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Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Class 11 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 9

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Chapter 9 (Poem) Hindi Class 11 Notes and Summary - FREE PDF Download

Class 11 Hindi Aroh Chapter 9 is a collection of works compiled from various sources, designed to broaden your knowledge and understanding of the language. "Hum tau ek ek kari jaanna," where the poet contemplates the universal truth of mortality with simplicity. These chapter notes will help you develop your language skills.

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Table of Content
1. Chapter 9 (Poem) Hindi Class 11 Notes and Summary - FREE PDF Download
2. Access Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Notes
3. कवि के बारे में
    3.1कबीरदास जी
    3.2सारांश
    3.3विषयवस्तु
    3.4पात्र चित्रण
    3.5हम तौ एक एक करि जांनां (कबीर के पद) पाठ सार
    3.6हम तौ एक एक करि जांनां (कबीर के पद) व्याख्या 
4. Learnings from Class 11 Chapter 9 Poem Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)
5. Importance of Revision Notes Class 11 Hindi Chapter 9 - PDF
6. Tips for Learning the Class 11 Chapter 9 Poem Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) 
7. Important Study Material Links for Class 11 Hindi Aroh Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)
8. Chapter-wise Revision Notes Links for Class 11 Hindi (Aroh)
9. Important Study Materials Class 11 Hindi
FAQs


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Access Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Notes

कवि के बारे में

कबीरदास जी

कबीरदास जी 15वीं सदी के एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनका जन्म 1398 में वाराणसी में हुआ था। वे अद्वैतवाद के सिद्धांत को मानते थे और निर्गुण, निराकार परब्रह्म के उपासक थे। उन्होंने अपने पदों और दोहों के माध्यम से समाज में व्याप्त आडंबरों, अंधविश्वासों और जाति-पाति के भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। कबीरदास जी का मानना था कि ईश्वर हर जगह व्याप्त हैं और उसे पाने के लिए किसी विशेष धार्मिक क्रिया या पूजा-पाठ की आवश्यकता नहीं है। वे आत्मा और परमात्मा के एकत्व में विश्वास करते थे और सच्ची भक्ति को ही ईश्वर प्राप्ति का साधन मानते थे।


सारांश

कबीर के पदों में ईश्वर की सर्वव्यापकता, आत्मा-परमात्मा के एकत्व, और माया के भ्रम का वर्णन किया गया है। वे बताते हैं कि ईश्वर एक है और हर प्राणी के अंदर उसी का अंश समाया है। जो लोग ईश्वर को अलग-अलग मानते हैं, वे अज्ञानता के कारण नर्क के भागी होते हैं। कबीरदास जी ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से यह सिद्ध किया है कि जैसे एक ही मिट्टी से कई बर्तन बनते हैं, वैसे ही एक ही ईश्वर ने सभी प्राणियों को बनाया है। वे माया और सांसारिक मोह-माया के झूठे आकर्षण को त्यागने का संदेश देते हैं और कहते हैं कि सच्ची भक्ति में ही सच्चा सुख और शांति मिलती है।


विषयवस्तु

कबीर के पदों का मुख्य विषय ईश्वर की सर्वव्यापकता और आत्मा-परमात्मा का एकत्व है। कबीरदास जी ने अपने पदों के माध्यम से ईश्वर की निराकार, अविनाशी और सर्वव्यापक सत्ता को स्थापित किया है। वे बताते हैं कि ईश्वर हर प्राणी के अंदर व्याप्त है और उसे पाने के लिए बाहरी आडंबरों की आवश्यकता नहीं है। कबीरदास जी माया और सांसारिक मोह-माया के भ्रम से दूर होकर सच्ची भक्ति करने का संदेश देते हैं। उनका मानना है कि सच्ची भक्ति से ही ईश्वर की प्राप्ति संभव है और यही मानव जीवन का उद्देश्य है।


पात्र चित्रण

  • कबीरदास जी: कबीरदास जी एक निर्गुण संत थे जिन्होंने समाज में व्याप्त आडंबरों और अंधविश्वासों का विरोध किया। वे आत्मा और परमात्मा के एकत्व में विश्वास करते थे और सच्ची भक्ति को ही ईश्वर प्राप्ति का साधन मानते थे। कबीरदास जी ने अपने पदों के माध्यम से मानवता, समानता और सच्ची भक्ति का संदेश दिया।

  • साधक: कबीर के पदों में एक साधक का चरित्र चित्रण भी देखने को मिलता है जो माया और सांसारिक मोह-माया के झूठे आकर्षण से मुक्त होकर सच्ची भक्ति के मार्ग पर चलना चाहता है। यह साधक ईश्वर की सर्वव्यापकता को स्वीकार करता है और आत्मा-परमात्मा के एकत्व को समझता है।

  • अज्ञानी व्यक्ति: कबीरदास जी के पदों में अज्ञानी व्यक्ति का भी चित्रण है जो ईश्वर को अलग-अलग मानता है और माया के भ्रम में फंसा रहता है। यह व्यक्ति सांसारिक मोह-माया में उलझा रहता है और सच्ची भक्ति का मार्ग नहीं समझ पाता है। कबीरदास जी ऐसे व्यक्तियों को नर्क का भागी बताते हैं और उन्हें सच्चे मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं।


हम तौ एक एक करि जांनां (कबीर के पद) पाठ सार

  • कबीरदास जी द्वारा रचित ये पद जयदेव सिंह और वासुदेव सिंह द्वारा संकलित और संपादित "कबीर वाङ्मय – खंड 2 (सबद)" से लिए गए हैं। 

  • कबीरदास जी अद्वैतवाद के सिद्धांत को मानते थे। वे निर्गुण, सर्वव्यापक, अविनाशी, निराकार परब्रह्म के उपासक थे। 

  • इसीलिए वे कहते थे कि ईश्वर एक ही हैं और उसकी सत्ता इस पूरी सृष्टि के कण-कण में व्याप्त है। कबीरदास जी ने परमात्मा को सृष्टि के कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है और उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई है। 

  • वे आत्मा को भी परमात्मा का ही अंश मानते हैं। संसार के लोग अज्ञानवश इन्हें अलग-अलग मानते हैं। कवि पानी, पवन, प्रकाश आदि के उदाहरण देकर उन्हें एक जैसा बताते हैं। 

  • बाढ़ी लकड़ी को काटता है, परंतु आग को कोई नहीं काट सकता। परमात्मा सभी के हृदय में विद्यमान है। माया के कारण इसमें अंतर दिखाई देता है। 

  • कबीरदास जी ईश्वर प्राप्ति के लिए बाह्य आडंबरों का विरोध करते हैं। वे कहते हैं कि ईश्वर हमारे अंदर ही समाया है। वह बहुत सरलता से हमें प्राप्त हो सकता है। 

  • बस जरूरत है अपने अंदर झांककर देखने की, ईश्वर के उस सत्य को जानने की। कबीर प्रभु भक्ति में लीन हो गए हैं, उनके प्रेम में डूब गए हैं और वे इस सांसारिक मोह को छोड़ चुके हैं। इसीलिए कबीरदास कहते हैं कि हे! मनुष्य, तू इस संसार के झूठे मोह-माया, भौतिक सुख-सुविधाओं के प्रति आकर्षित होकर व्यर्थ में अभिमानी हो रहा है। 

  • कबीर जान चुके हैं कि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं और सभी उसी परमात्मा की संतान हैं। इसीलिए वे सांसारिक मायामोह से दूर होकर और निर्भय होकर एक दीवाने की तरह प्रभु भक्ति में लीन हो चुके हैं।


हम तौ एक एक करि जांनां (कबीर के पद) व्याख्या 

  1. हम तौ एक एक करि जांनां।

दोइ कहैं तिनहीं कौं दोजग जिन नाहिंन पहिचांनां।।

व्याख्या: कबीरदास कहते हैं कि हम तो एक ही ईश्वर को जानते हैं, जिसने इस सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है और जो इस जगत के हर प्राणी मात्र के अंदर समाया है। जो इस सत्य को नहीं जान पाते और उसे दो मानते हैं, वे नर्क के भागी होते हैं। यानि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं और पूरे संसार में एक ही ईश्वर की सत्ता है। जो लोग ईश्वर को अलग-अलग मानते हैं, वे नर्क के अधिकारी हैं और उन्हें नर्क ही प्राप्त होगा।


  1. एकै पवन एक ही पानीं एकै जोति समांनां। 

एकै खाक गढ़े सब भांडै एकै कोंहरा सांनां।।

व्याख्या: कबीरदास कहते हैं कि एक ही हवा है, एक ही पानी है और एक ही ईश्वर है। और इस संसार के हर इंसान के भीतर उसी ईश्वर का अंश ज्योति रूप में समाया है। जैसे कुम्हार एक ही मिट्टी से अनेक तरह के बर्तन बनाता है, वैसे ही ईश्वर रूपी कुम्हार ने भी एक ही मिट्टी से अनेक तरह के मनुष्य बनाए हैं। सभी मनुष्यों का शरीर पंचतत्व (जल, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी) से बना है, जो मरने पर मिट्टी में मिल जाता है।


  1. जैसे बाढी काष्ट ही काटै अगिनि न काटै कोई। 

सब घटि अंतरि तूँही व्यापक धरै सरूपै सोई।।

व्याख्या: कबीरदास जी कहते हैं कि लकड़ी के भीतर आग हर वक्त मौजूद रहती है, जो सिर्फ लकड़ी के जलने पर ही दिखाई देती है। जिस प्रकार बढ़ई लकड़ी को काट सकता है, लेकिन उसके भीतर की आग को नहीं काट सकता, वैसे ही मनुष्य का शरीर मर सकता है क्योंकि वह नश्वर है, लेकिन उसकी आत्मा अमर है क्योंकि वह परमात्मा का अंश है। परमात्मा सभी जीवों के अंदर आत्मा के रूप में बसता है। सभी प्राणियों के हृदय के भीतर वही ईश्वर अनेक रूप धर कर व्याप्त है।


  1. माया देखि के जगत लुभांनां काहे रे नर गरबांनां। 

निरभै भया कछू नहिं ब्यापै कहै कबीर दिवांनां।।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कबीर प्रभु भक्ति में लीन हो गए हैं, उनके प्रेम में डूब गए हैं और वे इस सांसारिक मोह को छोड़ चुके हैं। इसीलिए कबीरदास कहते हैं कि हे मनुष्य, तू इस संसार के झूठे मोह-माया, भौतिक सुख-सुविधाओं के प्रति आकर्षित होकर व्यर्थ में अभिमानी हो रहा है। ये सब नश्वर हैं। संसार के सभी मोह-माया के बंधनों से मुक्त होकर, निडर होकर जियो और प्रभु भक्ति में लीन होकर उसे जानने और समझने की कोशिश करो। कबीर जान चुके हैं कि आत्मा और परमात्मा एक ही हैं और सभी उसी परमात्मा की संतान हैं। इसीलिए वे सांसारिक मायामोह से दूर होकर और निर्भय होकर एक दीवाने की तरह प्रभु भक्ति में लीन हो चुके हैं।


Learnings from Class 11 Chapter 9 Poem Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)

  • Unity of God: Kabir emphasises believing in a single, omnipresent God, rejecting the idea of multiple deities.

  • Divine Presence: He teaches that the divine exists within every individual and throughout the universe.

  • Equality of All: All humans are made of the same elements, symbolising equality and unity among people.

  • Rejection of Materialism: Kabir criticises the attachment to worldly possessions and encourages detachment from material desires.

  • Inner Realisation: True understanding and connection with the divine come from introspection and recognising the God within oneself.


Importance of Revision Notes Class 11 Hindi Chapter 9 - PDF

  • Concise Summary: Revision notes provide a concise chapter summary, helping students quickly recall the key concepts and themes.

  • Enhanced Understanding: Notes simplify complex ideas, making it easier for students to grasp and understand the content.

  • Efficient Revision: With all important points summarised, revision notes enable students to revise efficiently without going through the entire textbook again.

  • Time-Saving: During exam preparation, students can save time by referring to well-structured notes rather than searching for important points in the textbook.

  • Focus on Key Points: Notes highlight the most crucial aspects of the chapter, ensuring that students focus on the key points that are likely to be important for exams.

  • Exam Preparation: Revision notes are specifically tailored for exam preparation, often including potential questions and answers based on the chapter.

  • Accessibility: PDF format allows students to access their notes on various devices, making it convenient to study anytime, anywhere.


Tips for Learning the Class 11 Chapter 9 Poem Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) 

  • Understand the central message of unity and oneness with God.

  • Create summaries of each verse to capture the main ideas.

  • Develop mnemonic devices to remember key concepts and lines.

  • Discuss the poem with classmates to gain different perspectives.

  • Review your notes and summaries regularly to reinforce understanding.


Conclusion

The Class 11 Chapter 9 Poem "Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna" (Kabir Ke Pad) beautifully describes the essence of Kabir's philosophy of divine individuality. Kabir emphasises the unity of all beings under a single, omnipresent God. His teachings encourage introspection and inner realisation. Download the FREE PDF to read the full text and understand the important parts of this chapter. The poem not only provides a spiritual perspective but also promotes a message of equality and universal brotherhood.


Important Study Material Links for Class 11 Hindi Aroh Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)



Chapter-wise Revision Notes Links for Class 11 Hindi (Aroh)


Important Study Materials Class 11 Hindi

S. No

Class 11 Hindi Study Resources 

1.

Important Questions for Class 11 Hindi 

2.

NCERT Solutions for Class 11 Hindi

3.

Revision Notes for Class 11 Hindi

FAQs on Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Class 11 Notes: CBSE Hindi (Aroh) Chapter 9

1. What is the central theme of the poem Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Class 11?

The central theme of the poem is the oneness of God and the unity of all beings under a single, omnipresent divine presence.

2. Who is the poet of the Class 11 Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)?

The poet of "Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna" is the renowned saint and poet Kabir.

3. What philosophy does Kabir advocate in Hindi Class 11 Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)?

Kabir advocates the philosophy of Advaita (non-dualism), emphasising the unity of the soul (Atma) and the supreme being (Paramatma).

4. How does Kabir view the concept of God in the Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna from Class 11 Hindi Aroh poem?

Kabir views God as a singular, omnipresent, and formless entity that exists within every part of creation.

5. What literary devices are used in the CBSE Hindi (Aroh) Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)?

Kabir uses metaphors, similes, and examples from everyday life to convey his message of divine unity.

6. How does Kabir describe the presence of God in all beings?

Kabir describes the presence of God in all beings by using examples like air, water, and light, which are universal and omnipresent.

7. What does Kabir say about material attachments, according to the Aroh Chapter 9 Poem of Class 11?

Kabir criticises material attachments and encourages detachment from worldly desires, suggesting that true happiness lies in spiritual fulfilment.

8. What is the significance of the metaphor of the potter and clay in the Hindi Aroh Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad)?

The metaphor of the potter and clay signifies that all humans are created from the same elements, emphasising equality and unity among people.

9. What message does Kabir convey about fearlessness in the Hindi Chapter 9 Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Class 11?

Kabir conveys that recognising the unity of the soul and God leads to fearlessness and liberation from worldly anxieties.

11. How does Kabir’s poem reflect his views on religious rituals?

Kabir’s poem reflects his views that religious rituals are unnecessary for experiencing the divine, as God is present within everyone.

12. What does Kabir mean by "Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna"?

"Hum Tau Ek Ek Kari Jaanna" means "I know only the One," emphasising Kabir’s belief in a single, all-encompassing divine presence.

13. How does the poem Ek Ek Kari Jaanna (Kabir Ke Pad) Class 11 challenge conventional religious beliefs?

The poem challenges conventional religious beliefs by rejecting the idea of multiple deities and external rituals, advocating for inner realisation and direct connection with the divine.