NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 2 Electrostatic Potential and Capacitance Hindi Medium
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Class: | |
Subject: | |
Chapter Name: | Chapter 2 - Electrostatic Potential And Capacitance |
Content-Type: | Text, Videos, Images and PDF Format |
Academic Year: | 2024-25 |
Medium: | English and Hindi |
Available Materials: |
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Other Materials |
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Access NCERT Solutions for Class 12 Science (Physics) Chapter 2 – स्थिर वैद्युत विभव तथा धारिता
अभ्यास के अन्तर्गत दिए गए प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ${\mathbf{5}}{\text{ }}{\mathbf{x}}{\text{ }}{\mathbf{1}}{{\mathbf{0}}^{ - {\mathbf{8}}}}\;{\mathbf{C}}$ तथा $ - {\mathbf{3}}{\text{ }}{\mathbf{x}}{\text{ }}{\mathbf{1}}{{\mathbf{0}}^{ - {\mathbf{8}}}}\;{\mathbf{C}}$ के दो आवेश ${\mathbf{16}}{\text{ }}{\mathbf{cm}}$ दूरी पर स्थित हैं। दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के किस बिन्दु पर विद्युत विभव शून्य होगा? अनन्त पर विभव शून्य लीजिए।
हल: दिया है, ${q_1} = 5 \times {10^{ - 8}}$C,${q_2} = - 3 \times {10^{ - 8}}$C
तथा $r = 16$cm
$= 16 \times {10^{ - 2}}$m
$= 0.16$m
${q_2}$ से $P$ की दूरी $\left( {r - x} \right)$ होगी।
${q_1}$ से $P$ की $7x$ है तब $A$ $P$ पर वैद्युत विभव-
सूत्र $\vee=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{\mathrm{q}}{\mathrm{r}}$ से,
$\mathrm{q}_{1}$ के कारण $\mathrm{V}_{1}=\dfrac{9 \times 10^{9} \times 5 \times 10^{-8}}{x}$
तथा $\mathrm{q}_{2}$ के कारण $\mathrm{V}_{2}=\dfrac{9 \times 10^{9} \times\left(-3 \times 10^{-8}\right)}{(\mathrm{r}-x)}$
अतः $P$ पर कुल विभव $V=V_{1}+V_{2}=0$
अथवा $\dfrac{9 \times 10^{9} \times 5 \times 10^{-8}}{x}+\dfrac{9 \times 10^{9} \times\left(-3 \times 10^{-8}\right)}{(\mathrm{r}-x)}=0$
अथवा $\dfrac{5}{x}-\dfrac{3}{(0.16-x)}=0$
अथवा $\dfrac{5}{x}=\dfrac{3}{(0.16-x)}$
अथवा $5(0.16-x)=3 x$
अथवा $0.8-5 x=3 x$
अथवा $8 \mathrm{x}=0.8$m
$\therefore x=\dfrac{0.8}{8}=0.1$m
वैद्युत विभव दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के बाह्य बिन्दु $P$ पर भी शून्य होगा, जहाँ $B P_{1}=x$ (माना) $\mathrm{P}_{1}$ पर $\mathrm{q}_{1}$ के कारण विभव $\mathrm{V}_{1}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \dfrac{5 \times 10^{-8}}{0.16+x}$
तथा $q_{2}$ के कारण विभव $V_{2}^{\prime}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \cdot \dfrac{-3 \times 10^{-8}}{x}=0$
$\mathrm{P}_{1}$ परिणामी विभव $\mathrm{V}^{\prime}=\mathrm{V}_{1}{ }^{\prime}+\mathrm{V}_{2}=0$
अथवा $\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{5 \times 10^{-8}}{0.16+x}+\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{-3 \times 10^{-8}}{x}=0$
अथवा $\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{5 \times 10^{-8}}{0.16+x}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{-3 \times 10^{-8}}{x}$
अथवा $\dfrac{5}{(0.16+x)}=\dfrac{3}{x}$
अथवा $5 x=0.48+3 x$
अथवा $2 \mathrm{x}=0.48$m
अथवा $x=0.24$m
$=24$m
प्रश्न 2. ${\mathbf{10}}{\text{ }}{\mathbf{cm}}$ भुजा वाले एक सम-षट्भुज के प्रत्येक शीर्ष पर ${\mathbf{5}}{\text{ }}{\mathbf{\mu C}}$ का आवेश है। षट्भुज के केन्द्र पर विभव परिकलित कीजिए।
हल: समषट्भुज के केन्द्र से प्रत्येक शीर्ष की दूरी समान होती है तथा यह इसकी भुजा $a{\text{ }} = {\text{ }}10$cm के बराबर होगी। चूंकि प्रत्येक शीर्ष पर आवेश भी समान ($q{\text{ }} = {\text{ }}5{\text{ }}\mu C{\text{ }} = {\text{ }}5{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 6}}\;C$) है, अत: प्रत्येक शीर्ष पर स्थित आवेश के कारण केन्द्र $O$ पर विभव समान होगा।
$A$ पर स्थित $q$ आवेश के कारण $O$ पर वैद्युत विभव
${V_1} = \dfrac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}} \cdot \dfrac{q}{r} = \dfrac{{9 \times {{10}^9} \times 5 \times {{10}^{ - 6}}}}{{0.1}}$
अत: सभी शीर्षों पर स्थित आवेशों के कारण $O$ पर वैद्युत विभव
$V\;\; = 6 \times {V_1}\;\;\; = \dfrac{{6 \times 9 \times {{10}^9} \times 5 \times {{10}^{ - 6}}}}{{0.1}} = 2.7 \times {10^6}\;$V
प्रश्न 3. ${\mathbf{6}}{\text{ }}{\mathbf{cm}}$ की दूरी पर अवस्थित दो बिन्दुओं ${\mathbf{A}}$ एवं ${\mathbf{B}}$ पर दो आवेश ${\mathbf{2}}{\text{ }}{\mathbf{\mu C}}$ तथा $ - {\mathbf{2}}{\text{ }}{\mathbf{\mu C}}$ रखे है।
(a) निकाय के सम विभव पृष्ठ की पहचान कीजिए।
(b) इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत-क्षेत्र की दिशा क्या है?
हल: (a) दिया है, ${\mathbf{A}}$ व ${\mathbf{B}}$ पर दो आवेश ${\mathbf{2}}{\text{ }}{\mathbf{\mu C}}$ और $ - {\mathbf{2}}{\text{ }}{\mathbf{\mu C}}$ रखे हैं।
$AB{\text{ }} = {\text{ }}6$cm $= {\text{ }}0.06$m
दो दिए गए आवेशों के निकाय का समविभवी पृष्ठ $A$ व $B$ को मिलाने वाली रेखा के अभिलम्बवत् होगा। यह पृष्ठ, रेखा $AB$ के मध्य बिन्दु $C$ से गुजरेगा।
पर विभव, $\;V = \dfrac{1}{{4\pi {\varepsilon _0}}}\left[ {\dfrac{{2 \times {{10}^{ - 6}}}}{{0.03}} + \dfrac{{\left( { - 2 \times {{10}^{ - 6}}} \right)}}{{0.03}}} \right] = 0$
इस प्रकार इस पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर समान विभव है और यह शून्य है। अतः यह एक समविभवी पृष्ठ है।
(b) हमें ज्ञात है कि वैद्युत क्षेत्र सदैव $ + $ से $--$ आवेश की ओर दिष्ट होता है। इस प्रकार यहाँ वैद्युत क्षेत्र $\left( { + ve} \right)$ बिन्दु $A$ से ऋणावेशित $\left( { - ve} \right)$ बिन्दु $B$ की ओर कार्य करता है। तथा यह समविभवी पृष्ठ के अभिलम्बवत् है।
प्रश्न 4. ${\mathbf{12}}{\text{ }}{\mathbf{cm}}$ त्रिज्या वाले एक गोलीय चालक के पृष्ठ पर ${\mathbf{1}}.{\mathbf{6}}{\text{ }}{\mathbf{x}}{\text{ }}{\mathbf{1}}{{\mathbf{0}}^{ - {\mathbf{7}}}}\;{\mathbf{C}}$ पर आवेश एकसमान रूप से वितरित है।
(a) गोले के अन्दर
(b) गोले के ठीक बाहर
(c) गोले के केन्द्र से ${\mathbf{18}}{\text{ }}{\mathbf{cm}}$ पर अवस्थित, किसी बिन्दु पर विद्युत-क्षेत्र क्या होगा?
हल: आवेश सदैव चालक के पृष्ठ पर रहता है तथा बाहरी बिन्दुओं के लिए यह ऐसे व्यवहार करता है जैसे सम्पूर्ण आवेश इसके केन्द्र पर स्थित हो।
(a) गोले के भीतर वैद्युत क्षेत्र, $E_{i n}=0$
(b) गोले के पृष्ठ पर वैद्युत क्षेत्र
$E_{S}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{q}{R^{2}}$
यहाँ $q=1.6 \times 10^{-7} \mathrm{C}, R=12$ सेमी $=0.12$ m
$\therefore E_{S}=9 \times 10^{9} \times \dfrac{1.6 \times 10^{-7}}{(0.12)^{2}}$
$=10^{7} \mathrm{~N} / \mathrm{C}$
(c) गोले के केन्द्र से दूरी, $r=18$ cm
$=0.18$ मीटर पर स्थित बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र
$E_{0}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}} \dfrac{q}{r^{2}}=9 \times 10^{9} \times \dfrac{1.6 \times 10^{-7}}{(0.18)^{2}}$
$=4.4 \times 10^{4}$ N/C
प्रश्न 5. एक समान्तर पट्टिका संधारित्र, जिसकी पट्टिकाओं के बीच वायु है, की धारिता ${\mathbf{8}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}{\text{ }}\left( {{\mathbf{1}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}{\text{ }} = {\text{ }}{\mathbf{1}}{{\mathbf{0}}^{ - {\mathbf{12}}}}{\mathbf{F}}} \right)$ है। यदि पट्टिकाओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए और इनके बीच के स्थान में ${\mathbf{6}}$ परावैद्युतक’का एक पदार्थ भर दिया जाए तो इसकी धारिता क्या होगी?
हल: दिया है : पट्टिकाओं के बीच वायु होने पर समान्तर पट्ट संधारित्र की धारिता
${C_0} = {\text{ }}8{\text{ }}pF{\text{ }} = {\text{ }}8{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 12}}F$
यदि प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल $= {\text{ }}A$
तथा पट्टिकाओं के बीच दूरी $= {\text{ }}d$हो, तो
${C_0} = \dfrac{{{\varepsilon _0}A}}{d}$
पट्टिकाओं के बीच परावैद्युत पदार्थ भरने पर, तथा बीच की दूरी आधी $\left( {\dfrac{d}{2}} \right)$ करने पर $\varepsilon = {\varepsilon _0}K$
$C =$ संधारित्र की परावैद्युत पदार्थ की उपस्थिति में धारिता
$K = 6$
इस प्रकार
$C\;\; = \dfrac{{\varepsilon A}}{d} = \dfrac{{{\varepsilon _0}KA}}{{\left( {\dfrac{d}{2}} \right)}}\;\;\; = 2K\dfrac{{{\varepsilon _0}A}}{d}\;$
या
${C_0}\;\; = 2\;K\;C\;\; = 2K{C_0}\;\;\; = 2 \times 6 \times 8 \times {10^{ - 12}}\;F\;\;\; = 96 \times {10^{ - 12}}\;F\;\;\; = 96pF\;$
प्रश्न 6. ${\mathbf{9}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}$धारिता वाले तीन संधारित्रों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को ${\mathbf{120}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$ के संभरण (सप्लाई) से जोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक संधारित्र पर क्या विभवान्तर होगा?
हल: तीनों संधारित्रों में प्रत्येक की धारिता $9{\text{ }}pF$है।
अर्थात्${C_1} = {\text{ }}{C_2} = {\text{ }}{C_3} = {\text{ }}9{\text{ }}pF$; संभरण वोल्टता $V{\text{ }} = {\text{ }}120$V
(a) यदि इनके श्रेणी संयोजन की कुल धारिता ${C_s}$ हो
(b) संधारित्रों के श्रेणी संयोजन पर कुल आवेश $Q = {C_s},V = 3pF \times 120V$। श्रेणी संयोजन में प्रत्येक पर आवेश Q समान होगा। चूँकि प्रत्येक की धारिता भी समान है, अत: प्रत्येक संधारित्र का विभवान्तर भी समान होगा।
${V_1}\;\; = {V_2} = {V_3} = \dfrac{Q}{{{C_1}}} = \dfrac{Q}{{{C_2}}} = \dfrac{Q}{{{C_3}}}\;\;\; = $
$\dfrac{3 p F \times 120 \text { V }}{9 p F}=40 \text { V }$
प्रश्न 7. ${\mathbf{2}}{\text{ }}{\mathbf{pF}},{\text{ }}{\mathbf{3}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}$ और ${\mathbf{4}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}$ धारिता वाले तीन संधारित्र पाश्र्वक्रम में जोड़े गए हैं।
(a) संयोजन की कुल धारिता क्या है?
(b) यदि संयोजन को ${\mathbf{100}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$ के संभरण से जोड़ दें तो प्रत्येक संधारित्र पर आवेश ज्ञात कीजिए।
हल: यहाँ $C_{1}=2 \mathrm{pF}, C_{2}=3 \mathrm{pF}, C_{3}=4 \mathrm{pF}$ तथा संभरण वोल्टता $V=100$V
(a) संधारित्रों के पाश्वक्रम (समान्तर संयोजन) की कुल धारिता
$C=C_{1}+C_{2}+C_{3}=2 p F+3 p F+4 p F=9 p F$
(b) पाश्वक्रम संयोजन के प्रत्येक संधारित्र के सिरों के बीच वोल्टता संभरण वोल्टता के बराबर ही होगी अर्थात् $V=100$V
अतः $C_{1}=2 \mathrm{pF}=2 \times 10^{-12} \mathrm{~F}$ पर आवेश
$\mathrm{Q}_{1}=\mathrm{C}_{2} \times \mathrm{V}=2 \times 10^{-12} \mathrm{~F} \times 100$V $=2 \times 10^{-10}$C
$C_{2}=3 p F=3 \times 10^{-12} \mathrm{~F}$ पर आवेश
$\mathrm{Q}_{2}=\mathrm{C}_{2} \times \mathrm{V}=3 \times 10^{-12} \mathrm{~F} \times 100$V $=3 \times 10^{-10}$C
$C_{3}=4 p F=4 \times 10^{-12} \mathrm{~F}$ पर आवेश
$\mathrm{Q}_{3}=\mathrm{C}_{3} \times \mathrm{V}=4 \times 10^{-12} \mathrm{~F} \times 100$V $=4 \times 10^{-10}$C
प्रश्न 8. पट्टिकाओं के बीच वायु वाले समान्तर पट्टिको संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल ${\mathbf{6}}{\text{ }}{\mathbf{x}}{\text{ }}{\mathbf{1}}{{\mathbf{0}}^{ - {\mathbf{3}}}}{{\mathbf{m}}^{\mathbf{2}}}$ तथा उनके बीच की दूरी ${\mathbf{3}}{\text{ }}{\mathbf{mm}}$ है। संधारित्र की धारिता को परिकलित कीजिए। यदि इस संधारित्र को ${\mathbf{100}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$ के संभरण से जोड़ दिया जाए तो संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर कितना आवेश होगा?
हल: दिया है, प्लेट क्षेत्रफल $A=6 \times 10^{-3} \mathrm{~m}, \mathrm{y}=100$V
बीच की दूरी $d=3 \mathrm{~mm}=3 \times 10^{-3} \mathrm{~m}$
धारिता $C=$ ?, प्रत्येक पट्टी पर आवेश = ?
सूत्र $C=\dfrac{\varepsilon_{0} A}{d}$ से,
धारिता $C=\dfrac{8.854 \times 10^{-12} \times 6 \times 10^{-3}}{3 \times 10^{-3}}$
$=17.7 \mathrm{pF}=18 \mathrm{pF}$
संधारित्र पर आवेश $q=C V$
$=17.7 \times 10^{-12} \times 100$
$=17.7 \times 10^{-10} \mathrm{C}$
$\therefore$ एक पट्टी पर आवेश $=+17.7 \times 10^{-10} \mathbf{C}$ दूसरी पट्टी पर आवेश $=-17.7 \times 10^{-10} \mathbf{C}$
प्रश्न 9. प्रश्न ${\mathbf{8}}$ में दिए गए संधारित्र की पट्टिकाओं के बीच यदि ${\mathbf{3}}{\text{ }}{\mathbf{mm}}$ मोटी अभ्रक की एक शीट (पत्तर) (परावैद्युतांक $= {\text{ }}{\mathbf{6}}$) रख दी जाती है तो स्पष्ट कीजिए कि क्या होगा जब
(a) विभव (वोल्टेज) संभरण जुड़ा ही रहेगा।
(b) संभरण को हटा लिया जाएगा?
हल: प्रश्न $8$ के परिणाम से,
$V{\text{ }} = {\text{ }}100V$,
$q{\text{ }} = {\text{ }}18{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 10}}C$
अब माध्यम का परावैद्युतांक $K{\text{ }} = {\text{ }}6$
परावैद्युत की मोटाई $t{\text{ }} = {\text{ }}3{\text{ }}mm{\text{ }} = {\text{ }}3{\text{ }}x{\text{ }}{10^{ - 3}}m$ $t{\text{ }} = {\text{ }}d$ ; अत: संधारित्र पूर्णतः परावैद्युत द्वारा भरा है।
संधारित्र की नई धारिता $C{\text{ }} = {\text{ }}K{C_0} = {\text{ }}6{\text{ }} \times {\text{ }}18{\text{ }}pF{\text{ }}\left[ {{C_0} = {\text{ }}18{\text{ }}pF} \right] = {\text{ }}108{\text{ }}pF$
(a) विभव संभरण जुड़ा हुआ है; अत: संधारित्र का विभवान्तर नियत अर्थात् $100V$ रहेगा।
संधारित्र पर नया आवेश $q{\text{ }} = {\text{ }}CV{\text{ }} = {\text{ }}{10^8} \times {10^{ - 12}} \times 100 = 1.08 \times {10^{ - 8}}C$
अतः इस स्थिति में, $C{\text{ }} = {\text{ }}108{\text{ }}pF,{\text{ }}V = 100{\text{ }}V,{\text{ }}q = 1.08 \times {10^{ - 8}}C$
(b) विभव संभरण हटा लिया गया है; अत: संधारित्र पर आवेश $q{\text{ }} = {\text{ }}18 \times {10^{ - 10}}\;C$ नियत रहेगा।
नया विभ्वांतर ${V = \dfrac{q}{C} = \dfrac{{18 \times {{10}^{ - 10}}}}{{108 \times {{10}^{ - 12}}}}}$
${ = \dfrac{{1800}}{{108}} = \dfrac{{50}}{3}{\text{V}}}$
अतः $C = 108{\text{pF}},\quad V = \dfrac{{50}}{3}{\text{V}} = 16.6{\text{V}}$, $q = 1.8 \times {10^{ - 9}}C$
प्रश्न 10. ${\mathbf{12pF}}$ का एक संधारित्र ${\mathbf{50}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$ की बैटरी से जुड़ा है। संधारित्र में कितनी स्थिर विद्युत ऊर्जा संचित होगी?
हल: यहाँ $C{\text{ }} = {\text{ }}12{\text{ }}pF{\text{ }} = {\text{ }}12{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 12}}$F ; $V{\text{ }} = {\text{ }}50$V
अत: स्थिर वैद्युत ऊर्जा
$U = \dfrac{1}{2}C{V^2} = \dfrac{1}{2} \times (12 \times {10^{ - 12}}) \times {(50)^2}$J
$= {\text{ }}1.50{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 8}}\;$J
प्रश्न 11. ${\mathbf{200}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$ संभरण (सप्लाई) से एक ${\mathbf{600}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}$ से संधारित्र को आवेशित किया जाता है। फिर इसको संभरण से वियोजित कर देते हैं तथा एक अन्य ${\mathbf{600}}{\text{ }}{\mathbf{pF}}$ वाले अनावेशित संधारित्र से जोड़ देते हैं। इस प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा का ह्रास होता है?
हल: दिया है, धारिताएँ ${C_1} = {\text{ }}600{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 12}}F,{\text{ }}{C_2} = {\text{ }}600{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 12}}F$
विभवान्तर ${V_1} = {\text{ }}200{\text{ }}V,{\text{ }}{V_2} = {\text{ }}0{\text{ }}V$.
प्रक्रिया में ऊर्जा का हास $\Delta U{\text{ }} = {\text{ }}?$
आवेश के बाद संभरण को हटा दिया जाता है; अतः निकाय पर कुल’ आवेश नियत रहेगा।
माना संधारित्रों को जोड़ने पर उनका उभयनिष्ठ विभव $V$ है,
तब $q = {C_1}{V_1} + {C_2}{V_2} = \left( {{C_1} + {C_2}} \right)V$
$\Rightarrow \quad 600 \times {10^{ - 12}} \times 200 + 0 = [600 + 600] \times {10^{ - 12}} \times V$
$\therefore \quad V = \dfrac{{600 \times 200}}{{1200}} = 100V$
$\therefore$ निकाय की प्रारम्भिक ऊर्जा
$U\;\; = \dfrac{1}{2}{C_1}V_1^2 + \dfrac{1}{2}{C_2}V_2^2 = \dfrac{1}{2} \times 600 \times {10^{ - 12}} \times {(200)^2} + 0\;\;\; = 12 \times {10^{ - 6}}\;J\;$ अन्तिम ऊर्जा
$U'\;\; = \dfrac{1}{2}\left( {{C_1} + {C_2}} \right){V^2}\;\;\; = \dfrac{1}{2}\left[ {600 \times {{10}^{ - 12}} + 600 \times {{10}^{ - 12}}} \right] \times {(100)^2}\;\;\; = 6 \times {10^{ - 6}}\;J\;$
$\therefore$ ऊर्जा का ह्नास $\Delta U = U - U' = 6 \times {10^6}\;J$
अन्य विधि : ऊर्जा का ह्नास $\Delta U = \dfrac{1}{2} \times \dfrac{{{C_1}{C_2}}}{{\left( {{C_1} + {C_2}} \right)}}{\left( {{V_1} \sim {V_2}} \right)^2}$
$= \dfrac{1}{2} \times \dfrac{{600 \times {{10}^{ - 12}} \times 600 \times {{10}^{ - 12}}}}{{\left[ {600 + 600} \right] \times {{10}^{ - 12}}}}{(200 \sim 0)^2}\; = 6 \times {10^{ - 6}}J\;$
अतिरिक्त अभ्यास
12. मूल बिंदु पर एक $8 \mathrm{mC}$ का आवेश अवस्थित है। $2 \times 10^{-9} \mathrm{C}$ के एक छोटे से आवेश को बिंदु $\mathrm{P}(0,0,3 \mathrm{~cm})$ से, बिंदु $\mathrm{R}(0,6 \mathrm{~cm}, 9 \mathrm{~cm})$ से होकर, बिंदु $\mathrm{Q}(0,4 \mathrm{~cm}, 0)$ तक ले जाने में किया गया कार्य परिकलित कीजिए।
हल: मूल बिन्दु पर आवेश $\mathrm{Q}=8 \times 10^{-3} \mathrm{C}$
दूसरा आवेश $\mathrm{q}=-2 \times 10^{-9} \mathrm{C}$
स्थिरविद्युत क्षेत्र में किसी आवेश को एक बिन्दु से दूसरी बिन्दु तक ले जाने में किया जाने वाला कार्य मार्ग के स्थान पर अन्त्य बिन्दुओं पर निर्भर करता है।
आवेश $q$ को बिन्दु $P$ से $Q$ तक ले जाने में किया गया कार्य
$W=q(V_Q-V_P)$
यहाँ बिन्दु $Q$ की मूल बिन्दु से दूरी $r_Q=O Q=0.04 \mathrm{~m}$
तथा बिन्दु $P$ की मूल बिन्दु से दूरी $r_P=O P=0.03 \mathrm{~m}$
मूल बिन्दु पर स्थित आवेश $Q$ के कारण $Q$ व $P$ के बीच विभवान्तर
$V_{Q}-V_{P}=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\left(\dfrac{Q}{r_{Q}}-\dfrac{Q}{r_{P}}\right)$
$=9 \times 10^{9} \times 8 \times 10^{-3}\left[\dfrac{1}{0.04}-\dfrac{1}{0.03}\right]$
$=72 \times 10^{8} \dfrac{(3-4)}{12}=-6 \times 10^{8} \mathrm{~V}$
अभीष्ट कार्य, $W=q\left(V_{Q}-V_{P}\right)$
$=\left(-2 \times 10^{-9}\right) \times\left(-6 \times 10^{8}\right)$
$=1.2 \mathrm{J}$
13. $b$ भुजा वाले एक घन के प्रत्येक शीर्ष पर $q$ आवेश है। इस आवेश विन्यास के कारण घन के केंद्र पर विद्युत विभव तथा विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल: चित्र में घन की भुजा = $\mathrm{b}$
अतः घन का प्रत्येक विकर्ण $=\sqrt{\left(b^{2}+b^{2}+b^{2}\right)=b \sqrt{3}}$
घन के प्रत्येक शीर्ष पर स्थित आवेश $=q$ तथा प्रत्येक आवेश की घन के केन्द्र $O$ (चारों विकर्णो $A F, E B$, $\mathrm{CH}$ तथा $\mathrm{GD}$ का छेदन बिन्दु, जो इनका मध्य बिन्दु होता है) से दूरी
$r=\dfrac{\text { विकर्ण }}{2}=\dfrac{b \sqrt{3}}{2}$
अत: प्रत्येक शीर्ष पर स्थित आवेश के कारण $O$ पर विभव समान होगा। अत: $O$ पर परिणामी विभव
$V=8 \times$ एक शीर्ष पर स्थित आवेश के कारण विभव
$=8 \times \dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\left(\dfrac{q}{r}\right)=8 \times \dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\left(\dfrac{q}{b \sqrt{3} / 2}\right)$
$=\dfrac{1}{4 \pi \varepsilon_{0}}\left(\dfrac{16 q}{b \sqrt{3}}\right)=\dfrac{4 q}{\pi \varepsilon_{0} b \sqrt{3}}$
चूंकि प्रत्येक विकर्ण के शीर्ष पर समान परिमाण तथा समान प्रकृति के आवेश रिथत हैं, अतः इनके कारण.O पर तीव्रता परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होगी। अतः ये एक-दूसरे को निरस्त कर देंगी। अतः $\mathrm{O}$ पर परिणामी तीव्रता शून्य होगी।
चूंकि प्रत्येक विकर्ण के शीर्ष पर समान परिमाण तथा समान प्रकृति के आवेश रिथत हैं, अतः इनके कारण.O पर तीव्रता परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होगी। अतः ये एक-दूसरे को निरस्त कर देंगी। अतः $\mathrm{O}$ पर परिणामी तीव्रता शून्य होगी।
14. $1.5 \mu \mathrm{C}$ और $2.5 \mu \mathrm{C}$ आवेश वाले दो सूक्ष्म गोले $30 \mathrm{~cm}$ दूर स्थित हैं।
(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिंदु पर, और
(b) मध्य बिंदु से होकर जाने वाली रेखा के अभिलंब तल में मध्य बिंदु से $10 \mathrm{~cm}$ दूर स्थित किसी बिंदु पर विभव और विद्युत क्षेत्र ज्ञात कीजिए।
हल: (a) मध्य बिन्दु की प्रत्येक आवेश से दूरी
$r_{A}=r_{B}=0.15 \mathrm{~m}$
मध्य बिन्दु पर विभव
$V=V_{A}+V_{B}=9 \times 10^{9}\left[\dfrac{q_{A}}{r_{A}}+\dfrac{q_{B}}{r_{B}}\right]$
$=9 \times 10^{9}\left[\dfrac{1.5 \times 10^{-6}}{0.15}+\dfrac{25 \times 10^{-6}}{0.15}\right]=2.4 \times 10^{5} \mathrm{~V}$
माना $q_{A}$ व $q_{B}$ के कारण विद्युत-क्षेत्र $E_{A}$ तथा $E_{B}$ हैं तब $E_{B}>E_{A}$
$\therefore$ मध्य बिन्द्र पर विद्यत-क्षेत्र
$E=E_{B}-E_{A}=9 \times 10^{9} \times \dfrac{q_{B}}{r_{B}}-9 \times 10^{9} \times \dfrac{q_{A}}{r_{A}{ }^{2}}$
$=9 \times 10^{9}\left[\dfrac{2.5 \times 10^{-6}}{0.15 \times 0.15}-\dfrac{1.5 \times 10^{-6}}{0.15 \times 0.15}\right]$
$\Rightarrow E=4.0 \times 10^{5} \mathrm{Vm}^{-1}$ बड़े से छोटे आवेश की दिशा में|
(b) माना हमें बिन्दु $P$ पर विद्युत विभव तथा विद्युत-क्षेत्र ज्ञात करना है।
तब $A P^{2}=B P^{2}=15^{2}+10^{2}$
$=325=25 \times 13$
$\Rightarrow \quad A P=B P=5 \sqrt{13} \mathrm{~cm}$
$=18 \mathrm{~cm}=0.18 \mathrm{~m}$
$\therefore$ बिन्दु $P$ पर विभव $V=V_{A}+V_{B}=9 \times 10^{9}\left[\dfrac{2.5 \times 10^{-6}}{0.18}+\dfrac{1.5 \times 10^{-6}}{0.18}\right]$ $=2 \times 10^{5} \mathrm{~V}$
$\therefore$ बिन्दु $P$ पर विभव
$V=V_{A}+V_{B}=9 \times 10^{9}\left[\dfrac{25 \times 10^{-6}}{0.18}+\dfrac{1.5 \times 10^{-6}}{0.18}\right]$
$=2 \times 10^{5} \mathrm{~V}$
बिन्दु $P$ पर $q_{A}$ के कारण विद्युत-क्षेत्र
$E_{A}=9 \times 10^{9} \times \dfrac{1.5 \times 10^{-6}}{(0.18)^{2}}=4.17 \times 10^{-5} \mathrm{~N} / \mathrm{C} \quad A P$ दिशा में
$q_{B}$ के कारण बिन्दु $P$ पर विद्युत-क्षेत्र
$E_{B}=9 \times 10^{9} \times \dfrac{25 \times 10^{-6}}{(0.18)^{2}}=6.94 \times 10^{5} \mathrm{~N} / \mathrm{C} \quad B P$ दिशा में
माना $\quad \angle A P O=\angle B P O=\alpha$
तब $\quad \tan \alpha=\dfrac{A O}{O P}=\dfrac{15}{10}=1.5$
$\therefore \quad a=\tan ^{-1}(1.5)=56.3^{\circ}$
$\therefore E_{A}$ तथा $E_{B}$ के बीच का कोण $\theta=2 \alpha=1126^{\circ}$
$\therefore$ बिन्दु $P$ पर परिणामी विद्युत-क्षेत्र $E$
$=\sqrt{\left[E_{A}^{2}+E_{B}^{2}+2 E_{A} E_{B} \cos \theta\right]}$
$=10^{5} \sqrt{\left[(4.17)^{2}+(6.94)^{2}+2 \times 4.17 \times 6.94 \times(-0.38)\right]}$
$E=6.6 \times 10^{5} \mathrm{Vm}^{-1}$
माना परिणामी क्षेत्र $B P$ दिशा से $\left(E_{B}\right.$ की दिशा से)
$\beta$ कोण बनाता है, तब
$\tan \beta=\dfrac{E_{A} \sin \theta}{E_{B}+E_{A} \cos \theta}$
$\sin \theta=\sin 1126^{\circ}=0.92$
$\cos \theta=\cos 1126^{\circ}=-0.38$
$=\dfrac{4.17 \times 0.92}{6.94+4.17 \times(-0.38)}=0.715$
$\Rightarrow \quad \beta=\tan ^{-1}(0.715)=35.6^{\circ}$
$\therefore$ परिणामी क्षेत्र द्वारा $B A$ दिशा से बनाया गया कोण
$\phi=\angle A B P+\beta=90^{\circ}-\alpha+35.6^{\circ}$
$=90^{\circ}-56.3^{\circ}+35.6^{\circ}=69.3^{\circ}$
अत: परिणामी क्षेत्र $\mathbf{6 . 6} \times \mathbf{1 0}^{5} \mathbf{V} \mathbf{m}^{-1}$ है|
15. आंतरिक त्रिज्या ${r_1}$ तथा बाह्य त्रिज्या ${r_2}$ वाले एक गोलीय चालक खोल (कोश) पर $Q$ आवेश है।
(a) खोल के केंद्र पर एक आवेश $q$ रखा जाता है। खोल के भीतरी और बाहरी पृष्ठों पर पृष्ठ आवेश घनत्व क्या है?
हल-(a) जब चालक को केवल $Q$ आवेश दिया गया है तो यह पूर्णत: चालक के बाह्य पृष्ठ पर रहता है। हम जानते हैं कि एक चालक के भीतर नैट आवेश शून्य रहता है; अतः खोल के केन्द्र पर $q$ आवेश रखने पर, खोल की भीतरी सतह पर $ - q$ आवेश प्रेरित हो जाता है तथा बाहरी सतह पर अतिरिक्त $ + q$ आवेश आ जाता है।
अत:
बाहरी सतह पर आवेश $= Q + q$
$\therefore \quad $ भीतरी सतह पर पृष्ठीय आवेश घनत्व ${\sigma _1} = - \dfrac{q}{{4\pi {r_1}^2}}$
तथा बाहरी सतह पर पृष्ठीय आवेश घनत्व ${\sigma _2} = \dfrac{{Q + q}}{{4\pi r_2^2}}$
(b) क्या किसी कोटर (जो आवेश विहीन है) में विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, चाहे खोल गोलीय न होकर किसी भी अनियमित आकार का हो? स्पष्ट कीजिए।
हल- (b) हाँ, यदि कोटर आवेशविहीन है तो उसके अन्दर विद्युत-क्षेत्र शून्य होगा। इसके विपरीत कल्पना करें कि किसी चालक के भीतर एक अनियमित आकृति का आवेशविहीन कोटर है जिसके भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य नहीं है। अब एक ऐसे बन्द लूप पर विचार करें जिसका कुछ भाग कोटर के भीतर क्षेत्र रेखाओं के समान्तर है तथा शेष भाग कोटर से बाहर परन्तु चालक के भीतर है। चूंकि चालक के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य है; अतः यदि एकांक आवेश को इस बन्द लूप के अनुदिश ले जाया जाए तो क्षेत्र द्वारा किया गया नैट कार्य प्राप्त होगा। परन्तु यह स्थिति स्थिरविद्युत क्षेत्र के लिए सत्य नहीं है (बन्द लूप पर नैट कार्य शून्य होता है)। अत: हमारी परिकल्पना कि कोटर के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य नहीं है, गलत है। अर्थात् चालक के भीतर आवेशविहीन कोटर के भीतर विद्युत-क्षेत्र शून्य होगा।
16. (a) दर्शाइए कि आवेशित पृष्ठ के एक पार्व्व से दूसरे पार्थ्व पर स्थिर्वैद्दुत क्षेत्र के अभिलंब घटक में असंतत्य होता है, जिसे
$\left( {{{\mathbf{E}}_,} - {{\mathbf{E}}_\mid }} \right) \cdot \widehat {\mathbf{n}} = \dfrac{\sigma }{{{\varepsilon _v}}}$
द्वारा व्यक्त किया जाता है। जहाँ $\hat n$ एक बिंदु पर पृष्ठ के अभिलंब एकांक सदिश है तथा उस बिंदु पर पृष्ठ आवेश घनत्व है ( $\hat n$ की दिशा पार्व्व 1 से पार्श्व 2 की ओर है।)। अंतः दर्शी कि चालक के ठीक बाहर वघड़त क्षेत्र $\widehat {\mathbf{n}}/{\text{O}}$ है।
उत्तर: (a) आवेशित शरीर के एक ओर विद्युत क्षेत्र ${E_1}$ है और उसी शरीर के दूसरी ओर विद्युत क्षेत्र ${E_2}$ है। यदि अनंत समतल आवेशित शरीर में एक समान मोटाई होती है, तो आवेशित शरीर की एक सतह के कारण विद्युत क्षेत्र द्वारा दिया जाता है,
आवेशित शरीर की अन्य सतह के कारण विद्युत क्षेत्र,
${\text{E}}_2^{} = - 20\widehat {\mathbf{n}} \ldots $ (ii)
दो सतहों के कारण किसी भी बिंदु पर विदयत क्षेत्र,
${E_2} - {E_1} = 20\widehat {\mathbf{n}} + 20\widehat {\mathbf{n}} = 0\widehat {\mathbf{n}}$ $({{\text{E}}_1} - {{\text{E}}_1}) \cdot \widehat {\mathbf{n}} = 0\quad \ldots $ (iii)
चूंकि एक बंद कंडक्टर के अंदर, ${E_1} = 0$,
$\therefore {\text{E}} = {{\text{E}}_2} = - 20\widehat {\mathbf{n}}$
इसलिए, कंडक्टर के ठीक बाहर विद्युत क्षेत्र है- $0$।
(b) दर्शाइए की आवेशित पृष्ठ के एक पार्श्व से दूसरे पार्श्व पर स्थिर्वेघ्दुत क्षेत्र का स्पर्शिय घटक सांतत है।
( संकेत: (a) के लिए गाउस-नियम का उपयोग कीजिए। (b) के लिए इस सत्य का उपयोग करें कि संव्रित पाश पर एक स्थिर्वेघ्दुत क्षेत्र किया गया कार्य शून्य होता है।।
(b) जब एक आवेशित कण बंद लूप पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर ले जाया जाता है, तो इलेक्ट्रोस्टेटिक क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है। इसलिए, इलेक्ट्रोस्टेटिक क्षेत्र के स्पशरिखा घटक एक चार्ज सतह के एक तरफ से दूसरे तक निरंतर होता है।
17. रेखिक आवेश घनत्व वाला एक लम्बा आवेशित बेलन एक खोकले समाक्षिय चालक बेलन द्वारा घिरा है। दोनों बेलनों के बीच के स्थान में विघ्दूत क्षेत्र कितना है?
उत्तर : लंबाई ${\text{L}}$ और त्रिज्या ${\text{r}}$ के लंबे चार्ज सिलेंडर का चार्ज घनत्व $\lambda $ है।
समान लंबाई का एक और सिलेंडर विकृत सिलेंडर को घेर लेता है। इस सिलेंडर का त्रिज्या $R$ है। बता दें कि $E$ दो सिलेंडरों के बीच की जगह में उत्पादित विद्युत क्षेत्र है। गाऊसी सतह के माध्यम से विद्युत प्रवाह, गॉस के प्रमेय द्वारा दिया जाता है,
$= E(2d)L$
${\text{D}} = $ सिलेंडर के सामान्य अक्ष से एक बिंदु की दूरी
सिलेंडर पर ${\text{q}}$ कुल चार्ज होने दें।
इसे इस प्रकार लिखा जा सकता है
$= E(2dL) = {q_0}$ $q = $ बाहरी सिलेंडर के आंतरिक क्षेत्र पर चार्ज
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता
$E(2dL) = $ $LO$
${\text{E}} = 20\;{\text{d}}$ इसलिए दो सिलेंडरों के बीच के अंतरिक्ष में विद्युत क्षेत्र है $20\;{\text{d}}$
18. एक हाइड्रोजन परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा लगभग 0.53 दूरी पर परिबद्ध हैं;
उत्तर 18: हाइड्रोजन परमाणु के इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन के बीच की दूरी, d = 0.53
एक इलेक्ट्रॉन पर चार्ज करें, ${q_1} = - 1.6 \times {10^{ - 19}}C$
एक प्रोटॉन पर चार्ज करें, ${{\text{q}}_2} = + 1.6 \times 10{}^{ - 19}{\text{C}}$
(a) निकाय की स्थितिज ऊर्जा का ${\text{eV}}$ में परिकलन कीजिए, जबकि प्रोटॉन से इलेक्ट्रॉन के मध्य की अनंत दूरी पर स्थितिज ऊर्जा को शून्य माना गया है।
(a) अनंत पर संभावित शून्य है।
प्रणाली की संभावित ऊर्जो, = अनंत पर संभावित ऊर्जा - दूरी पर संभावित ऊर्जा
$ = 0 - {q_1}{q_2}40d$
Oमुक्त स्थान की अनुमति है
$140 = 9 \times {10^9}{\text{N}}{{\text{m}}^2}{{\text{C}}^{ - 2}}$
$\therefore $ संभावित ऊर्जा $= 0 - 9 \times {10^9} \times (1.6 \times {10^{ - 19}})20.53 \times {10^{ - 10}} = - $ $43.47 \times {10^{ - 19}}J$ $\because 1.6 \times {10^{ - 19}}J = 1{\text{eV}}$
$\therefore $ सम्भावित ऊर्जा $= - 43.7 \times {10^{ - 19}} = - 43.7 \times {10^{ - 19}}(1.6 \times {10^{ - 19}}) = $ $ - 27.2{\text{eV}}$
इसलिए, सिस्टम की संभावित ऊर्जा $ - 27.2{\text{eV}}$ है।
(b) इलेक्ट्रॉन को स्वतंत्र करने में कितना न्यूनतम कार्य करना पड़ेगा, यदि यह दिया गया है की इसकी कक्षा में गातिज ऊर्जा (a) में प्राप्त स्थितिज ऊर्जा के परिमाण की आधी है?
(b) काइनेटिक ऊर्जा संभावित ऊर्जा के परिमाण का आधा है।
किनेटिक ऊर्जा $= 12 \times ( - 27.2) = 13.6{\text{eV}}$
कुल ऊर्जा $= 13.6 - 27.2 = 13.6{\text{eV}}$
इसलिए, इलेक्ट्रॉन को मुक्त करने के लिए आवश्यक न्यूनतम कार्य $13.6$${\text{eV}}$ है।
(c) यदि स्थितिज ऊर्जा को 1.06 पृथक्करण पर शून्य लेलिया जाए तो, उपर्युक्त (a) और (b) के उत्तर क्या होंगे?
(c) जब संभावित ऊर्जा का शून्य लिया जाता है,
$\therefore $ प्रणाली की संभावित ऊर्जा $= {{\text{d}}_1}$ पर संभावित ऊर्जा $ - {\text{d}}$ पर संभावित ऊर्जा
$= {q_1}{q_2}40{d_1} - 17.2{\text{eV}}$
$ = 9 \times {10^9} \times (1.6 \times {10^{ - 19}})21.06 \times {10^{ - 10}} - 27.2{\text{eV}}$
$= 21.73 \times {10^{ - 19}}\;{\text{J}} - 27.2{\text{eV}}$
$= 13.58{\text{eV}} - 27.2{\text{eV}}$
$= - 13.6{\text{eV}}$
19: यदि ${H_2}$ अणु के दो में से एक इलेक्ट्रॉन को हटा दिया जाए तो हमें हाइड्रोजन आणविक आयन (${H^{2 + }}$)प्राप्त होगा। (${H^{2 + }}$) की निम्नतम अवस्था (ground state) में दो प्रोटॉन के बीच दूरी लगभग 1.54 है और इलेक्ट्रॉन प्रत्येक से लगभग 1 की दूरी पर है। निकाय की स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए। स्थितिज ऊर्जा की शून्य स्थिति के चयन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर: चार्ज प्रोटॉन 1, ${{\text{q}}_1} = 1.6 \times 10{\text{C}}$
प्रोटॉन $2,{{\text{q}}_2} = 1.6 \times {10^{19}}{\text{C}}$ पर चार्ज करें
इलेक्ट्रॉन पर आरोप, ${{\text{q}}_3} = 61.6 \times {10^{ - 19}}{\text{C}}$
प्रोटॉन 1 और 2 के बीच की दूरी, ${{\text{d}}_1} = 1.5 \times {10^{ - 19}}\;{\text{m}}$
प्रोटॉन 1 और इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी, ${{\text{d}}_2} = 1 \times {10^{ - 19\;}}{\text{m}}$
प्रोटॉन 2 और इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी, ${{\text{d}}_3} = 1 \times {10^{ - 19}}\;{\text{m}}$
अनंत में संभावित ऊर्जा शून्य है।
प्रणाली की संभावित ऊर्जा,
$V = {q_1}{q_2}40{d_1} + {q_2}{q_3}40{d_3} + {q_3}{q_1}40{d_2}$
प्रतिस्थापन $140 = 9 \times {10^9}{\text{N}}{{\text{m}}^2}{{\text{C}}^{ - 2}}$
$V = 9 \times {10^9} \times {10^{ - 19}} \times {10^{ - 19}}{10^{ - 10}} - {(16)^2} + (1.6)21.5 + - {(1.6)^2}$
$= - 30.7 \times {10^{ - 19}}J$
$= - 19.2{\text{eV}}$
इसलिए, सिस्टम की संभावित ऊर्जा $ - 19.2{\text{eV}}$ है।
20. ${\text{a}}$ और ${\text{b}}$ त्रिजयाओं वाले दो आवेशित चालक गोले एक तार द्वारा एक-दूसरे से जोड़े गाए हैं। दोनों गोलों के पृष्ठों पर विघ्दूत क्षेत्रों में क्याअनुपात है? प्राप्त परिणाम को, यह समझाने में प्रयुक्त कीजिए की किसी एक चालक के तक्षिण और नकिले सिरों पर आवेश घनत्व, चपते भागों की अपेक्षा अधिक क्यों होता है।
उत्तर : आज्ञा देना एक क्षेत्र के दायरे $A,QA$क्षेत्र पर प्रभारी हो, और ${\text{CA}}$ क्षेत्र के समाई हो। आज्ञा देना बी के एक क्षेत्र ${\text{b}}$, त्रिज्या क्षेत्र पर प्रभारी हो $B$, और $QB$ क्षेत्र के समाई हो। चूंकि दो गोले एक तार से जुड़े होते हैं, इसलिए उनकी क्षमता (V) बराबर हो जाएगी।
${\text{EA}}$ और ${\text{EB}}$ के विद्युत क्षेत्र को ${\text{B}}$ के क्षेत्र का विद्युत क्षेत्र मानें। इसलिए, उनका अनुपात,
${\text{EAEB}} = {\text{QA}}40 \times {{\text{a}}^2} \times {{\text{b}}^2} \times 40{\text{QB}}$
${\text{EAEB}} = {\text{QAQB}} \times {{\text{b}}^2}{{\text{a}}^2}$
${\text{QAQB}} = {\text{CAVCBV}}$
$CACB = ab$
${\text{QAQB}} = {\text{ab}}$
(1) में (2) का मान डालते हुए हम प्राप्त करते हैं $EAEB = \dfrac{{{b^2}{a^2}}}{{ab}} = ba$
इसलिए सतह पर विद्युत क्षेत्रों का अनुपात $ba$है।
एक तेज और नुकीले सिरे को बहुत छोटे त्रिज्या के क्षेत्र के रूप में माना जा सकता है और एक सपाट भाग बहुत बड़े त्रिज्या के क्षेत्र के रूप में व्यवहार करता है। इसके अलावा, कंडक्टर के तेज और नुकीले छोर पर चार्ज घनत्व इसके चापलूसी भागों की तुलना में बहुत अधिक है।
21. बिंदु $(0,0, - a)$ तथा $(0,0,a)$ पर दो आवेश करमेश: $ - q$ और $ + {\text{q}}$ स्थित हैं।
(a) बिंदुओं $(0,0,z)$ और $(x,y,0)$ पर स्थिर्वेघ्दुत विभव क्या है?
उत्तर: (a) दोनों बिंदुओं पर शून्य
आवेश - ${\text{q}}({\text{O}},{\text{O}},{\text{a}})$ और आवेश $ + {\text{q}}$ पर स्थित होता है $(0,0,{\text{a}})\rangle $ इसलिए, वे एक द्विध्रुवीय बनाते हैं। बिंदु $(0,0,z)$ इस द्विध्रुव के अक्ष पर है और बिंदु $(x,y,0)$ द्विध्रुव के अक्ष के सामान्य है। इसलिए, बिंदु पर इलेक्ट्रोस्टेटिक क्षमता $(x,y,0)$ शून्य है। बिंदु पर इलेक्ट्रोस्टैटिक क्षमता $(0,0,z)$ द्वारा दी गई है,
$v = 140{\text{qz}} - {\text{a}} + 140( - {\text{qz}} + {\text{a}})$
$= {\text{q}}({\text{z}} + {\text{a}} - {\text{z}} + {\text{a}})40({{\text{z}}^2} - {{\text{a}}^2})$
$= 2{\text{qa}}40({{\text{z}}^2} - {{\text{a}}^2}) = {\text{p}}40({{\text{z}}^2} - {{\text{a}}^2})$
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता
$p = $ दो आवेशों की प्रणाली का द्विध्रुवीय क्षण $= 2qa$
(b) मूल बिंदु से किसी बिंदु की दूरी $r$ पर विभव की निर्भरता ज्ञात कीजिए, जबकि $r/a > > 1$ है।
(b) डिस्टेंस $r$, दोनों चार्ज के बीच की दूरी के आधे से ज्यादा है। इसलिए, दूरी $r$ पर संभावित ( $V$ ) दूरी के वर्ग के विपरीत आनुपातिक है यानी $ \vee $ $ \propto 1{\text{r}}2)$
(c) $x$-अक्ष पर बिंदु $(5,0,0)$ से बिंदु $( - 7,0,0)$ तक एक परीक्षण आवेश
को ले जाने में कितना कार्य करना होगा? यदि परीक्षण आवेश के उन्हीं
बिंदुओं के बीच $x$-अक्ष से होकर न ले जाएँ तो क्या उत्तर बदल जाएगा?
(c) शून्य
यदि परीक्षण का मार्ग $x$ - अक्ष के साथ नहीं है तो उत्तर नहीं बदलता है।
एक्स-अक्ष के साथ बिंदु $(5,0,0)$ से बिंदु $(07,0,0)$ तक एक परीक्षण प्रभार स्थानांतरित किया जाता है। बिंदु $(5,0,0)$ पर इलेक्ट्रोस्टेटिक क्षमता (V1) द्वारा दी गई है,
${V_1} = - q401{(5 - 0)^2} + {( - a)^2} + q401{(5 - 0)^2} + {(a)^2}$
$= - {\text{q}}4025 + {{\text{a}}^2} + {\text{q}}4025 + {\text{a}}{}^2$
$= 0$ इलेक्ट्रोस्टेटिक क्षमता, ${V_2}$, बिंदु पर $( - 7,0,0)$ द्वारा दिया जाता है,
$V2 = - {\text{q}}401{( - 7)^2} + {( - {\text{a}})_2} + {\text{q}}401{( - 7)^2} + {({\text{a}})^2}$ $= - {\text{q}}40149 + {{\text{a}}^2} + {\text{q}}40149 + {{\text{a}}^2}$ $= 0$
इसलिए, $x$ - अक्ष के साथ बिंदु $(5,0,0)$ से बिंदु $(7,0,0)$ तक एक छोटा परीक्षण चार्ज ले जाने में कोई काम नहीं किया जाता है।
उत्तर नहीं बदलता है क्योंकि इलेक्ट्रोस्टैटिक क्षेत्र द्वारा दो बिंदुओं के बीच एक परीक्षण चार्ज को आगे बढाने का काम दो बिंदुओं को जोडने वाले मार्ग से स्वतंत्र है।
22. नीचे दिए गए चित्र में एक आवेश विन्यास जिसे विघ्दूत चतुधरूवि कहा जाता है, दर्शाया गया है। चतुधरूवि के अक्ष पर स्थित किसी बिंदु के लिए $r$ पर विभाव की निर्भरता प्राप्त कीजिए जहाँ $r/a > > 11$ अपने परिणाम की तुलना एक विघ्दूत द्विध्रुव व विघ्दूत एकल ध्रुव (अर्थात किसी एकल आवेश) के लिए प्राप्त परिणामों से कीजिए।
उत्तर : एक ही परिमाण के चार आरोपों को क्रमशः $X,Y,Y$ और $Z$ पर रखा गया है।
${\text{P}}$ पर एक बिंदु स्थित है, जो बिंदु ${\text{Y}}$ से ${\text{r}}$ की दूरी पर है।
आवेशों की प्रणाली विद्युत चतुष्कोण बनाती है।
यह माना जा सकता है कि विद्युत चौगुनी की प्रणाली में तीन प्रभार हैं। चार्ज $ + {\text{a}}$ बिंद ${\text{X}}$ पर रखा गया
चार्ज $ - 2q$ बिंदु $Y$ पर रखा गया
चार्ज $ + {\text{q}}$ बिंदु ${\text{Z}}$ पर रखा गया
${\text{XY}} = {\text{YZ}} = {\text{a}}$ ${\text{YP}} = {\text{r}}$ ${\text{PX}} = {\text{r}} + {\text{a}}$ ${\text{PZ}} = {\text{r}} - {\text{a}}$
बिंदु $P$ पर तीन आवेशों की प्रणाली के कारण इलेक्ट्रोस्टैटिक क्षमता किसके द्वारा दी जाती है,
$V = 140q \times P - 2qYP + qZP$
$= 140qr + a - 2qr + qr - a$
$= q40r(r - a) - 2(r + a)(r - a) + r(r + a)r(r + a)(r - a)$
$= q40{r^{_2}} - ra - 2{r^{_2}} + {r^{_2}} + \operatorname{rar} ({r^{_2}} - {a^{_2}}) = q402a2r({r^2} - {a^2})$
$= 2q{a^2}40{r^{31}} - {a^2}{r^2}$
जबसे $ra > > 1$ ar $ < < 1$
${{\text{a}}^2}{{\text{r}}^2}$ नगण्य के रूप में लिया जाता है।
$v = 2q{a^2}40{r^3}$
यह अनुमान लगाया जा सकता है कि क्षमता, $V \propto 1{r^3}$
हालांकि, यह ज्ञात है कि एक द्विध्रुवीय के लिए $v \propto 1{r^2}$.
और, एक मोनोपोल के लिए, $ \vee \propto 1{\text{r}}$
23. एक विघ्यूट टेक्निशन को $1{\text{kV}}$ विभावांतर के परिपथ में $2F$ संधारित्र की आवश्यकता है। $1\;{\text{F}}$ के संधारित्र उसे प्रचुर संख्या में उपलब्ध हैं जो $400\;{\text{V}}$ से अधिक का विभावांतर वहन नहीं कर सकते। कोई सम्भव विन्यास सुझाइए जिसमें न्यूनतम संधारित्रों की आवश्यकता हो।
उत्तर : कुल आवश्यक समाई, $C = 2\;{\text{F}}$
संभावित अंतर, $V = 1{\text{KV}} = 1000\;{\text{V}}$
प्रत्येक संधारित्र की क्षमता, ${C_1} = 1F$
प्रत्येक संधारित्र एक संभावित अंतर का सामना कर सकता है, ${V_1} = $ $400\;{\text{V}}$ मान लीजिए कि कई केपेसिटर श्रृंखला में जुड़े हुए हैं और ये श्रृंखला सर्किट एक दूसरे के समानांतर (पंक्ति) में जुड़े हुए हैं। प्रत्येक पंक्ति में संभावित अंतर $1000\;{\text{V}}$ होना चाहिए और प्रत्येक संधारित्र में संभावित अंतर $400\;{\text{V}}$ होना चाहिए। इसलिए, प्रत्येक पंक्ति में केपेसिटर की संख्या इस प्रकार दी गई है
$1000400 = 2.5$
इसलिए, प्रत्येक पंक्ति में तीन केपेसिटर हैं।
प्रत्येक पंक्ति की क्षमता $= 11 + 1 + 1 = 13\;{\text{F}}$
चलो एन पंक्तियाँ हैं, प्रत्येक में तीन केपेसिटर है, जो समानांतर में जुड़े हुए हैं। इसलिए, सर्किट के समतुल्य समाई के रूप में दिया जाता है $13 + 13 + 13 + $ n terms
$= {\text{n(}}3)$
सर्किट की कपैसिटन्स $2F$
${\text{n}}3 = 2$
$n = 6$
इसलिए, तीन केपेसिटर की $6$ पंक्तियाँ सर्किट में मौजूद हैं। दी गई व्यवस्था के लिए न्यूनतम $6 \times 3$ यानी $18$ केपेसिटर की आवश्यकता होती है।
24. $2\;{\text{F}}$ वाले एक समांतर पट्टिका संधारित्र की पट्टिका का क्षेत्रफल क्या है, जबकि पट्टिकाओं का पृथकन $0.5\;{\text{cm}}$ है? [अपने उत्तर से आप यह समझ जाएँगे की सामान्य संधारित्र F या कम परिसर के क्यों होते हैं?तथापि विघ्दूत-अपघटन संधारित्रों (Electrolytc capacitors) की धारिता $(0.1\;{\text{F}})$ होती है क्योंकि चालकों के बीच अति सूक्ष्म पृथकन होता है।
उत्तर: एक समानांतर संधारित्र की क्षमता, $V = 2F$ दो प्लेटों के बीच की दूरी, $d = 0.5\;{\text{cm}} = 0.5 \times {10^{ - 2}}\;{\text{m}}$
समतुल्य प्लेट संधारित्र का संधारित्र संबंध द्वारा दिया जाता है,
$C = OAd$
$A = CdO$
कहा पे,
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता $= 8.85 \times {10^{ - 12}}{{\text{C}}^2}\;{{\text{N}}^{ - 1}}\;{{\text{m}}^{ - 2}}$ $\;{\text{A}} = 2 \times 0.5 \times {10^{ - 12}}(8.85 \times {10^{ - 12}}) = 1130\;{\text{k}}{{\text{m}}^2}$
इसलिए, प्लेटों का क्षेत्र बहुत बड़ा है। इस स्थिति से बचने के लिए, समाई को ${\text{F}}$ की सीमा में लिया जाता हैं।
25: चित्र के नेट्वर्क (जाल) की तुल्य धारिता प्राप्त कीजिए। ${\mathbf{300}}{\text{ }}{\mathbf{V}}$संभरन (सप्लाई) के साथ प्रत्येक संधारित्र का आवेश व उसकी वोल्टता ज्ञात कीजिए।
उत्तर: केपेसिटर ${C_1}$का केपेसिटेंस $100{\text{pF}}$ है। केपेसिटर ${C_2}$का कैपेसिटेंस $200{\text{pF}}$ है।
केपेसिटर ${{\text{C}}_3}$ का केपेसिटेंस $200{\text{pF}}$ है।
केपेसिटर ${{\text{C}}_4}$ का केपेसिटेंस $100{\text{pF}}$ है।
आपूर्ति की क्षमता, $V = 300\;{\text{V}}$
केपेंसिटर ${C_2}$ और ${{\text{C}}_3}$ श्रृंखला में जुड़े हुए हैं। उनके समकक्ष समाई होने दें
$1{C_1} = 1200 + 1200 = 2200$
${C_1} = 100{\text{pF}}$
केपेसिटर ${C_1}$ और ${\text{C}}$ ' समानांतर में हैं। उनके समकक्ष समाई होने दें ${\text{C}}$ "
${C^{\prime \prime }} = {C^\prime } + {C_1}$
$= 100 + 100 = 200{\text{pF}}$
${{\text{C}}^{\prime \prime }}$ और ${{\text{C}}_4}$ श्रृंखला में जुड़े हुए हैं। उनकी समाई केपेसिटी ${\text{C}}$ होने दें।
$1C = 1{C^{\prime \prime }} + 1{C_4}$
$= 1200 + 1100 = 2 + 1200$
$C = 2003{\text{pF}}$
इसलिए, सर्किट का समकक्ष समाई है $2003{\text{pF}}$
भर में संभावित अंतर $= {C^n} = {{\text{V}}^{\prime \prime }}$
${{\text{C}}_4} = {{\text{V}}_4}$ भर में संभावित अंतर
${V^{\prime \prime }} + {V_4} = V = 300\;{\text{V}}$
चार्ज करें ${{\text{C}}_4}$
${{\text{Q}}_4} = {\text{CV}}$
$= 2003 \times {10^{ - 12}} \times 300$
$= 2 \times {10^{ - 8}}{\text{C}}$
${V_4} = {{\text{Q}}_4}{{\text{C}}_4}$
$= 2 \times {10^{ - 8}} \times 100 \times {10^{ - 12}} = 200\;{\text{V}}$
${C_1}$ पे वोल्टिज
${V_1} = V - {V_4}$
$= 300 - 200 = 100\;{\text{V}}$
इसलिए, संभावित अंतर, ${V_1},{C_1}$ के पार $100V$ है।
${C_1}$ पर प्रभार किसके द्वारा दिया जाता है,
${Q_1} = {C_1}{V_1}$
$= 100 \times {10^{ - 12}} \times 100$
$= {10^{ - 8}}C$
${C_2}$और ${C_3}$ में समान केपेसिटेंस होने पर एक साथ $100 \vee $ का संभावित अंतर होता है। चूंकि ${C_2}$ और ${C_3}$ श्रृंखला में हैंत्र और ${C_3}$ में संभावित अंतर इसके द्वारा दिया गया है,
${V_2} = {V_3} = 50\;{\text{V}}$
इसलिए, ${C_2}$ पर प्रभार द्वारा दिया जाता है,
${{\text{Q}}_2} = {C_2}{V_2}$
$= 200 \times {10^{ - 12}} \times 50$
$= {10^{ - 8}}{\text{C}}$
और ${C_3}$ पर प्रभार द्वारा दिया जाता है,
${{\text{Q}}_3} = {{\text{C}}_{3\;}}{{\text{V}}_3}$
$= 200 \times {10^{ - 12}} \times 50$
$= {10^{ - 8}}{\text{C}}$
इसलिए दिए गए सर्किट के समतुल्य समाई है $2003{\text{pF}},{{\text{Q}}_1} = {10^{ - 8}}{\text{C}}$,
${{\text{V}}_1} = 100\;{\text{V}}$
${\text{Q}}{}_2 = {10^{ - 8}}{\text{C}},{{\text{V}}_2} = 50\;{\text{V}}$
${{\text{Q}}_3} = 10{}^{ - 8}{\text{C}},{{\text{V}}_3} = 50\;{\text{V}}$
${{\text{Q}}_4} = {10^{ - 8}}{\text{C}},{{\text{V}}_4} = 200\;{\text{V}}$
26. किसी समन्तार पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल $90\;{\text{c}}{{\text{m}}^2}$ है और उनके बीच पृथकन $2.5\;{\text{mm}}$ है। $400\;{\text{V}}$ संभरन से संधारित्र किया गया है।
(a) संधारित्र कितना स्थिर्वेघ्दुत ऊर्जा संचित करता है?
उत्तर 26: एक समानांतर प्लेट केपेसिटर की प्लेटों का क्षेत्रफल, $a = 90$ ${\text{c}}{{\text{m}}^2} = 90 \times {10^{ - 4}}\;{{\text{m}}^2}$
प्लेटों के बीच की दूरी, $d = 2.5\;{\text{mm}} = 2.5 \times {10^{ - 3}}\;{\text{m}}$
प्लेटों में संभावित अंतर, $V = 400\;{\text{V}}$
(a) संधारित्र के समाई संबंध द्वारा दिया जाता है,
$C = 0{\text{Ad}}$
संधारित्र में संग्रहीत इलेक्ट्रोस्टेटिक ऊर्जा संबंध द्वारा दी जाती है, ${E_1} = 12C{V_2} = 120{\text{Ad}}{{\text{V}}_2}$
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता $= 8.85 \times {10^{ - 12}}(2\;{{\text{N}}^{ - 1\;}}{{\text{m}}^{ - 2}}$
${{\text{E}}_1} = 1 \times 8.85 \times {10^{ - 12}} \times 90 \times {10^{ - 4}} \times (400)22 \times 2.5 \times {10^{ - 3}}$
$= 2.55 \times {10^{ - 6}})$
इसलिए, संधारित्र द्वारा संग्रहीत इलेक्ट्रोस्टैटिक ऊर्जा है $2.55 \times {10^{ - 6}}$
(b) इस ऊर्जा को पट्टिकाओं के बीच स्थिर्वैद्दुत क्षेत्र में संचित समझकर प्रति एकांक आयतन ऊर्जा $u$ ज्ञात कीजिए। इस प्रकार, पट्टिकाओं के बीच विघ्दूत क्षेत्र $E$ के परिमाण और $u$ में सम्बंध स्थापित कीजिए।
(b) दिए गए संधारित्र का आयतन,
$V = A \times d$$= 90 \times {10^{ - 4}} \times 25 \times {10^{ - 3}}$
$= 2.25 \times {10^{ - 4}}\;{{\text{m}}^3}$
प्रति इकाई आयतन में संधारित्र में संग्रहीत ऊर्जा किसके द्वारा दी जाती है,
${\text{u}} = {{\text{E}}_{1\;}}{\text{V}}$
$= 2.55 \times {10^{ - 6}} \times 2.55 \times {10^{ - 4}} = 0.113\;{\text{J}}\;{{\text{m}}^{ - 3}}$
${\text{u}} = {{\text{E}}_{1\;}}{\text{V}}$
$= 12{\text{C}}{{\text{V}}_2}{\text{Ad}} = 0\;{{\text{A}}_2}\;{\text{dV}}{{\text{A}}_2}{\text{Ad}} = 120{({\text{Vd}})^2}$
${\text{Vd}} = $ बिजली की तीव्रता $= {\text{E}}$
${\text{u}} = 120{{\text{E}}_2}$
27. एक $4{\text{ }}F$ के संधारित्र को $200\;{\text{V}}$ सम्भरन (सप्लाई) से आवेशित किया गया है। फिर सम्भरन से हटाकर इसे एक अन्य अनावेशित $2\;{\text{F}}$ के संधारित्र से जोड़ जाता है। पहले संधारित्र की कितनी स्थिर्वेघ्दुत ऊर्जा का ऊष्मा और वैग़दुत-चुंबकीय विकिरण के रूप में ह्नास होता है?
उत्तर : एक संधारित्र के संधारित्र, ${{\text{C}}_1} = 4\;{\text{F}} = 4 \times {10^{ - 6}}\;{\text{F}}$ आपूर्ति वोल्टेज, ${V_1} = 200\;{\text{V}}$
${{\text{C}}_1}$ में संग्रहीत इलेक्ट्रोस्टेटिक ऊर्जा द्वारा दिया जाता है,
${{\text{E}}_1} = 12{{\text{C}}_{1\;}}{{\text{V}}_{12}}$
$= 12 \times 4 \times {10^{ - 6}} \times {(200)^2}$
$ = 8 \times {10^{ - 2}}$
एक संधारित्र संधारित्र की क्षमता, ${C_2} = 2F = 2 \times {10^{ - 6}}\;{\text{F}}$ जब ${{\text{C}}_2}$ सर्किट से जुड़ा होता है, तो इसके द्वारा अधिग्रहित क्षमता ${{\text{V}}_2}$ है।
चार्ज के संरक्षण के अनुसार, कैपेसिटर ${C_1}$ पर प्रारंभिक चार्ज केपेसिटर, ${C_1}$ और ${{\text{C}}_2}$ पर अंतिम चार्ज के बराबर है।
${{\text{V}}_2}({{\text{C}}_1} + {{\text{C}}_2}) = {{\text{C}}_1}\;{{\text{V}}_1}$
${V_2} \times (4 + 2) \times {10^{ - 6}} = 4 \times {10^{ - 6}} \times 200$
${V_2} = 4003{\text{ }}V$
दो केपेसिटर के संयोजन के लिए इलेक्ट्रोस्टैटिक ऊर्जा द्वारा दिया जाता है,
${{\text{E}}_2} = 12({{\text{C}}_1} + {{\text{C}}_2}){\text{V}}_2^2$
$= 12(2 + 4) \times {10^{ - 6}} \times {(4003)^2}$
$= 5.33 \times {10^{ - 2}}\;{\text{J}}$
इसलिए, संधारित्र ${C_1}$ द्वारा खोई गई इलेक्ट्रोस्टैटिक ऊर्जा की मात्रा
$= {{\text{E}}_1} - {\text{E}}{}_2$
$= 0.08 - 0.0533 = 0.0267$
$= 2.67 \times {10^{ - 2}}\;{\text{J}}$
28. दर्शाइए की एक समांतर पट्टिका संधारित्र की प्रत्येक पट्टिका पर बल का परिमाण $12QE$ है, जहाँ $Q$ संधारित्र पर आवेश है और $E$ पट्टिकाओं के बीच विघ्दूत क्षेत्र का परिमाण है। घटक $1/2$ के मूल को समझाईए।
उत्तर : $F$ को $x$ की दूरी से समानांतर प्लेट संधारित्र की प्लेटों को अलग करने के लिए लागू बल होने दें। इसलिए, ऐसा करने के लिए बल द्वारा किया गया कार्य $= {\text{Fx}}$
नतीजतन, संधारित्र की संभावित ऊर्जा यूएएक्स के रूप में दी गई राशि से बढ़ जाती है ${\text{UAx}}$
u= ऊर्जा घनत्व
$A = $ प्रत्येक प्लेट का क्षेत्र
${\text{d}} = $ प्लेटों के बीच की दूरी
$V = $ प्लेटों में संभावित अंतर
किया गया कार्य संभावित ऊर्जा में वृद्धि के बराबर होगा अर्थात्, ${\text{Fx}} = {\text{UAx}}$ ${\text{F}} = {\text{uA}} = 120{{\text{E}}_2}\;{\text{A}}$
बिजली की तीव्रता किसके द्वारा दी जाती है,
${\text{E}} = {\text{Vd}}$ ${\text{F}} = 12{\text{OVdEA}} = 120{\text{AVdE}}$
$F = 120{\text{VdEA}} = 120{\text{AVdE}}$ हालाँके, समाई, ${\text{C}} = 0{\text{Ad}}$
$F = 12({\text{CV}}){\text{E}}$
संधारित्र पर प्रभार द्वारा दिया जाता है,
$Q = CV$
$F = 12QE$
कारक की भौतिक उत्पत्ति, बल सूत्र में $12$, इस तथ्य में निहित है कि कंडक्टर के बाहर, फ़ील्ड $E$ है और इसके अंदर शून्य है। इसलिए, यह उस क्षेत्र का औसत मूल्य है ${E_2}$, जो बल में योगदान देता है।
29. दो सकेंद्री गोलिय चालकों जिनको उपयुक्त विद्दुत्रोधी आलंबों से उनकी स्थिति में रोका ज्ञा है, से मिलकर एक गोलिय संधारित्र बना है (चित्र)। दर्शाइए की गोलिय संधारित्र की धारिता $C$ इस प्रकार व्यक्त की जाती है:
$c = 40{r_1}{r_2}{r_1} - {r_2}$
यहाँ ${r_1}$ और ${r_2}$ क्रमशः बाहरी तथा भीतरी गोलों की त्रिजयाएँ हैं।
उत्तर : बाहरी आवरण का त्रिज्या $= {r_1}$
भीतरी खोल का त्रिज्या $= {{\text{r}}_2}$
बाहरी आवरण की भीतरी सतह में आवेश $ + Q$ होता है।
आंतरिक आवरण की बाहरी सतह ने आवेश $ - Q$ को प्रेरित किया है। दो गोले के बीच संभावित अंतर किसके द्वारा दिया जाता है,
${\text{V}} = {\text{ }}{{\text{Q}}_{\text{4}}}{\text{0}}{{\text{r}}_{\text{2}}}{\text{ - Q40}}{{\text{r}}_{\text{1}}}{\text{ }}$
${\text{O}} = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता
${\text{v}} = {\text{Q}}401{{\text{r}}_2} - 1{{\text{r}}_1}$
$= {\text{Q}}({{\text{r}}_1} - {{\text{r}}_2})40{{\text{r}}_1}{{\text{r}}_2}$
दी गई प्रणाली की धारिता द्वारा दी गई है
$c = $ Charge (Q)Potential Difference $(V)$
$= 40{r_1}{{\text{r}}_2}{r_1} - {r_2}$
इसलिए, साबित कर दिया।
30. एक गोलिय संधारित्र के भीतरी गोले की त्रिज़्या $12\;{\text{cm}}$ तथा बाहरी गोले की त्रिज़्या $13\;{\text{cm}}$ है। बाहरी गोला भू-संपक्रित है तथा भीतरी गोले पर $2.5{\text{C}}$ का आवेश दिया ज्ञ है। संकेंद्री गोलों के बीच के स्थान में $32$ प्रवेघ्दुतांक का दरिव भरा है।
(a) संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए।
उत्तर : आंतरिक क्षेत्र की त्रिज्या, $12\;{\text{cm}} = 0.12\;{\text{m}}$
बाहरी क्षेत्र की त्रिज्या, $= 13\;{\text{cm}} = 0.13\;{\text{m}}$
आंतरिक क्षेत्र पर प्रभारी,
तरल के ढांकता हुआ निरंतर,
(a) संधारित्र की केपेसिटेंस संबंध द्वारा दी गई है
$C = 40r{r_1}{r_2}{r_1} - {r_2}$
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता $= 8.85 \times {10^{ - 12}}(2\;{{\text{N}}^{ - 1}}\;{{\text{m}}^{ - 2}}$
$140 = 9 \times {10^9}\;{\text{N}}\;{{\text{m}}^2}{{\text{C}}^{ - 2}}$
$C = 32 \times 0.12 \times 0.139 \times 109 \times (0.13 - 0.12)$
$ \approx 5.5 \times {10^{ - 9}}\;{\text{F}}$
इसलिए, संधारित्र का समाई लगभग है $5.5 \times {10^{ - 9}}\;{\text{F}}$
(b) भीतरी गोले का विभाव क्या है?
(b) आंतरिक क्षेत्र की क्षमता द्वारा दी गई है,
$V = qC$
$= 2.5 \times {10^{ - 6}} \times 5.5 \times {10^{ - 6}} = 4.5 \times {10^2}V$
इसलिए, आंतरिक क्षेत्र की क्षमता $4.5 \times {10^2}\;{\text{V}}$
(c) इस संधारित्र की धारिता की तुलना एक $12\;{\text{cm}}$ त्रिज़्या वाले किसी वियुक्त गोले की धारिता से कीजिए। व्याख्या कीजिए की गोले की धारिता कम क्यों है।
(c) एक पृथक क्षेत्र का त्रिज्या, $r = 12 \times {10^{ - 2\;}}{\text{m}}$ क्षेत्र के संबंध द्वारा दिया गया है,
${C^\prime } = 40r$
$= 4 \times 8.85 \times {10^{ - 12}} \times 12 \times {10^{ - 12}}$
$= 1.33 \times {10^{ - 11}}\;{\text{F}}$
संकेंद्रित गोले की तुलना में पृथक क्षेत्र की धारिता कम होती है। इसका कारण यह है कि संकेंद्रित गोले के बाहरी क्षेत्र को पृथ्वी पर रखा गया है। इसलिए, संभावित अंतर कम है और समाई पृथक क्षेत्र की तुलना में अधिक है।
31. सावधानिपूर्वक उत्तर दीजिए:
(a) दो बड़े चालक गोले जिन पर आवेश $Q$ और ${Q_2}$ हैं, एक-दूसरे के समीप लाए जाते हैं। क्या इनके बीच स्थिर्वैद्दुत बल का परिमाण तथ्यतः $\dfrac{{{{\mathbf{Q}}_{\mathbf{1}}}{{\mathbf{Q}}_{\mathbf{2}}}}}{{{\mathbf{40}}{{\mathbf{r}}_{\mathbf{2}}}}}$
द्वारा दर्शाया जाता है, जहाँ $r$ इनके केंद्रों के बीच की दूरी है?
उत्तर: (a) दो संवाहक क्षेत्रों के बीच का बल बिल्कुल अभिव्यक्ति द्वारा नहीं दिया जाता है, $\dfrac{{{Q_1}{\text{ }}{Q_2}}}{2}$, क्योंकि गोले पर एक गैर-समान प्रभार वितरण है।.
(b) यदि कुलोम के नियम में $\dfrac{1}{{{{\text{r}}_2}}}$ निर्भरता का समावेश ($\dfrac{1}{{{{\text{r}}_2}}}$ के स्थान पर) हो तो क्या गाउस का नियम अभी भी सत्य होगा?
उत्तर: (b) गॉस का नियम सही नहीं होगा, यदि कूलॉम्ब के नियम में $r$ के बजाय $\dfrac{1}{{{{\text{r}}_3}}}$ निर्भरता शामिल है।
(c) स्थिर्वेघ्दुत क्षेत्र विन्यास में एक छोटा परीक्षण आवेश किसी बिंदु पर
विराम में छोड़ा जाता है। क्या यह उस बिंदु से होकर जाने वाली क्षेत्र रेखा के अनुदिश चलेगा?
उत्तर: (c) हाँ, यदि इलेक्ट्रोस्टैटिक फील्ड कॉन्फ़िगरेशन में एक बिंदु पर एक छोटा परीक्षण चार्ज आराम से जारी किया जाता है, तो यह बिंदु के माध्यम से गुजरने वाली फ़ील्ड लाइनों के साथ यात्रा करेगा, केवल तभी जब फ़ील्ड लाइनें सीधी हों। इसका कारण यह है कि क्षेत्र रेखाएँ त्वरण की दिशा देती हैं और वेग की नहीं।
(d) इलेक्ट्रॉन द्वारा एक वृत्तिय कक्षा पूरी करने में नाभिक के क्षेत्र द्वारा कितना कार्य किया जाता है? यदि कक्षा दीर्घ्वित्तकार हो तो क्या होगा?
उत्तर: (d) जब भी इलेक्ट्रॉन एक कक्षा पूरी करता है, या तो गोलाकार या अण्डाकार, नाभिक के क्षेत्र द्वारा किया गया कार्य शून्य होता है।
(e) हमें ज्ञात है की एक आवेशित चालक के पृष्ठ के आर-पार विघ्दूत क्षेत्र असंतत होता है। क्या वहाँ वैगादुत विभाव भी असंतत विभाव भी असंतत होगा?
उत्तर: (e) नहीं, एक चार्ज किए गए कंडक्टर की सतह पर विद्युत क्षेत्र बंद है। हालांकि, बिजली की क्षमता निरंतर है।
(f) किसी एकल चालक की धारिता से आओका क्या अभिप्राय है?
उत्तर: (f) एकल कंडक्टर की समाई को अनंत में इसकी दो प्लेटों में से एक के साथ समानांतर प्लेट संधारित्र माना जाता है।
(g) एक सम्भावित उत्तर की कल्पना कीजिए कि पानी का प्रवेघ्दुतांक $( = 80)$, अभ्रक के प्रवैघ्दुतांक $( = 6)$ से अधिक क्यों होता है?
उत्तर: (g) अभ्रक की तुलना में जल में एक विषम स्थान होता है। चूंकि इसमें एक स्थायी द्विध्रुवीय क्षण होता है, इसलिए इसमें अभ्रक की तुलना में अधिक ढांकता हुआ स्थिरांक होता है।
32. एक बेलनाकार संधारित्र में $15\;{\text{cm}}$ लंबाई एवं त्रिजयाएँ $1.5\;{\text{cm}}$ तथा $1.4\;{\text{cm}}$ के दो समाक्ष बेलन हैं। बाहरी बेलन भू-संपक्रित है और भीतरी बेलन को $3.5C$ का आवेश दिया गया है। निकाय की धारिता और भीतरी बेलन का विभाव ज्ञात कीजिए।अँट्य प्रभाव (अर्थात सिरों पर क्षेत्र रेखाओं का मुड़ना) की उपेक्षा कर सकते हैं।
उत्तर : एक सह-अक्षीय सिलेंडर की लंबाई, $l = 15\;{\text{cm}} = 0.15\;{\text{m}}$ बाहरी सिलेंडर का त्रिज्या, ${r_1} = 1.5\;{\text{cm}} = 0.015\;{\text{m}}$
आंतरिक सिलेंडर का त्रिज्या, ${r_2} = 1.4\;{\text{cm}} = 0.014\;{\text{m}}$
आंतरिक सिलेंडर पर चार्ज करें, ${\text{q}} = 3.5{\text{C}} = 3.5 \times {10^{ - 6}}{\text{C}}$
त्रिज़्या के सह-अक्षिय सिलेंडर का समाई ${r_1}$ और ${r_2}$
$c = 2$
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता $= 8.85 \times {10^{ - 12}}\;{{\text{N}}^{ - 1}}\;{{\text{m}}^{ - 2}}{{\text{C}}^2}$
$C = 2 \times 8.85 \times {10^{ - 12}} \times 0.152 \times 3026\log 100 \times 150 \times 14$
$= 2 \times 8.85 \times {10^{ - 12}} \times 0.152 \times 3026 \times 0.0299 = 1.2 \times {10^{ - 10}}\;{\text{F}}$ आंतरिक सिलेंडर का संभावित अंतर किसके द्वारा दिया जाता है,
$V = {\text{q}}C$
$ = 3.5 \times {10^{ - 6}} \times 1.2 \times {10^{ - 10}} = 2.92 \times {10^4}\;{\text{V}}$
33. 3 परावैघटांनक तथा ${10^7}{\text{V}}{{\text{m}}^{ - 1}}$ की परावैगुट साम्ध्य वाले एक पदार्थ से $1{\text{kV}}$ वोलत्ता अनुमतंक के समांतर पट्टिका संधारित्र की अभिकल्पना करनी है। (परावैगुट साम्ध्य वह अधिकतम विघ्दूत क्षेत्र है जिसे कोई पदार्थ बिना भंग हुए अर्थात आशिंक आयनन द्वारा बिना वैगुट संचरण आरम्भ की सहन कर सकता है) सुरक्षा की हृष्टि से क्षेत्र को कभी भी परवाईघड़त सामर्थ्य के $10\% $ से अधिक नहीं होना चाहिए। $50{\text{pf}}$ धारिता के लिए पट्टिकाओं का कितना न्यूनतम क्षेत्रफल होना चाहिए?
उत्तर : एक समानांतर प्लेट केपेसिटर की संभावित रेटिंग, $V = 1{\text{kV}}$ $= 1000\;{\text{V}}$
एक सामग्री का ढांकता हुआ निरंतर, $r = 3$
.ढांकता हुआ ताकत $= {10^{7\;}}{\text{V}}/{\text{m}}$
सुरक्षा के लिए, क्षेत्र की तीव्रता कभी भी ढांकता हुआ शक्ति के $10\% $ से अधिक नहीं होती है।
इसलिए, विद्युत क्षेत्र की तीव्रता, $E = 10\% {10^7} = {10^6}\;{\text{V}}/{\text{M}}$
समांतर प्लेट केपेसिटर की क्षमता, $C = 50{\text{pF}} = 50 \times {10^{ - 12}}\;{\text{F}}$
प्लेटों के बीच की दूरी इसके द्वारा दी गई है,
$d = VE$
$= {100010^6} = {10^{ - 3\;}}{\text{m}}$
संबंध द्वारा धारिता दी जाती है
$C = {\text{ OrAd }}$
$A = $ प्रत्येक प्लेट का क्षेत्र
$0 = $ मुक्त स्थान की पारगम्यता $= 8.85 \times {10^{ - 12}}\;{{\text{N}}^{ - 1}}{{\text{C}}^2}\;{{\text{m}}^{ - 2}}$
$\;{\text{A}} = {\text{CdOr}}$
$= 50 \times {10^{ - 12}} \times {10^{ - 3}} \times 8.85 \times {10^{ - 12}} \times 3 \approx 19\;{\text{c}}{{\text{m}}^2}$
इसलिए, प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल लगभग $19\;{\text{c}}{{\text{m}}^2}$ है।
34. व्यवस्थात्मकत: निम्नलिखित में संगत सामविभाव पृष्ठ का वर्णन कीजिए;
(a) $z -$दिशा में अचर विघ्दूत क्षेत्र
उत्तर: (a) एक्स-वाई प्लेन के समानांतर समद्वीपीय विमान, उपसमी सतह हैं।
(b) एक क्षेत्र जो एक्समान रूप से बड़ता है, परंतु एक ही दिशा ( मान लीजिए $z -$दिशा) में रहता है।
उत्तर: (b) $x - y$ समतल के समानांतर की योजनाएँ इस बात की अपवाद स्वरूप सतहें हैं कि जब विमान समीप आते हैं, तो क्षेत्र में वृद्धि होती है।
(c) मूल बिंदु पर कोई एकल धनावेश, और
उत्तर: (c) मूल पर केन्द्रित केन्द्रक गोले, उपसमी सतह होते हैं।
(d) एक समतल में समान दूरी पर समांतर लम्बे आवेशित तारों से बने एकसमान जाल।
उत्तर: (d) दी गई ग्रिड के समीप समय-समय पर बदलती आकृति है। यह आकार धीरे-धीरे बड़ी दूरी पर ग्रिड के समानांतर विमानों के आकार तक पहुंचता है।
35. ${r_1}$ त्रिज्या तथा ${q_1}$ अवेश वाला एक छोटा गोला, ${r_2}$ त्रिज़्या और ${{\text{q}}_2}$ आवेश के गोलिय खोल (काश) से घिरा है। दर्शाइए यदि ${q_1}$ धनात्मक है तो (जब दोनों को एक तार द्वारा जोड़ दिया जाता है) आवश्यक रूप से आवेश, गोले से खोल की तरफ़ ही प्रवाहित होगा, चाहे खोल पर आवेश ${{\text{q}}_2}$ कुछ भी हो।
उत्तर : गॉस के नियम के अनुसार, एक गोले और खोल के बीच का विद्युत क्षेत्र एक छोटे से गोले पर चार्ज ${q_1}$द्वारा निधीरित किया जाता है। इसलिए, संभावित अंतर, $V$, गोले और शेल के बीच चार्ज ${q^2}$ से स्वतंत्र है। सकारात्मक चार्ज ${q_1}$ के लिए, संभावित अंतर $V$ हमेशा सकारात्मक होता है।
36. निम्न का उत्तर दीजिए :
a. पृथ्वी के पृष्ठ के सापेक्ष वायुमंडल की ऊपरी परत लगभग $400{\text{kV}}$ पर है, जिसके संगत विघ्धूट क्षेत्र ऊँचाई बदने के साथ कम होती है। पृथ्वी के पृष्ठ के समीप विघ्दूत क्षेत्र लगभग $100\;{\text{V}}\;{{\text{m}}^{ - 1}}$ है। तब फिर जब हम घर से बाहर खुले में जाते हैं, तो हमें विघ्दूत आघात क्यों नहीं लगता? (घर को लोहे का पिंजरा मान लीजिए, अत: उसके अंदर कोई विघ्दूत क्षेत्र नहीं है !)
(संकेत: पृष्ठ आवेश घनत्व $= {10^{ - 9}}{\text{C}}{{\text{m}}^{ - 2}}$ के अनुरूप पृथ्वी के (पृष्ठ) पर नीचे की दिशा में लगभग $100\;V{{\text{m}}^{ - 1}}$ का विघ्दूत क्षेत्र होता है। लगभग 50 ${\text{km}}$ ऊँचाई तक (जिसके बाहर यह अच्छा चाल है) वातावरण की थोड़ी सी चालकता के कारण लगभग $ + 1800{\text{C}}$ का आवेश प्रति संकेड समग्र रूप से पृथ्वी में पम्प होता है। तथापि, पृथ्वी निरवेशित नहीं होती, क्योंकि संसार में हर समय लगातार तड़ित तथा तड़ित-झंझा होती है, जो समान मात्रा में ऋणावेश पृथ्वी में पम्प कर देती है।)
उत्तर : (a) हमारा शरीर तथा पृथ्वी के समान विभाव पर रहने के कारण हमारे शरीर से होकर कोई विघ्दूत धारा प्रवाहित नहीं होती इसीलिए हमें कोई विघ्दूत आघात नहीं लगता।
b. एक व्यक्ति शाम के समय अपने घर के बाहर $2\;{\text{m}}$ ऊँचा अवरोधी पट्ट रखता है जिसके शिखर पर एक $1\;{\text{m}}2$ क्षेत्रफल की बड़ी ऐल्यूमिनीयम की चादर है। अगली सुबह वह यदि धातु की चादर को छूता है तो क्या उसे विद्दूत आघात लगेगा?
(b) हाँ, पृथ्वी तथा अलमिनुइन की चादर मिलकर एक संधारित्र बनाती हैं तथा अवरोधी पट्ट परवाईघड़त का कार्य करती है। एलमिनियम की चादर वयमंडलिय आवेश के लगातार गिरते रहने से आवेशित होती रहती है
और उच्च विभाव प्राप्त कर लेती है; अत: जब व्यक्ति इस चादर को छूता है तो उसके शरीर से होकर एक विघ्दूत धारा प्रवाहित होती है और इस कारण उस व्यक्ति को विद्युत आघात लगेगा।
c. वायु की थोसि-सी चालकता के कारण सारे संसार में औसतन वायुमंडल में विसर्जन धारा $1800\;{\text{A}}$ मानी जाती है। तब यथासमय वातावरण स्वयं पुनर्त: निरवेशित होकर विघ्दूत उदासीन क्यों नहीं हो जाता? दूसरे शब्दों में, वातावरण को कान आवेशित रखता है?
(c) यद्यपि वायुमंडल $1800\;{\text{A}}$ की औसात विसर्जन धारा के कारण लगातार निरवेशित होता रहता है। परंतु साथ ही तड़ित तथा झंझावात के कारण यह लगातार आवेशित भी होता रहता है और इन दोनों के बीच एक संतुलन बना रहता है जिससे की वायुमंडल कभी भी पूर्णत: निरवेशित नहीं हो पाता।
d. तड़ित के दौरान वातावरण की वघड़त ऊर्जा, ऊर्जा के किन रूपों में क्षयित होती है?
(d) तड़ित के दौरान वातावरण की विद्युत ऊर्जा, प्रकाश ऊर्जा, ध्वनि ऊर्जा तथा ऊष्मिय ऊर्जा के रूप में क्षयित होती है।
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These solutions are nothing but a compilation of all the answers to the questions of the textbook exercises. The answers/solutions are given in a stepwise format and very well researched by the subject matter experts who have relevant experience in this field. Relevant diagrams, graphs, illustrations are provided along with the answers wherever required. In nutshell, NCERT Solutions for Class 12 Physics in Hindi come really handy in exam preparation and quick revision as well prior to the final examinations.
FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Physics Chapter 2 - In Hindi
1. What are the main topics and subtopics covered in Chapter 2 of NCERT of Class 12 Physics?
The following are the main topics and subtopics that are covered in Chapter 2 of NCERT of Class 12 Physics-
Electrostatic potential
Potential due to a point charge
Potential due to an electric dipole
Potential due to a system of charges
Equipotential surfaces
Potential energy of a system of charges
Potential energy in an external field
Electrostatics of conductors
Dielectrics and polarization
Capacitors and capacitance
The parallel plate capacitor
Effect of dielectric on capacitance
Combination of capacitors
Energy stored in a capacitor
Van de graff generator
2. Is the NCERT Solutions for Chapter 2 of Class 12 Physics the best reference guide for the students?
Yes, the NCERT Solutions for Chapter 2 of Class 12 Physic is the best reference guide for the students. This is because the solutions teach the students the proper steps to solve a Physics problem. Also, the questions and answers help the student revise their chapters thoroughly before examinations. The NCERT Solutions for Class 12 Physics are provided by Vedantu. Students will find these solutions very interesting and very helpful. The chapter-wise solutions for Physics on Vedantu can also be downloaded easily free of cost. The solutions can also be accessed using Vedantu Mobile app.
3. Is Chapter 2 of Physics of Class 12 in Hindi difficult?
Class 12 Chapter 2 Physics might be difficult for students if they did not pay attention in Class 11 when a similar topic was being taught. All the chapters in Class 12 Physics use concepts from Class 11 Physics to teach students more advanced topics. Chapter 2 of Physics of Class 12 is mainly a conceptual subject. Students will find it easy if their basic Physics concepts are cleared. Some terms in Hindi might be difficult but through Vedantu Solutions, they will easily be covered in a lucid way.
4. How many chapters are there in NCERT Textbook Physics for Class 12 apart from Chapter 2?
As per the latest syllabus prescribed by CBSE, NCERT Textbook Physics for Class 12 has a total of 15 chapters. The chapters are divided into several units. Students should give equal importance to all of the chapters and not leave out a single topic. The solutions and guides for these chapters are available online on Vedantu. The solutions on Vedantu are accurate and adhere to the CBSE guidelines.
5. Is Chapter 2 of Physics of Class 12 in Hindi interesting?
Physics, as a subject, is really interesting. This is because it is a creative subject and also teaches the students new innovative things on a daily basis. Physics is also a practical based subject. Students will really enjoy handling lab equipment and doing experiments that are required. Physics is such a subject that provides the students with a great learning opportunity. Physics is also such a subject whose concepts are applicable in day to day lives of people. Hence, students can keep learning this on a daily basis. Operating a door, driving a vehicle, using electrical devices- it is all Physics. So students learn this subject on every level each day. They never stop learning and applying. So yes, all the students will find Chapter 2 of Physics of Class 12 to be a very interesting subject and will enjoy learning new concepts.