Courses
Courses for Kids
Free study material
Offline Centres
More
Store Icon
Store

NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17: (कुटज) Kutuj (Antra)

ffImage
widget title icon
Latest Updates

NCERT Solutions for Class 12 Chapter 17 Hindi - FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 17 Kutuj written by Hazari Prasad Dwivedi, highlights the resilience of the Kutuj tree, which thrives in the most challenging conditions. This chapter uses the Kutuj tree as a metaphor to emphasise human strength and the ability to overcome hardships. Dwivedi beautifully connects nature with human emotions and struggles, showing how even in harsh environments, life finds a way to persist. These NCERT Solutions offer clear answers, helping students grasp the lessons from the chapter while preparing for their exams. The solutions ensure a deep understanding of both the literal and symbolic meanings of the text.


Our solutions for Class 12 Hindi Antra NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12  Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 17. 


Glance on Class 12 Hindi Chapter 17 (Antra)   

  • Kutuj as a Symbol: Kutuj represents strength and resilience, growing even in harsh and rocky environments where other plants fail to survive.

  • Value of Names: The chapter emphasises that names hold significant value in society, providing identity and recognition.

  • Metaphorical Strength: Kutuj, with its ability to thrive in tough conditions, symbolises the human capacity to face and overcome difficulties.

  • Aparajay Jeevani Shakti: The tree’s life force, undeterred by its surroundings, reflects its unstoppable will to live.

  • Lessons from Nature: The Kutuj teaches us how persistence and courage can help us survive and succeed in any condition.

More Free Study Material for Sher, Pehchan, Chaar haath, Sajha
icons
Important questions
517.8k views 14k downloads

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 17 Kutuj

12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:1

1. कुटज को ‘गाढे का साथी' क्यों कहा गया है? 

उत्तर: इस पाठ में लेखक ने कुटज के विशेषताओं के बारे में बताया है। लेखक ने बताया है कि कुटज मुश्किल हालात में भी साथ देता है। लेखक ने इसका वर्णन करते हुए कहा है कि कालिदास ने अपनी एक रचना में लिखा है कि जब राम ने गिरी पर्वत विद्यमान बादलों को यक्ष के द्वारा एक निवेदन भेजा, तो वहाँ के मुश्किल हालातों में भी यक्ष को एक कुटज का वृक्ष दिखा। वह वृक्ष ऐसी जगह पर खड़ा था, जहाँ कुछ पनप नहीं सकता था। यक्ष को यह देखकर बड़ी हैरानी हुई। फिर यक्ष ने मेघ को, कुटज का फूल चढ़ाकर प्रसन्न किया। इसलिए कुटज को ‘गाढे का साथी' कहा जाता है।


12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:2

2. ‘नाम’ क्यों बड़ा है? लेखक के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: हर व्यक्ति के जीवन में उसके नाम का बहुत ही महत्व होता है। नाम से ही व्यक्ति को पहचान मिलती है। यदि कोई हमें संबोधित करता है, तो वह हमारे नाम से ही हमें संबोधित करता है। यदि किसी को किसी के बारे में बताना हो, तो वह हमें उसका रूप, आकार आदि का वर्णन दिए बिना केवल नाम ही बता दे, तो हम उस व्यक्ति को पहचान सकते हैं। भले ही हम सब व्यक्ति को चेहरे से पहचानते हो परंतु जब तक उस व्यक्ति का हमें नाम न याद आए या नाम न पता चले, तब तक वह पहचान अधूरी ही रहती है। समाज में लोगों को उनके नाम से ही जाना जाता हैं। नाम, समाज के द्वारा स्वीकृत किया गया है। इसलिए कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति कितना भी सुंदर क्यों ना हो परंतु नाम के बिना उसकी पहचान अधूरी ही रहती है। यहाँ तक कि हमने अपने जीवन में और समाज में हर वस्तु और हर प्राणियों को पहचानने के लिए नाम रखा है। आजकल तो लोग, अपने घर के पालतू जानवरों के भी नाम रखते हैं। नाम के प्रयोग वश से ही हमारे अंदर प्राणी और वस्तुओं की छवि बन जाती है। हमारे समाज में हर व्यक्ति और वस्तुओं के नाम उसके धर्म, जाति एवं आकार के आधार पर दिया जाता है।


12:1:21: प्रशन और अभ्यास:3

3. ‘कूट', ‘कुटज' और ‘कूटनी’ शब्दों का विश्लेषण कर, उनमें आपसी संबंध स्थापित कीजिए।

उत्तर: हजारी प्रसाद जी के अनुसार कूट शब्द का दो अर्थ होता है। कूट शब्द का पहला अर्थ ‘घर' होता है एवं दूसरा अर्थ ‘घड़ा' होता है। हजारी प्रसाद जी के अनुसार कुटज शब्द का अर्थ है ‘घड़े से उत्पन्न होने वाला’।‘कुटज’ अगस्त्यमुनि को भी कहा गया है। अगस्त्यमुनि को कुटज इसलिए कहा गया है क्योंकि वह भी घड़े से ही उत्पन्न हुए थे। जहां तक कूट शब्द के दूसरे अर्थ को देखा जाए, उसका अर्थ घर है। हजारी प्रसाद ने कूट शब्द के एक अर्थ को घर बताया है, वैसे ही घर में रहने वाली दुष्ट स्त्री को ‘कुटनी' कहा गया है। कई सारे बिंदु पर यह शब्द परस्पर जुड़े होते हैं और उनके अंदर समानताएं होती है।


12:1:21: प्रशन और अभ्यास:4

4. ‘कुटज', किस प्रकार अपनी अपराजय जीवनी शक्ति की घोषणा करता है?

उत्तर:  इस पाठ में यह दर्शाया गया है कि कुटज का पेड़, एक ऐसे माहौल में जिंदा खड़ा है, जहाँ किसी भी पेड़ पौधे का जी पाना असंभव है। वहां घास तक पैदा नहीं हो सकती है। ऐसे स्थान पर कुटज अपने आप को जीवित रख लेता है। सिर्फ जिंदा ही नहीं, फलता फूलता भी है। वह पथरीले पर्वत में भी अपने लिए जल खोज लेता है। वह ऐसे निर्जन स्थान पर अकेले जीवित रहकर अपराजय होने की जीवन शक्ति की घोषणा करता है।


12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:5

5. ‘कुटज’ हम सभी को क्या उपदेश देता है? टिप्पणी कीजिए।

उत्तर: कुटज, कठिन परिस्थितियों मे भी हर यात्राओं को झेलते हुए जिंदा रहता है। वह निर्जन पड़ी जमीन से भी अपने लिए जल और लवण खोज लेता है और वहाँ भी फलता फूलता है। कुटज से हमें यह उपदेश मिलता है कि जीवन में हर कठिन परिस्थितियों का सामना धैर्य और साहस से करना चाहिए। हमें कठिन परिस्थितियों को देखकर घबराना नहीं चाहिए। यदि हम मन में कुछ करने का ठान लेंगे तो वह अवश्य ही पूरा होगा।


12:1:21: प्रशन और अभ्यास:6

6. कुटज के जीवन से हमें क्या सीख मिलती है? 

उत्तर: कुटज के जीवन से हमें कई प्रकार की सीख मिलती है।

1. हमें धैर्य से काम लेना चाहिए और हिम्मत कभी हारना नहीं चाहिए।

2. विकट परिस्थितियों में भी हमें अपने सामंजस्य को भी बनाए रखना चाहिए।

3. अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।

4. हमें खुद पर विश्वास रखना चाहिए और किसी भी परिस्थितियों में लाचार नहीं होना चाहिए।

5. मुसीबत के समय में कभी भी घबराना नहीं चाहिए। हर परिस्थितियों का सामना डट कर करना चाहिए।

6. हमें अपने मेहनत और लगन से जो प्राप्त होता है उसे सहर्ष स्वीकार करना चाहिए।


12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:7

7. “कुटज क्या केवल जी रहा है?”- लेखक ने यह प्रश्न उठाकर किन मानवीय कमजोरियों पर टिप्पणी की है? 

उत्तर: लेखक मानवीय कमजोरियों पर हमला करके इस सवाल को उठाता है। लेखक के अनुसार, कुटज का वृक्ष न केवल जीता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि अगर मनुष्य में जीने की इच्छा है, तो वह हर परिस्थिति का आसानी से सामना कर सकता है। वह अपने आत्मसम्मान और गर्व, दोनों की रक्षा करता है। वह किसी से मदद नहीं मांगता बल्कि खुद हिम्मत से रहता है। यह प्रश्न उन मनुष्यों पर लक्षित किया गया है जो थोड़ी सी भी कठिनाई में हिम्मत हार जाते हैं। उनके पास जीने के लिए कारण नहीं होता बल्कि सिर्फ जीने के लिए ही जीते हैं। ऐसे व्यक्ति में हिम्मत और जीने की ललक नहीं होती। ऐसे लोगों के लिए कहा जाता है कि वह मन के हारे होते हैं।


12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:8

8. लेखक ऐसा क्यों मानता है कि स्वार्थ से बढ़कर, जिजीविषा से भी प्रचंड, कोई ना कोई शक्ति अवश्य है? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: मनुष्य का स्वार्थ, हमेशा उसे गलत रास्ते पर ले जाता है। मनुष्य ने अपने स्वार्थवश हि गगनचुंबी इमारतों का निर्माण किया हैहै। बड़े बड़े पुल, आकाश में उड़ने वाले जहाज आदि अनेक ऐसे चीजे बनाए हैं। हमारे जीवन में स्वार्थ की कोई सीमा नहीं है। मनुष्य केवल अपने जीवन को सरल बनाने के लिए अन्य उपकरणों का आविष्कार करता है। उसे दुनिया में अन्य प्राणियों की कोई फिक्र या चिंता नहीं रहती। या केवल स्वार्थ और जिजीविषा है, जो हमें गलत रास्ते पर ले जाती है। इन दोनों के वजह से ही हम खुद को महत्व देते हैं और समाज को भूलते जाते हैं। लेकिन लेखक के नजरों में स्वार्थ और जिजीविषा से भी बढ़कर एक शक्ति मौजूद है जो हर जातियों का कल्याण करती है। कल्याण की भावना उसे महान बनाती है। यह ऐसी भावना है जो मनुष्य को निस्वार्थ और मजबूत बनाती है।


12:1:21: प्रशन और अभ्यास:9

9. कुटज पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि  “दुख और सुख तो मन के विकल्प है।”

उत्तर: लेखक के अनुसार दुख और सुख वास्तव में हमारे जीवन का एक वास्तविक अंग है। यदि किसी व्यक्ति का दिमाग उसके नियंत्रण में हो, उसकी जरूरतें सीमित हो, वह स्वस्थ प्रतीत होता हो, उसे किसी प्रकार का विकार ना हो, तो हमारे समाज में उसे खुश समझा जाता है। क्योंकि कोई भी उससे उसकी मर्जी के बिना परेशान नहीं कर सकता। उस व्यक्ति को हमेशा दुख का सामना करना पड़ता है जो हमेशा  दूसरों के कहने पर  चलता है या जिसका मन स्वयं के बजाय दूसरों के हाथ में रहता है। दरअसल, उसका दुख उसके मन की भ्रांति होती है और वह अपने मन में खुशी पैदा ही नहीं करना चाहता। वह हमेशा दूसरों के हाथ की कठपुतलियां बनकर रह जाता हैं और  खुद को दुखी महसूस करता है।


12:1:21: प्रश्न और अभ्यास:10

10. निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

क:- ‘कभी-कभी जो लोगों पर से बेहया दिखते हैं, उनकी जड़ें काफी गहरी पैठी रहती है। यह भी पाषान की छाती फाड़ कर ना जाने किस अतर गहवर से अपना भाग्य खींच लाते हैं।'

उत्तर:  प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियां हजारी प्रसाद द्विवेदी के द्वारा रचित निबंध “कुटज” से लिया गया है। इस निबंध में लेखक ने कुटज की विशेषता बताई है। लेखक ने ऐसे लोगों की ओर संकेत भी किया है जो स्वभाव से बेशर्म होते हैं लेकिन यह बेशर्मी उनकी विकट परिस्थितियों से लड़ने का परिणाम होती है।

व्याख्या:- इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कुटज और उन व्यक्तियों के बारे में बात करते हैं जो निराधार प्रतीत होते हैं। लेखक कहते हैं कि कुटज अपने सिर के साथ एक ऐसे वातावरण में खड़ा है जहाँ अच्छे से अच्छे लोग एवं वस्तुएं आश्चर्य हो जाते हैं। कुटज पहाड़ों के चट्टानों पर पाया जाता है। इसके अलावा, वे मौजूदा जल स्रोतों से अपने लिए पानी उपलब्ध करता है। लोगों को कुटज के वृक्ष से सीख लेनी चाहिए। मनोवृति उन प्रतिकूल  से लड़ने का परिणाम है जो कुटा जी के स्वभाव में देखने को मिलती है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जीवन की हर परिस्थिति से स्वयं लड़ते हैं। लोग इस प्रकृति को बेहोशी का सबूत मांगते हैं। प्रकृति उनकी रक्षा करती है और उन्हें दृढ़ रहने में मदद करती है। ऐसे लोग अपना रास्ता खुद ढूंढ लेते हैं।


ख:- “ रूप व्यक्ति सत्य है, नाम समाज सत्य। नाम उस पद को कहते हैं, जिस पर समाज की मुहर लगी होती है। आधुनिक शिक्षित लोग जिसे,  “ सोशल सेक्शन” कहां करते हैं। मेरा मन नाम के लिए व्याकुल है, समाज द्वारा स्वीकृत, इतिहास द्वारा प्रमाणित, समष्टि मानव के चित्र गंगा में स्नात।”

उत्तर: प्रसंग:- प्रस्तुत, पंक्तियां हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित निबंध कुटज से लिया गया है। इस निबंध में लेखक ने कुटज वृक्ष की विशेषता बताई है। लेखक ने कोटा के वृक्ष की तुलना मनुष्य से की है।

व्याख्या:- इन पंक्तियों में लेखक ने नाम के विशेषता का वर्णन किया है। हर किसी के जीवन में नाम का बहुत अधिक महत्व है। एक व्यक्ति की पहचान उसके नाम से ही होती है। भले ही कोई हमें किसी व्यक्ति के रंग और आकार के बारे में कितना ही क्यों ना बता दे परंतु जब तक हमें उस व्यक्ति का नाम नहीं पता चलेगा तो हम अच्छे से नहीं समझ पाएंगे। नाम ही इंसान की पहचान है और नाम से ही इंसान की पहचान होती है। संसार में हर जीव और वस्तु के लिए एक निश्चित नाम दिया गया है। हर किसी का अपना अस्तित्व होता है और हमें हर किसी की पहचान करना बहुत ही आवश्यक होती है। लेखक कहते हैं कि उनके मन को नाम का अर्थ मिल सकता है और वे इसके लिए व्याकुल हो रहे हैं।


ग:- रूप की तो बात ही क्या है! बलिहारी है इस मादक शोभा की। चारों ओर कुपित यमराज के दारुल निश्वास के सामान धधकती लू में यह हरा भी है और भरा भी है, दुर्जन के चित्र से भी अधिक कठोर पास शान की कारा में रूद्र अध्यात जल स्रोत से बर्बर रस खींचकर सरस बना हुआ है।

उत्तर: प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियां हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित निबंध कुटज से ली गई है। इस निबंध में लेखक ने कुटज की विशेषताओं के बारे में बताया है।

व्याख्या:- प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने कुटज के सुंदरता के बारे में लिखा है। लेखक का कहना है कि कुटज का वृक्ष देखने में बहुत सुंदर है। यदि हम वातावरण को देखेंगे तो चारों और भयानक गर्मी होगी। ऐसा लगेगा कि मानो यमराज सांस ले रहे हो। कुटज का वृक्ष भी बहुत गर्म है लेकिन यह झुलसा नहीं हैं । यह वृक्ष हरियाली से आच्छादित है। इसके साथ ही यह फलदार भी है। यह वृक्ष पत्थरों के बीच से अपनी जड़ों के लिए रास्ता बनाता है। लेखक कहते हैं की कुटज का पेड़ अपनी जिंदगी के लिए हर मुश्किल परिस्थिति से लड़ता भी है और सिर उठाकर जीता भी है।


घ:-हृदयेनापराजितः! कितना विशाल वह हृदय होगा जो सुख से, दुःख से, प्रिय से, अप्रिय से, विचलित ना होता होगा। कुटज को देखकर रोमांच हो जाता है। कहां से मिलती है यह अकतोभया वृत्ति, अपराजित स्वभाव, अविचल जीवन दृष्टि ।”

उत्तर: प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियां हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित निबंध कुटज से ली गई है। इस निबंध में लेखक ने कुटज की विशेषताओं के बारे में बताया है।

व्याख्या:- इन पंक्तियों में लेखक ने कुटज की सुंदरता के बारे में बताया है। लेखक ने यह भी बताया है कि हमें कैसी भी कठिन परिस्थितियों में हार नहीं मानना चाहिए बल्कि उस परिस्थिति का डटकर सामना करना चाहिए । हमें हर परिस्थिति में धैर्य वान होना चाहिए। हमें अपनी मेहनत और ताकत से हर कार्य को पूरा करना चाहिए। यदि हम लगातार कोशिश करते रहेंगे तो कठिन से कठिन परिस्थिति हमारे सामने घुटने टेक लेंगी। निष्पक्ष स्थिति में उभरता हुआ व्यक्ति सोने की तरह चमकता है। जो व्यक्ति भयानक चीटियों को भी पार कर के खुश रह सकता है, उसे जीवन में कुछ भी नहीं हरा सकता।


योग्यता विस्तार –

1. ‘कुटज’ की तर्ज पर किसी जंगली फूल पर लेख अथवा कविता लिखने का प्रयास कीजिए।
विद्यार्थी प्रयास करें।


2. लेखक ने ‘कुटज’ को ही क्यों चुना है ? उसको अपनी रचना के लिए जंगल में पेड़-पौधे तथा फूलों-वनस्पतियों की कोई कमी नहीं थी।
लेखक को कुटज की जिजीविषा भा गई अतः उसने इसे चुना।


3. कुटज के बारे में उसकी विशेषताओं को बताने वाने दस वाक्य पाठ से छाँटिए और उनकी मानवीय संदर्भ में विवेचना कीजिए।

  • यह मस्तमौला है।

  • यह एक छोटा-सा बहुत ही ठिगना पेड़ है।

  • यह मुसकराता जान पड़ता है।

  • यह अपनी अपराजेय जीवनी-शक्ति की घोषणा करता है।

  • कुटज किसी के द्वार पर भीख माँगने नहीं जाता।


4. ‘जीना भी एक कला है’-कुटज के आधार पर सिद्ध कीजिए।
‘जीना भी एक कला है’-इस कला को कुटज जानता है। वह शान से जीता है, उल्लासपूर्वक जीता है, अपराजेय भाव से जीता है। हमें भी इसी प्रकार जीना चाहिए। अपने जीवन को ‘सर्व’ के लिए न्यौछावर कर देना चाहिए।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17

  • Chapter 17 teaches us to be resilient like the Kutuj, never giving up in the face of adversity.

  • It highlights how some people give up easily, lacking the strength and determination that the Kutuj tree exhibits.

  • Believing in oneself and staying strong, even in tough times, is essential for survival and success.

  • Continuous efforts, despite challenges, help achieve goals, much like how the Kutuj tree thrives against all odds.

  • Chapter 17 also stresses how names are an integral part of one’s identity and social acceptance.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 17 Kutuj

S. No

Important Study Material Links for Chapter 17

1.

Class 12 Kutuj Questions

2.

Class 12 Kutuj Notes


Conclusion

'Kutuj' by Hazari Prasad Dwivedi is a powerful lesson on resilience, courage, and the importance of self-belief. The Kutuj tree, standing firm in a barren landscape, is a metaphor for human strength in the face of challenges. The NCERT Solutions provide students with comprehensive answers, helping them fully understand the chapter’s messages and themes. By studying this, students will not only perform well in their exams but also gain valuable life lessons on persistence and self-reliance.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12  Hindi - (Antra) 

After familiarising yourself with the Class 12 Hindi 17 Chapter Question Answers, you can access comprehensive NCERT Solutions from all Hindi Class 12 Antra textbook chapters.



NCERT Class 12 Hindi Other Books Solutions


Related Important Study Material Links for Class 12 Hindi

You can also download additional study materials provided by Vedantu for Class 12 Hindi.


FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17: (कुटज) Kutuj (Antra)

1. Why is Kutuj called 'Gadhe ka Saathi' in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 17?

Kutuj is referred to as 'Gadhe ka Saathi' because it survives in the most difficult conditions, much like a loyal companion during tough times.

2. What is the significance of a name according to the author in 'Kutuj'?

The author believes that names hold great importance as they give identity and recognition to society.

3. How does Kutuj demonstrate its unbeaten life force in Class 12 Hindi Chapter 17?

Kutuj thrives even in rocky, barren lands where no other plant can survive, showcasing its unbeatable life force and resilience.

4. What message does the Kutuj tree give to us?

The Kutuj teaches us to face life’s challenges with courage, persistence, and patience, never giving up, no matter how tough the situation.

5. What lesson do we learn from the life of the Kutuj tree in 'Kutuj'?

We learn to stay determined, patient, and persistent, even in difficult circumstances, and to believe in our strength to overcome challenges.

6. What human weaknesses does the author highlight in the question, “Is Kutuj merely surviving?”

The author criticises people who give up easily in difficult times, unlike the Kutuj tree, which faces every challenge bravely.

7. Why does the author think there is a greater force beyond selfishness and survival instinct in 'Kutuj'?

The author believes that beyond selfishness and survival instincts, there is a greater force of selflessness and collective well-being that leads to true greatness.

8. How does the Kutuj story explain the idea that happiness and sorrow are products of the mind?

The chapter explains that if one controls their mind and limits their desires, they can find happiness even in tough situations, as happiness and sorrow are mental states.

9. How does Kutuj symbolise those who are outwardly tough but deeply rooted in their resilience?

Like the Kutuj, some people may seem harsh on the outside, but their resilience and determination come from deep-rooted strength and perseverance.

10. What does the author mean by saying "sometimes wealth becomes a curse"?

The author means that wealth or resources, which should be a blessing, can turn into a curse when they lead to displacement or destruction, as in the case of industrialisation.