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Barahmasa Class 12 Notes and Summary: CBSE Hindi (Antra) Chapter 7

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Class 12 Hindi Notes for Chapter 7 Barahmasa - FREE PDF Download

Vedantu's comprehensive revision notes for Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7, "Barahmasa," are prepared by Master teachers to provide students with a deep understanding of this powerful poem by Mallik Muhammad Jayasi. Barahmasa translates to "twelve months," and this chapter features a selection of poems depicting a woman's lament across the twelve months of the year.

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Table of Content
1. Class 12 Hindi Notes for Chapter 7 Barahmasa - FREE PDF Download
2. Access Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7: Barahmasa Notes and Summary
3. कवि के बारे में
    3.1मलिक मुहम्मद जायसी
    3.2कविता का सारांश
    3.3कविता का मुख्य विषय
    3.4कविता में पात्र-चित्रण
    3.5अन्य पात्रों का उल्लेख
4. कविता "बारहमासा" का सार
    4.11. अगहन और पूस:
    4.22. माघ:
    4.33. फागुन:
    4.4निष्कर्ष
5. बारहमासा सप्रसंग व्याख्या (अगहन)
    5.11. पंक्तियां:
    5.22. पंक्तियां:
    5.33. पंक्तियां:
    5.44. पंक्तियां:
6. Learnings from Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa
7. Importance of Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa Notes and Summary - PDF
8. Tips for Learning the Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa Notes
9. Important Study Materials for Class 12 Hindi Antra Chapter 7 Barahmasa
10. Chapter-wise Revision Notes for Hindi Class 12 - Antra
11. Important Study Materials for Class 12 Hindi
FAQs


Through clear explanations, insightful analysis, and practise questions, Vedantu's Class 12 Hindi Antra Revision Notes help students learn the concept of Jayasi's poetic lines. Prepare for your board exams with Vedantu's Master teacher's guidance. Download our FREE PDF notes today, prepare according to the latest CBSE Class 12 Hindi Syllabus, and learn about the chapter effectively.

Access Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7: Barahmasa Notes and Summary

कवि के बारे में

मलिक मुहम्मद जायसी

मलिक मुहम्मद जायसी हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि हैं, जो अवधी भाषा में लिखते थे। उनकी रचना 'पद्मावत' भारतीय साहित्य की अद्वितीय कृति मानी जाती है। जायसी का जन्म 1493 ई. में हुआ था और वे सूफी संत थे। 'पद्मावत' में उन्होंने रानी पद्मावती की कथा को काव्य रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें प्रेम, त्याग, और वीरता का वर्णन मिलता है। उनकी कृतियों में रहस्यवाद और सूफी तत्व की प्रमुखता दिखाई देती है, जिससे उनकी रचनाएँ भावनात्मक और आध्यात्मिक गहराई प्राप्त करती हैं।


कविता का सारांश

यह अध्याय मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित महाकाव्य "पद्मावत" से लिया गया एक अंश है। इसमें "बारहमासा" (बारह महीने) का वर्णन है, जो रानी नागमती की अपने दूर गए पति के लिए तड़प को दर्शाता है। कविता नागमती की अपने पति से दूर रहने के कारण उत्पन्न गहरी लालसा और पीड़ा को चित्रित करती है। प्रत्येक छंद एक विशिष्ट महीने (भारतीय पंचांग प्रणाली के अनुसार) पर केंद्रित है और यह बताता है कि कैसे बदलते मौसम नागमती की भावनात्मक स्थिति को प्रभावित करते हैं। सर्दी की कठोरता (आषाढ़ और पूस महीनों द्वारा दर्शायी गयी) उसके अकेलेपन और लाचारी को और गहरा देती है।


कविता का मुख्य विषय

कविता यह दर्शाती है कि कैसे रानी नागमती अपने पति के वियोग में तीव्र वेदना का अनुभव करती हैं। यह वेदना हर महीने के बदलते मौसम के साथ और भी गहराती जाती है। कविता के माध्यम से जयसी हमें विरह के विभिन्न आयामों से परिचित कराते हैं।


कविता में पात्र-चित्रण

  1. रानी नागमती: कविता का पूरा फोकस रानी नागमती की भावनाओं पर है। वह अपने पति के वियोग में गहरी वेदना का अनुभव करती हैं। नागमती को प्रकृति से जोड़कर दिखाया गया है। अलग-अलग मौसम उनकी विरह की तीव्रता को दर्शाते हैं। कविता में नागमती की पीड़ा के साथ ही उनके अटूट प्रेम की झलक भी मिलती है। हर परिस्थिति में वह अपने पति के प्रति समर्पित रहती हैं।


अन्य पात्रों का उल्लेख

  1. नागमती का पति: जिसके वियोग में नागमती तड़प रही हैं, उसका नाम तो स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है।

  2. दूतिका (संदेशवाहिका) या सहेलियां (संभवतः): कविता में कुछ पंक्तियों में नागमती अपने पति तक संदेश पहुंचाने की बात करती हैं। यह संदेशवाहिका (दूतिका) या उनकी सहेलियों के माध्यम से हो सकता है।


कविता "बारहमासा" का सार

1. अगहन और पूस:

  • कड़ाके की ठंड है, पर नागमती को विरह की आग ज्यादा जला रही है।

  • वह अपने प्रेमी के वियोग में तड़प रही है और मानसिक पीड़ा से व्याकुल है।

  • भँवरे और काग को संदेशवाहक बनाकर अपने पति को संदेश भेजती है।


2. माघ:

  • कठोर जाड़े में नागमती का शरीर कांप रहा है।

  • विरह का दर्द भीषण है, मानो उसका हृदय भी कांप रहा हो।

  • चकई और कोकिला पक्षियों की विरह-पूर्ण ध्वनि उसकी पीड़ा से तादात्म्य स्थापित करती है।

  • कविता में नागमती की तुलना शंख से की गई है, जो विरह की अग्नि में जल रहा है।


3. फागुन:

  • वसंत ऋतु आ गया है, चारों तरफ रंग है, पर नागमती के जीवन में कोई खुशी नहीं है।

  • फागुन की हवा शीत को और बढ़ा देती है, जो नागमती की विरह-व्यथा को और भी तीव्र कर देता है।

  • चारों तरफ होली का उत्सव मनाया जा रहा है, पर नागमती अपने पति के बिना अकेली है।


निष्कर्ष

बारहमासा का यह अंश न केवल विरह की पीड़ा का मार्मिक चित्रण करता है, बल्कि यह प्रेम की गहराई को भी दर्शाता है। कविता की भाषा सरल है, पर भाव गंभीर और प्रभावशाली हैं। प्रकृति चित्रण और अलंकारों का प्रयोग कविता को कलात्मक उत्कृष्टता प्रदान करता है।


बारहमासा सप्रसंग व्याख्या (अगहन)

1. पंक्तियां:

अगहन देवस घटा निसि बाढ़ी। दूभर दु:ख सो जाइ किमि काढ़ी। अब धनि देवस बिरह भा राती। जर बिरह ज्यों बीपक बाती। काँपा हिया जनाबा सीऊ। तौ पै जाइ होइ सँग पीऊ। घर-घर चीर रचा सब काहूँ। मोर रूप रँग लै गा नाहू। पलटि न बहुरा गा जो बिछोई। अबहूँ फिर फिरै रँग सोईं। सियरि अगिनि बिरहिनि हिय जारा। सुलगि सुलगि दगधै भै छारा। पिय सौं कहेहू सँदेसरा ऐ भँवरा ऐ काग। सो धनि बिरहें जरि गई तेहिक धुआँ हम लाग॥


व्याख्या:

अगहन मास आ गया है। दिन छोटे हो गए हैं और रातें लंबी। विरह का दुःख असहनीय हो गया है। नागमती को दिन भी रात के समान लग रहे हैं। विरह की पीड़ा से उसका हृदय काँप रहा है। यदि प्रियतम उसके साथ होते तो यह शीत भी सुहावना लगता। घर-घर रंग-बिरंगे वस्त्रों से सजा हुआ है, परंतु नागमती का मन फीका है। उसके प्रियतम ने उसे वियोगी छोड़कर दूर चले गए हैं और अब लौटने का कोई नाम नहीं ले रहे हैं।


शीत से बचने के लिए जगह-जगह अलाव जलाए गए हैं, परंतु विरहिणी नागमती के हृदय में विरह की आग जल रही है। यह आग धीरे-धीरे उसे जलाकर राख कर रही है। नागमती अपने प्रियतम को संदेश भेजने के लिए भौंरा और काग को बुलाती है। वह उनसे कहती है कि मेरे पति को बताओ कि मैं विरह की अग्नि में जलकर राख हो गई हूँ। उसी आग से निकले धुएं से मेरा शरीर भी काला हो गया है।


2. पंक्तियां:

पूस जाड़ थरथर तन काँपा। सुरुज जड़ाइ लंक विसि तापा। बिरह बाढ़ि भा दारुन सीऊ। कँपि-कँपि मरौं लेहि हरि जीऊ। कंत कहाँ हौं लागौं हियरें। पंथ अपार सूझ नहिं नियरें। सौर सुपेती आवै जूड़ी। जानहुँ सेज हिवंचल बूढ़ी। चकई निसि बिद्धुं विन मिला। हौं निसि बासर बिरह कोकिला। रैनि अकेलि साथ नहिं सखी। कैसें जिऔं बिछोही पंखी। बिरह सैचान भैवै तन चाँड़ा। जीयत खाइ मुएँ नहिं छाँड़ा। रकत बरा माँसू गरा हाड़ भए संब संख। धनि सारस होई ररि मुई आइ समेटहु पंख।


व्याख्या:

यह अंश मलिक मुहम्मद जायसी कृत महाकाव्य "पद्मावत" से लिया गया है। इसमें नायिका नागमती के विरह का मार्मिक चित्रण किया गया है। पूस मास आ गया है। शीत ऋतु का यह दूसरा महीना अपने तीव्र शीत के लिए जाना जाता है। नागमती को इस कड़ाकेदार ठंड में भी अपने प्रिय रतनसेन के वियोग का कष्ट सहना पड़ रहा है। ठंड से उसका शरीर काँप रहा है, परंतु विरह की आग से उसका हृदय और भी अधिक जल रहा है। नागमती अपने प्रियतम रतनसेन से मिलने के लिए व्याकुल है। वह सोचती है कि काश वह अपने प्रियतम से मिलकर इस कठिन शीत से राहत पा सके। परंतु प्रेम का मार्ग बड़ा ही दुर्गम है। नागमती को रास्ता नहीं सूझ रहा है। वह हताश और निराश है।


ठंड से बचने के लिए नागमती ने हल्की रजाई ओढ़ रखी है, परंतु उसे ठंड से राहत नहीं मिल रही है। बिस्तर भी उसे बर्फ की चट्टान की तरह लग रहा है। नागमती की विरह-व्यथा इतनी तीव्र है कि वह रात-दिन अपने प्रियतम का नाम पुकारती रहती है। नागमती को ऐसा लगता है कि विरह-रूपी बाज उसके शरीर को निगल रहा है। यह बाज उसे जीवित भी नहीं छोड़ रहा है और मृत भी नहीं होने दे रहा है। विरह की पीड़ा से नागमती इस कदर टूट चुकी है कि वह मृत्यु की आस लगाने लगती है।


नागमती का सारा शरीर विरह की पीड़ा से क्षीण हो चुका है। उसका रक्त आँसू बनकर बह रहा है। उसका मांस गल गया है और हड्डियाँ शंख के समान सफेद हो गई हैं। नागमती मृत्यु की दहलीज पर खड़ी है और अपने प्रियतम से अंतिम बार मिलने की प्रार्थना करती है।


3. पंक्तियां:

लागेउ माँह परै अब पाला। बिरह काल भएड जड़काला। पहल पहल तन रुई जो झाँपै। हहलि हहलि अधिकौ हिय काँँ।। आई सूर होइ तपु रे नाहाँ। तेहि बिनु जाड़ न छूटै माहाँ। एहि मास उपजै रस मूलू। तूँ सो भँवर मोर जोबन फूलू। नैन चुवहिं जस माँहुट नीरू। तेहि जल अंग लाग सर चीरू। टूटहिं बुंद परहिं जस ओला। बिरह पवन होइ मारैं झोला। केहिक सिंगार को पहिर पटोरा। गियँ नहिं हार रही होइ डोरा। तुम्ह बिनु कंता धनि हरुई तन तिनुवर भा डोल। तेहि पर बिरह जराइ कै चहै उड़ावा झोल॥


व्याख्या:

इन पंक्तियों में रानी नागमती माघ मास की कड़ाकेदार ठंड और विरह की तीव्र वेदना का वर्णन करती हैं। माघ मास आ गया है और पाला पड़ने से ठंड और भी बढ़ गई है। विरह की आग से नागमती का हृदय जल रहा है। ठंड से बचने के लिए नागमती ने रूई के वस्त्रों से अपने शरीर को ढक रखा है, परंतु हृदय की वेदना से उसे ठंड लग ही रही है।


नागमती अपने प्रियतम रतनसेन को सूर्य के समान मानती है। वह चाहती है कि रतनसेन उसके पास आकर उसे अपनी गर्मजोशी से राहत दें। रतनसेन के बिना उसे माघ मास की ठंड सहन नहीं हो पा रही है। माघ मास में वनस्पतियों की जड़ों में रस का संचार होता है। नागमती इस रस-संचार को अपने यौवन के साथ जोड़कर देखती है। वह सोचती है कि यदि रतनसेन उसके पास होते तो वे भी उसके यौवन का आनंद लेते।


नागमती के नेत्रों से आँसूओं की झड़ी लगी रहती है। ये आँसू माघ मास की वर्षा के समान शीतल और कष्टदायक हैं। विरह-रूपी पवन नागमती को झकझोर रही है और उसे और भी अधिक पीड़ा दे रही है। विरह की पीड़ा से नागमती इतनी कमजोर हो गई है कि वह शृंगार भी नहीं कर पा रही है। उसकी गर्दन सूखकर डोरे जैसी हो गई है और वह हार भी नहीं पहन पा रही है। नागमती का शरीर तिनके की तरह हल्का और कमजोर हो गया है। विरह की आग उसे जलाकर राख में बदल देना चाहती है।


4. पंक्तियां:

पनागुन पवन झँको रै बहा। चौगुन सीड जाइ किमि सहा। तन जस पियर पात भा मोरा। बिरह न रह पवन होइ झोरा। तरिवर झरै झरै बन बाँखा। भइ अनपत्त फूल फर साखा। करिन्ह बनाफति कीन्ह हुलासू। मो कहैं भा जग दून उदासू। फाग करहि सब चाँचरि जोरी। मोहिं जिय लाइ दीन्हि जसि होरी। जौं पै पियहि जरत अस भावा। जरत मरत मोहि रोस न आवा। रातिहु दे वस इहै मन मोरें। लागौं कंत छार जेऊँ तोरें। यह तन जारौं छार कै, कहौं कि पवन उड़ाउ। मकु तेहि मारग होइ परौं, कंत धरैं जहँ पाउ।


व्याख्या:

फागुन मास आ गया है। इस मास में चलने वाली शीतलहरें नागमती की विरह-पीड़ा को और भी बढ़ा रही हैं। शीतलहरें इतनी तीव्र हैं कि नागमती को उन्हें सहना मुश्किल हो रहा है। विरह की आग से नागमती का शरीर पीले पत्तों की तरह पीला पड़ गया है। इस मास में पेड़ों से पत्ते झड़ रहे हैं और नई कलियाँ आ रही हैं। वनस्पतियों में नवजीवन का संचार हो रहा है। सभी लोग फाग खेलकर खुशियां मना रहे हैं, परंतु नागमती की उदासी और भी गहरी हो गई है।


विरह की वेदना से नागमती इतनी व्याकुल है कि वह मृत्यु की आस लगाने लगती है। वह सोचती है कि यदि राख बनकर अपने प्रियतम के हृदय से मिल जाए तो शायद उसे शांति मिले।


Learnings from Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa

  • Viraha's Anguish: Barahmasa portrays the heart-wrenching pain of separation (Viraha) through the experience of a woman longing for her absent husband.

  • Seasons of Sorrow: The poem explores how the changing seasons mirror the woman's emotions. The harshness of winter intensifies her feelings of isolation and loneliness.

  • Nature's Reflection: Descriptions of nature act as a mirror, reflecting the woman's inner pain. The cold wind, the burning sun, each element resonates with her suffering.

  • Literary Devices: The poem utilises powerful imagery, similes, metaphors, and personification to create a deeply emotional experience for the reader.

  • Cultural Glimpse: Barahmasa offers a glimpse into the societal expectations and emotional expression of women, particularly in arranged marriages, during a historical period.


Importance of Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa Notes and Summary - PDF

  • Study notes for Chapter 7 offer a summary, saving time by focusing on essential details.

  • They highlight key themes and ideas, making it easier to understand why the chapter is essential.

  • Including meaningful quotes and clear explanations helps students better understand and remember the material.

  • The notes explain the characters and story clearly, making it easier for students to understand the chapter fully.

  • These notes are useful for quick review before exams, ensuring students are well-prepared.

  • The Revision Notes PDF covers the entire syllabus, ensuring students understand all aspects of the chapter.


Tips for Learning the Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa Notes

  1. Focus on Viraha: Recognise that the central theme is the intense pain of separation (Viraha) experienced by the woman.

  2. Literary Techniques: Identify the use of imagery, similes, metaphors, and personification, and understand how they enhance the poem's impact.

  3. Imagine the Setting: Visualise the harsh winter and the woman's desolate state.

  4. Consult References: Utilise additional resources on Vedantu or teacher guidance for deeper understanding.

  5. Recitation: Practise reciting or reading the poem aloud to internalise the rhythm and flow.

  6. Summarise Key Points: Briefly summarise the main points of each stanza or section of the poem. 


Conclusion

This Class 12 Hindi Antra Chapter 7, Barahmasa presents a poignant tale of Queen Nagmati's separation anxiety. Vedantu's comprehensive notes provide a key resource for understanding the themes, symbolism, and literary devices the poet uses. In each stanza, the poet meticulously portrays Nagmati's yearning, using imagery that connects to the specific season and surroundings of each month. The harshness of winter, the beauty of nature's bloom, and the revelry of others all intensify Nagmati's sense of loneliness. By learning this poem with the help of our notes, students can learn about poetic brilliance for their Hindi Antra examinations. Download our FREE PDF notes for effective learning.


Important Study Materials for Class 12 Hindi Antra Chapter 7 Barahmasa



Chapter-wise Revision Notes for Hindi Class 12 - Antra



Important Study Materials for Class 12 Hindi

FAQs on Barahmasa Class 12 Notes and Summary: CBSE Hindi (Antra) Chapter 7

1. What is the meaning of Barahmasa from Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7?

Barahmasa translates to "twelve months" and refers to a genre of poetry that depicts the changing seasons and emotions of a woman separated from her lover across the twelve months of the year.

2. Who is the poet of Barahmasa in your Class 12 Hindi (Antra) textbook?

This may vary depending on your specific textbook. However, the chapter features a poem by the author known for Barahmasa, Malik Muhammad Jayasi.

3. What are the central themes explored in Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa poems?

The core themes revolve around the separation, the changing seasons mirroring the woman's emotions, and the longing for reunion with her beloved.

4. How do the descriptions of nature connect to the emotional state of the woman in Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa?

Nature serves as a metaphor for the woman's feelings. The harshness of winter reflects her loneliness, while the vibrant spring symbolises hope.

5. What literary devices are commonly used in Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa poem?

Personification, simile, metaphor, and imagery are frequently used to create descriptions and express the woman's emotions.

6. Can you explain the significance of the monsoon season in Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa?

The monsoon, with its contrasting emotions of relief and longing, is a pivotal point in Barahmasa's poem.

7. How does the language used in Barahmasa differ from everyday Hindi?

Barahmasa poems often use regional dialects, colloquialisms, and rich vocabulary, making them more poetic and evocative.

8. What are some important figures of speech to remember from Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa?

Understanding terms like "utpreksha" (simile), "रूपक" (rupak - metaphor), and "विभावना" (vibhavana - personification) will help analyse the poems.

9. Are there any cultural references in Barahmasa that I should be aware of?

The poems might mention festivals, customs, or clothing specific to the region where they originated. Knowing these can enrich your understanding.

10. How can I identify the different months described in Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa?

Clues like references to specific weather conditions, festivals, or agricultural activities can help pinpoint the month being described.

11. What are some tips for analysing Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa effectively?

Focus on the imagery, emotions conveyed, and how language choices contribute to the overall theme. Analyse how nature mirrors the woman's feelings.

12. How can I improve my answers to questions on Class 12 Hindi (Antra) Chapter 7 Barahmasa?

Show a good understanding of the central themes and literary devices used. Use textual evidence to support your interpretations.

13. Besides memorising the poems, what else should I focus on for the Barahmasa chapter?

Understanding the context, analysing literary devices, and interpreting the emotional journey of the woman are crucial for a well-rounded understanding.