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NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 - In Hindi

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NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi PDF Download

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Table of Content
1. NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi PDF Download
2. NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi
3. NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi
FAQs


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NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi

1. रिक्त स्थान भरिए

  1. किसी $1$ $cm$ भुजा वाले घन का आयतन…..${m^3}$ के बराबर है।

  2.  किसी $2$$cm$ त्रिज्या व $10$ $cm$ ऊँचाई वाले सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल…..$m{m^2}$ बराबर है।

  3.  कोई गाड़ी $18$ $kmem/h$ की चाल से चल रही है तो यह $1$ $s$ में….$m$चलती है।

  4.  सीसे का आपेक्षिक घनत्व $11.3$ है। इसका घनत्व…….g $c{m^3}$  या …. $kg{m^{ - 3}}$ है।

उत्तर:

  1. ∵ घन का आयतन 

= ( भुजा)$^3$ 

$ = {(1cm)^3}$

$ = \dfrac{1}{{100}}$ ${m^3}$

$ = {({10^{ - 2}}m)^3}$ 

$ = {10^{ - 6}}$ ${m^3}$       

  1.  सिलिण्डर का पृष्ठ क्षेत्रफल = वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल + दोनों वृत्तीय सिरों का क्षेत्रफल
    $ = 2\pi rh + 2\pi {r^2}$

$ = 2\pi (h + r)$

$ = 2 \times 3.14 \times 2 \times 12$ $c{m^2}$

$ = 4 \times 3.14 \times 12$ $c{m^2}$

$ = 150.72$ $c{m^2}$

$ = 150.72 \times {(10mm)^2}$

$ = 150.72 \times 100$ $m{m^2}$

$ = 1.5 \times 104{(mm)^2}$

  1.  गाड़ी की चाल $ = 18$ $km/h$

$ = 18 \times \dfrac{5}{{18}}$ $m/s$

$ = 5$ $m{s^{ - 1}}$

$\therefore 1s$ में तय दूरी = चाल x समय 

$ = 5$$m{s^{ - 1}}$$ \times 1s$

$ = 5$ $m$

  1. सीसे का घनत्व = सीसे का आपेक्षिक-घनत्व x जल का घनत्व

$ = 11.3 \times 1$$gc{m^{ - 3}}$

$ = 11.3$ $gc{m^{ - 3}}$
[∵जल का घनत्व $ = 1$$gc{m^{ - 3}}$ या $10$$kg{m^{ - 3}}$]
या   सीसे का घनत्व $ = 11.3 \times 10$ $kg{m^{ - 3}}$

$ = 1.13 \times 104$ $kg{m^{ - 3}}$

2. रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिर्वतन द्वारा भरिए

(a) $1 \mathrm{~kg} \mathrm{~m}^{2} \mathrm{~s}^{-2}=\ldots \ldots \ldots \ldots \mathrm{g} \mathrm{cm}^{2} \mathrm{~s}^{-2}$

(b) $1 \mathrm{~m}=\ldots \ldots \ldots \ldots \ldots . \mathrm{ly}$

(c) $3.0 \mathrm{~m} \mathrm{~s}^{-2}=\ldots \ldots \ldots \ldots \ldots \mathrm{km} \mathrm{h}^{-2}$

(d) $G=6.67 \times 10^{-11} \mathrm{Nm}^{2}(\mathrm{~kg})^{-2}=\ldots \ldots \ldots \ldots \ldots(\mathrm{cm})^{3} \mathrm{~s}^{-2} \mathrm{~g}^{-1}$

उत्तर:

(a) $1$ $kg{m^2}{s^{ - 2}} = 1$$kg \times 1{m^2}{s^{ - 2}}$

$ = (1000$$g) \times (100$$cm{)^2} \times 1{s^{ - 2}}$

$ = 1000 \times 10000$$g{(cm)^2}{s^{ - 2}}$

$ = 107$$g{(cm)^2}{s^{ - 2}}$

(b) $1$ प्रकाश वर्ष $ = 9.46 \times 1015$$ = 9.46 \times 1015$मी

\[\therefore 1\] मी \[ = 19.46 \times 1015 = 19.46 \times 1015\] प्रकाश वर्ष

\[ = 1.06 \times {10^{ - 16}} = 1.06 \times {10^{ - 16}}\] प्रकाश वर्ष |

(c) $3 \mathrm{~m}^{-2} s^{-2} =3 \mathrm{~m} \times 1 \mathrm{~s}^{-2}$

$=\frac{\left(\frac{3}{1000}\right) \mathrm{km}}{\left(\frac{1}{60 \times 60} \mathrm{~h}\right)^{2}}$

$=3.9 \times 10^{4} \mathrm{~km} \mathrm{~h}^{-2}$

(d) $G=6.67 \times 10^{-11} \mathrm{Nm}^{2}(\mathrm{~kg})^{-2}$

$\left.=6.67 \times 10^{-11} \mathrm{Nm}^{2} \times\left(\frac{1}{k g}\right)^{2}\right)$

$=6.67 \times 10^{-11}\left(\mathrm{~kg} \mathrm{~ms}^{-2}\right) \times 1 \mathrm{~m}^{2} \times\left(\frac{1}{k g}\right)$

$\left.=6.67 \times 10^{-11} \times \mathrm{m}^{3} \mathrm{~s}^{-2}\right) \times \frac{1}{k g}$

$=6.67 \times 10^{-11} \times \frac{1}{1000 g m} \times(100)^{3} \times s^{-2}$

$=6.67 \times 10^{-8}(\mathrm{~cm})^{3} \mathrm{~s}^{-2} \mathrm{~g}^{-1}$


3. ऊष्मा या ऊर्जा का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग \[4.2\]\[J\] के बराबर है, जहाँ \[1\] \[J\]\[ = 1\]\[kg\]\[{m^2}{s^{^{ - 2}}}\] मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली प्रयोग करते हैं जिसमें द्रव्यमान का मात्रक \[\alpha \]\[kg\] के बराबर है, लम्बाई का मात्रक \[\beta \] \[m\] के बराबर है, समय का मात्रक \[ys\]के बराबर है तो यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण \[4.2\alpha^{-1}\] \[\beta^{-2}\] \[y^2\]है।

उत्तर:

\[1\] कैलोरी \[ = 4.2\] \[J\] \[ = 4.2\] \[kg - {m^2}{s^2}\]
ऊर्जा का विमीय सूत्र \[ = \left[ {ML2F - 2} \right]\]
माना दी गई दो मापन पद्धतियों में द्रव्यमान, लम्बाई तथा समय के मात्रक क्रमश\[{M_1},{L_1},{T_1},\] तथा\[{M_2},{L_2},{T_2},\], हैं।

तब. \[{M_1} = 1\] \[kg\],\[{L_1} = 1\] m , \[{T_1} = 1s\] 

तथा \[{M_2} = \alpha \]\[kg\] , \[{L_2} = \beta \] m, \[{T_2} = \gamma s\]

अत: \[{u_1} = \left[ {{M_1}{L_1}^2{T_1}^{ - 2}} \right],\] \[{u_2} = \left[ {{M_2}{L_2}^2{T_2}^{ - 2}} \right],\] 

\[{n_1} = 4.2\],\[{n_2} = ?\]

∴ सूत्र \[{n_1}{u_1} = {n_2}{u_2}\] से, \[{n_1} = {n_2}\dfrac{{{u_2}}}{{{u_1}}}\]
अत: \[{n_2} = {n_1}{\left[ {\dfrac{{{M_1}}}{{{M_2}}}} \right]^1}{\left[ {\dfrac{{{L_1}}}{{{L_2}}}} \right]^2}{\left[ {\dfrac{{{T_1}}}{{{T_2}}}} \right]^{ - 2}}\]

\[ = 4.21\]\[{\left[ {\dfrac{{1kg}}{{\alpha kg}}} \right]^1} \times {\left[ {\dfrac{{1m}}{{\beta m}}} \right]^2} \times {\left[ {\dfrac{{1s}}{{\gamma s}}} \right]^{ - 2}}\]

\[ = 4.2 \times \dfrac{1}{\alpha } \times \dfrac{1}{{{\beta ^2}}} \times {\left( {\dfrac{1}{\gamma }} \right)^{ - 2}}\]

\[ = 4.2{\alpha ^{ - 1}}{\beta ^{ - 2}}{\gamma ^2}\]
अर्थात् दूसरी पद्धति में 1 कैलोरी का मान \[4.2{\alpha ^{ - 1}}{\beta ^{ - 2}}{\gamma ^2}\]  है।


4. इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा या छोटा कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।

उत्तर:

सामान्यतया कहा जाता है कि परमाणु बहुत छोटा गोलीय पिण्ड है, परन्तु हम जानते हैं कि इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है, तब यह कहा जा सकता है कि इलेक्ट्रॉन की तुलना में परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। इसके विपरीत क्रिकेट की गेंद की तुलना में परमाणु एक बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की तुलना में बहुत छोटा कहा जा सकता है जबकि किसी अन्य वस्तु की तुलना में उसे बड़ा कहा जा सकता है। यही बात किसी विमीय राशि के विषय में भी लागू होती है। कोई विमीय राशि, किसी दूसरी समान विमीय राशि की तुलना में बड़ी हो सकती है जबकि किसी अन्य, समान विमीय राशि से छोटी हो सकती है। अत: किसी विमीय राशि को छोटा या बंड़ा कहना तब तक अर्थहीन है जब तक कि तुलना के मानक को स्पष्ट उल्लेख ने किया गया हो।
(a) चीनी के एक दाने की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान, रेलगाड़ी की तुलना में अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अंदर की हवा में मौजूद अणु एक कक्षा के छात्रों की तुलना में बड़ी संख्या में होते हैं|

(e) एक प्रोटॉन एक इलेक्ट्रॉन की तुलना में अधिक विशाल है।

(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से कम होती है जैसे बादलों की बिजली की रौशनी पहले में आती है।


5. लम्बाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल \[1\] है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को

तय करने में \[8\] \[\min \] और 20 s लगाता है।

उत्तर:

प्रकाश की चाल \[ = 1\] मात्रक \[{s^{ - 1}}\]
जबकि प्रकाश द्वारा लिया गया समय है \[t = 8\] \[\min \] \[20s\]
\[ = (8 \times 60 + 20)s\]

\[ = 500s\]
∴ सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी = प्रकाश की चाल x लगा समय
\[ = 1\] मात्रक \[{s^{ - 1}} \times 500\] s
\[ = 500\] मात्रक


6. लम्बाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यन्त्र है
(a) एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अन्तराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं।
(c) कोई प्रकाशिक यन्त्र जो प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की सीमा के अन्दर लम्बाई माप सकता है।
उत्तर:

(a). यहाँ वर्नियर कलीपर्स का अल्पतमांक

= मुख्य पैमाने के एक छोटे खाने का मान /  वर्नियर पैमाने पर विभाजनों को संख्या  

\[ = \dfrac{{0.1}}{{20}}cm\]

\[ = 0.005\] \[cm\]

(b) स्कूगेज का अल्पतमांक

= चूड़ी अंतराल / वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या 

\[ = \dfrac{1}{{100}}mm\]

\[ = 0.001\] \[cm\]

(c) ∵ प्रकाशिक यन्त्र प्रकाश की तरंगदैर्घ्य \[({10^{ - 7}}\] m की कोटि की) की सीमा के अन्दर लम्बाई माप सकता है; अत: इसका अल्पतमांक 

\[ = {10^{ - 7}}m = {10^{ - 5}}cm\]

\[ = 0.00001\]\[cm\]

∵ प्रकाशिक यन्त्र का अल्पतमांक सबसे कम है; अतः यह सर्वाधिक परिशुद्ध यन्त्र है।

7. कोई छात्र \[100\] आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह \[20\] बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई \[3.5\] \[mm\] है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?

उत्तर: 

सूक्ष्मदर्शी का आवर्धन 

= सूक्ष्मदर्शी द्वारा मापी गई मोटाई /  वास्तविक मोटाई  

∴  वास्तविक मोटाई \[ = \dfrac{{3.5}}{{100}}mm\]

\[ = 0.035\]\[mm\]

∴ बाल की मोटाई का अनुमान \[ = 0.035\]\[mm\]


8. निम्नलिखित के उत्तर दीजिए
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएँगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अन्तराल \[1.0\] \[mm\] है और उसके वृत्तीय पैमाने पर \[200\] विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की सम्भावना क्यों है?

उत्तर:

(a). इसके लिए हम एक बेलनाकार छड के ऊपर धागे को इस  प्रकार लपेटेंगे कि धागे के फेरे एक-दूसरे से सटे रहें। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई l को मीटर पैमाने की सहायता से नाप लेंगे। अब लपेटे गए फेरों की संख्या n को गिन लिया जाएगा। तब धागे का व्यास

= धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई (l) / फेरों की संख्या (n)

इस प्रकार धागे का व्यास ज्ञात हो जाएगा।

(b). स्कूगेज का अल्पतमांक = चूड़ी अन्तराल /   वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या 
उपर्युक्त सूत्र से स्पष्ट है कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या बढ़ाने से, स्क्रूगेजं का अल्पतमांक कम होगा; अत: स्क्रूगेज की यथार्थता बढ़ेगी।

(c) ∵ प्रेक्षणों की माध्य निरपेक्ष त्रुटि

\[\vartriangle a = \dfrac{{\left| {\vartriangle {a_1}} \right| + |\vartriangle {a_2}| + .... + |\vartriangle {a_n}|}}{n}\]

इस सूत्र से स्पष्ट है कि प्रेक्षणों की संख्या के बढ़ने से माध्य निरपेक्ष त्रुटि घटेगी; अत: अधिक प्रेक्षणों द्वारा प्राप्त छड़ का माध्य व्यास अधिक विश्वसनीय होगा।                      

9. किसी मकान का फोटोग्राफ \[35\] \[mm\] स्लाइड पर \[1.75\] \[c{m^2}\]  क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को | किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल \[1.55\] \[{m^2}\] है। प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है?

उत्तर:

स्लाइड पर घर का क्षेत्र $=1.75$ वर्ग सेमी

स्क्रीन पर घर की छवि का क्षेत्र $=1.55$ वर्ग मी

1 मीटर $=100$ सेमी $=10^{2}$ सेमी

स्क्रीन पर बने घर की छवि का क्षेत्र

$1.55$ वर्ग मी $=1.55 \times {{10}^4}$ वर्ग सेमी

क्षेत्रीय आवर्धन $x=$ छवि का क्षेत्र / स्लाइड का क्षेत्र

$=1.55 \times {{10}^4} {cm }^{2} / 1.75 { cm }$

$=0.8857 \times {{10}^4}$

रेखीय आवर्धन $=\sqrt{x}$

$=0.9411 \times 10^{2}=94.11$


10. निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए

(a). \[0.007{m^2}\]

(b). \[2.64 \times 1024kg\]

(c). \[0.2370c{m^{ - 3}}\]

(d). \[6.320J\]

(d). \[6.032N{m^{ - 2}}\]

(e). \[0.0006032{m^2}\]

उत्तर: (a) 1, (b) 3, (e) 4, (d) 4, (e) 4, (f) 4.


11. धातु की किसी आयताकार शीट की लम्बाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः \[4,234m\], \[1.005m\] व \[2.01\] \[cm\] है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।

उत्तर:

यहाँ लम्बाई \[4 = 4.234\] m, चौड़ाई \[b = 1.005\] m
तथा मोटाई \[c = 2.01\] cm \[ = 0.0201\] m
स्पष्ट है कि लम्बाई व चौड़ाई में  सार्थक अंक हैं जबकि मोटाई में 3 सार्थक अंक हैं।
∴ पृष्ठीय क्षेत्रफल तथा आयतन दोनों का  अधिकतम 3 सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
अब शीट का पृष्ठीय क्षेत्रफल
\[ = {\text{ }}2x{\text{ }}\left( {ab{\text{ }} + {\text{ }}bc{\text{ }} + {\text{ }}ca} \right)\]
\[ = 2x\left[ {4.234 \times 1.005 + 1.005 \times 0.0201 + 0.0201 \times 4234} \right]{m^2}\]
\[ = {\text{ }}2x{\text{ }}\left[ {4.25517{\text{ }} + {\text{ }}0.0202005{\text{ }} + {\text{ }}0.0851034} \right]{\text{ }}{m^2}\]

\[ = {\text{ }}2 \times 4.3604739\] m

\[ = {\text{ }}8.7209478{\text{ }}\] m

\[ = {\text{ }}8.72{\text{ }}{{\text{m}}^2}\]

जबकि शीट का आयतन = ल० $\times$ चौ० $\times$ ऊँ०
\[ = {\text{ }}4.234{\text{ }}m \times 1.005{\text{ }}m \times 0.0201{\text{ }}m\]

\[ = {\text{ }}0.085528917{\text{ }}{m^3}\]

\[ = {\text{ }}0.0855{\text{ }}{m^3}\]


12. पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान \[2.300{\text{ }}kg\] है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान क्रमशः \[20.15\] g व \[20.17g\] है, डिब्बे में रखे जाते हैं
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है,
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अन्तर है?

उत्तर:

  1. दिया है : डिब्बे का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}2300{\text{ }}kg\]

पहले टुकड़े का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}20.15{\text{ }}g{\text{ }} = {\text{ }}0.02015{\text{ }}kg\]
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान \[ = {\text{ }}2017{\text{ }}g = {\text{ }}0.02017{\text{ }}kg\]

∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
\[ = {\text{ }}2.300{\text{ }}kg{\text{ }} + {\text{ }}0.02015{\text{ }}kg{\text{ }} + {\text{ }}0.02017kg\]
\[ = {\text{ }}2.34032{\text{ }}kg\]

∵ तीनों मांपों में डिब्बे के द्रव्यमान में सबसे कम सार्थक अंक (4 अंक) हैं; अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांकन करना होगा।
∴ डिब्बे का कुल द्रव्यमान \[ = {\text{ }}2.340{\text{ }}kg\] 

  1. ∵ सोने के टुकड़ों के द्रव्यमानों में प्रत्येक में 4 सार्थक अंक हैं; अतः इनके अन्तर का अधिकतम
    दशमलव के दूसरे स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
    टुकड़ों के द्रव्यमानों का अन्तर 

\[ = {\text{ }}20.17{\text{ }}g{\text{ }}--{\text{ }}20.16{\text{ }}g\] 

            \[ = {\text{ }}0.02{\text{ }}g\]


13. \[1\% ,{\text{ }}3\% ,{\text{ }}4\% \]तथा \[2\% \] हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त सम्बन्ध का उपयोग करके P का परिकलित मान \[3.763\] आता है तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?

उत्तर: 

\[p = \dfrac{{{a^3}{b^2}}}{{\sqrt {cd} }}\]

p के मान में प्रतिशत त्रुटि

\[\dfrac{{\vartriangle P}}{P} \times 100 = 3 \times \dfrac{{\vartriangle a}}{a} \times 100 + 2 \times \dfrac{{\vartriangle b}}{b} \times 100 + \dfrac{1}{2}\dfrac{{\vartriangle c}}{c} \times 100 + \dfrac{{\vartriangle d}}{d} \times 100\]  

\[ = 3 \times 1\%  + 2 \times 3\%  + \frac{1}{{2}} \times 4\%  + 2\% \]

\[ = 13\% \]

\[\therefore \vartriangle P = \dfrac{{\vartriangle p}}{p} \times 100 = 13\]

∴P के मान में त्रुटि, 

\[\vartriangle P = \dfrac{{13 \times 3.763}}{{100}}\] 

\[\left[ {\because P = 3.763} \right]\;\]

\[ = 0.4891\;\]

P के मान में त्रुटि \[0.489\]से स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है; अत: P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना व्यर्थ है। अतः P के मान का. दशमलव के पहले स्थान तक पूर्णांकन करना होगा।
अतः P का निकटतम मान \[ = {\text{ }}3.763{\text{ }} = {\text{ }}3.8\]

14. किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं, आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं
(a) \[\;y = a\sin 2\pi t\]

(b) \[\;y = a\sin vt\]

(c) \[y = \dfrac{a}{t}\sin t\]

(d) \[y = ({a^2})(\sin 2\pi \dfrac{t}{T} + \cos 2\pi t)\]

(a = कण का अधिकतम विस्थापन, ν = कण की चाल, T = गति का आवर्तकाल)।
विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।

उत्तर:किसी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक विमाहीन राशि होती है।
सूत्र (b) तथा (c) में कोण vt तथा ! विमाहीन नहीं हैं; अत: उपर्युक्त दोनों सूत्र सही नहीं हैं। शेष दोनों सूत्र (a) तथा (d) सही हैं।


15. भौतिकी का एक प्रसिद्ध सम्बन्ध किसी कण के चल द्रव्यमान (moving mass) m, \[\dfrac{t}{a}\] विराम द्रव्यमान (rest mass)$ m_0$, इसकी चाल ν और प्रकाश c की चाल  के बीच है। (यह सम्बन्ध सबसे पहले अल्बर्ट आइन्स्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धान्त के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस सम्बन्ध को लगभग सही याद करता है। लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है
\[m = {\dfrac{{{m_0}}}{{\left( {1 - {v^2}} \right)}}^{\dfrac{1}{2}}}\]

अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर: दिया गया सम्बन्ध है।
सही सूत्र \[m = {\dfrac{{{m_0}}}{{\left( {1 - {v^2}} \right)}}^{\dfrac{1}{2}}}\]=\[m = {\dfrac{{{m_0}}}{{\left( {1 - {v^2}} \right)}}^{\dfrac{1}{2}}}\] है ।


16. परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक ऍग्स्ट्रॉम है और इसे द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग \[0.5A\] है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m’ में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?

उत्तर: 

गोलीय हाइड्रोजन परमाणु का आयतन \[V = \frac{4}{3}\pi {r^3}\]
परमाणु के आमाप में 1 सार्थक अंक है, अंत: आयतन में भी एक ही सार्थक अंक होना चाहिए ।
हाइड्रोजन परमाणु कि त्रिज्या (आमाप) 

\[r = 0.5V\] 

\[r = 0.5 \times {10^{ - 10}}\]

 मीटर
∴ हाइड्रोजन परमाणु का आयतन
\[V = \frac{4}{3} \pi {r^3}\]

\[ = \frac{4}{3} \times 3.14 \times (0.5 \times {10^{ - 10}}\] मी\[{)^3}\]
\[ = 5.233 \times {10^{ - 31}}\]मीटर\[^3\]
हाइड्रोजन के 1 मोल में हाइड्रोजन परमाणुओं कि संख्या = आवोगाद्रो संख्या 

\[ = 6.023 \times {10}^{23}\]
अंत: 1 मोल हाइड्रोजन में परमाणुओं का आयतन
\[V = 6.023 \times {10}^{23} \times 5.233 \times {10^{ - 31}}\]
\[v = 3.15 \times {10^{ - 7}}\]मीटर\[^3\]

\[ = 3 \times {10^{ - 7}}\]मीटर\[^3\]

17. किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक) मानक ताप व दाब पर \[22.4L\]आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के (की आमाप लगभग  मानिए)। यह अनुपात इतनी अधिक क्यों है?

उत्तर:

एक मोल हाइड्रोजन गैस का आयतन \[ = {\text{ }}22.4\]

\[L{\text{ }} = 22.4{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 3}}\;{m^3}\]
जबकि \[1\] मोल हाइड्रोजन गैस का परमाण्विक आयतन \[ = 3.15{\text{ }} \times {\text{ }}{10^{ - 7}}\;{m^3}\] (प्रश्न \[16\] के परिणाम से)
\[7.11 \times {10^4}:1\]है।
इसे अनुपात का मान इतना अधिक होने का अर्थ है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की तुलना में बहुत अधिक होता है। इसका अन्य अर्थ यह है कि गैस के अणुओं के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है।


18. इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए : यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चन्द्रमा, तारे आदि) स्थिर

प्रतीत होते हैं। (वास्तव में क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं।)

उत्तर:

किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है न कि उसके रेखीय वेग पर। यद्यपि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गति करती हैं, परन्तु समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग अधिक होता है; अतः वे तेजी से पीछे जाती प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग बहुत ही कम होता है; अतः वे हमें लगभग स्थिर प्रतीत होती हैं।


19. समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए लम्बन के सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अन्तराल पर पृथ्वी की अपनी, दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा \[AB\] है। अर्थात आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास\[ \approx {\text{ }}3 \times {10^{11}}m\] के लगभग बराबर है। लेकिन चूंकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं। कि इतनी लम्बी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल \[1''\]  (सेकण्ड, चाप का) की कोटि का लम्बन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के \[1'\] का लम्बन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?

उत्तर:

चित्र \[2.1\]में S सूर्य तथा E पृथ्वी है।\[\]
बिन्दु \[O\] की पृथ्वी से दूरी \[1\] पारसेक है।
पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या \[SE = \] व्यास /$2$
या  \[SE = \dfrac{{3 \times {{10}^{11}}m}}{2}\]

\[ = 1.5 \times {10^{11}}m\;\;\;\] चित्र 2.1
प्रश्नानुसार, रेखाखण्ड SE, बिन्दु \[O\] पर \[1''\] (चाप का) कोण अन्तरित करता है।
अत:  \[SOE = 1'' = \dfrac{1}{{160 \times 60}}\]डिग्री

\[ = \dfrac{1}{{60 \times 60}} \times \dfrac{\pi }{{180}}\;\]rad  [\[\because 180 = \]rad]

\[\because \angle SOE\] बहुत छोटा है; अत: दिशाएँ \[OS\] तथा \[OE\] लगभग सम्पाती होंगी।
∴ दूरी \[SE\] को वृत्तीय चाप तथा दूरी \[OE\] को त्रिज्या व \[O\] को केन्द्र माना जा सकता है।
\[\therefore {\text{ }}SOE\] ( rad. में ) = चाप SE/ त्रिज्या OE  या  \[\dfrac{1}{{60 \times 60}} \times \dfrac{\pi }{{180}}\]

\[ = \dfrac{{1.5 \times {{10}^{11}}}}{1}\] पारसेक  

∴ 1 पारसेक  \[ = \dfrac{{1.5 \times {{10}^{11}} \times 60 \times 60 \times 180}}{\pi }\] \[m\]

\[ = \dfrac{{1.5 \times 60 \times 60 \times 180 \times {{10}^{11}}}}{{3.14}}\]\[m\]

 \[ = 309.55 \times {10^{14}}\]\[m\]  अत:  

1 पारसेक \[ = 3.0 \times {10^{16}}\] \[m\] के बराबर होता है।\[\]


20. हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा $4.29$ प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (ऐल्फा सेटौरी नामक) तब कितना लम्बन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर हैं, देखा, जाएगा?

उत्तर: सौर परिवार में निकटतम तारे की दूरी
\[ = {\text{ }}4.29\]प्रकाश वर्ष
\[ = 4.29 \times 9.46 \times {10^{15}}\]मी
\[ = 4.29 \times 9.46 \times 153.08 \times {10^{16}}\] पारसेक
\[ = {\text{ }}1.32\] पारसेक
छः महीने के अंतराल पर पृथ्वी अपनी कक्षा के व्यस्त: विपरीत सिरों पर होगी |

∴∴ पृथ्वी का विस्थापन \[d = \]  व्यास \[3 \times 10113 \times {10^{11}}\] मी
तारे की सौर मण्डल के केंद्र से दूरी
\[r{\text{ }} = {\text{ }}4.29\] प्रकाश वर्ष
\[4.29 \times 9.46 \times 10154.29 \times 9.46 \times {10^{15}}\]मी
तारे द्वारा प्रदर्शित लंबन \[\theta  = dr\theta  = dr\]

\[ = 3 \times {10^{11}}\] मी \[4.29 \times 9.46 \times {10^{15}}\] मी

\[ = 0.0739 \times {10^{ - 4}}\] रेडियन
\[ = 180\pi  \times 60 \times 60\]
\[ = {\text{ }}1.52\] सेकण्ड (चाप का) ।

21. भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समयान्तरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञानं के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लम्बाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।

उत्तर:

लम्बाई का मापन: विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के बीच की दूरी का मापन करते समय लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।।

समय का मापन: फोको की विधि द्वारा किसी माध्यम में प्रकाश की चाल ज्ञात करने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

द्रव्यमान का मापन: द्रव्यमान स्पेक्ट्रमलेखी में परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।


22. जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं-(जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)

  1.  मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।

  2.  किसी हाथी का द्रव्यमान।।

  3.  किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।

  4.  आपके सिर के बालों की संख्या।

  5.  आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।

उत्तर: 

  1. सर्वप्रथम मौसम विभाग से पूरे भारत में हुई कुल वर्षा की माप की जानकारी लेंगे और वर्षा जल के आयतन को जल के घनत्व से गुणा करके वर्षा जल के द्रव्यमान की गणना कर लेंगे। इससे मेघों का द्रव्यमान ज्ञात हो जाएगा।

  2. ट्रक आदि का द्रव्यमान मापने वाले काँटे पर खड़ा करके हाथी को द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है।

  3. किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल का आकलन किया जा सकता है।

  4. सिर के \[1\] \[c{m^2}\] क्षेत्रफल में स्थित बालों को गिन लिया जाएगा। तत्पश्चात् सिर के क्षेत्रफल का आकलन करके इस क्षेत्रफल से \[1\] \[c{m^2}\]  क्षेत्रफल में स्थित बालों की संख्या को गुणा करके सिर के बालों की संख्या का आकलन किया जा सकता है।

  5. कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु का घनत्व नापकर \[1\] \[c{m^3}\] आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या की गणना की जा सकती है। तत्पश्चात् कमरे के आयतन से गुणा करके कक्षा के कमरे में उपस्थित वायु के अणुओं की गणना की जा सकती है।


23. सूर्य एक ऊष्म प्लैज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है जिसके आन्तरिक क्रोड का ताप \[107k\]  से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग \[6000k\] है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आँकड़ों के आधार पर कर सकते हैं- सूर्य का द्रव्यमान \[ = 2.0 \times 1030\] \[kg\] सूर्य की त्रिज्या \[ = 7.0 \times 108\] \[m\].

उत्तर:

यहाँ द्रव्यमान \[M = 2.0 \times {10^{30}}\] \[kg\]

 व त्रिज्या \[r = 7.0 \times {10^{ - 8}}\] \[m\]
∴ सूर्य का आयतन \[V = \dfrac{4}{3}\pi {r^3}\]

\[ = \dfrac{4}{3} \times \dfrac{{22}}{7} \times \left( {7.0 \times {{10}^8}} \right)\] \[{m^3}\]

\[ = \dfrac{{4 \times 22 \times 7.0 \times 7.0 \times {{10}^{24}}}}{3}\]\[{m^3}\]

\[ = 1.44 \times {10^{27}}\]\[{m^3}\]

∴  सूर्य का घनत्व = द्रव्यमान (M) / आयतन (V)

\[ = \dfrac{{2.0 \times {{10}^{30}}kg}}{{1.44 \times {{10}^{27}}{m^3}}}\]

\[ = 1.39 \times {10^3}kg/{m^3}\]

\[ = 1.4 \times {10^3}kg/{m^3}\]

सूर्य का द्रव्यमान घनत्व द्रव/ठोस के घनत्व परिसर में होता है।


24. जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से \[8247\]लाख किलोमीटर दूर होता है तो इसके व्यास की कोणीय माप \[35.72\prime \] का चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।

उत्तर:

दिया है, बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से दूरी
\[s = {\text{ }}8247\] लाख किलोमीटर 

\[ = {\text{ }}8247{\text{ }} \times {\text{ }}{10^5}\;\]किमी

व्यास का कोणीय माप \[\theta  = 35.72'\]

\[ = \dfrac{{35.72}}{{60 \times 60}} \times \dfrac{\pi }{{180}}\] रेडियन

\[\because \theta  = \dfrac{b}{s}\] 

∴ व्यास \[b = s \times \theta \] 

\[ = 8247 \times {10^5} \times \dfrac{{35.72 \times \pi }}{{60 \times 60 \times 180}}\;\]किमी  

\[ = \dfrac{{8247 \times 3572 \times {{10}^{ - 2}} \times 314}}{{36 \times 18}}\;\] किमी   

\[ = 1.43 \times {10^5}\]किमी 

\[ = 1.43 \times {10^8}\;\]मी  


अतिरिक्त अभ्यास

25. वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल) के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ 8 कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण 8 व 9 के बीच निम्नलिखित सम्बन्ध व्युत्पन्न करता है- \[tan{\text{ }}\theta {\text{ }} = {\text{ }}\nu \] और वह इस सम्बन्ध के औचित्य की सीमा पता लगाता है: जैसी कि आशा की जाती है। यदि \[v \to \theta \] तो \[\theta  \to 0\]  (हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊध्वधरतः पड़ रही है)। क्या आप सोचते हैं कि यह सम्बन्ध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं है तो सही सम्बन्ध का अनुमान लगाइए।

उत्तर:

दिए गए सम्बन्ध में,

 बाएँ पक्ष की विमाएँ \[ = \left[ {{L^0}} \right]\]                         ∵tan⁡= लम्ब  आधार \[ = \dfrac{{\left[ L \right]}}{{\left[ L \right]}} = \left[ {{L^0}} \right]\]

जबकि     दाएँ पक्ष की विमाएँ \[ = \left[ {L{T^{ - 1}}} \right]\]
∵ दोनों पक्षों की विमाएँ परस्पर समान नहीं हैं; अत: यह सम्बन्ध सही नहीं हो सकता। स्पष्ट है कि सही सम्बन्ध में दाएँ पक्ष की विमाएँ भी \[\left[ {{L^0}} \right]\]होनी चाहिए। माना वर्षा की बूंदें \[u\] वेग से ऊर्ध्वाधरत: नीचे गिर रही हैं, तब दाएँ पक्ष को विमाहीन करने के लिए \[\nu \] को से भाग देना चाहिए।

अत: सही सम्बन्ध \[tan\theta  = \dfrac{v}{u}\] होना चाहिए।


26. यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के \[100\] वर्षों तक दो सीजियम घड़ियों को चलने दिया जाए तो उनके समयों में केवल \[0.02s\] का अन्तर हो सकता है। मानक सीजियम घड़ी द्वारा \[1s\] के समय अन्तराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?

उत्तर:

कुल समय \[ = {\text{ }}100\]वर्ष, \[T{\text{ }} = 100 \times 365 \times 24 \times 60 \times 60{\text{ }}s\]

\[100\] वर्ष के अन्तराल में त्रुटि \[\vartriangle T{\text{ }} = {\text{ }}0.02s\]
\[{10^{11}}\] से  \[{10^{12}}\]  में \[1\] भाग की परिशुद्धता ।


27. एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग \[2.5\] मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाणवीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए)। इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व \[970\] \[kg{m^{ - 3}}\] के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों?

उत्तर: सोडियम परमाणु का आमाप (त्रिज्या) \[ = {\text{ }}2.5\]

\[ = {\text{ }}2.5 \times {10^{ - 10}}\;m\]
सोडियम का ग्राम परमाणु भार \[ = {\text{ }}23{\text{ }}g\] 

\[ = {\text{ }}23 \times {10^{ - 3\;}}kg\]

एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या \[6.023 \times {10^{23}}\;\]होती है। प्रश्नानुसार, सोडियम परमाणु कि त्रिज्या 

\[r = \dfrac{{2.5}}{2} \mathbf{3 \ \overset{o}{A}}\]

\[r = 1.25 \mathbf{3 \ \overset{o}{A}}\]

या \[r = 1.25 \times {10^{ - 10}}\]मीटर (\[1\mathbf{3 \ \overset{o}{A}}= {10^{ - 10}}\] मीटर)
सोडियम परमाणु का आयतन \[ = \dfrac{4}{3}\pi {r^3}\]
\[ = \dfrac{4}{3} \times 3.1 \times {\left( {1.25 \times {{10}^{ - 10}}} \right)^3}\]
\[ = 8.18 \times {10^{ - 30}}\] मीटर\[^3\]
सोडियम के \[1\] मोल में परमाणुओं कि संख्या, 

\[N{\text{ }} = 6.023 \times {10^{23}}\]
एक परमाणु का द्रव्यमान \[23{\text{ }}g\] अथवा \[23 \times {10^{ - 3}}\] किग्रा है ।
अत : 1 सोडियम परमाणु का द्रव्यमान
\[m = 23 \times {10^{ - 3}}\] किग्रा\[6.023 \times {10^{23}} = \]\[3.82 \times {10^{ - 26{\text{ }}}}\;\]किग्रा

सोडियम परमाणु का मध्य घनत्व\[\]
\[Pa = mV = 3.82 \times {10^{ - 26}}\] किग्रा \[8.18 \times {10^{ - 20}}\] मी\[^3\]\[ = 4.67 \times {10^3}\] किग्रा-मी\[^{ - 3}\]

क्रिस्टलीय अवस्था में सोडियम का घनत्व
\[ = 970\] किग्रा-मी\[^{ - 3} = 970\] किग्रा-मी\[^{ - 3}\]
\[ = 0.970 \times {10^3}\] किग्रा- मी\[^{ - 3}\]
दोनों घनत्वों के परिमाण समान कोटि के हैं क्युकी ठोस अवस्था में अनु दृढ़तापूर्वक परस्पर बंधे रहते है ।
स्पष्ट है कि परमाणु का द्रव्यमान घनत्व तथा ठोस प्रावस्था में सोडियम का घनत्व दोनों 103 की कोटि के हैं। इसका अर्थ यह है कि ठोस प्रावस्था में परमाणुओं के बीच खाली स्थान नगण्य होता है, अर्थात् ठोस प्रावस्था में परमाणु दृढ़तापूर्वक संकुलित होते हैं।


28. नाभिकीय पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है\[ - \left( {1f = 10 - 15\;m} \right)\]। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक सम्बन्ध का पालन करते हैं \[r{\text{ }} = {r_0}\;A1/3\;\]जहाँ नाभिक की त्रिज्या, A इसकी द्रव्यमान संख्या और \[{r_0}\], कोई स्थिरांक है जो लगभग \[1.2{\text{ }}f\]के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आकलन कीजिए। प्रश्न \[27\] में ज्ञात किए गए सोडियम परमाणु के माध्य द्रव्यमान घनत्व के साथ इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर: 

 माना किसी नाभिक की द्रव्यमान संख्या \[A\] है तथा प्रत्येक न्यूक्लिऑन (न्यूट्रॉन तथा प्रोटॉन) का द्रव्यमान \[{m_0}\] (नियतांक) है।
नाभिक क्रांद्रव्यमान \[m = A{m_0}\]

नाभिक की त्रिज्या \[r{\text{ }} = {r_0}\;A1/3\;\]
नाभिक का आयतन \[V = \dfrac{4}{3}\pi {r^3}\]

\[ = \dfrac{4}{3}\pi {\left( {{r_0}{A^{\dfrac{1}{3}}}} \right)^3}\]

\[V = \dfrac{4}{3}\pi {r_0}^3\]cA

∴ ; नाभिक का द्रव्यमान घनत्व 

= द्रव्यमान / आयतन 

= \[\dfrac{{A{m_0}}}{{\dfrac{4}{3}\pi {r_0}^3A}}\] 

\[ = \dfrac{{3{m_0}}}{{4\pi {r_0}^3}}\]

∵ नाभिक का द्रव्यमान घनत्व, उसकी द्रव्यमान संख्या A से मुक्त है। इसका अर्थ यह है कि सभी नाभिकों के द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर हैं।

पुन: प्रत्येक न्यूक्लिऑन का द्रव्यमान 

\[{m_0} = 1.66 \times {10^{ - 27}}\] kg  तथा  

\[{r_0}\; = 1.2f = 1.2 \times {10^{ - 15}}\]

∴ सोडियम नाभिक का द्रव्यमान घनत्व    \[ = \dfrac{{3{m_0}}}{{4\pi {r_0}^3}}\;\;\]

\[ = \dfrac{{3 \times 1.66 \times {{10}^{ - 27}}kg}}{{4 \times 3.14 \times 1.2 \times {{10}^{ - 15}}{m^3}}}\;\;\] 

\[ = 2.29 \times {10^{17}}kg{m^{ - 3}}\]
प्रश्न \[27\] के परिणाम से,

सोडियम परमाणु का माध्य घनत्व \[ = 5.84 \times {10^2}kg{m^{ - 3}}\]

∴  नाभिक का घनत्व  परमाणु का घनत्व \[ = \dfrac{{2.29 \times {{10}^{17}}}}{{5.84 \times {{10}^2}}}\]

\[ = 0.39 \times {10^{15}} \approx {10^{15}}\]

अर्थात् सोडियम नाभिक का घनत्व उसके परमाणु के घनत्व से लगभग \[{10^{15}}\] गुना अधिक है। इसका अर्थ यह है कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है तथा उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में निहित है।


29. लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र, एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्रोत है। लेसर के इन गुणों का लम्बी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चन्द्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर \[2.56s\] में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:

 पृथ्वी के परित: चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या अर्थात् पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी-

\[d = \dfrac{{c \times t}}{2}\]

\[ = \dfrac{{(3 \times {{10}^8} \times 2.56)}}{2}\] (मी/से) / से )

\[ = 3.84 \times {10^8}\;\]मी 


30. जल के नीचे वस्तुओं को ढूंढने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलम्ब \[77.0s\]  है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल \[ = 1450m{s^{ - 1}}\])
उत्तर: 

-दिया है, \[v = 1450\] मी/से तथा \[t = 77.0\] सेकण्ड
∴ पनडुब्बी की दूरी \[d = \dfrac{{v \times t}}{2}\]

=(\[1450\] मी/सेकण्ड )×( \[77.0\;\]सेकण्ड)\[^2\] 

\[ = 55825\;\] मी 

\[ = 55.825\;\] किमी  


31. हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं। कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिण्डों (जिन्हें क्वासर Quasar’ कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक सन्तोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।

उत्तर: \[2.8 \times {10^{22}}\] KM

32. यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है। चन्द्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
(पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी \[ = 3.84 \times {{10}^8}m\] सूर्य का कोणीय व्यास \[ = 1920'\])

उत्तर: 

माना कि चन्द्रमा का कोणीय व्यास \[ = d\]
जबकि चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी \[ = 3.84 \times {{10}^8}m\]

∴  चन्द्रमा का कोणीय व्यास \[\theta  = \dfrac{d}{a}\]

\[ = \dfrac{d}{{3.84 \times {{10}^8}}}\] rad

\[ = \dfrac{d}{{3.84 \times {{10}^8}}} \times \dfrac{{180}}{\pi } \times 60 \times 60s\]

∵ चन्द्रमा की चक्रिका; सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है, इसका अर्थ है कि चन्द्रमा तथा सूर्य दोनों के कोणीय व्यास बराबर होंगे।

\[ = \dfrac{d}{{3.84 \times {{10}^8}}} \times \dfrac{{180}}{\pi } \times 60 \times 60\]

\[ = 1920\]

अत:

\[d\; = \dfrac{{1920 \times 3.84 \times {{10}^8} \times \pi }}{{180 \times 60 \times 60}}m\;\;\] 

\[ = 3.573 \times {10^6}\]

चन्द्रमा का व्यास \[ = 3.573 \times {10^3}\] km

\[ = 3573\] km

33. इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी०ए०एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनन्द लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाणवीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुँच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (\[ \sim 1500\] करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना, सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्त्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?

उत्तर: 

निर्वात का परावैद्युतांक \[{\varepsilon _0} = 8.854 \times {10^{ - 12}}\] \[{c^2}{m^{ - 2}}{N^{ - 1}}\]

तथा निर्वात की चुम्बकशीलता \[{\mu _0} = 1.257 \times {10^{ - 6}}\] \[Nam{p^{ - 2}}\]

\[\dfrac{1}{{{\mu _0}{\varepsilon _0}}}\; = \dfrac{1}{{1.257 \times {{10}^{ - 6}}Nam{p^{ - 2}} \times 8.854 \times {{10}^{ - 12}}{c^2}{m^{ - 2}}{N^{ - 1}}}}\;\]

  \[ = \dfrac{{100 \times {{10}^{16}}}}{{11.12}}{m^2}{s^{ - 2}}\]

\[ = 8.99 \times {10^{16}}{m^2}{s^{ - 2}}\;\]


NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 Units and Measurement in Hindi

Chapter-wise NCERT Solutions are provided everywhere on the internet with an aim to help the students to gain a comprehensive understanding. Class 11 Physics Chapter 2 solution Hindi mediums are created by our in-house experts keeping the understanding ability of all types of candidates in mind. NCERT textbooks and solutions are built to give a strong foundation to every concept. These NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 in Hindi ensure a smooth understanding of all the concepts including the advanced concepts covered in the textbook.

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FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 - In Hindi

1. What do you understand by fundamental physical quantities?

To understand fundamental physical quantities, we firstly have to know what physical quantities are. Physical quantities are those quantities of the material that can be measured. Fundamental Physical Quantities are one of the forms of it. These are those quantities that can be measured easily. Some of the fundamentals of physical quantities are time, mass, length, temperature, intensity of luminous and others. Overall, there are 7 main fundamental physical quantities.

2. Which is a bigger unit - light year or parsec?

Parsec is a bigger unit than light year. Astronomers usually use parsecs for larger distances and this unit is mostly preferred by them. However, light year is more commonly used and more of a science textbook thing. It is larger by around 3.26 times of light years. A light-year is a unit of time whereas parsec is a unit of length. With parsec, distances are calculated easily and data is also available with ease.

3. What are the topics covered in Chapter 2 of Class 11 Physics ?

This chapter in Physics is not a very long chapter. The topics which are there in Class 11 Physics are as follows:

  • Physical Quantity, Fundamental units and derived units

  • International System of Units - CGS system, SI system, MKS system, and FPS  system (These are the base units for length, mass and time)

  • Parallax method and Parallax angle

  • Types of Fundamental Dimensions

  • Errors found in Measurement - Systematic Errors and Random Errors.

4. Is Chapter 2 of Class 11 Physics important for the Class 11 Physics exam?

Physics is an important subject in Class 11. Students consider it the toughest subject after Maths. It plays an important role in getting good grades. Chapter 2 is important in Class 11 Physics. It has to be studied with full focus and proper attention. It has both practical and theory-based content. Students shouldn’t take this subject lightly. They must study regularly to be thorough with Chapter 2 of Class 11 Physics.

5. What can be found in Vedantu’s NCERT Solutions for Chapter 2 of Class 11 Physics?

Vedantu’s NCERT Solutions for Chapter 2 of Class 11 Physics contains the answers to all the questions of Chapter 2 of the Class 11 Physics NCERT textbook. Students can refer to these solutions when they are stuck while solving these questions or for revision. These solutions are designed so that students can easily understand and learn how to solve different types of questions and write the answers in the Class 11 Physics exam. These solutions are also available in PDF form free of cost to study offline. And these solutions are available on Vedantu website and the app.