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Important Questions for CBSE Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 - Van Ke Marg Mein

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CBSE Class 6 Hindi Vasant Important Questions Chapter 16 - Van Ke Marg Mein - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 6 Hindi Vasant Chapter 16 - Van Ke Marg Mein prepared by expert hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class – 6 Hindi Vasant Chapter – 16 वन के मार्ग में अति

लघु उत्तरीय प्रश्न     ( 1 अंक )

1.निम्नलिखित शब्दों के अर्थ बताये ।

नेहू

लख्यो

बयारि

उत्तर : दिए गए शब्दों के अर्थ निम्नलिखित हैं-

नेहू- प्रेम

लख्यो- देखकर 

बयारि- हवा


2.ये पंक्तियाँ किस ग्रन्थ से ली गयीं हैं ?

उत्तर: यह पंक्तियाँ तुलसीदास द्वारा रचित  श्रीरामचरितमानस से ली गयीं है ।


3.राम जी को कितने वर्ष का वनवास मिला था ?

उत्तर: राम जी को चौदह वर्षों का वनवास मिला था ।


4.प्रथम सवैया में कवि ने राम - सीता के किस प्रसंग का वर्णन किया है ?

उत्तर: प्रथम सवैया में कवि तुलसीदास ने राम – सीता के वन – गमन प्रसंग का वर्णन किया है ।


5.निम्नलिखित शब्दों का एक - एक विलोम शब्द बताईये ?

कंट

लरिका

ठाढे               

उत्तर: निम्नलिखित शब्दों का विलोम शब्द -

कंटक- फूल 

लरिका- लड़की

ठाढ़े- बैठ जाना


लघु उत्तरीय प्रश्न   ( 2 अंक )

6.राम के आँखों से आंसू क्यों बहने लगे ?

उत्तर: सीता जी की व्याकुलता और उनके कष्ट देखकर राम जी के कोमल नैनों में आँसुओं ने जगह बना ली थी । राम जी सीता जी के पैरों को हाथ में लेकर सहलाने लगे और उनके पैरों में चुभे काँटे निकालने लगे।


7.सीता जी क्यों व्याकुल हो गयी थी ?

उत्तर: मार्ग के कष्ट देखकर सीता की आँखें भर आयी थी एवं माथे पर पसीना आ गया था और राम जी का भी कष्ट देखकर वह कुटिया और पानी के लिए व्याकुल हो गयी थी ।


8. लक्ष्मण कहाँ गये थे ?

उत्तर: लक्ष्मण , राम और सीता जी के लिए पानी की व्यवस्था करने के लिए गए थे क्योंकि नगर से बाहर निकलकर दो पग चलने पर ही सीता जी पसीने से लथपथ हो गयीं  थी । जल की तलाश में लक्ष्मण जी को वापस आने में देर हो गयी थी ।                           

9. कितने कदम चलने के बाद सीता जी व्याकुल हो उठी ?

उत्तर: घर से वन की ओर प्रस्थान करने के दो कदम बाद ही सीता जी व्याकुल हो उठी थी । उनके पैरों में कांटें चुभ गए एवं उनके होंठ प्यास से सूखने लगे और वो काफी ज्यादा थक गयीं।


10 . वन मार्गो की स्थिति क्या थी ?

उत्तर: वन मार्गों में बहुत कांटे एवं पत्थर भी थे , और मौसम भी बहुत गर्म हो रहा था । वन के मार्ग में सीता जी को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ा जैसे वे चलते – चलते थक गईं और उनके माथे पर पसीना आने लगा। प्यास से उनके होंठ भी सूखने लगे तथा नंगे पाँव होने के कारण उनके पैरों में काँटे भी चुभ गए थे।


लघु उत्तरीय प्रश्न    ( 3 अंक )

11 . वन के मार्ग में सीता को होने वाली कठिनाइयों के बारे में लिखो ।

उत्तर: वन के मार्ग में चलते हुए सीता थोड़ी ही देर में थक गई थी और उनके माथे पर से पसीना बहने लगा और होंठ भी सूख गए । वन के मार्ग में चलते – चलते उनके कोमल पैरों में काँटें चुभने लगे थे । 


12 . सवैया क्या होता है ? इसके बारे में बताये ।

उत्तर: सवैया एक प्रकार का छन्द है । यह चार चरणों का समपाद वर्णछंद है । वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चरण वाले जाति छन्दों को सामूहिक रूप से हिन्दी में सवैया कहते है ।


13 . सीता की आतुरता देखकर राम की क्या प्रतिक्रिया होती है ?

उत्तर: सीता जी की आतुरता राम जी से देखा नहीं जाता , उनकी ऐसी हालत और आतुरता को देखकर वो व्याकुल हो उठते हैं । सीता जी की ऐसी दशा उनसे देखी नहीं जाती और उनके आँखों से भी आँसू बहने लगते हैं । वे पछताने लगते हैं कि उनके कारण ही सीता जी की यह अवस्था हुई है ।


14. दुर्गम रास्तों पर चलने से सीता परेशान क्यों हो गई और उन्होंने क्या किया ?

उत्तर: दुर्गम रास्तों में पड़े काँटों और पत्थरों के पैरों में चुभने से सीता जी को परेशानी का सामान करना पड़ रहा था और बहुत ज्यादा गर्मी की वजह से उनका माथा पसीने से भीग गया था। वह बहुत थक चुकी थी एवं विश्राम करना चाहती थी । आखिरकार व्याकुल सीता ने परेशान होकर राम से पर्णकुटी बनाने के बारे में पूछ लिया था ।


15 . तुलसीदास ने इस सवैया में क्या व्यक्त किया है ?

उत्तर: तुलसीदास का सवैया दो भागों में निहित है | पहले भाग में उन्होंने सीता जी से समक्ष वन मार्ग में आई कठिनाइयों और उनकी व्याकुलता को व्यक्त किया  है | सवैये के दूसरे भाग में सीता की व्याकुलता को देखकर खुद राम जी की आँखों में आंसू आ जाने और सीता की थकान की वजह से पेड़ के नीचे बैठकर कुछ देर तक विश्राम करने का वर्णन भी किया गया है । इस भाग में राम जी  सीता जी के पैरों से काटें निकलते हैं और उनकी सहायता करते हैं । अपने प्रति राम जी का प्रेम देख कर सीता जी प्रसन्न हो जाती हैं |


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न    ( 5 अंक )

16 . राम बैठकर देर तक काँटे क्यों निकालते रहे ?

उत्तर: राम जी से अपनी धर्मपत्नी की व्याकुलता देखी नहीं जा रही थी । वहीं सीता जी का प्यास के मारे बुरा हाल था प्यास के करण उनके कंठ सुख गए थे और वहीं लक्ष्मण जी भी पानी की तलाश में गए हुए थे अतः जब तक लक्ष्मण जी लौट कर आते तब तक राम जी सीता जी की व्याकुलता और कष्ट को कम करना चाहते थे , इसलिए राम बैठकर सीता जी के पैरों से  काँटे निकालते रहे ।


17 . सवैया के आधार पर बताओ कि दो कदम चलने के बाद सीता का ऐसा हाल क्यों हुआ ?

उत्तर: सीता जी का जीवन उनका बचपन राजमहलों की सुख सुविधाओं में व्यतीत हुआ था । उन्हें कभी इस प्रकार के जीवन यापन के बारे में पता भी न था । अतः वन मार्ग पर प्रस्थान करने का उनका यह पहला अवसर था इसलिए अभ्यस्त न होने के कारण सीता  दो कदम चलते ही  पसीने से लथपथ हो गयीं और वो काफी ज्यादा थक भी गयीं।


18 . सवैये में ' धरि धीर दए ' किसके सन्दर्भ में इस्तेमाल किया गया है और क्यों ?

उत्तर: 'धरि धीर दए ' का प्रयोग सीता जी के लिए किया गया है । सीता जी वन के मार्ग पर अग्रसर होते हुए , राम का साथ देते हुए , तकलीफों को सहते हुए मन - ही - मन धीरज बँधाकर बड़े ही धैर्य के साथ कदम से कदम मिलकर वन के मार्ग पर चल रही थी । ये पंक्ति उनके अटल निश्चय और धैर्य का परिचायक है |


19 . अपनी कल्पना से वन के मार्ग का वर्णन करो ।

उत्तर: वन का मार्ग बहुत ही दुर्गम था एवं चारों ओर घने और ऊँचें पेड़ , कँटीली झाड़ियाँ थी और रास्ता भी बड़ा उबड़ खाबड़ था जिस पर चल पाना बहुत मुश्किल था अथवा पानी और खाने – पीने के लिए भी खोज करनी पड़ती थी । जंगली जानवरों से भी खतरा था और कुल मिलाकर कहा जाए तो वन का मार्ग पूरी तरीके से असुरक्षित था ।


20 . दिए गए सवैया का सारांश लिखिए ।

उत्तर: ये सवैया तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस से लिया गया है। राम जी को मिले चौदह वर्षों के वनवास के समय , घर से निकलते समय के स्थिति का वर्णन किया गया  है । कवि कहता है कि बहुत धैर्य धारण करके सीता जी वन के मार्ग को निकली मगर दो कदम चलने के बाद ही उनके माथे से पसीना निकलने लगा एवं व्याकुल सीता जी ने राम जी से कहा की अभी कितनी दूर और चलना है और कुटिया कहाँ बनाएंगे और ये व्याकुलता देखकर राम जी की आँखों से आंसू बहने लगे अथवा सीता जी , राम जी से कहती है कि लक्ष्मण जो कि जल लाने गए है वो बालक ही तो है उन्हें समय लगेगा । सीता जी राम जी को कहती थोड़ी देर आप छाया में प्रतीक्षा क्यों नहीं कर लेते एवं तब तक आपके चरणों कि जो गर्म धुप से तप कर लाल हुए हैं मैं उसको धोकर कांटे निकल देती हूँ एवं उनका यह प्रेम देखकर राम जी की आँखों से आंसू बरसने लगते हैं ।