शरीर को जब पहली बार किसी रोगजनक से सामना होता है तो यह एक अनुक्रिया करता है . बाद में उसी रोगजनक से सामना होने पर बहुत हे उच्च तीव्रता की द्वितीयक अनुक्रिया होती है I

उदहारण: मानव  में चेचक की बीमारी के लिए प्रतिरक्षा.

(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा। 

 सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर-

सक्रिय प्रतिरक्षा

निष्क्रिय प्रतिरक्षा

सक्रिय प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा को संदर्भित करता है, जो एंटीजन के प्रत्यक्ष संपर्क के जवाब में व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एंटीबॉडी के उत्पादन के परिणामस्वरूप होता है।

सक्रिय प्रतिरक्षा की मध्यस्थता व्यक्ति की अपनी कोशिकाओं द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी द्वारा की जाती है।

इसमें रोगज़नक़ का शरीर के साथ सीधा संपर्क होता है

सक्रिय प्रतिरक्षा तेजी से प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करती है।

सक्रिय प्रतिरक्षा इम्यूनोडिफ़िशिएंसी मेजबानों में काम नहीं करती है।

निष्क्रिय प्रतिरक्षा एक अल्पकालिक प्रतिरक्षा को संदर्भित करता है जो बाहर से एंटीबॉडी की शुरूआत के परिणामस्वरूप होता है।

निष्क्रिय प्रतिरक्षा शरीर के बाहर उत्पादित एंटीबॉडी द्वारा मध्यस्थता की जाती है।

इसमें रोगज़नक़ का शरीर के साथ कोई सीधा संपर्क नहीं है।

निष्क्रिय प्रतिरक्षा तेजी से प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है।

निष्क्रिय प्रतिरक्षा इम्युनोडेफिशिएंसी मेजबानों में काम करती है।


9.प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु का अच्छी तरह नामांकित चित्र बनाइए।

उत्तर:   प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु-


प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु


प्रतिरक्षी (प्रतिपिण्ड) अणु


10. वे कौन-कौन से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव में प्रतिरक्षान्यूनता विषाणु (एच०आई०वी०) का संचारण होता है?

उत्तर: एच०आई०वी० के संचारण के निम्न कारण हैं –

  1. संक्रमित रक्त व रक्त उत्पादों के आधान से।

  2. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध।

  3. इन्ट्रावीनस औषधि के आदी व्यक्तियों में संक्रमित सुइयों का साझा करके।


11.वह कौन-सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संत व्यक्ति के प्रतिरक्षा तन्त्र का ह्रास करता है?

उत्तर: संक्रमित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के पश्चात् एड्स विषाणु वृहद् भक्षकाणु (में प्रवेश करता है। यहाँ इसका (RNA) जीनोम, विलोम ट्रांसक्रिप्टेज विकर की मदद से, रेप्लीकेशन द्वारा विषाणुवीय (DNA) बनाता है जो कोशिका में (DNA) में प्रविष्ट होकर, संक्रमित कोशिकाओं में विषाणु कण निर्माण का निर्देशन करता है।वृहद् भक्षकाणु विषाणु उत्पादन जारी रखते हैं व (HIV) की उत्पादन फैक्टरी का कार्य करते हैं।HIV सहायक (T-लसीकाणु) में प्रविष्ट होकर अपनी प्रतिकृति बनाता है व संतति विषाणु उत्पन्न करता है। रक्त में उपस्थित संतति विषाणु अन्य सहायक (T-लसीकाणुओं) पर आक्रमण करते हैं।यह प्रक्रिया बार-बार दोहराई जाती है जिसके परिणामस्वरूप संक्रमित व्यक्ति के शरीर में (T-लसीकाणुओं) की संख्या घटती रहती है। रोगी ज्वर व दस्त से निरन्तर पीड़ित रहता है, वजन घटता जाता है, रोगी की प्रतिरक्षा इतनी कम हो जाती है कि वह इन प्रकार के संक्रमणों से लड़ने में असमर्थ होता है।


12. प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर:एक प्रसामान्य कोशिका में कोशिका वृद्धि व कोशिका विभेदन अत्यन्त नियन्त्रित व नियमित होते हैं।प्रसामान्य कोशिका में संस्पर्श संदमन नामक गुण होता है जिसके कारण अन्य कोशिकाओं में इसका स्पर्श अनियन्त्रित वृद्धि का संदमन करता है।


इसके विपरीत कैंसर कोशिका में यह गुण समाप्त हो जाता है, अत: इन कोशिकाओं में वृद्धि व विभेदन अनियन्त्रित हो जाते हैं।इसके परिणामस्वरूप कैंसर कोशिकायें निरन्तर वृद्धि करके कोशिकाओं में एक पिण्ड, रसौली बना देती हैं।


13.मेटास्टेसिस का क्या मतलब है? व्याख्या कीजिये।

उत्तर: मेटास्टेसिस में कैंसर कोशिकाओं के अन्य ऊतकों व अंगों में स्थानान्तरण से कैंसर फैलता है। परिणामस्वरूप द्वितीयक ट्यूमर का निर्माण होता है।यह प्राथमिक ट्यूमर की अति वृद्धि के परिणामस्वरूप फैलता है।अति वृद्धि करने वाली ट्यूमर कोशिकायें रक्त वाहिनियों में से गुजरती हैं या सीधे द्वितीयक बनाती हैं।दूसरे उपयुक्त ऊतक या अंग पर पहुँचने के बाद, एक नया ट्यूमर बनता है।यह बना ट्यूमर, जो द्वितीयक बना सकते हैं, घातक ट्यूमर कहलाता है।वे कोशिकाएँ जो ट्यूमर से फैलने के योग्य होती हैं, घातक कोशिकायें होती हैं।


14.ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाइये।

उत्तर:ऐल्कोहॉल/ड्रग के द्वारा होने वाले कुप्रयोग के हानिकारक प्रभाव निम्नलिखित हैं –

  1. अत्यधिक मात्रा में लेने पर इन पदार्थों से श्वसन निष्क्रियता, हृदय- घात, कोमा व मृत्यु भी हो सकती है।

  2. मादक पदार्थों के व्यसनी पैसे न मिलने पर चोरी का सहारा ले सकते हैं। अत: परिवार/समाज के लिये मानसिक व आर्थिक कष्ट हो सकता है।

  3. ऐल्कोहॉल के चिरकारी प्रयोग से तन्त्रिका तन्त्र व यकृत को क्षति पहुँचती है।

  4. रक्त शिरा में इन्जेक्शन द्वारा ड्रग्स लेने पर एड्स व यकृत शोथ-बी जैसे गम्भीर संक्रमण की सम्भावना बढ़ जाती है।

  5. गर्भावस्था के दौरान मादक पदार्थों का प्रतिकूल प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।

  6. अन्धाधुन्ध व्यवहार, बर्बरता व हिंसा का बढ़ना।

  7. महिलाओं में उपापचयी स्टेराइड के सेवन से पुरुष; जैसे- लक्षण, आक्रामकता, भावनात्मकता स्थिति में उतार-चढ़ाव, अवसाद, असामान्य आर्तवचक्र, मुंह व शरीर पर बालों की अतिरिक्त वृद्धि, आवाज का भारी होना आदि दुष्प्रभाव देखे जा सकते हैं।

  8. पुरुषों में मुहाँसे, आक्रामकता का बढ़ना, अवसाद, वृषणों के आकार का घटना, शुक्राणु उत्पादन की कमी, समय से पूर्व गंजापन आदि लक्षण ड्रग्स सेवन के कुप्रभाव हैं।


15.क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/डग सेवन के लिये प्रभावित कर सकते हैं? यदि हाँ, तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से कैसे अपने आपको बचा सकते हैं?

उत्तर: मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/ड्रग लेने के लिये प्रभावित कर सकते हैं। युवा प्रायः ऐसे मित्रों के चंगुल में फंस जाते हैं जो मादक द्रव्यों के आदी हो चुके होते हैं। ऐसे मित्र युवाओं को धीरे-धीरे मादक पदार्थों के सेवन की लत लगा देते हैं तथा युवा इन पदार्थों के चंगुल में बुरी तरह फंस जाते हैं।स्वयं को इस प्रकार के प्रभाव से बचाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं –

  1. प्रथम माता-पिता व अध्यापकों का विशेष उत्तरदायित्व है। ऐसा लालन-पालन जिसमें पालन-पोषण का स्तर ऊँचा हो व सुसंगत अनुशासन हो।

  2. ऐसे मित्रों के चंगुल में आने पर तुरन्त अपने माता-पिता व समकक्षियों से मदद व उचित मार्गदर्शन लें।

  3. समस्याओं व प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने, निराशाओं व असफलताओं को जीवन का एक हिस्सा समझकर स्वीकार करने की शिक्षा व परामर्श लेना इस प्रकार के प्रभाव से बचने में सहायक होता है।

  4. क्षमता से अधिक कार्य करने के दबाव से बचें।


16.ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति ऐल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिये।

उत्तर: ड्रग/ऐल्कोहॉल लाभकारी है। इसी सोच के कारण व्यक्ति इसे बार-बार लेता है। डुग/ऐल्कोहॉल के प्रति लत मनोवैज्ञानिक आशक्ति है।ड्रग/ऐल्कोहॉल के बार-बार सेवन से शरीर में मौजूद ग्राहियों का सहन स्तर बढ़ जाता है। जिसके कारण अधिकाधिक मात्रा में ड्रग लेने की आदत पड़ जाती है।इस प्रकार ऐल्कोहॉल/डूग व्यसनी शक्ति प्रयोग करने वाले को दोषपूर्ण चक्र में घसीट लेती है। तथा व्यक्ति इनका नियमित सेवन करने लगता है और इस चक्र में फंस जाता है।


17.आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिये क्या प्रेरित करता है और इससे कैसे बचा जा सकता है?

उत्तर: जिज्ञासा, जोखिम उठाने व उत्तेजना के प्रति आकर्षण व प्रयोग करने की इच्छा प्रमुख कारण है जो नवयुवकों को ऐल्कोहॉल/ड्रग्स के लिये अभिप्रेरित करते हैं।इन पदार्थों के प्रयोग को फायदे के रूप में देखना भी एक अन्य कारण है।शिक्षा के क्षेत्र या परीक्षा में आगे रहने के दबाव से उत्पन्न तनाव भी नवयुवकों को मादक पदार्थों की ओर खींच सकता है।युवकों में यह भी प्रचलन है कि धूम्रपान, ऐल्कोहॉल, ड्रग्स आदि का प्रयोग व्यक्ति की प्रगति का सूचक है।सामाजिक एकाकीपन, कामवासना में वृद्धि का अनुभव, जीवन के प्रति नीरसता, मानसिक क्षमता में वृद्धि की मिथ्या धारणा, क्षणिक स्वर्गिक आनंद की अभिलाषा व कुसंगति का प्रभाव नवयुवकों को इन पदार्थों के प्रति आकर्षित करता है।इसको नजरअंदाज करने के लिये रोकथाम व नियन्त्रण सम्बन्धी उपाय कारगर हो सकते हैं।पढ़ाई, खेल-कूद, संगीत, योग के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य गतिविधियों में ऊर्जा लगानी चाहिये।युवाओं के व्यसनी होने पर योग्य मनोवैज्ञानिक की सहायता ली जानी चाहिये।


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 Human Health and Disease in Hindi

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 - In Hindi

1. What does ‘a suitable gene’ mean, in the context of DNA vaccines?

A suitable gene is the specific DNA used in DNA vaccines, which have segments of specific DNA that are injected inside the host body. This specific DNA segment produces a protein in the body of the host. This protein in turn kills the organisms that can have the capability of causing specific diseases to the host body. By killing the disease-causing microorganisms, the host body produces immunity to the specific microorganisms. 

2. Name the primary and secondary lymphoid organs?

Primary Lymphoid Organs of the human body includes:

  • The bone marrow

  • The thymus

  • Whereas, Secondary Lymphoid Organs of the human body include:

  • The spleen

  • Lymph nodes

  • Tonsils

  • Peyer’s patches of the small intestine

  • The appendix.

3. Give the full form of the following of

  • MALT

  • CMI

  • AIDS

  • NACO

  • HIV

The full forms of the following are:

  • MALT- Mucosa-Associated Lymphoid Tissue

  • CMI- Cell-Mediated Immunity

  • AIDS- Acquired Immunodeficiency Syndrome

  • NACO- National AIDS Control Organization

  • HIV- Human ImmunoDeficiency virus.

4. Differentiate between Innate and Acquired Immunity?

Innate Immunity is inherited by the parents. It protects the host body from disease-causing microorganisms. It is a non-pathogenic specific type of defence mechanism. It also does not have a specific memory.

 

Acquired immunity is produced by primary and secondary lymphoid organs. It is a pathogenic specific type of defence mechanism. It has a specific memory towards disease. 

5. What is the reason behind suffering from AIDS? How are they developed in human beings?  

AIDS or Acquired Immunodeficiency Syndrome is caused in human beings due to HIV (Human Immunodeficiency Virus). It is transmitted in the following ways:

  • Unprotected intercourse with the infected person.

  • Sharing of infected syringes and needles.

  • Mixing up the blood from an infected person with a healthy person.

  • Transfer of virus from the placenta of an infected mother to her child.