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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3: (यह दीप अकेला, मैंने देखा एक बूंद) Yeh Deep Akela, Maine Dekha Ek Boond (Antra)

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 3 Hindi - FREE PDF Download

Chapter 3 Ye Deep Akela from NCERT Solutions for Class 12 Hindi, poet Sachchidananda Hari Narayana emphasises the significance of unity and social participation through the metaphor of a lone lamp. The poem illustrates how an individual, like a solitary lamp, can illuminate only a small space but shines brighter when part of a collective. It stresses that true brilliance emerges when individuals contribute to the welfare of society, shedding their egos and embracing collaboration. The poet encourages readers to understand their role within the larger community, highlighting the necessity of combining individual strengths for collective illumination. This exploration of identity and purpose in society resonates deeply, making the poem a poignant reflection on human relationships and community.


Our solutions for Class 12 Hindi Antra NCERT Solutions breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 3.


Glance on Class 12 Hindi Chapter 3 (Antra)

  • The poem compares an individual to a lamp, emphasising the need for collective strength.

  • It discusses the limitations of solitary existence versus the power of unity.

  • The metaphor of the lamp highlights both individuality and social responsibility.

  • The text encourages readers to overcome egos and embrace community involvement.

  • The poet reflects on how together, individuals can create a brighter world.

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प्रश्न और अभ्यास

क) एक दीप अकेला

प्रश्न और अभ्यास:

1. ‘दीपक  अकेला’ प्रतीकार्थ कोई स्पष्ट करते हुए बताइए कि उसे कभी न स्नेह भरा, गर्भ भरा एवं मदमाता क्यों कहाँ है?

उत्तर: इस कविता में कभी सच्चिदानंद हरिनन्द जी दीप तथा मनुष्य की तुलना करते हुए मनुष्य को समाज का हिस्सा बनाने के लिए कहते हैं। कभी कहते हैं कि दीपक अकेला रहता है तो वह पूरे संसार मेँ प्रकाश नहीं दे पाता है परंतु जब वह दीपों की पंक्ति में शामिल कर दिया जाता है तो उसके प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती है दीप की लौ स्नेह तथा गर्व से भरी हुई है यह हिलती डुलती है तो मदमाती हुई प्रतीत होती है। मनुष्य दीप के समान ही स्नेह से भरा हुआ अहंकारी है। परन्तु जब उसे समाज के साथ जोड़ लिया जाता है तब उसके अंदर का प्रकाश संसार को प्रकाशित करता है।


2. एक दीपक अकेला है ‘पर इसको भी पत्नी को दे दो’ के आधार पर व्यष्टि का समिष्ट में विलय क्यों और कैसे संभव है?

उत्तर: प्रस्तुत कविता में दीपकों मनुष्य के तथा पंक्ति शब्द को समाज प्रतीक के रूप में दर्शाया गया है। दीपकों पंक्ति में रखने का तात्पर्य है मनुष्य को समाज में सम्मिलित करना। कभी कहते है कि व्यष्टि का समिष्टि में विलय आवश्यक है जब मनुष्य अकेला होता है तब वह कार से भरा हुआ होता है उसके अहंकारी स्वभाव के कारण वे संसार को सही दिशा नहीं दिखा पाता। जब उसे संसार मेँ सम्मिलित कर लिया जाता है तो वह संसार तथा समाज का कल्याण करता है। इस संसार को अपने अंदर के प्रकाश से प्रकाशित करता है। व्यष्टि का समिष्ट में विलय इसी प्रकार संभव है।


3. ‘गीत और मोती’ की सार्थकता किस्से जुड़ी है?

उत्तर: गीत की सार्थकता गायन से जुड़ी है। इसी प्रकार मोती की सार्थकता तभी है जब गोताखोर उसे निकालकर बाहर ले आए। पन्ने पर लिखे गीत की कोई पहचान नहीं है, पहचान तब बनती है  जब उसे बहार प्रस्तुत किया जाए। जैसे गीत के गाने से उसे सुना जा सकता है और उसकी प्रशंशा की जा सकती है और मोती की भी सार्थकता उसकी प्रस्तुता से जुड़ी है जब वह समुंद्र से निकालकर सामने लाया जाएगा तभी उसकी सार्थकता का परिमाण जाना जाएगा। 


4. ‘यह अद्वितीय-यह-मेरा-यह मैं स्वयं विसर्जित’- पंक्ति के आधार पर व्यष्टि के  समष्टि में विसर्जन की उपयोगिता बताई।

उत्तर: कवि कहते हैं कि जब व्यष्टि में समष्टी का विसर्जन होता है तो मनुष्य के अंदर से अहंकार और “मैं” की भावना समाप्त हो जाती है। कहने का तात्पर्य यह है कि स्वयं के अभिमान मेकहने का तात्पर्य यह है कि स्वयं के अभिमान और ‘मैं’ की भावना को मनुष्य समाज में सम्मिलित होने के बाद अपने हाथों से विसर्जित कर देता है। इस विसर्जन को ही व्यक्ति के समस्त में विसर्जन कहा गया है। इसकी उपयोगिता यह है कि अभिमान के विसर्जन के बाद मनुष्य समाज के लिए कल्याणकारी  कार्य करता है तथा संसार  को अपने प्रश् से प्रकाशित करता है।


5. ‘यह मधु है………तकना निर्भय’- पंक्तियो के आधार पर बताइए कि ‘मधु’, ‘गोरस’ और ‘अंकुर’ की क्या विशेषता है.? 

उत्तर: कवि सच्चिदानंद के अनुसार:

‘मधु’ - मधुमक्खियों को मधु निकालने की प्रक्रिया में बहुत समय लग जाता है परंतु वह अपना कार्य पूर्ण करती है। 

‘गोरस’- कामधेनु गाय हमेशा पवित्र गुणो से पूर्ण दूध प्रदान करती है। 

‘अंकुर’- अंकुर अपने शक्ति को प्रकट कर पृथ्वी को फोड़कर बहार निकल के सूर्य के दर्शन करता है। 


6. भाव - सौंदर्य स्पष्ट कीजिए:

(क) ‘यह प्रकृत, स्वयं भू ……शक्ति को दे दो!

(ख) ‘यह सदा-द्रवित,चिर-जागरूक…….चिर-अखंडअपनापा।’

(ग) ‘जिज्ञासु, प्रबुध, सदा श्र्धामय,इसको भक्ति को दे दो!’

उत्तर: 

(क) भाव सौंदर्य,, इसके भाव है कि मनुष्य यदि हाथ से हाथ मिलाकर समाज या संसार का कल्याण करना शुरू करें तो पूरा विश्व एक हो सकता है। अकेले व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता सारे विश्व को एकसाथ मिलकर काम करना होगा।


(ख) भाव सौंदर्य,, इसमें कभी ने कहा कि मनुष्य और दीपक दोनों एक जैसे हैं। जैसे दीपक द्रव्य से जलकर प्रकाशित होता है अर्थार्थ अंधकार खत्म करने के लिए द्रवित होकर चलता है। उसी प्रकार मनुष्य दूसरों के दुख देखकर द्रवित हो जाता है और उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाता है।


(ग)  कविता में दीप को कवि ने व्यक्ति के रूप में चित्रित किया है। व्यक्ति हमेशा जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहता है। इसी कारण वह ज्ञानवान और श्रद्धा से भरा हुआ होता है। मनुष्य तथा दीप दोनों में यह गुण विद्यमान होते हैं।


7. ‘यह दीप अकेला’ एक प्रयोगवादी कविता है। इस कविता के आधार पर ‘लघु मानव’के अस्तित्व और महत्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर: वाद शब्द के कारण कविताओं में कई युगों का निर्माण हुआ है जैसे छायावाद, रहस्यवाद, प्रयोगवाद, और हालावाद विशुद्ध रूप से प्रयोगात्मक कविता है। प्रयोगिक कविता व्यय है जो न केवल कल्पनाशील है बल्कि आधुनिकीकरण और तथ्यों से भरी है। और कवि का तात्पर्य है कि यदि मनुष्य स्वयं को छोटा या तुच्छ समझता है तो वह कभी सफलता की दिशा को प्राप्त नहीं कर सकता। एक अकेला दीप घर आंगन को प्रकाशित कर सकता है परंतु पूरे विश्व को अकेले नहीं प्रकाशित कर सकता। उसी प्रकार मनुष्य को भी दीपक से सीखना चाहिए कि यदि वह अकेला है तो भी वह अपने घर आंगन को संभाल सकता है परंतु यदि वे पूरे विश्व को प्रकाशित करना चाहता है तो उसे दीपक की तरह पंक्ति में शामिल होना होगा पंक्ति में शामिल होकर वह कुछ भी कर सकता है। वह दीपक से साहस और शौर्य की प्रेरणा ले सकता है।


ख) मैंने देखा एक बूँद

1. ‘सागर’ और ‘बुंद’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: सागर और बूंद द्वारा कवि अज्ञेय का अर्थ है कि एक बूंद अचानक समुद्र के किनारे से अलग हो जाती है और सूर्यास्त के समय सुनहरी आभा उस बूंद पर फैल जाती है और एक पल के लिए यह एक सुनहरी रूप से चमकती है। फिर यह सागर में गायब हो जाती है कवि संसार की नश्वरता का विलक्षण  उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।


2. ‘रंग गई क्षण भर ढलते सूरज की आग से’- पंक्ति के आधार पर बूंद के क्षण भर रंगने की सार्थकता बताइए।

उत्तर: इन पद्धतियों का अर्थ यह है कि जब समुद्र से बूंद उठती है और डूबती है तो आभा की सुनहरी लालिमा बूंद पर आग की तरह दिखाई देती है।कवि कहना चाहते हैं कि समुद्र में विलीन होते वक्त अद्भुत लालिमा लिए हुए होती है। उसी प्रकार नश्वर जीवन परमात्मा में विलीन होते वक्त ज्योतिर्मय होनी चाहिए। उस क्षण भर के लिए ही वह अपनी सार्थकता को प्रकट कर देती है। वेसे ही मनुष्य को भी अपने नश्वर शरीर के साथ कुछ ऐसा कार्य अवश्य करना चाहिए जो उसकी सार्थकता को प्रकट करे। 


3. ‘सूने विराट के सम्मुख …….दाग से।’- पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: कवि अज्ञेय यहाँ यह बताना चाहते है की एक मनुष्य सदैव इसी भय से ग्रस्त रहता है की  एक दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा। परंतु जब एक बूंद सागर से कुछ समय के लिए अलग होती है , उस समय उसे स्वयं के नष्ट होने का भय नही होता अपितु वह मुक्ति का एहसास करती है, उस समय वह स्वयं के अस्तित्व को सार्थक मानती  है। कवि उस बूंद से एक ऐसी दर्शनिकता प्राप्त करते हैं जो उसे संपूर्ण सागर को देख कर भी प्राप्त नही हो पाती। वह कहते है कि मनुष्य भी अपने इस नश्वर शरीर से कुछ ऐसे कार्य कर सकता है जो उसे सार्थकता प्रदान कर सकें।


4.  ‘क्षण के महत्व’को उजागर करते हुए कविता का मूल भाव लिखें।

उत्तर: इस कविता में कवि सच्चिदानंद हीरानंद जी ने मनुष्य को क्षण का महत्व बताने का प्रयास किया है। कवि समझाना चाहते है की मनुष्य को स्वयं अपनी स्वार्थहित भावनाओं से हटकर व्यष्टि का समष्टि में विलय कर देना चाहिए। इस संसार में कहीं ना कहीं हर व्यक्ति दुखी है मनुष्य को यह समझना चाहिए कि वह अपने छोटे से जीवन को भी सार्थक बना सकता है। मनुष्य को अपने प्रतेक क्षण के महत्व को  जानना चाहिए कि वह चाहे तो हर क्षण अपने लिए अमूल्य बना सकता है। एक क्षण मनुष्य अपने जीवन में ऐसा ला सकता है जिसकी चमक आजीवन रह सकती हैं। मनुष्य के जीवन में हर एक छोटे से छोटा क्षण विशेष महत्व रखता है।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 3

  1. The importance of social integration for personal growth and enlightenment.

  2. Understanding the balance between individuality and collective effort.

  3. Realising that personal contributions can lead to significant societal impact.

  4. The necessity of empathy and support in human relationships.

  5. The poem serves as a call to action for individuals to participate actively in society.


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Conclusion 

Chapter 3 Ye Deep Akela, Maine Dekha Ek Boond serves as a powerful reminder of the interconnectedness of humanity. Through the metaphor of the lamp, the poet conveys that while individual brilliance is valuable, it becomes truly meaningful when merged with the contributions of others. This realisation not only encourages self-reflection but also promotes a sense of belonging and responsibility towards the community, enhancing a more harmonious society.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3: (यह दीप अकेला, मैंने देखा एक बूंद) Yeh Deep Akela, Maine Dekha Ek Boond (Antra)

1. What is the main theme of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 Ye Deep Akela?

The main theme revolves around the importance of social unity and the idea that individual efforts shine brighter when combined with others.

2. How does the poet compare a person to a lamp in Class 12 Hindi Chapter 3?

The poet compares a person to a lamp, suggesting that while a lone lamp can only light a small area, together with others, it can illuminate a much larger space.

3. What does the poet say about individual existence in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 Ye Deep Akela?

The poet highlights that an individual’s solitary existence limits their ability to influence the world positively, encouraging integration with society.

4. What metaphor is used to represent social responsibility in NCERT Class 12 Hindi Chapter 3?

The metaphor of a lamp is used to represent social responsibility, indicating that individuals should contribute to the greater good of society.

5. How does the poet encourage readers in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3?

The poet encourages readers to overcome their egos and engage actively in their communities for collective welfare.

6. What role does collective effort play in NCERT Solutions Chapter 3 Ye Deep Akela?

Collective effort is portrayed as essential for achieving greater illumination and success in society.

7. How does the poem relate to personal growth in Class 12 Hindi Chapter 3 Ye Deep Akela?

The poem illustrates that personal growth is enhanced through collaboration and contribution to societal welfare as discussed in NCERT Solutions.

8. What lesson about empathy is conveyed in NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 3 Ye Deep Akela?

The NCERT Solutions of Chapter 3 conveys that empathy and support for others are crucial for fostering strong human relationships.

9. What is the significance of the title Ye Deep Akela in Class 12 Hindi Chapter 3 Ye Deep Akela?

The title signifies the contrast between individual isolation and the potential for collective strength and illumination.

10. How can the insights from Chapter 3 Ye Deep Akela be applied in everyday life?

The insights can encourage individuals to actively participate in their communities, valuing teamwork and mutual support for a brighter future.