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NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 3: Apu Ke Saath Dhaai Saal

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NCERT Solutions for Class 11 Chapter 3 Apu Ke Saath Dhaai Saal Hindi (Aroh) - FREE PDF Download

The NCERT Solutions for Class 11 Chapter 3: Apu Ke Saath Dhaai Saal from the Hindi (Aroh) textbook provide important help for students studying this touching story written by Satyajit Ray. These solutions are aligned with the Class 11 Hindi syllabus and offer clear explanations, summaries, and discussions on the key themes presented in the text.

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Table of Content
1. Class 11 Hindi NCERT Solutions for Aroh Chapter 3 Apu ke Saath Dhaai Saal
2. Access NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh पाठ ३ – अपु के साथ ढाई साल
    2.1प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ:
    2.2प्रश्न अभ्यास पाठ के आसपास  
    2.3प्रश्न अभ्यास भाषा की बात:
    2.4NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 3 Apu ke Saath Dhaai Saal
    2.5NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 3 – Apu ke saath dhai saal
3. Key Features of NCERT Solutions for Class Hindi Chapter 3
4. CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 3 Other Study Materials
5. Chapter-wise NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh
6. Book-wise Links for CBSE Class 11 Hindi NCERT Solutions
7. Important Related Links for CBSE Class 11 Hindi
FAQs


Students can easily access the FREE PDF download of the NCERT Solutions for Class 11 Hindi by visiting the landing page here. With organised answers and expert insights, these solutions not only make studying easier but also prepare students effectively for their exams, making them a valuable resource for mastering the chapter and enjoying Hindi literature.


Glance on Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 3 - Apu Ke Saath Dhaai Saal

Chapter 3, "Apu Ke Saath Dhaai Saal," written by Satyajit Ray, is a heartwarming narrative that explores the innocence of childhood and the bonds of family. Here’s a brief overview of the chapter:


  • The story revolves around Apu, a young boy whose life experiences are narrated through the eyes of his family, particularly his mother.

  • The chapter beautifully captures the joys and challenges of Apu's early years. It reflects on his curiosity, adventures, and the carefree nature of childhood.

  • The narrative emphasises the loving relationship between Apu and his family members. The warmth and support of his parents create a nurturing environment that shapes Apu's character.

  • The story highlights themes of innocence, growth, and the simplicity of childhood. Apu's interactions with his surroundings and family illustrate the profound impact of these formative years.

  • Set against the backdrop of Indian culture, the chapter showcases traditional values and the significance of family ties, resonating with readers' own experiences.

  • Satyajit Ray’s storytelling evokes nostalgia, encouraging readers to reflect on their own childhood and the cherished memories associated with family.

Access NCERT Solutions for Class 11 Hindi Aroh पाठ ३ – अपु के साथ ढाई साल

प्रश्न अभ्यास पाठ के साथ:

1. पथेर पांचाली फ़िल्म की शूटिंग का काम ढाई साल तक क्यों चला?

उत्तर: फिल्म के लेखक और निर्माता-निर्देशक सत्यजीत रे की फिल्म "पथेर पांचाली" में ढाई साल तक शूटिंग करने के निम्न कारण थे:

  1. आर्थिक अभाव: लेखक के जीवन में आर्थिक आभाव था, इसलिए वह फिल्म की शूटिंग पैसा इकठ्ठा होने के बाद ही शुरू करते थे।

  2. समय का अभाव: लेखक एक विज्ञापन कंपनी में काम करता था। वह लेखन प्रक्रिया के बाद समय बचने पर ही फिल्म की सूटिंग करते थे।

  3. कलाकारों की समस्या: जब लेखक के पास समय होता था, तो फिल्म के कलाकार व्यस्त होते थे, सभी के सामंजस्य बनाने और एक समय में सभी को इकट्ठा करने के लिए बहुत समस्या का सामना करना पड़ता था। 

  4. तकनीकी पिछड़ापन: तकनीक के अभाव के कारण पात्र, स्थान, दृश्य आदि की समस्याएं भी आती रहती थीं।


2. अब अगर हम उस जगह बाकी आधे सीन की शूटिंग करते, तो पहले आधे सीन के साथ उसका मेल कैसे बैठता? उसमें से 'कंटिन्युइटी नदारद हो जाती इस कथन-के पीछे क्या भाव है?

उत्तर: इस कथन के पीछे यह भावना है कि, किसी भी फिल्म का सबसे बड़ा स्तंभ उसके दृश्यों की निरंतरता है। कोई भी फिल्म दर्शकों को तभी प्रभावित कर सकती है, जब उसमें निरंतरता हो। अगर किसी सीन में एकरूपता नहीं है, तो दर्शक भ्रमित हो जाता है। फिल्म पथेर पांचाली में, निर्देशक को काश फूल के साथ शूटिंग पूरी करनी थी, लेकिन पूरा दृश्य एक साथ शूट नहीं किया जा सका और अगले सूटिंग में एक हफ्ते का अंतराल आकिया, इस बीच जानवरो ने सारे काश फूल चर लिए। दृश्य की निरंतरता को बनाये रखने के लिए वह दृश्य अगले साल चित्रित  किया गया।


3. किन दो दृश्यों में दर्शक यह पहचान नहीं पाते कि उनकी शूटिंग में कोई तरकीब अपनाई गई है?

उत्तर : प्रथम दृश्य: इस दृश्य में, 'भूलो' नाम के एक कुत्ते को चावल खाते दिखाया जाना था। परन्तु उस दिन सूर्यास्त हो गया और ये दृश्य नहीं फिल्माया जा सका। पैसे की कमी के कारन ये दृश्य छः महीने तक नहीं फिल्माया जा सका। छः महीने बाद जब वापस वे इस दृश्य को फिल्माने आये तो वो कुत्ता मर चूका था। बहुत मुश्किल से उसी तरह दिखने वाला कुत्ता खोजा गया तथा दृश्य को फिल्माया गया। वह दृश्य इतना स्वाभाविक था की, कोई भी दर्शक इस अंतर को पहचान नहीं पाया l 

दूसरा दृश्य : इस दृश्य में, श्री निवास नामक एक व्यक्ति मधुर व्यक्ति की भूमिका निभा रहा था। शूटिंग को बीच में ही रोकना पड़ा। फिर से उस जगह पर जाने पर पता चला कि उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी, तब लेखक ने उस दृश्य के बाकी दृश्य को फिल्माया, जिसमें वह व्यक्ति उसके जैसा था। उस दृश्य में पहला श्री निवास बाँस के जंगल से निकलता है और दूसरा श्री निवास अपनी पीठ कैमरे की ओर करता है और मुखर्जी के घर के दरवाजे के सामने जाता है। दर्शक एक भूमिका में दो अलग अलग अभिनेताओं को नहीं पहचान पाते हैं।


4. 'भूलो' की जगह दूसरा कुत्ता क्यों लाया गया? उसने फ़िल्म के किस दृश्य को पूरा किया?

उत्तर : भूलो कुत्ता मर गया था, इसीलिए उसके जैसा ही एक कुत्ता लाया गया था। फिल्म का दृश्य ऐसा था कि अपू की माँ अपू को चावल खिला रही है, जबकि अपू एक तीर से खेलने के लिए दौड़ रहा है। उसे लाने के लिए खाना छोड़ देता है और भाग जाता है। माँ भी उसके पीछे दौड़ती है, भूलो कुत्ता वहाँ खड़ा है सब कुछ देख रहा है। उसका ध्यान चावल की थाली की ओर है। इतना दृश्य पहले कुत्ते पर फिल्माया गया था। इसके बाद के दृश्य में अपू की माँ बचा हुआ चावल गमले में डाल देती है, और भूलो वह भात खा जाता है, ये दृश्य दुसरे कुत्ते के साथ फिल्माया गया।


5. फ़िल्म में श्रीनिवास की क्या भूमिका थी और उनसे जुड़े बाकी दृश्यों को उनके गुज़र जाने के बाद किस प्रकार फ़िल्माया गया?

उत्तर : फिल्म में श्री निवास की भूमिका एक मिठाई विक्रेता की थी, जो घूम घूम कर मिठाई बेचता है। उनकी मृत्यु के बाद, उनके जैसा ही कद का व्यक्ति ढूंढा गया। उनका चेहरा अलग था लेकिन शरीर श्री निवास के समान था। तो फिल्म निर्माता ने इस तरह से एक दृश्य के दो शॉट और ट्रिक शूट किए: 

शॉट 1: श्री निवास बांस के जंगल से बाहर आता है।

शॉट 2 (नया कलाकार): श्री निवास ने कैमरे की ओर अपनी पीठ घुमाई और मुखर्जी के घर के गेट से प्रवेश किया।


6. बारिश का दृश्य चित्रित करने में क्या मुश्किल आई और उसका समाधान किस प्रकार हुआ?

उत्तर : पैसे की कमी के कारण बारिश के दृश्य को चित्रित करना बहुत मुश्किल था। बारिश के दिन आए और गए, लेकिन पास में पैसे नहीं थे, जिसके कारण शूटिंग रोक दी गई। पैसे का इंतज़ाम करते करते अक्टूबर का महीना आ गया। अक्टूबर का महीना शरद् ऋतु का होता है, जिसमे में बारिश का होना तो बहुत कम ही होता है। लेकिन फिर भी सत्यजीत रे अपू और दुर्गा की भूमिका करने वाले बाल कलाकारों, कैमरा और तकनीशियन को साथ लेकर प्रतिदिन देहात में जाकर बैठे रहते थे और इंतज़ार करते थे की, सायद आज बरसात हो जाये । एक दिन मूसलाधार बारिश शुरू हुई और दृश्य को फिल्माया गया। यह दृश्य बहुत ही सुन्दर चित्रित हुआ है।


7. किसी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फ़िल्मकार को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उन्हें सूचीबद्ध कीजिए ।

उत्तर: किसी भी फ़िल्म की शूटिंग करते समय फिल्मकार को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है

  1. पशु-पात्रों के दृश्य की समस्या |

  2. कलाकारों के स्वास्थ और मृत्यु की स्थिति आने पर चुनौती का सामना |

  3. प्राकृतिक दृश्यों हेतु मौसम पर निर्भरता |

  4. स्थानीय लोगों का हस्तक्षेप और असहयोग |

  5. आर्थिक समस्या |

  6. कलाकारों का चयन ।

  7. बाहरी दृश्यों हेतु लोकेशन ढूंढना ।

  8. दृश्यों की निरंतरता बनाये रखने के लिए प्रकृति मौसम और पात्रों के लिए भटकना / प्रतीक्षा करना।


प्रश्न अभ्यास पाठ के आसपास  

8. तीन प्रसंगों में राय ने कुछ इस तरह की टिप्पणियाँ की हैं कि दर्शक पहचान नहीं पाते कि.. या फ़िल्म देखते हुए इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया कि... इत्यादि। ये प्रसंग कौन से हैं, चर्चा करें और इसपर भी विचार करें कि शूटिंग के समय की असलियत फ़िल्म को देखते समय कैसे छिप जाती है।

उत्तरः "पथेर पांचाली" फ़िल्म की शूटिंग के समय के तीन प्रमुख प्रसंग निम्नलिखित हैं:

(क) 'भूलो' कुत्ते की मृत्यु के कारण, दूसरे कुत्ते के साथ दृश्य फिल्माया जाना ।

(ख) फ़िल्म में रेलगाड़ी का दृश्य बड़ा था। धुआँ उठाने के दृश्य को फिल्माने के लिए तीन रेलगाड़ियों के साथ, वह दृश्य फिल्माया गया।

(ग) श्री निवास का किरदार निभा रहे व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद उसी की कद काठी वाले व्यक्ति के साथ मात्र उसकी पीठ दिखाकर मिठाई वाले का दृश्य पूरा किया गया।

फिल्म की शूटिंग के दौरान, कई समस्याएं आती हैं, जिनके कारण दृश्य की निरंतरता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है। कभी-कभी उस निरंतरता को बनाए रखने के लिए कुछ चाल और कुछ तकनीक का उपयोग करना आवश्यक होता है, दृश्य को थोड़ा बनावटी भी बनाया जाता है। क्योंकि दर्शक फिल्म की कहानी के साथ-साथ उसकी भावनाओं और घटनाओं में भी डूबा हुआ है, इसलिए उसे छोटी-छोटी बारीकियों का पता नहीं चल पाता।


9. मान लीजिए कि आपको अपने विद्यालय पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनानी है। इस तरह की फ़िल्म में आप किस तरह के दृश्यों को चित्रित करेंगे? फ़िल्म बनाने से पहले और बना समय किन बातों पर ध्यान देंगे?

उत्तर: विद्यालय पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने के लिए मैं निम्नलिखित प्रकार के दृश्य चित्रित करूँगा/ करूंगी : 

(क) विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ पुस्तकालय, प्रांगण, खेल का मैदान, संगीत कक्ष, कला कक्ष, प्रयोगशाला, कैंटीन, स्पोर्ट्स-रूम, कंप्यूटर रूम आदि । 

(ख) संस्थापक और प्रधानाचार्य की जुबानी विद्यालय की जीवनी और कहानी।

(ग) दिनभर की दैनिक और विशेष गतिविधियाँ और कुछ विद्यार्थियों से सम्बंधित बातचीत। 

(घ) खेल के मैदान में खेल शिक्षक की निगरानी में खेलते बच्चे।

(ङ) विद्यालय की आधारभूत संरचना उसका बाह्य और आतंरिक परिसर, दूसरे विद्यालयों से अलग सुविधाएं (यदि हैं तो)

(च) विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ विद्यालय की कक्षाएं।

(छ) सभागृह में प्रधानाचार्य द्वारा बच्चों को संबोधित करना, आस-पास तमाम शिक्षकों की उपस्थिति। 

एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म में कल्पना और घटनाओं का कोई स्थान नहीं है, जिसमें वास्तविकता को वास्तविक रूप में दिखाया जाता है। यही कारण है कि, ऐसी फिल्मों के लिए लोगों, स्थानों और वास्तविक घटनाओं को विषय बनाया जाता है, इसलिए फिल्म बनाने से पहले इस बात का ध्यान रखना  आवश्यक है कि, वास्तविकता के साथ कोई छेड़छाड़ न हो और विषय को रोमांचक बनाने के लिए अतिरंजित होने के लिए कुछ भी बढ़ा चढ़ा के नही दिखाया जाना चाहिए।


10. पथेर पांचाली फ़िल्म में इंदिरा ठकुराइन की भूमिका निभाने वाली अस्सी साल की चुन्नीबाला देवी ढाई साल तक काम कर सकीं। यदि आधी फ़िल्म बनने के बाद चुन्नीबाला देवी की अचानक मृत्यु हो जाती तो सत्यजित रे क्या करते? चर्चा करें।

उत्तर: अस्सी वर्षीय चुन्नीबाला देवी, जो फिल्म "पथेर पांचाली" में इंदिरा ठकुराइन का किरदार निभाती हैं, यदि उनकी  मृत्यु हो जाती है तो,  पहला विकल्प यह है कि सत्यजीत रे को चुनिबाला देवी की तरह एक और कलाकार की तलाश होती, जिसे ढूंढना लगभग असंभव होता। क्यूंकि  अस्सी वर्ष की उम्र में कद-काठी प्राप्त करना आसान नहीं होता है। फिल्म के सभी दृश्यों को क्रमिक रूप से शूट किया जाता तो एकाध दृश्य काट-छांट कर उनकी सांकेतिक मृत्यु को चित्रित कर देते। मगर ऐसा करने पर कहानी ही पूरी बदलनी पड़ती और सत्यजीत रे जैसे फिल्मकार के लिए फ़िल्म की कहानी ही उसकी आत्मा होती है, इसलिए उनके लिए ये विकल्प भी असम्भव ही था। ऐसे में नए कलाकार के साथ पूरा सीन शूट करना। इस विकल्प में अतिरिक्त पैसा और समय खर्च होता है परन्तु सत्यजीत रे अपनी रचनात्मकता बचाए और बनाए रखने के लिए यही रास्ता अपनाते।


11. पठित पाठ के आधार पर यह कह पाना कहाँ तक उचित है कि फ़िल्म को सत्यजित रे एक कला माध्यम के रूप में देखते हैं, व्यावसायिक माध्यम के रूप में नहीं?

उत्तर: सत्यजीत रे फ़िल्म को एक कला माध्यम के रूप में देखते हैं, न कि एक व्यावसायिक माध्यम के रूप में।वो अपना कार्य ख़त्म करने के बाद बचा हुआ समय फ़िल्मों में लगाते थे। वह सदैव कलाकार को अहमियत देते थे।यदि किसी कलाकार को कभी फ़िल्म शूट में दिक़्क़त होती थी, तो वो कलाकार बदलते नहीं थे बल्कि वह इंतज़ार करते थेऔर स्थिति सामान्य होने के बाद कार्य आगे बढ़ाते थे। वे पूरे मन और एकाग्रता के साथ किसी दृश्य को शूट करते थे।वे आधुनिकता और बदलाव पर अधिक ध्यान न देकर वास्तविकता पर ध्यान देते थे इसलिए उन्होंने महंगे और भारी भरकम स्टूडियों की जगह प्राकृतिक जगहों पर दृश्य फिल्माया जिसने मानो फ़िल्मों में जान डाल दी है।


प्रश्न अभ्यास भाषा की बात:

12. पाठ में कई स्थानों पर तत्सम, तद्भव, क्षेत्रीय सभी प्रकार के शब्द एक साथ सहज भाव से आए हैं। ऐसी भाषा का प्रयोग करते हुए अपनी प्रिय फ़िल्म पर एक अनुच्छेद लिखें।

उत्तर: मेरी पसंदीदा फिल्म बागबान है। इस फिल्म में, जब उन माता-पिता की जिम्मेदारी आती है, जो अपने बच्चों को यथासंभव जीवन की सभी सुख-सुविधाएँ प्रदान करते हैं, तो इस फ़िल्म में, जब उन बच्चों की बात आती है, तो उन्हें अपने माता-पिता का बोझ कैसा लगता है? फिल्म का निर्देशन सर्वकालिक सत्य के आधार पर किया गया है। यह फिल्म आज की युवा पीढ़ी को उनके माता-पिता के प्रति उनके कर्तव्य की याद दिलाने का प्रयास करती है।


13. हर क्षेत्र में कार्य करने या व्यवहार करने की अपनी निजी या विशिष्ट प्रकार की शब्दावली होती है। जैसे अपू के साथ ढाई साल पाठ में फ़िल्म से जुड़े शब्द शूटिंग, शॉट, सीन आदि । फ़िल्म से जुड़ी शब्दावली में से किन्हीं दस की सूची बनाइए।

उत्तर: 

  1. सीन,

  2. कंटीन्यूटी,

  3. रिकॉर्डिंग,

  4. प्ले-बैक सिंगर,

  5. लाइट साउंड- कैमरा-स्टार्ट,

  6. रोल,

  7. ककट

  8. मेकअप मैन,

  9. ग्लैमर,

  10. लोकेशन।


14. नीचे दिए गए शब्दों के पर्याय इस पाठ में ढूँढ़िए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए-इश्तहार, खुशकिस्मती, सीन, वृष्टि, जमा

उत्तर: इश्तहार; विज्ञापन - नमक का विज्ञापन पसंद आया। 

खुशकिस्मती; सौभाग्य - इतने पुरस्कार मिलना मेरा सौभाग्य है ।

सीन; दृश्य - घाटियों का दृश्य अद्भुत है। 

वृष्टि; बारिश - बारिश में मिटटी खुसबू बहुत अच्छी लगती है। 

जमा; इकट्ठा - जल को जमा करना आवश्यक है।


NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 3 – Apu ke saath dhai saal

Introduction

Satyajit Ray does not need any introduction as he is one of the most famous film directors of Hindi as well as Bengali cinemas. He was born in Kolkata in 1921 and passed away in 1992. Some of his most famous works are Aparajita, Apu ka Sansar, Pather Panchali, Devi Charulata, Gopi gayen Baka bayen, Shatranj Ke Khiladi, and sadgati (Hindi). His list of awards and accolades includes Bharat Ratna, Oscar, Légion d'Honneur award from France and many other significant awards.


Indian Cinema reached its peak of creativity and art with films made by Mr Ray. His first directed movie, Pather Panchali in Bangla, was released in 1955 and it earned him honour and prestige at an international level. He was the first Indian director to acquire such an honour at international status. He has made a total of around 30 movies that have not just enriched Indian cinema but also contributed to changing the mindset of critics and other directors to think in a new direction. His films have an amalgam of intellectual content and the simple and innocent lives of kids and animals.


The story in Aroh Class 11 Chapter 3 is based on his experiences while shooting and making Pather Panchali. We get to know many details of the making of this film through this excerpt. It also shows the struggle of an artist to make his creative dream come true, in the absence of money and other means. It tries to take away layers of glamour from the film world and give a glimpse of the stark realities.

Apu ke saath Dhai Saal

The movie Pather Panchali took almost two and a half years to get completed. The shooting was not carried on every day during this entire period as Satyajit Ray was working for an advertising company at that time. Whenever he got some time out of his job, he would resume shooting for this movie. He did not have enough money to carry on shooting continuously; hence shooting would get stalled many times.


The main characters in this movie are Apu and Durga. Apu’s character is that of a 6-year-old boy, and he was unable to find a boy who suited the character. Finally, Satyajit Ji found the boy in his neighbourhood itself. The boy was called Subeer Banerjee. Satyajit Ray did not foresee that the move would take 2.5 years to complete; hence as time went by, he was afraid that kids would grow up and not look their part in the movie. But luckily this did not happen. 


The shooting of the movie happened in Palsit, a village near Kolkata. The shooting was carried out near a railway line which was full of wild sugarcane plants. The scene was very big, and it took him 7 days and after 7 days he found out that all the animals had eaten up the wild sugarcane grass. That is why the shooting had to be postponed till the next winter season when the field was again full of wild sugarcane flowers. 


There was a dog Bhoolo in the movie and due to lack of money Satyajit Ray had to stop shooting after only half the scenes of this dog were filmed. When he had money to resume shooting, he learned that Bhoolo had died during that gap. After so much struggle, they finally found another dog in the same village that looked exactly like Bhoolo.


Another mishap that happened during the making of Pather Panchali was the death of the person who played the character of Srinivas. They had to find then another person who looked like him and complete the remaining part of the movie. The lack of money also made it tough for him to shoot rain scenes, that is why shooting had to be stopped during the monsoon. 


The writer met a lot of older people in the village in the process of the shooting who had different personalities. The house where the shooting was happening was totally in a dilapidated state. The owner of that house stayed in Kolkata. Sound recording was also carried out from the same house. It took them a month to get the house ready for shooting.


Benefits of NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 3 Apu Ke Saath Dhaai Saal

  • The NCERT Solutions for Class 11 Hindi Chapter 3 Apu Ke Saath Dhaai Saal provide clear explanations of the themes and characters in "Apu Ke Saath Dhaai Saal," helping students grasp the essence of the narrative effectively.

  • These solutions are developed by experienced educators, these solutions offer valuable insights into the author's intent and the cultural context of the story, enriching students' comprehension.

  • The chapter-wise solutions present structured answers to important questions, making it easier for students to study and review the material systematically.

  • Engaging with the solutions encourages students to analyse the themes of childhood innocence and family bonds, fostering deeper critical thinking skills.

  • The solutions help enhance vocabulary and grammar, allowing students to improve their Hindi language proficiency through context-based learning.

  • NCERT Solutions are readily available online, providing students with easy access to study materials whenever needed.

  • By thoroughly covering all key aspects of the chapter, these solutions help students approach exam questions with confidence, knowing they are well-prepared.


NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 3 - Apu Ke Saath Dhaai Saal provide essential support for students studying this beautiful narrative by Satyajit Ray. With clear explanations and organised answers, these solutions help students understand the key themes and characters in the story. They promote critical thinking and enhance language skills, making studying more effective and enjoyable. By offering easy access to valuable resources, these solutions empower students to prepare confidently for their exams. Overall, they are a crucial tool for mastering the chapter and appreciating the richness of Hindi literature, encouraging students to reflect on the cherished memories of childhood and family bonds.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 11 Hindi (Aroh) Chapter 3: Apu Ke Saath Dhaai Saal

1. Which are the two parts of the movies where a special technique has been applied which the viewers cannot make out?

During the shooting, a dog Bhoolo and a character named Srinivas expired. Their look-alikes then played the roles, and the director applied a certain method so that the difference in their appearance is camouflaged. These are the two instances where viewers will not be able to make out that different beings are playing the characters.

2. Explain the snake incident that happened during the shooting of Pather Panchali?

When the director was shooting in the house at Patsali, a snake came out. The team wanted to kill the snake, but they could not do so since the local people objected to it. They believed that the snake has been living in that house for a long time, and it was inauspicious to kill such a snake.

3. What happened to the dog in the movie?

The dog’s name was Bhoolo. Only after half the scenes of the movie were filmed, Satyajit Ray had to stop filming due to a lack of funds. Only a few scenes were shot with Bhoolo. When Satyajit Ray had enough money to resume shooting, he discovered that the dog Bhoolo had died. It took a long time for him to find another dog that looked similar to  Bhoolo to shoot the rest of the scenes. The solutions provided by Vedantu at their official website follow the CBSE Guidelines and are provided in a simplified manner.

4. What is the story of Class 11 Aroh Chapter 3 mainly based upon?

Satyajit Ray is one of the most famous writers of all time. This chapter is based on his experiences while shooting and directing the movies. The main focus of this chapter is to highlight the struggle of an artist without financial and other needs for his dream to come true. Vedantu offers learning and solutions to all the exercises of this chapter, including the summary free of cost. These solutions are provided in a simplified way on Vedantu’s website.

5. What are the achievements of the writer?

Satyajit Ray directed his first movie named Pather Panchali. This movie earned its worth on an international level. He is the first writer to have achieved this honour. He has directed around 30 movies and has always motivated and spread awareness to the other fellow directors to think with a new motive and direction. Vedantu offers solutions to all the exercises of this chapter in a simplified way and follows the guidelines set by the CBSE.

6. What were the problems faced while shooting the movie?

Few of the problems that Satyajit Ray faced while shooting the movie are:

  • Due to lack of money, the shoot was rescheduled.

  • The dog died due to the gap, and it was difficult for the writer to find a dog that resembled the first one.

  • There was a death of one of the characters of Pather Panchali.

  • Few scenes were rescheduled due to the rainy season.


Visit the page NCERT Solutions For Class 11 Aroh to get an insight into this chapter on their official website. 

7. Where was the shooting of the movie carried out?

There is a small village near Kolkata called Palsit. The shooting of the movie Pather Panchali was carried out on a particular railway line that is filled with sugarcane plants. Vedantu provides a complete study guide starting from revision notes to the previous year’s question papers. The experienced experts at Vedantu have provided the solutions in a simplified manner.

8. How can I use the NCERT Solutions for effective exam preparation?

Students can use the NCERT Solutions to review key themes, practice answering questions, and better understand the author's intent, which helps improve confidence and performance in exams.

9. What literary devices are used in "Apu Ke Saath Dhaai Saal"?

The chapter employs literary devices such as imagery and nostalgia, enhancing the emotional depth of the narrative and illustrating Apu's experiences.

10. How can the NCERT Solutions improve language skills?

The NCERT Solutions help enhance vocabulary and grammar through context-based learning, enabling students to improve their Hindi language proficiency while studying the chapter.