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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 1 - Namak Ka Daroga

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NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 Namak ka Daroga Class 11| Free Pdf Download

NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 1: Namak ka Daroga is available in the article below. The NCERT solutions are given in a downloadable pdf format. The story is written by Premchand, one of the most renowned authors of Hindi literature.

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Table of Content
1. NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 Namak ka Daroga Class 11| Free Pdf Download
2. Access NCERT Solutions for Class 11 Hindi आरोह ।। Chapter 1- नमक का दरोगा
3. (घ) यह रेलगाड़ी कानपुर से होकर जाती है।
4. Class 11 Hindi Chapter 1 - About the Author
5. Summary of Namak ka Daroga Class 11 Hindi Chapter 1
6. Key Features of NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 1
7. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra- Free PDF
8. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antral- Free PDF
9. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh - Free PDF
10. NCERT Solutions for Class 11 Hindi Vitan - Free PDF
11. Conclusion
FAQs


Class:

NCERT Solutions For Class 11

Subject:

Class 11 Hindi Aroh

Chapter Name:

Chapter 1 - Namak Ka Daroga

Content Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

Chapter Wise

Other Materials

  • Important Questions

  • Revision Notes


The story depicts the life and honesty of Munshi Vanshidhar. He belongs to a middle-class family in India. The story beautifully depicts the tension between a father and a son and the morals of Munshi Vanshidhar. The story is set in colonised India, hence also depicting the atrocities, social disparity and injustices faced during the time.


To develop a better understanding of the chapter we recommend students go through the article. In this article we have provided a short summary as well as the downloadable NCERT solutions pdf. The NCERT solutions are written in simple and precise language aimed to help students understand the chapter. The solutions will also help students in farming better answers to the questions asked in the examination!

Access NCERT Solutions for Class 11 Hindi आरोह ।। Chapter 1- नमक का दरोगा

1.कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों?

उत्तर: मुंशी वंशीधर बहुत ही ईमानदार और अपने कर्तव्य का पालन करने वाला व्यक्ति है। जो सबसे अमीर और प्रसिद्ध व्यक्ति अलोपीदीन दातागंज को जेल में भिजवा कर अपने कर्तव्य का पालन करता है और अंत में अलोपीदीन दातागंज भी मुंशी वंशीधर के इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ को देखकर प्रभावित होते हैं ।इस कारण मुंशी वंशीधर हमें सबसे ज्यादा सर्वाधिक प्रभावित करते हैं।


2. नमक का दारोगा’ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन-से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?

उत्तर: अलोपीदीन एक भ्रष्ट और लोगों पर जुल्म करने वाला व्यक्ति है जो नियमों के विरुद्ध गलत तरीके से धन कमाता है। परंतु समाज में वह एक सफेदपोश व्यक्ति था और दूसरी तरफ कहानी के अंत मे उसका उज्जवल चरित्र सामने आता है जो लोगों के इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठ के गुणों की कदर करता है। इस तरह उसका दोगला चरित्र हमारे सामने उभर के आता है।


3. कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं। निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्धृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं

(क) वृद्ध मुंशी

(ख) वकील

(ग) शहर की भीड़


उत्तर: (क) वृद्ध मुंशी एक भ्रष्ट आदमी है जो धन को ज्यादा महत्व देता है। वह अपने बेटे को भी ऊपरी कमाई के लाभ बताते हुए कहता है की मासिक आमदनी तो पूर्णमासी के चांद की तरह है जो घटते घटते घट जाती है और ऊपरी कमाई बहता स्त्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। इसके उदाहरण में वृद्ध पिता समाज में व्यापक भ्रष्टाचार की गहराई को व्यक्त करता है।

(ख) वकील - मजिस्ट्रेट का अलोपीदीन के हक में फैसला सुनाने पर वकील खुशी से उछल पड़ता है। क्योंकि आजकल वकीलों का धर्म पैसा कमाना ही है और वकील धन के लिए गलत व्यक्ति के पक्ष में भी लड़ते हैं। उन्हें न्याय अन्याय से कोई मतलब नहीं है। इस कहानी में वकील पंडित अलोपीदीन के आज्ञा पालक तथा गुलाम थे। यहां न्याय-अन्याय की व्यवस्था में व्यापक भ्रष्टाचार की झलक दिखाई पड़ती है।

(ग) शहर की भीड़ - शहर की भीड़ की अपनी कोई विचारधारा नहीं होती । सभी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं पर तमाशा देखने के लिए आतुर रहते हैं। शहर की भीड़ पंडित अलोपीदीन के जेल जाने पर  टिका टिप्पणी करती है। इससे समाज की संवेदनहीनता का पता चलता है। पाठ में एक स्थान पर कहा गया है कि भीड़ के मारे छत और दीवार में कोई भेद नहीं रह गया है।


4. निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती। ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ।

(क) यह किसकी उक्ति है?

(ख) मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है?

(ग) क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?


उत्तर: (क) यह उक्ति (कथन) नौकरी पर जाते हुए पुत्र को हिदायत देते समय वृद्ध मुंशी जी ने कही थी।

(ख) जिस प्रकार पूरे महीने में चंद्रमा पूर्णमासी को ही पूरा दिखाई देता है, उसी प्रकार वेतन भी महीने में एक बार पूरा मिलता है। जैसे चंद्रमा घटता रहता है और एक दिन पूरा दिखाई नहीं देता उसी प्रकार वेतन भी धीरे धीरे जरूरतों को पूरा करते हुए घटता जाता है और खत्म हो जाता है। इसी कारण मासिक वेतन को पूर्णमासी का चांद कहा गया है।

(ग) माता पिता का कर्तव्य बच्चों में अच्छे संस्कार डालना है। उन्हें सत्य, कर्तव्यनिष्ठ, धर्मनिष्ठ, भ्रष्टाचार से दूर और ईमानदार बनाना है । एक पिता की अपने बेटे को रिश्वत लेने  की सलाह देना अनुचित है। हम इस वक्तव्य से सहमत नहीं है।


5. ‘नमक का दारोगा’ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: 1) “धन का लोभी” - पंडित आलोपीदीन लक्ष्मी का उपासक था। वह सही और गल्त कार्य से धन कमाने में विश्वास करता था और वह मानता था कि हर कार्य धन से किया जा सकता है और कठिन घड़ी में धन ही एकमात्र सहारा है। नमक का व्यापार भी इसी की एक मिसाल है। इसीलिए वह वंशीधर की इमानदारी और कर्तव्य निष्ठा पर उछल-उछल कर वार करता था।

2) “इमानदार और कर्तव्य निष्ठ दरोगा” - यह कहानी दरोगा वंशीधर के इर्द गिर्द घूमती है जो अपने कार्य के प्रति इमानदार और कनिष्ठ है और अपना कार्य इमानदारी से करता है और अंत में उसकी ही जीत होती है।


6. कहानी के अंत में अलोपीदीन के वंशीधर को नियुक्त करने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए। आप इस कहानी का अंत किस प्रकार करते?

उत्तर: अलोपीदीन एक लालची और भ्रष्ट व्यक्ति था पर अंत में वह वंशीधर की ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठ से प्रभावित हुआ। अलोपीदीन की वजह से ही वंशीधर की नौकरी चली गई थी। इस कारण वह आत्मग्लानी में था। इसी कारण उसने उसे अपना मेनेजर नियुक्त किया। मैं भी इस कहानी का अंत ऐसे ही करता। ईमानदार को हमेशा ही अपमान मिलता है। शायद ही समाज में ऐसा सुखद अत किसी ईमानदार को देखने को मिले।


7. दारोगा वंशीधर गैरकानूनी कार्यों की वजह से पंडित अलोपीदीन को गिरफ्तार करता है, लेकिन कहानी के अंत में इसी पंडित अलोपीदीन की सहृदयता पर मुग्ध होकर उसके यहाँ मैनेजर की नौकरी को तैयार हो जाता है। आपके विचार से वंशीधर का ऐसा करना उचित था? आप उसकी जगह होते तो क्या करते?

उत्तर: वंशीधर ईमानदार और धर्मनिष्ठ व्यक्ति था। वह ईमानदारी से कार्य करता था। अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उसने भारी रिश्वत को ठुकरा कर पंडित अलोपीदीन जैसे प्रभावी व्यक्ति को गिरफ्तार किया। उसने अपने पद के साथ कभी नमक हलाली नहीं की। इन्हीं बातों के कारण पंडित अलोपीदीन प्रभावित था। अलोपीदीन स्वंय एक भ्रष्ट व्यवित था। परंतु उसे अपनी जायदाद को संभालने के लिए ईमानदार व्यक्ति की जरूरत थी। वंशीधर उसकी दृष्टि में योग्य व्यक्ति था। इसी कारण पंडित अलोपीदीन ने वंशीधर को मैनेजर की नौकरी दी। वंशीधर को ऐसा करना उचित ना था क्योंकि लोगों पर जुल्म कर के इकट्ठे किये हुए कमाई की रखवाली करना उसके आदर्शों के विरुद्ध था। उसकी जगह हम होते तो यह हम कभी ना करते क्योंकि हमें भी यह करना हमारे आदर्शों के विरुद्ध होता।


8 नमक विभाग के दारोगा पद के लिए बड़ों-बड़ों का जी ललचाता था। वर्तमान समाज में ऐसा कौन-सा पद होगा जिसे पाने के लिए लोग लालायित रहते होंगे और क्यों?

उत्तर: आज के समाज में भ्रष्टाचार के लिए तो सभी विभाग हैं यदि आप भ्रष्ट है तो हर विभाग में रिश्वत ले सकते हैं। वर्तमान समाज में सरकारी विभाग में कई ऐसे पद हैं जिन्हें पाने के लिए लोग लालायित रहते हैं जैसे आयकर, बिक्री कर, आयत निर्यात विभाग, आई.ए.एस., पी.सी.एस. आदि। यहां मासिक आमदनी से अधिक ऊपरी आमदनी का महत्व है। आमदनी के साथ-साथ पद का रोब भी मिलता है।


9 .अपने अनुभवों के आधार पर बताइए कि जब आपके तर्को ने आपके भ्रम को पुष्ट किया हो।

उत्तर: मेरा एक मित्र था जोकि समाज सेवा के नाम पर गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाता था और उनके स्कूल की फीस भी भरता था। मेरे मन में उसके प्रति बहुत मान इज्जत थी। उसको देख कर मेरा मन भी करता था कि मैं भी इसी तरह गरीब बच्चों की पढ़ाई में सहायता करूँ । इसी सिलसिले में मैं उसके घर उससे मिलने गया तो देखा कि जिन बच्चों को वह फ्री में पढ़ाता था उन्हीं से घर का काम करवा रहा था। किसी बच्चे से घर की सफाई करवा रहा है, किसी से अपने गार्डन का काम करवा रहा है, कोई पानी भर रहा था। इस तरह हर बच्चा कोई ना कोई काम कर रहा था। यह देखकर मेरा भ्रम टूट गया। मैं उसके बारे में जो सोचता था वह बिलकुल उसके विपरीत निकला।


10. पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया। वृद्ध मुंशी जी द्वारा यह बात एक विशिष्ट संदर्भ में कही गई थी। अपने निजी अनुभवों के आधार पर बताइए –

(क) जब आपको पढ़ना-लिखना व्यर्थ लगा हो।

(ख) जब आपको पढ़ना-लिखना सार्थक लगा हो।

(ग) “पढ़ना-लिखना’ को किस अर्थ में प्रयुक्त किया गया होगाः साक्षरता अथवा शिक्षा? क्या आप इन दोनों को समान मानते हैं?

उत्तर: (क) मुझे पढ़ना लिखना उस समय व्यर्थ लगा जब मैं पढ़ लिखकर कोई ढंग की नौकरी नहीं प्राप्त कर सका और समाज में कोई सुधार ना ला सका।

(ख) मुझे पढ़ना लिखना तब सार्थक लगा जब मैंने गरीब बच्चों की पढ़ाई में मदद की।

(ग) पढ़ना - लिखना को शिक्षा के अर्थ में प्रयुक्त किया गया है। नहीं हम दोनों को समान नहीं मानते क्योंकि साक्षरता का अर्थ है पढ़ने और लिखने की क्षमता से संपन्न होना और शिक्षा का अर्थ है पढ़ लिखकर विषय की गहराई समझना और ये योग्यता को प्राप्त करना।


11. ‘लड़कियाँ हैं, वह घास-फूस की तरह बढ़ती चली जाती हैं।’ वाक्य समाज में लड़कियों की स्थिति की किस वास्तविकता को प्रकट करता है?

उत्तर: यह कथन समाज में लड़कियों की उपेक्षित स्थिति को दर्शाता है। लड़कियों को समाज में बोझ समझा जाता है। उन्हें पढ़ाने के स्थान पर घर के कामों में लगा दिया जाता है और समाज में लड़कियों को जन्म लेना ही अभिशाप माना जाता है और इनके बड़े होते ही विवाह की चिंता सताने लगती हैं। उनकी उचित देखभाल नहीं की जाती।


12. इसलिए नहीं कि अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया बल्कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आए। ऐसा मनुष्य जिसके पास असाध्य साधन करनेवाला धन और अनन्य वाचालता हो, वह क्यों कानून के पंजे में आए। प्रत्येक मनुष्य उनसे सहानुभूति प्रकट करता था। अपने आस-पास अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? उपर्युक्त टिप्पणी को ध्यान में रखते हुए लिखें।

उत्तर: अलोपीदीन जैसे व्यक्ति आसानी से कानून से खिलवाड़ कर लेते हैं और यह समाज में भ्रष्टाचार फैलाने वाले होते हैं। ये ऐसे लोग होते हैं जो कानून और न्याय व्यवस्था को आसानी से अपने पक्ष में ले आते हैं। अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को देखकर मेरे मन में यह प्रतिक्रिया होती है कि समाज में सारे व्यक्ति वंशीधर जैसे चरित्रवान और साहसी क्यों नहीं होते, जो अलोपीदीन जैसे व्यक्तियों को उसके कुकर्मों की सजा दिला सके।


13. नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर की मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए।

उत्तर: इस कहानी में यह पंक्ति वंशीधर के वृद्ध पिता के द्वारा कही गई है। जो समाज के लोगों की सोच पर कटाक्ष का काम करती है। इसमें नौकरी के ओहदे और उससे जुड़े सम्मान से ज्यादा महत्व ऊपरी कमाई को दिया गया है और ऐसी नौकरी को करने के लिए कहा जा रहा है जहां ज्यादा से ज्यादा रिश्वत मिल सके।


14. इस विस्तृत संसार में उनके लिए धैर्य अपना मित्र, बुधि अपनी पथ-प्रदर्शक और आत्मावलंबन ही अपना सहायक था।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति कहानी के नायक दरोगा वंशीधर के लिए कही गई है। वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम करता है। इस संसार की बुराइयों से अपने आप को दूर रखने के लिए वह धैर्य को अपना मित्र, बुद्धि को अपना पथ प्रदर्शक और आत्मावलंबन को ही अपना सहायक मानता है।


15. तर्क ने भ्रम को पुष्ट किया।

उत्तर: वंशीधर को रात को सोते हुए अचानक पुल से जाते हुए गाड़ियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी। उन्हें भ्रम हुआ कि जरूर कोई गैरकानूनी सामान ले जा रहा है। उसके मन में हुए भ्रम ने तर्क के स्तर पर सोचना शुरू किया कि जरूर कुछ गलत हो रहा है और आखिरकार उनका तर्क सही निकला।


16. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं, नचाती हैं।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति में न्याय व्यवस्था में व्यापक भ्रष्टाचार को दर्शाया गया है। जहां एक व्यक्ति धन के बल से अपने आरोपों से आसानी से मुक्त हो जाता है जैसे धन लूटना वकीलों का काम बन गया है। वकील धन के लिए गलत व्यक्ति के पक्ष में लड़ते हैं। तब भी अलोपीदीन जैसे व्यक्ति न्याय और नीति को अपने वश में रखते हैं।


17.दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी।

उत्तर: यह तिखी टिप्पणी संसार के स्वभाव पर की गई है। संसार के लोगों में कितनी ही बुराइयां हो पर वे दूसरों की निंदा करने से बाज नहीं आते। जब अलोपीदीन रात को गिरफ्तार हुए, तब खबर पूरे  शहर में फैल गई थी। दुनिया की जबान दिन हो या रात पर टीका टिप्पणी करने से रुकती नहीं है। उपर्युक्त कथन से यही पता चलता है।


18.खेद ऐसी समझ पर! पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया।

उत्तर: लेखक द्वारा लिखी गई इन पंक्तियों से समाज के उन लोगों पर कटाक्ष किया गया है जो पढ़ाई को धन अर्जित करने का साधन समझते हैं। वृद्ध मुंशी अपने बेटे वंशीधर की सत्य निष्ठा पर नाराज हैं और सोचते हैं कि वंशीधर ने रिश्वत ना लेकर और अलोपीदीन को गिरफ्तार करके गलत किया है। इसलिए उपर्युक्त कथन कहते हैं।


19. धर्म ने धन को पैरों तले कुचल डाला।

उत्तर: यहाँ धन और धर्म को क्रमशः बुराई और अच्छाई, सत्य और असत्य के रूप में भी समझा जा सकता है। कहानी के अंत में जब अलोपीदीन को अपनी गलती का एहसास हुआ तो वंशीधर को अपनी पूरी जायदाद का मैनेजर बना दिया तब ऐसा प्रतीत होता है कि सच्चाई और धर्म के आगे धन की पराजय होती है। अलोपीदीन ने किसी के आगे सर न झुकाया था लेकिन वंशीधर की सच्चाई और ईमानदारी ने उसे हरा दिया। अंत में जब धनी अलोपीदीन को गिरफ्तार होना पड़ा, पराजय उसके लिए पैरों तले कुचले जाने के बराबर थी।


20. न्याय के मैदान में धर्म और धन में युद्ध ठन गया।

उत्तर: यहां अदालतों की कार्यशैली पर व्यंग है। जहां धन और धर्म में युद्ध सा हो रहा था। अदालतों को न्याय का मंदिर कहा जाता है परंतु धन के कारण न्याय के सभी शास्त्र सत्य को असत्य सिद्ध करने में जुट गए थे। यहां धर्म से वंशीधर और धन से अलोपीदीन दोनों की हार जीत का फैसला न्याय के मैदान में होना था। जब अदालत में अलोपीदीन को दोषी के रूप में पेश किया गया तब वकिल आरोपी को गलतप्रमाणों द्वारा झूठ साबित किए जाने लगा। वंशीधर इमानदारी और सत्य के बल पर अदालत में खड़े थे। गवाहों को खरीद लिया गया धन के बल पर न्याय पक्षपाती हो गया और आखिर कर दोषी को निर्दोष करार दे दिया गया।


21. भाषा की चित्रात्मकता, लोकोक्तियों और मुहावरों का जानदार उपयोग तथा हिंदी-उर्दू के साझा रूप एवं बोलचाल की भाषा के लिहाज़ से यह कहानी अद्भुत है। कहानी में से ऐसे उदाहरण छाँट कर लिखिए और यह भी बताइए कि इनके प्रयोग से किस तरह कहानी का कथ्य अधिक असरदार बना है?

उत्तर: भाषा की चित्रात्मकता।

'जाड़े के तीन दिन थे और रात का समय। नमक के सिपाही, चौकीदार नशे मस्त थे, एक मील पूर्व युमना बहती थी, उस पर नावों का एक पुल बना हुआ था, लहरों ने अदालत की नींव हिला दी।

लोकोित्तियाँ - और मुहावरों का प्रयोग।

1) निगाह में बांध लेना, जन्म भर की कमाई, कगारे का वृक्ष,  इज्जत धूल में मिलना, मन का मैल मिटना, मुंह छिपाना, सिर - माथे पर लेना, हाथ मलना, सीधे मुंह बात ना करना, मस्जिद में दिया जलाना।

हिंदी उर्दू का सांझा रूप - इन बातों को निगाहों में बांध लो।

2)  बेगराज को दाम पर पाना जरा कठिन है।

बोलचाल की भाषा -

1)  बाबू साहेब ऐसा ना कीजिए, हम मिट जाएंगे।

2) "कौन पंडित अलोपीदीन? दांतागंज के”

3) क्या करें लड़का अभागा कपूर है।

इससे कहानी कल्पित कथा न लग कर वास्तविक प्रतीत होती है। उपरोक्त सभी विशेषताओं के कारण भाषा में शुद्धता, सजीवता, एवं रोचकता कथा आ गई है।

  • पूर्णमासी का चाँद। 

  • सुअवसर ने मोती दे दिया। 

मुहावरे - 

  • फूले न समाना। 

  • सन्नाटा छाना।

  • पंजे में आना। 

  • हाथ मलना। 

इनके योग से कहानी का भाव बढ़ा है।


22. कहानी में मासिक वेतन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? इसके लिए आप अपनी ओर से दो-दो विशेषण और बताइए। साथ ही विशेषणों के आधार को तर्क सहित पुष्ट कीजिए।

उत्तर: कहानी में मासिक वेतन के लिए पूर्णमासी का चांद, मनुष्य की देन जैसे विशेषणों का प्रयोग किया गया है।

1) खून पसीने की कमाई - यह पूरे महीने भर की मेहनत की कमाई होती है।

2) एक दिन की खुशी की खुशी - जैसे पूर्णमासी का चांद एक दिन पूरा होता है उसी प्रकार वेतन भी जिस दिन मिलता है उसी दिन पूरा होता है।


23. (क) बाबूजी आशीर्वाद!

(ख) सरकार हुक्म!

(ग) दातागंज के!

(घ) कानपुर!

दी गई विशिष्ट अभिव्यक्तियाँ एक निश्चित संदर्भ में अर्थ देती हैं। संदर्भ बदलते ही अर्थ भी परिवर्तित हो जाता है। अब आप किसी अन्य संदर्भ में इन भाषिक अभिव्यक्तियों का प्रयोग करते हुए समझाइए।

उत्तर: (क) बाबूजी के आशीर्वाद से परीक्षा में मेरे अच्छे अंक आए हैं।

(ख) मुझे सरकारी हुकम मिला है।

(ग)  राम दातागंज का रहने वाला है।

(घ) यह रेलगाड़ी कानपुर से होकर जाती है।


Class 11 Hindi Chapter 1 - About the Author

Premchand (original name Dhanpat Rai) was born in 1880 in Lamhi village of Uttar Pradesh and passed away in 1936. He has written many famous stories like Sevasadan, Karmbhoomi, Godan, Kaya Kalp, etc. He also wrote a play called “Prem ki Devi” (Goddess of love) and a few essay collections.


He is one of the most famous writers of Hindi literature and spent his childhood in poverty. He also took part in many movements against Britisher’s oppression along with Mahatma Gandhi. His earlier work was full of romance, imagination, and coincidental anecdotes. He continually progressed his story writing abilities and gradually started writing about social life and was a flagbearer of realistic writing.


His story presented here “Namak ka daroga” is one of his most famous stories. It depicts the victory of righteousness over richness.


Summary of Namak ka Daroga Class 11 Hindi Chapter 1

The story is set in the era when Britishers ruled over India. At that time, salt was taxed heavily, and people used it as a means to earn big money by smuggling it. Vanshidhar, a young man from a modest middle-class family, is persuaded by his father to join as an inspector in the government salt department as a salt inspector. His father thinks that earning some extra perks over and above salary is a blessing and is hopeful that as a salt inspector Vanshidhar would be able to earn that.


Vanshidhar is a moralistic man, and despite his father’s instructions to accept a bribe, he remains honest. One night he observes some vehicles crossing the Yamuna river and suspects some foul play like smuggling. He stops the vehicles from crossing the bridge and objects to the whole procedure being carried. The owner of these vehicles is a wealthy and resourceful man, Pundit Alopodin. Alopodin offers a heavy bribe to Vanshidhar so that he allows the passage of illegal vehicles. Vanshidhar knows that Pundit Alopodin is an immensely influential man but irrespective of this fact he arrests Alopodin.


However, as expected in the court, Pundit Alopodin bribes the jury and manages to escape. At the same time, he gets Vanshidhar transferred on the grounds of being rude and misbehaving with him for no reason. This jeopardises Vanshidhar’s reputation of being an honest man, and he returns home in an unfortunate state.


Everybody at home is angry with Vanshidhar for not accepting the bribe; his wife does not even speak to him for days.


A week after this incident, Pandit Alopodin appears at the doors of Vanshidhar’s house. Vanshidhar expects him to get sarcastic with him and make fun. But instead, Pundit Alopodin came with an offer of a permanent manager’s post of his entire wealth. He was offered a high salary along with many perks like daily living expenses, a horse for his commute, a bungalow to stay in, and many servants.


Vanshidhar accepts the offer and Pundit Alopodin embraces him in the end with happiness.


Key Features of NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 1

Vedantu has a stellar team who are experts in the Hindi language. If you go through the Class 11 Hindi ch 1 Namak Ka Daroga Class 11 solutions prepared by them, you do not need to look elsewhere for your exam preparation. The major gains you would get from these solutions are:

  • The solution is available in a PDF format which can be downloaded from anywhere. Once you have a PDF with you, you can refer to it without connecting to the internet.

  • The solutions are well-prepared in such a way that they will acquaint you with a full synopsis of the story so that you can go through them for quick revision without reading the full chapter.

  • The experts who prepared the solutions are well versed with Class 11th level of Hindi; hence students will find them very clear and easy to understand.


Conclusion

This was the complete discussion on the Hindi Class 11 Chapter 1 Namak ka Daroga NCERT solutions. We have learnt about the NCERT solutions, a summary and a brief introduction about the author. If you are a class 11 student we highly recommend you to solve these NCERT solutions to ace your examinations. Be exam ready with Vedantu!



FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 1 - Namak Ka Daroga

1. Why is salary compared to the full moon in Namak Ka Daroga Class 11 story?

An analogy is drawn between salary and full moon since both happen only once a month. The full moon appears once a month and then it diminishes in size and finally disappears. The same fate is met by the salary too.

2. What can one learn from Namak Ka Daroga Class 11?

This story by Premchand conveys the message to believe in righteousness over richness. It tells us to stay truthful as it can be more rewarding than giving into greed. The chapter has to be read and understood. The story is very interesting and the students will enjoy reading. If you read it like a story then the memory will be faster and you will remember it for a long time.

3. What does Vanshidhar do?

Vanshidhar is urged by his father to become an inspector in the government’s salt department. This story is set on the days when Britishers ruled India and salt was taxed heavily at the time. Hence, working in the salt department was a thing of pride. This chapter tells us the life of the people during British Rule. The struggles and how we were treated in our own country. When you read this chapter, you will know how much the freedom fighters fought for the freedom of the country that today we are leading a free life. This will teach us the value of freedom.

4. What do you make of Vanshidhar’s character in the story ‘Namak ka Daroga’?

Vanshidhar is shown to be a man of morals in the story. He believed in staying truthful instead of taking the bribe even when he knew Pundit Alopodin was a big man. His character teaches us about patience, endurance, and honesty. He had faith in himself even if the world did him wrong for doing the right thing. This chapter will teach us that no matter what the situation is, regardless of temptation, you must be truthful and honest.

5. How can I download the PDF of Hindi Class 11 Chapter 1 NCERT Solutions online?

Students can download the PDF of Class 11 Chapter 1 Hindi from Vedantu’s website. They can also access the study material free of cost from Vedantu App. Follow these steps for the PDFs of other chapters:

  • Visit Vedantu and select Class 11 Chapter 1 Hindi.

  • You will see a list of the 4 Hindi books of Class 11 on this page. Choose the book and then the chapter for which you want the PDF.

  • You will reach the page from where you can download the PDF for that chapter.

6. What is the significance of studying "Namak ka Daroga" in Class 11 Aroh?

Namak Ka Daroga Class 11 is a renowned literary work by Munshi Premchand that offers profound insights into social and moral issues prevalent in society. Studying this text in Class 11 Aroh provides students with an opportunity to explore themes such as justice, integrity, and social hierarchy.

7. How can NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 Namak Ka Daroga Class 11 aid in understanding the text?

NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 Namak Ka Daroga Class 11 offer detailed explanations, summaries, and analyses of the text, helping students grasp the nuances of the story. These solutions also provide answers to textual questions, enhancing comprehension and critical thinking skills.

8. What are some key themes explored in Namak Ka Daroga Class 11?

"Namak ka Daroga" delves into themes such as corruption, integrity, social injustice, and the struggle for justice. Through the characters and plot, the story reflects the complexities of human nature and societal dynamics prevalent during the colonial era.

9. How does studying Class 11 Hindi Chapter 1 "Namak ka Daroga" contribute to students' literary understanding?

Studying Class 11 Hindi Chapter 1 "Namak ka Daroga" enables students to appreciate the literary craftsmanship of Munshi Premchand and understand the socio-political context of his writings. Analyzing the characters, plot, and themes enhances students' interpretative skills and fosters a deeper appreciation for Hindi literature.

10. Are NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 "Namak ka Daroga" available for free download?

Yes, NCERT Solutions for Aroh Chapter 1 "Namak ka Daroga" are available for free PDF download online. These solutions offer comprehensive support for students studying the text and are accessible for self-study and exam preparation.

11. How can students effectively use NCERT Solutions for Aroh Class 11 Hindi Chapter 1 "Namak ka Daroga" for exam preparation?

Students can use NCERT Solutions for Aroh Class 11 Hindi Chapter 1 "Namak ka Daroga" to practice answering textual questions, analyze character sketches, and understand the deeper meanings embedded in the text. Regular revision using these solutions can significantly improve performance in exams.

12. What are some of the literary devices employed by Munshi Premchand in Class 11 Hindi Chapter 1 "Namak ka Daroga"?

Munshi Premchand employs various literary devices such as irony, symbolism, and vivid imagery to convey the socio-cultural milieu and depict the intricacies of human behavior. These devices enrich the narrative and engage readers on multiple levels.

13. How does Hindi Class 11 Chapter 1 "Namak ka Daroga" reflect the socio-political landscape of colonial India?

Hindi Class 11 Chapter 1 "Namak ka Daroga" serves as a mirror to the socio-political injustices and bureaucratic corruption prevalent during the colonial era in India. The story highlights the exploitation of common people by those in positions of power and the struggles of individuals seeking justice.

14. What role does the protagonist play in "Namak ka Daroga" Class 11 Hindi Chapter 1?

The protagonist of Namak Ka Daroga Class 11 Halku, serves as a symbol of integrity and resilience amidst a corrupt and unjust system. His journey embodies the struggle against oppression and the quest for truth and justice in society.

15. How does the narrative structure of "Namak ka Daroga" Class 11 Hindi Chapter 1 contribute to its overall impact?

The narrative structure of Namak Ka Daroga Class 11 characterised by its realistic portrayal of human experiences and moral dilemmas, resonates with readers on a profound level. The story's engaging plot twists and thought-provoking themes leave a lasting impression, making it a timeless piece of literature.