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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 15: Shram Vibhajan Aur Jati Pratha (Aroh)

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 15 Hindi - FREE PDF Download

Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha in NCERT Solutions for Class 12 Hindi explores the relationship between caste systems and labour division in society. The chapter discusses how caste is not just a social construct, but a system that perpetuates inequality and restricts individuals' freedom to choose their professions. Dr. B.R. Ambedkar’s thoughts on caste discrimination and social justice are highlighted, emphasising the need for equality and the eradication of caste-based discrimination. Through critical analysis and engaging discussions, this chapter invites students to reflect on the social implications of caste and labour division in contemporary society.


Our solutions for Class 12 Hindi Aroh NCERT Solutions PDF breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 15. 


Glance on Class 12 Hindi (Aroh) Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha

  • Chapter 15 examines the impact of caste systems on labour division in society.

  • It highlights Dr. B.R. Ambedkar’s views on the consequences of caste discrimination.

  • The text emphasises the lack of freedom individuals have in choosing their professions due to caste.

  • This chapter encourages critical thinking about social justice and equality.

  • Chapter 15 promotes discussions on contemporary issues related to caste and labour.

Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha

प्रश्न 1. जाति प्रथा को श्रण-विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडर के क्या तर्क हैं?

उत्तर:  जाति प्रथा को श्रण-विभाजन का ही एक रूप न मानने के पीछे आंबेडर के निम्नलिखत तर्क दिए हैं: 

1. हमारे समाज में श्रम-विभाजन व्यक्ति की पसंद पर आधारित नहीं है।

2. मनुष्य के जन्म से पहले ही उसका काम उसकी जाति देखकर निर्धारित कर लिया जाता है।

3. हमारे समाज में मनुष्य की क्षमताओं का कोई महत्व नहीं है।

4. व्यक्ति को अपनी रुचि का काम चुनने या करने की आजादी नहीं है।

5. यदि एक व्यक्ति के पेशे में कुछ दिक्कत आ जाए या उसका काम ठप पड़ जाए तो भी वह अपना पेशा नहीं बदल सकता है। हमारा समाज उसे यह स्वतंत्रता नहीं देता है।

 

प्रश्न 2. जाति प्रथा भारतीय समाज में बेरोजगारी व भूखमरी का भी एक कारण कैसे बनती जा रही है? क्या यह स्थिती आज भी है?

उत्तर: जाति-व्यवस्था के अंतर्गत व्यक्ति के पेशे का चुनाव उसके जन्म से पहले ही उसकी जाति के आधार पर निर्धारित कर लिया जाता है और उसे यह पेशा बदलने की भी अनुमति नहीं दी जाती है। पेशे के ठप पद पड़ने पर वह भूख से मर सकता है परन्तु काम को बदल नहीं सकता। कुछ पेशे तो ठीक-ठाक होते हैं अपितु कुछ किसी काम के नहीं होते अर्थात उनसे पेट भरने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। ब्राह्मण जाति के लोगों को पूजा पाठ करने का अधिकार होता है और यही उनका पेशा भी था। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय जाति को युद्ध के समय राजा की सेना में नौकरी मिलती थी। वैश्य जाती के लोगों को व्यवसाय करने की अनुमति थी। ब्राह्मण, क्षेत्रीय और वैश्य जाति के लोगों को उच्च श्रेणी में रखा जाता था। लोहार, बढ़ई, टान्नर, धनाई, कुम्हार, कसाई आदि यह सभी काम निम्न श्रेणी के लोगों का काम था। यह सभी कार्य करने वालों को कोई अन्य कार्य करने की अनुमति नहीं थी तथा इन लोगों को नीच लोग कहा जाता था। इन व्यवसायों को करने वाले लोगों को हमेशा तनख़ा नहीं मिलती थी और मिलती थी तो भी वह बहुत कम होती थी। इन्हें जरूरत पड़ने पर ही काम मिलता था। बाकी समय यह बिना काम के ही रहते थे और इनके पास खाने के लिए पैसे भी नहीं बचते थे। आज के समय में इनके हालात भिन्न है अब सभी को उनकी योग्यता के आधार पर नौकरी मिलती है ना कि उनके जाति के आधार पर। सभी को अपनी शिक्षा चुनने का अधिकार मिलता है। शिक्षा की वजह से ही आज समाज में बदलाव आया है।


प्रश्न 3. लेखक के मत से ‘दासता’ की व्यापक परिभाषा क्या है?

उत्तर: लेखक के अनुसार जाति-व्यवस्था में व्यक्ति को पेशा चुनने की स्वतंत्रता नहीं होती है, यह एक दुखद दृश्य है। इस व्यवस्था के चलते मनुष्य अलग-अलग वर्गों में बँट गया और उसे कष्टों भरा जीवन व्यतीत करना पड़ा। लेखक मानता है कि दासता को खत्म करना बस कानून के हाथ ने नहीं था बल्कि लोगों की सोच भी वैसी ही थी। दासता के अन्तर्गत निम्न श्रेणी के लोगों को उच्च स्तर के लोगों के आदेशों का पालन करना होता था, वह उनके पेशे को भी निर्धारित करते थे। निम्न श्रेणी के लोगों को अपना पेशा चुनने का कोई अधिकार नहीं था, वह बस उच्च स्तर के लोगों की गुलामी किया करते थे। इसे ही लेखक ‘दासता’ की संज्ञा देते है।


प्रश्न 4. शारीरिक वंश-परंपरा और सामाजिक उत्तराधिकार की दृष्टि से मनुष्यों में असमानता संभावित रहने के बावजूद अंबेडकर ‘समता’ के एक व्यवहार्य सिद्धांत मानने का आग्रह क्यों करते हैं? इसके पीछे उनके क्या तर्क हैं? 

उत्तर: हर मनुष्य को समाज में पूरा अधिकार है चाहे वो किसी भी जाति या धर्म का हो। हर व्यक्ति के साथ समाज में समान रूप से व्यवहार करना चाहिए। ऐसा करने से हम समाज को एक बेहतर समाज बनाने का काम करते हैं। अंबेडकर के अनुसार भले ही समाज में गरीब और अमीर हैं परन्तु इससे उनके बीच कोई अंतर नहीं करना चाहिए। सबके प्रति समान व्यवहार करना मनुष्य के लिए एक समान्य सी बात होनी चाहिए, इसमें कोई संदेह नहीं है। सभी को समान शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए जिससे वह अपनी क्षमता को अपने अनुसार बढ़ा सके। हर मनुष्य को अपने पसंद का व्यवसाय चुनने का अधिकार भी होना चाहिए।

 

प्रश्न 5. सही में अम्बेडकर ने भावनात्मक समत्व की मानवीय दृष्टि के तहत जातिवाद का उन्मूलन चाहा है, जिसका प्रतिष्ठा के लिए भौतिक स्थितियों और जीवन-सुविधाओं का तर्क दिया गया है। क्या इससे आप सहमत हैं?

उत्तर: हाँ, हम अम्बेडकर जी की बात से सहमत हैं क्योंकि उन्होंने भावनात्मक समत्व की मानवीय दृष्टि के तहत जातिवाद का उन्मूलन चाहा है। समाज में भावनात्मक समत्व लाने के लिए समान रूप से भौतिक सुविधाएं उलब्ध करानी होंगी। समाज में जाति-प्रथा समाप्त करने के लिए समता ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। मनुष्यों को समान अवसर मिलेगा तभी वह अपनी बात रखने में समर्थ होंगे और उनकी परेशानियों को सुना जा सकेगा।

 

प्रश्न 6. आदर्श समाज के तीन तत्वों में से एक ‘भातृता’ को रखकर लेखक ने अपने आदर्श समाज में स्त्रियों को भी सम्मिलित किया है अथवा नहीं? आप इस ‘भातृता’ शब्द से कहाँ तक सहमत हैं? यदि नहीं तो आप क्या शब्द उचित समझेंगें/ समझेंगीं?

उत्तर: लेखक के अनुसार स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व एक आदर्श समाज के लिए महत्वपूर्ण तत्व हैं परन्तु उन्हेंने आदर्श समाज ने महिलाओं को सम्मिलित नहीं किया। ‘भातृता’ शब्द गलत नहीं है परन्तु इसका उपयोग सीमित है इसलिए इसके अर्थ को समझना आवश्यक हो जाता है। ‘भातृता’ शब्द का अर्थ भाईचारा होता है अर्थात सभी को भाई के रूप में देखना और उनके साथ वैसा ही व्यवहार करना लेकिन इस लेख में यह जाति के भेदभाव को खत्म करने के लिए किया जा रहा है और जातियों में तो महिलाएं भी आती हैं। लैंगिक भेदभाव को लेकर अलग लड़ाई चल रही है जिसमें अम्बेडकर शामिल नहीं थे।

पाठ के आसपास

प्रश्न 1. आंबेडकर ने जाति प्रथा के भीतर पेशे के मामले में लचीलापन न होने की जो बात की है-उस संदर्भ में शेखर जोशी की कहानी ‘गलता लोहा’ पर पुनर्विचार कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी इस पाठ को पढ़ें।


प्रश्न 2. कार्य कुशलता पर जाति प्रथा का प्रभाव विषय पर समूह में चर्चा कीजिए। चर्चा के दौरान उभरने वाले बिंदुओं को लिपिबद्ध कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।


इन्हें भी जानें

आंबेडकर की पुस्तक जातिभेद का उच्छेद और इस विषय में गांधी जी के साथ उनके संवाद की जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।


हिंद स्वराज नामक पुस्तक में गांधी जी ने कैसे आदर्श समाज की कल्पना की है, उसे भी पढ़ें।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha

  • Understanding the link between caste systems and labor division in society.

  • Analysing Dr. B.R. Ambedkar’s contributions to discussions on caste discrimination.

  • Recognising the importance of social equality and justice.

  • Reflecting on personal beliefs and societal norms regarding caste.

  • Developing awareness of the implications of caste on contemporary social structures.

  • Constant Fighting and struggles for the rights of equality among the people. 


Benefits of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 15 

  • Class 12 Chapter 15 Hindi NCERT Solutions provides detailed explanations and answers for all chapters, ensuring that students grasp the complete syllabus effectively.

  • The solutions are designed according to the NCERT curriculum, making them ideal for exam preparation and ensuring that all important topics are covered.

  • The solutions break down complex concepts into simpler terms, making it easier for students to understand difficult topics and themes.

  • By studying the solutions, students can learn how to articulate their thoughts better and improve their writing skills in Hindi.

  • NCERT Solutions include various types of questions, helping students to practice effectively and prepare thoroughly for their exams.


Important Study Material Links for Hindi Class 12 Chapter 15  Shram Vibhajan Aur Jati Pratha  (Aroh)



Conclusion

Class 12 Hindi Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha serves as a crucial examination of how caste impacts labour and social dynamics. By studying this chapter, students gain insight into the historical and contemporary relevance of caste discrimination and the ongoing struggle for equality and justice. The NCERT Solutions provided in this PDF will help reinforce understanding and encourage thoughtful discussions on these important issues.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 15: Shram Vibhajan Aur Jati Pratha (Aroh)

1. What is the main theme of Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha in NCERT Solutions?

The main theme of Chapter 15 "Shram Vibhajan Aur Jati Pratha" is the exploration of the relationship between caste systems and labor division in society. Students can visit and download other important study materials beneficial for last-minute exam preparations.

2. What are Dr. B.R. Ambedkar’s views on caste discrimination in NCERT Chapter 15?

Dr. B.R. Ambedkar’s views in Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha emphasise the need for social justice and equality, condemning the effects of caste discrimination.

3. How does caste affect an individual's profession according to Chapter 15 "Shram Vibhajan Aur Jati Pratha"?

According to NCERT Solutions of Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha, caste determines an individual's profession, restricting their freedom to choose work based on personal interest or ability.

4. What implications does NCERT Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha highlight regarding social equality?

Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha highlights the importance of achieving social equality and the need to eradicate caste-based discrimination in society. For a better understanding of the chapter students can download the NCERT Solutions of chapter 15 to score high in exams.

5. How can students apply the lessons from Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha in real life?

Students can apply the lessons from Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha by promoting social awareness, advocating for equality, and challenging caste-based discrimination in their communities.

6. What critical discussions are encouraged in NCERT Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha?

Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha encourages discussions on the relevance of caste in contemporary society and the implications of labour division on social dynamics.

7. How does the Class 12 Hindi chapter 15 connect historical context to contemporary issues?

The chapter connects historical context to contemporary issues by examining how caste discrimination has persisted and evolved, affecting social structures today.

8. What role does education play in addressing issues discussed in NCERT Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha?

Education plays a vital role in addressing issues discussed in Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha by enhancing critical thinking, awareness, and the promotion of social equality.

9. What insights can students gain from Dr. B.R. Ambedkar’s perspectives in chapter 15 of Class 12 Hindi?

Students can gain insights into the necessity of social reform, the impact of caste systems, and the importance of advocating for justice and equality from Dr. B.R. Ambedkar’s perspectives.

10. How does NCERT Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha enhance reading comprehension skills?

Chapter 15 Shram Vibhajan Aur Jati Pratha enhances reading comprehension skills by encouraging students to analyze themes, interpret concepts, and engage critically with the text.