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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13: Pahelwan Ki Dholak (Aroh)

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 13 Hindi FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak in NCERT Solutions for Class 12 Hindi explores the profound connection between traditional wrestling and the rhythmic beats of the dholak. The chapter highlights the cultural significance of wrestling in rural India and how the sound of the dholak energizes the wrestlers and spectators alike. Through engaging narratives, the author reflects on themes of resilience, community spirit, and the role of music in motivating athletes.


Our solutions for Class 12 Hindi NCERT Solutions PDF breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 13. 


Glance on Class 12 Hindi Chapter 13 (Aroh) Pahelwan Ki Dholak

  • Chapter 13 emphasises the importance of nostalgia, illustrating how memories from the past can evoke strong emotions and shape our identity. 

  • It highlights the significance of cultural heritage in understanding one's roots and identity.

  • The author connects personal memories to broader cultural narratives, showing how they inform current perspectives.

  • The author employs vivid imagery to evoke emotions associated with memories. 

  • Descriptions of places, sounds, and experiences create a rich tapestry that resonates with readers.

  • The narrative explores how the past continuously influences our present lives. 

  • The author encourages readers to consider how their experiences shape their current feelings and actions.

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Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak

1. कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव पेंच मे क्या तालमेल था। पाठ में आए ध्वन्यात्मक शब्द और ढोल की आवाज में आपके मन में कैसी ध्वनि पैदा करते हैं, उन्हें शब्द दीजिए।

उत्तर: कुश्ती के समय ढोल की आवाज और लुट्टन के दाँव पेंच में एक गुरु और शिष्य के समान तालमेल था। ढोलक के हर दाँव में लुट्टन को कुछ नया सीखने को मिलता था । ढोलक की आवाज से हमारा मन उत्साहित हो जाता है, हमारे अंदर एक जोश आ जाता है।

1.चट्ट धा, गिर  धा -----आ जा भीड़  जा 

2.चटाक्क चट्ट धा ------ उठाकर पटक  दे 

3.ढाक्क ढिना ----------वाह  पट्ठे 

4.चट्ट  गिड धा ---------मत  डरना 

5.धिक  धिना ----------चित  करो 

 

2. कहानी के किस किस मोड़ पर लुट्टन के जीवन में क्या-क्या परिवर्तन आए?

उत्तर: 

कहानी ने लुट्टन के जीवन में कई परिवर्तन लाये -  

1.बचपन में ही लुट्टन का अनाथ हो जाना यह उसके जीवन का सबसे बड़ा परिवर्तन था।

2. गांव के लोगों द्वारा उसकी सास को तकलीफ देने से उसमे बदले की भावना का उत्पन्न  होना और पहलवान बनना।

3. गांव के अनेक नामी पहलवानों (चांद सिंह, काले खां)को पीछे पछाड़ कर अपना नाम कमाना और एक राज पहलवान बनना।

4. अपनी पत्नी की मृत्यु का दुख और बेटों के पालन पोषण की जिम्मेदारी संभालना।

5. 15 वर्षों के अंतराल के बाद राजा साहब का गुजर जाना और नए राजा के आने से उन्हें अपने गांव जाना, यह भी उनके लिए बड़ी चुनौती थी क्योंकि अब अपनी ढोलक के द्वारा ही रोजी-रोटी चलाते थे।

6. महामारी की चपेट में उनके दोनों बेटों की मृत्यु होना।

 

3. लुट्टन पहलवान ने ऐसा क्यों कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं, यही ढोलक है?

उत्तर: लुट्टन ने पहलवानी कभी किसी गुरु से नहीं सीखी क्योंकि उसे कभी जरूरत नहीं पड़ी। वह ढोलक की थाप सुनते ही जोश में भर जाता था और जैसे-जैसे ढोलक बजती वह भी वैसे ही दाँव पेंच लगाता था। मानो लगातार ढोलक उसे सिखा रही हो। तभी उसने कहा होगा कि मेरा गुरु कोई पहलवान नहीं यही ढोलक है।

 

4. गाँव में महामारी फैलने और अपने बेटों के देहांत के बावजूद लुट्टन पहलवान का ढोलक क्यों बजता रहता?

उत्तर: गाँव में सूखे और महामारी के कारण  चारों और निराशा फैली हुई थी। पहलवान नहीं चाहता था कि गांव में कोई भी अपने सगे संबंधी की मृत्यु पर दुखी हो, ढोलक की आवाज सुनकर गांव के लोगों के अंदर उत्साह उत्पन्न हुआ, वे जागृत  हुए। वास्तव में पहलवान की ढोलक ने गांव वालों को जीने का मतलब सिखाया। इससे बेटों की अकाल मृत्यु का दुख भी कम हो गया इसलिए पहलवान का ढोलक बजता रहा।

 

5. ढोलक की आवाज का पूरे गांव पर क्या असर होता था?

उत्तर: महामारी को झेलते हुए ग्रामीण लोगों पर ढोलक कुछ इस प्रकार असर छोड़ती थी। वह गांव के अर्धमृत,औषधि- उपचार -पथये-विहीन प्राणियों में संजीवनी शक्ति भर देती थी,बूढ़े –बच्चे –जवानों  की शक्तिहीन आंखों के आगे दंगल का दृश्य नाचने लगता था, स्पन्दन--- शक्ति –शून्य स्नायुओ में भी बिजली दौड़ जाती थी। भले ही ढोलक में बुखार हटाने का कोई गुण न था और ना ही महामारी का सर्वनाश करने का लेकिन मरते हुए प्राणियों को आंख मूदते समय कोई तकलीफ नहीं होती थी। वो मृत्यु से भी डरते नहीं थे।

 

6. महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में क्या अंतर होता था?

उत्तर: महामारी फैलने के बाद गांव में सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य में बहुत अंतर था । सूर्योदय के समय सभी लाशों को जलाने के लिए जाते थे, अपने पड़ोसियों और आत्मीयों को हिम्मत देते थे। किंतु सूर्यास्त होते ही लोग अपनी-अपनी झोपड़ियों में घुस जाते थे। उसके बाद कोई चूँ की आवाज भी नहीं आती थी, धीरे-धीरे उनकी बोलने की शक्ति भी जाती रहती थी । पास में दम तोड़ते पुत्र को अंतिम बार ‘बेटा’ कहकर पुकारने की भी हिम्मत माताओं में नहीं होती थी। रात्रि में सिर्फ पहलवान की ढोलक ही महामारी को चुनौती देती थी।

 

7. कुश्ती का दंगल पहले लोगों और राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था। पहलवानों को राजा लोगों के द्वारा विशेष सम्मान दिया जाता था-

1. ऐसी स्थिति अब क्यों नहीं होती है?

2. इसकी जगह अब किन खेलों ने ले ली है?

3. कुश्ती को फिर से प्रिय खेल बनाने के लिए क्या-क्या कार्य किए जा सकते हैं?

उत्तर:   

(क) कुश्ती,दंगल और पहलवानी राजाओं का प्रिय शौक हुआ करता था, यही उनके मनोरंजन का भी साधन था। लेकिन अब राजतंत्र की जगह लोकतंत्र ने ले ली है और मनोरंजन के भी कई साधन आ चुके हैं इसलिए अब ऐसी स्थिति नहीं है।

(ख) कुश्ती और दंगल जैसे खेलों की जगह अब बॉक्सिंग, बैडमिंटन,वॉलीबॉल, फुटबॉल, टेबल टेनिस,शतरंज आदि खेलों ने ले ली है।

(ग) कुश्ती को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर कुश्ती की प्रतियोगिताएं कराई जा सकती है । सरकार द्वारा कई स्कीम्स भी निकाली जा सकती है जिससे बच्चों की उसमें दिलचस्पी बढ़े।

 

आशय स्पष्ट करें 

8. आकाश से टूटकर यदि कोई भाग तारा पृथ्वी पर जाना भी चाहता तो उसकी ज्योति और शक्ति रास्ते में ही शेष हो जाती थी अन्य तारे उसकी भावुकता तथा और सफलता पर खिलखिला कर हंस पड़ते थे?

उत्तर: लेखक यहाँ गाँव की असहनीय परिस्थिति  को बताता है। वह कहना चाहते हैं कि इस महामारी काल में कोई भी उस गाँव की रक्षा करने वाला नहीं है। ग्रामीणों की पीड़ा से प्रकृति भीं दुखी हैं। इसलिए आकाश  में भीं निस्तब्धता छाई हुई है। यदि कोई तारा आकर इनके दुख को समेटना भी चाहता है तो वह बीच में ही विलीन हो जाता है, वह पृथ्वी पर पहुंच नहीं पाता है। तथा अन्य सभी तारे उस तारे की इस स्थिति पर उसका मजाक उड़ाते हैं।

 

9. पाठ में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। पाठ में से ऐसे अंश चुनिए और उनका आशय स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:

1. अँधेरी रात चुपचाप आँसू बहा रही थी- लेखक ने यहाँ रात का मानवीकरण किया है। ठण्ड  में पड़ रही ओस आंसू के समान प्रतीत होती हैं। ऐसा लगता है कि गाँव वालो कि पीड़ा  पर रात आँसू बहा रही हो।

2. तारे उसकी भावुकता तथा और असफलता  पर खिलखिला पड़ते थे- लेखक ने यहाँ भावुक और झिलमिलाते तारों का मानवीकरण किया है। वे कहते हैं कि जब भी कोई भावुक तारा ग्रामीण का दृश्य देखकर टूटता है तो वह बीच रास्ते में ही विलीन हो जाता है और सभी तारे उसकी असफलता पर खिलखिला कर हंस पड़ते हैं, वे उस का मजाक उड़ाते हैं।

 

10. पाठ में मलेरिया और हैज़े से पीड़ित गांव की दयनीय स्थिति को चित्रित किया गया है। आप किसी ऐसी अन्य आपदा  स्थिति की कल्पना करें और लिखें कि आप ऐसी स्थिति का सामना कैसे करेंगे?

उत्तर: इस पाठ में लेखक फणीश्वर नाथ रेणु ने मलेरिया और हैजा से पीड़ित गाँव की दयनीय स्थिति का वर्णन किया है आजकल कोरोनावायरस जैसी बीमारी ने आम जनता को घेर रखा है। ऐसी स्थिति में मैं सबको निम्नलिखित कार्य करने की सलाह दूंगी 

1.लोगो को कोरोनावायरस के बारे में बताउंगी उन्हें जागरूक करने की कोशिश  करूंगी।

2.लोगो को इलाज़ करवाने की सलाह दूँगी।

3.जुखाम  और बुखार वाले रोगियों को मास्क लगाने और दुरी रखने के बारे में बताउंगी।

4.घर से बाहर कम  निकलने की सलाह दूँगी।

 

11. ढोलक की थाप मृत गांव में संजीवनी शक्ति भरती रहती थी। कला से जीवन के संबंध को ध्यान में रखते हुए चर्चा कीजिए?

उत्तर: कला और जीवन दोनों एक दूसरे के पूरक  हैं, दोनों का गहरा  सम्बन्ध  है। कला ही है जिसमें मानव मन में संवेदनाएं उभारने, प्रवृत्तियों को ढालने तथा चिंतन को मोड़ने, अभिरुचि को दिशा देने की अद्भुत क्षमता है। कला व्यक्ति के मन में बसी हुई स्वार्थ परिवार धर्म आदि की सीमाओं को मिटा कर मानव मन को व्यापकता प्रदान करती है। मानव कला के हर एक रुप काव्य, संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, स्थापत्य कला और रंगमंच से अटूट संबंध है।

 

12. चर्चा करें कलाओं का अस्तित्व व्यवस्था का मोहताज नहीं है?

उत्तर: कला व्यवस्था से नहीं फलती फूलती। वह कलाकार की मेहनत और समर्पण पर निर्भर करती है। यदि कोई कलाकार अपनी कला के लिए उत्सुक नहीं है, समर्पण नहीं है तो वह कुछ दिनों बाद जनता के द्वारा भुला दिया जाएगा और उसकी कला का कोई महत्व नहीं रहेगा।

 

13. हर विषय क्षेत्र परिवेश आदि के कुछ विशिष्ट शब्द होते हैं।पाठ में कुश्ती से जुड़ी शब्दावली का बहुतायत प्रयोग हुआ है। उन शब्दों की सूची बनाइए साथ ही नीचे दिए गए क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले कोई पांच पांच शब्द बताइए-

  •  चिकित्सा

  •  क्रिकेट

  •  न्यायालय

  •  या अपनी मनपसंद का कोई क्षेत्र 

उत्तर: 

1. कुश्ती: दंगल, अखाड़ा, दाँव पेंच, चित-पट, धोबी पछाड़।

2. चिकित्सा: एक्स-रे, इंजेक्शन, सीटी स्कैन, नर्स।

3. क्रिकेट: बैट, बॉल, प्ले ग्राउंड, अंपायर, विकेट,

5. न्यायालय: वकालतनामा, जज, वकील, अपील, आरोपी, गवाह।

6. शिक्षा: स्कूल, पुस्तक, अध्यापक, पेंसिल, कलम।

 

14. पाठ में अनेक अंश ऐसे हैं जो भाषा के विशिष्ट प्रयोगों की बानगी प्रस्तुत करते हैं। भाषा का विशिष्ट प्रयोग न केवल भाषाई सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है बल्कि कथ्य को भी प्रभावी बनाता है। यदि उन शब्दों ,वाक्यांशों के स्थान पर किसी अन्य का प्रयोग किया जाए तो संभवत: वह अर्थ गत चमत्कार और भाषिक सुंदर उद्घाटित न हो सके कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं?

  • हर बार की तरह उस पर टूट पड़ा।

  • राजा साहब की स्नेह दृष्टि ने उसकी प्रसिद्धि में चार चांद लगा दिए।

  • पहलवान की स्त्री भी दो पहलवानों को पैदा करके स्वर्ग सिधार गई थी।

  • इन विशिष्ट भाषा प्रयोगों का प्रयोग करते हुए एक अनुच्छेद लिखिए  

उत्तर: एक गांव में मलखान नाम का पहलवान रहता था जिसके गांव में बहुत चर्चे थे। कोई भी पहलवान उसके सामने आने से डरता था ।एक दिन वह शहर की तरफ रवाना होता है जहाँ उसकी मुलाकात बिल्लू पहलवान से होती है। बिल्लू मलखान को अखाड़े में बुलाता है । मलखान उस पर बाज़ की तरह टूट पड़ता है। मलखान की जीत ने राजा साहब की स्नेह दृष्टि से उसकी प्रसिद्धि में चार चाँद लगा दिए। राजा साहब ने उसे राज पहलवान बना दिया। जिससे पहलवान मलखान की आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो गई थी। फिर पहलवान ने शादी कर ली। शादी के दो साल बाद उसकी स्त्री ने दो पहलवानों को जन्म दिया और स्वर्ग सिधार गई।

 

15. जैसे क्रिकेट की कमेंट्री की जाती है वैसे ही कुश्ती की कमेंट्री की जाती है आपको दोनों में  क्या समानता और अंतर दिखाई पड़ता है?

उत्तर:   

1. क्रिकेट में बल्लेबाजी, गेंदबाजी, क्षेत्ररक्षण का वर्णन होता है जबकि कुश्ती में दांवपेच का वर्णन होता है।

2. क्रिकेट मैच में स्कोर बताया जाता है तथा कुश्ती में चित पट  गिने जाते हैं।

3. क्रिकेट की कमेंट्री शांति के साथ की जाती है, लेकिन कुश्ती की कमेंट्री उत्तेजकता  के साथ की जाती है ताकि पहलवानों में जोश पैदा हो सके।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak

  • Chapter 13 emphasises wrestling as an important cultural tradition in rural India, symbolising strength and community bonding.

  • The dholak's beats are portrayed as a motivating force for wrestlers, enhancing their performance during competitions.

  • The narrative reflects the struggles and triumphs of wrestlers, showcasing their dedication and passion for the sport.

  • Chapter 13 highlights how wrestling events bring the community together, enhancing a sense of belonging and celebration.

  • The sound of the dholak is presented as a vital element that energizes both the wrestlers and the audience.


Benefits of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13 (Aroh)

  • Class 12 Chapter 13 Hindi NCERT Solutions provides detailed explanations and answers for all chapters, ensuring that students grasp the complete syllabus effectively.

  • The solutions are created according to the NCERT curriculum, making them ideal for exam preparation and ensuring that all important topics are covered.

  • The solutions break down complex concepts into simpler terms, making it easier for students to understand difficult topics and themes.

  • By studying the solutions, students can learn how to articulate their thoughts better and improve their writing skills in Hindi.

  • NCERT Solutions include various questions, helping students practice effectively and prepare thoroughly for their exams.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 13

S. No

Important Study Material Links for Chapter 13

1.

Class 12 Pahelwan Ki Dholak Questions

2.

Class 12 Pahelwan Ki Dholak Notes


Conclusion

NCERT Solutions of Pahelwan Ki Dholak offers a vibrant exploration of wrestling's cultural significance and the energizing role of music in rural India. By studying this chapter, students gain insights into the emotional and social aspects of traditional sports, as well as the importance of community. The NCERT Solutions provided in this PDF will enhance their understanding and enhance a deeper connection to the themes presented in the text.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 13: Pahelwan Ki Dholak (Aroh)

1. What is the main theme of Chapter 13 "Pahelwan Ki Dholak" in NCERT Solutions?

The main theme of Chapter 13 "Pahelwan Ki Dholak" is the cultural significance of wrestling in rural India and the motivating influence of the dholak.

2. How does the sound of the dholak affect wrestlers in the NCERT chapter 13?

In Chapter 13 "Pahelwan Ki Dholak," the sound of the dholak energizes wrestlers, enhancing their performance and motivating them during competitions.

3. What cultural aspects are highlighted in NCERT Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak?

Chapter 13 "Pahelwan Ki Dholak" highlights the cultural importance of wrestling as a tradition that brings communities together and fosters a sense of identity.

4. What emotions are evoked through the narrative in NCERT Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak?

The narrative in Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak evokes emotions of resilience, excitement, and community spirit, showcasing the dedication of wrestlers.

5. What can students learn about traditional sports from Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak?

Students can learn about the significance of traditional sports like wrestling, their cultural roots, and the values of teamwork and perseverance from Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak.

6. How does NCERT Solutions of chapter 13 reflect community spirit?

The chapter reflects community spirit by illustrating how wrestling events bring people together, promoting unity and celebration within the community.

7. What role does music play in the wrestling events described in Chapter 13 of Pahelwan Ki Dholak?

Music, particularly the dholak, plays a crucial role in energizing the atmosphere during wrestling events, motivating participants, and engaging the audience.

8. What insights does Chapter 13 of Pahelwan Ki Dholak provide about rural life?

Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak provides insights into the importance of traditional practices in rural life, highlighting the social and cultural significance of wrestling.

9. How can the themes of Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak be applied in real life?

The themes of Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak can be applied in real life by recognizing the value of cultural traditions, community support, and the role of music in enhancing experiences.

10. What discussions can arise from reading NCERT Chapter 13 Pahelwan Ki Dholak?

Discussions can arise about the relevance of traditional sports today, the importance of cultural heritage, and how music can influence motivation and emotions in competitive settings.