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NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1: Dukh Ka Adhikar (दुख का अधिकार)

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NCERT Solutions for Hindi Class 9 Chapter 1 Dukh Ka Adhikar - FREE PDF Download

Explore the NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 Dukh Ka Adhikar. This resource helps students understand the chapter better. It includes clear explanations, summaries, and answers to NCERT questions according to the Latest CBSE Class 9 Hindi Syllabus. The chapter tells the story of a bus journey, making it relatable and enjoyable for students. By downloading this FREE PDF, students can get the help they need to study and prepare for their exams effectively.

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Table of Content
1. NCERT Solutions for Hindi Class 9 Chapter 1 Dukh Ka Adhikar - FREE PDF Download
2. Glance on Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 - Dukh Ka Adhikar (दुख का अधिकार)
3. Access NCERT Solutions for Dukh Ka Adhikar Class 9 PDF
    3.1निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियां में लिखें:
    3.2निम्नालिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:
    3.3निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:
    3.4निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:
    3.5भाषा-अध्ययन:
4. NCERT Solutions for class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar - A Summary
5. Benefits of NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 Dukh Ka Adhikar
6. Important Study Material Links for Class 9 Hindi - Sparsh Chapter 1
7. NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh PDF Download
8. NCERT Class 9 Hindi Other Books Solutions
9. Study Material for Class 9 Hindi:
FAQs


This guide provides easy-to-understand answers and key points that simplify learning. It is designed for students to grasp the main ideas of the chapter without difficulty. With these NCERT Solutions Class 9 Hindi Sparsh, students can practise and improve their skills in Hindi. Don't miss the chance to download this valuable resource for FREE and enhance your learning experience.


Glance on Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 - Dukh Ka Adhikar (दुख का अधिकार)

Chapter 1, "Dukh Ka Adhikar," addresses profound themes of sorrow, pain, and the human experience. Here’s a brief overview of the chapter:


  • Exploration of Suffering: The chapter delves into the nature of suffering, emphasising that experiencing pain is a fundamental part of life and a right that everyone holds.

  • Personal Narratives: These include personal anecdotes and reflections that highlight the emotional struggles faced by individuals, illustrating how pain can shape one’s identity and perspective.

  • Philosophical Insights: The text offers philosophical insights into the reasons behind suffering, encouraging readers to reflect on its inevitability and the lessons it imparts.

  • Empathy and Understanding: The chapter promotes empathy, urging readers to acknowledge and validate the suffering of others as a shared human experience.

  • Cultural Context: It contextualises the discussion within cultural and social frameworks, exploring how different societies perceive and handle suffering.

  • Encouragement for Resilience: Ultimately, the chapter encourages resilience, suggesting that while suffering is a part of life, it also leads to growth and deeper understanding.

Access NCERT Solutions for Dukh Ka Adhikar Class 9 PDF

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियां में लिखें:

1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देख कर हमें क्या पता चलता है?

उत्तर: किसी व्यक्ति की पोशाक को देख कर हमें समाज में उसकी हैसियत वह उसके अधिकारों की अनुभूति होती है, अथवा वह अमीर या गरीब है इसकी पहचान होती है।

 

2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था?

उत्तर: उसके पुत्र के देहांत की वजह से कोई उससे खरबूज़े नहीं खरीद रहे था।

 

3. स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?

उत्तर: स्त्री को देखकर लेखक का मन परेशान हो गया। उनके मन में उसके प्रति दया की भावना का उजागर हुआ।


4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का क्या कारण था?

उत्तर: उस स्त्री का बेटा एक दिन मुँह - अँधेरे खेत में से बेलों  से खरबूज़े चुन रहा था कि गिली मिट्टी की शीतलता में आराम करते हुए सांप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उसके बेटे को डँस लिया।ओझा के झाड़- फूँक आदि का उस पर कोई असर न हुआ और उसका देहांत हो गया।


5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता ?

उत्तर: बुढ़ियाके बेटे का देहांत हो गया था इसलिए बुढ़िया के उधार लिए गए पैसे वापस करने की सम्भावना नहीं थी। कारणवश बुढ़िया को कोई उधार नहीं देता था।


प्रश्न - अभ्यास लिखिए:

निम्नालिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए:

6. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?

उत्तर: मनुष्य के जीवन में पोशाक का सर्वाधिक महत्त्व है। पोशाक ही मनुष्य का समाज में दर्जा अथवा अधिकार निर्धारित करती है। पोशाक ही व्यक्ति को ऊँच - नीच की श्रेणी में वर्गीकृत करती है। बहुत बार अच्छी  पोशाकें व्यक्ति की किस्मत के बंद दरवाज़े खोल देती है, सम्मान दिलाती  है।

 

7. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है? 

उत्तर: जब हमारे सामने कोई ऐसी स्थिति आती है की हमें किसी दुःखी व्यक्ति के साथ सांत्वना प्रकट करनी होती है , लेकिन उसे छोटा समझ कर उससे बात करने में हिचकिचाते हैं। उसके साथ सान्त्वना तक प्रकट नहीं कर पाते। हमारी पोशाक उसके करीब जाने में तब बंधन और अड़चन बन जाती है।


8. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया? 

उत्तर: वह स्त्रीसिर को घुटनों पर टिकाए हुए फफक-फफक कर रो रही थी। उसके बेटे की मृत्यु की वजह से लोग उससे खरबूज़े नहीं ले रहे थे। उसे बुरा भला कह रहे थे। उस स्त्री को देखकर लेखक का मन चिंतित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सांत्वना की भावना जागृत हुई थी। परन्तु लेखक उस स्त्री के रोने का कारण नहीं जान पाया क्योंकि उनकी पोशाक रूकावट बन गई थी।


9. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

उत्तर: भगवाना की शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन थी। वह उसमें ख़रबूज़े बो कर अपने परिवार का निर्वाह करता था। खरबूजे की डालियों को बाज़ार  तक स्वयं पहुँचा कर वह खुद सौदे के पास बैठ जाता था।


10. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?

उत्तर: बुढ़िया अपने बेटे के देहांत शोक तो जताना चाहती थी लेकिन उसके घर की स्थिति उसे ऐसा करने नहीं दे रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण है धन की कमी। उसके बेटे भगवाना के बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। यदि उसके पास धन होता , तो वह कभी भी सूतक में खरबूजे बेचने बाज़ार नहीं जाती।


11. बुढ़िया के दुःख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

उत्तर: लेखक के घर से निकट में एक संभ्रांत महिला रहती थी। उसके बेटे का भी देहांत हो गया था और बुढ़िया के बेटे का भी देहांत हो गया था ,लेकिन दोनों के शोक मनाने का तरीका अलग - अलग था। धन की कमी की वजह से बेटे के देहांत के अगले ही दिन बुढ़िया को बाज़ार में खरबूजे बेचने आना पड़ता है। वह घर बैठकर रो नहीं सकती थी। मानो उसे अपना दुःख मनाने का हक़ ही न था। पड़ोस के लोग उसकी मजबूरी को अनदेखा कर, उस बुढ़िया को बुरा - भला कहते हैं। जबकि संभ्रांत महिला के पास बहुत समय था। वह ढाई महीने से बिस्तर पर थी, डॉक्टर हमेशा सिरहाने बैठा रहता था। लेखक दोनों की तुलना करना चाहता है, इसलिए उसे संभ्रांत महिला की याद आयी।


निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए:

12. बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों  में लिखिए।

उत्तर: धन की कमी की वजह से बेटे के देहांत के अगले ही रोज़ बुढ़िया को खरबूज़े बेचने बाज़ार आना पड़ता है। बाज़ार के लोग उसकी परिस्थिति को अनदेखा करते हुए उसे बुरा - भला कहते हैं , कोई घृणा से देखकर बातें कह रहा था , कोई उसकी नीयत को कोस रहा था , कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता , कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं है , दूकान वाला कहता यह धर्म ईमान बिगाड़कर अधर्म फैला रही है। इसका खरबूज़े बेचना सामाजिक रूप से गलत है। इन दिनों उसका सामान कोई भी छूना तक नहीं चाहता था।


13. पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?

उत्तर:  पास - पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को जानकारी मिली की उसका 23 वर्षीय एक जवान बेटा भी था। घर में उसकी बहू व पोता - पोती भी हैं। बेटा शहर के पास डेढ़ बीघा ज़मीन पर खेती करके निर्वाह करता था। खरबूजों की डलियों को बाज़ार में पहूँचा कर ,कभी लड़का खुद सौदे के पास बैठ जाता था ,तो कभी उसकी माँ बैठ जाती थी। परसों मुँह - अँधेरे खेत में से बेलों  से खरबूज़े चुन रहा था कि गिली मिट्टी की शीतलता में आराम करते हुए सांप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उसके बेटे को डँस लिया।ओझा के झाड़- फूँक आदि का उस पर कोई असर न हुआ और उसका देहांत हो गया।


14. लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?

उत्तर: लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने वह सभी उपाय किए जो वह कर सकती थी। वह परेशान सी हो गयी। झाड़ - फूँक करवाने के लिए ओझा को ले आयी , सांप का ज़हर निकल जाए इसलिए नाग देवता की भी पूजा की , घर में जितना आटा अनाज था वह ओझा को दे दिया लेकिन दुर्भाग्य से बेटे को नहीं बचा सकी।


15. लेखक ने बुढ़िया के दुःख का अंदाज़ा कैसे लगाया?

उत्तर: लेखक उस पुत्र - वियोगिनी के दुःख का अंदाज़ा लगाने के लिए बीते वर्ष अपने पड़ोस में पुत्रकी मृत्यु से दुःखी माता की बात सोचने लगा। वह संभ्रांत महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी।उन्हें पंद्रह-पंद्रह मिनट बाद पुत्र-वियोग के कारण बेहोश हो जाती थी। दो-दो डॉक्टर हरदम पास बैठे रहते थे।पूरे शहर के व्यक्तियों का मनपुत्र शोक से द्रवित हो उठा।


16. इस पाठ का शीर्षक ‘दुःख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कहानी में बुढ़िया के विषय में बताया गया है। धन की कमी से बेटे का देहांत के अगले दिन ही बुढ़िया कोखरबूजे बेचने बाज़ार जाना पड़ता है। बाज़ार के लोग उसकी स्थिति को अनदेखा करते हुए ,उस बुढ़िया को बहुत ही बुरा - भला कहते हैं ,कोई घृणा सेथूककर बेहया कह रहा था तो कोई उसकी नीयत को कोस रहा था तो कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली बोलता , कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई महत्व ही नहीं है ,। दुकान वाला कहता कि यह धर्म ईमान बिगाड़कर अधर्म मचा रही है। इसका खरबूजे बेचना समाज के लिए एक अपराध है। इन दिनों कोई भी उसे खरबूजे छूना भी नहीं चाहता था। अगर उसके पास धन होता तो वह कभी भी सूतक में सौदा बेचने बाज़ार नहीं जाती।दूसरी तरफ लेखक के पड़ोस में एक संभ्रांत महिला रहते थी , जिसके बेटे का देहांत हो गया था। उस महिला के पास शोक मनाने के लिए बहुत समय था। वह ढाई महीने से बिस्तर पर थी , और डॉक्टर हमेशा सिरहाने ही बैठा रहता था। लेकिन दोनों की तुलना करना चाहता था। इस कहानी से यह साफ है कि दुख मनाने का अधिकार भी उन्हीं के पास है जिनके पास धन हो। गरीब लोग अपना दुख अपने मन में ही रखते हैं। वह इसे जता नहीं पाते। इसलिए गद्यांश का शीर्षक ` दुख का अधिकार `सार्थक है।


निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए:

17. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।

उत्तर: यह कहानी समाज में फैले अंधविश्वास और ऊँच-नीच के बीच के भेदभाव को उजागर करती है। यह कहानी अमीरों के अमानवीय व्यवहार को दर्शाती है। गरीबों की लाचारी को दर्शाती है। मनुष्य की वेशभूषा होने अलग-अलग भागों में बांटती है। प्रायः वेशभूषा ही मनुष्य को समाज में उसके कार्य और दर्जा निश्चित कराती है। वह हमारे लिए बहुत से 1 दरवाजे खोल देती है, लेकिनकभी ऐसी स्थिति आ जाती है , कि हम जरा नीचे झुक कर समाज की निचली जातियों की अनुभूति समझना चाहते हैं। उस समय यही वेशभूषा उनका बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे हवा की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा जमीन पर गिरने नहीं देती , उसी तरह अलग-अलग स्थितियों में हमारी वेशभूषा हमें झुकने नहीं देती।


18. इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।

उत्तर: समाज में रहते हुए सभी व्यक्तियों को नियमों, कानूनों व परंपराओं का पालन करना पड़ता है। रोजमर्रा की जरूरतों से अधिक महत्व जीवन के मूल्यों को दिया जाता है। यह वाक्य गरीबों पर एक गहरा तंज है। गरीबों को अपने भूख के लिए धन कमाने रोज ही जाना पड़ता है , भले ही घर में मृत्यु ही क्यों ना हो गई हो। लेकिन कहने वाले सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है , रिश्ते नातों का इनके लिए कोई महत्व ही नहीं है।


19. शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और... दुःखी होने का भी एक अधिकार होता है।

उत्तर: यह तंज अमीरी पर है , क्योंकि समाज में अमीरों के पास शोक मनाने का समय और सुविधा दोनों ही है। इसी कारण वह शोक मनाने का दिखावा भी कर पाता है उसे अपना अधिकार समझता है। शोक करने , दुख मनाने की सहूलियत भी चाहिए। दुख में मातम हर व्यक्ति मनाना चाहता है चाहे वह अमीर हो या गरीब। अंतः गरीब विवश होता है। वह रोजी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास शोक मनाने का न ही वक्त होता है और न ही सुविधा। इसी तरह गरीबों को रोटी कमाने की उलझन दुख मनाने के अधिकार से वंचित रखती है।


भाषा-अध्ययन:

20. निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो:

(क) कङ्घा, पतङ्ग, चञ्चल, ठण्डा, सम्बन्ध।

(ख) कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।

(ग) अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।

(घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।

(ङ) अँधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।

ध्यान दो कि ङ्, ञ्, ण्, न् और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखी- इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा; जैसे- अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्णों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है; जैसे- संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ङ्’।


( ं ) यह चिह्न है अनुस्वार का और ( ँ ) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।

उत्तर: इस प्रश्न के उत्तर के रूप में आपको दिए गए अध्ययन अनुच्छेद का उच्चारण करना है।

निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो:

(क) कङ्घा, पतङ्ग, चञ्चल, ठण्डा, सम्बन्ध।

(ख) कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।

(ग) अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।

(घ) संशय, संसद, संरचना, संवाद, संहार।

(ङ) अँधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।

ध्यान दो कि ङ्, ञ्, ण्, न् और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं- इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोगनहीं होगा; जैसे- अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्णों में से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है; जैसे- संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में ‘ङ्’।


( ं ) यह चिह्न है अनुस्वार का और ( ँ ) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।


21. निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए:

ईमान ....................

बदन ....................

अंदाज़ा ....................

बेचैनी ....................

गम ....................

दर्ज़ा ....................

ज़मीन ....................

ज़माना ....................

बरकत ....................

उत्तर: ईमान - धर्म , विश्वास

बदन - शरीर , काया 

अंदाज़ा - अनुमान , आकलन 

बेचैनी - व्याकुलता , अकुलाहट 

गम - दुःख , पीढ़ा 

दर्ज़ा - श्रेणी , पदवी 

ज़मीन - पृथ्वी , धरा

ज़माना - युग , काल

बरकत - लाभ , इज़ाफा

22. निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए:

उदाहरण: बेटा-बेटी

उत्तर: खसम - लुगाई , पोता - पोती , झाड़ना -फूँकना,

छन्नी -  ककना , दुअन्नी - चवन्नी।


23. पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए:

बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।

उत्तर

• बंद दरवाजे खोल देना - उन्नति में रुकावट के तत्व हटने सेबंद दरवाजे खुल जाते हैं।

• निर्वाह करना - परिवार की रोजी रोटी चलाना।

• भूख से बिलबिलाना - अत्यधिक भूख लगना।

• कोई चारा न होना - कोई और उपाय न होना।

• शोक से द्रवित हो जाना - अन्य लोगों का दुःख देख भाव विभोर हो जाना।


24.  निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:

(क) छन्नी-ककना अढ़ाई-मास पास-पड़ोस

दुअन्नी-चवन्नी मुँह-अँधेरे झाड़ना-फूँकना

(ख) फफक-फफककर बिलख-बिलखकर

तड़प-तड़पकर लिपट-लिपटकर

उत्तर: (क)

1. छन्नी-ककना - गरीब महिला ने अपना छन्नी-ककना बेचकर बच्चों को पढ़ाया - लिखाया।

2. अढ़ाई-मास - वह कश्मीर अढ़ाई-मास के लिए गया है।

3. पास-पड़ोस - दुःख - सुख के सच्चे साथी पास-पड़ोस के लोग ही होते हैं।

4. दुअन्नी-चवन्नी - आजकल दुअन्नी-चवन्नी का कोई महत्व ही नहीं है।

5. मुँह-अँधेरे - वह मुँह-अँधेरे ही काम पे चला जाता है।

6. झाड़ना-फूँकना - आज के ज़माने में भी कई लोग झाड़ने - फूँकने पर विश्वास करते हैं।

(ख) 

1. फफक-फफककर - भूख के कारण लोग फफक-फफककर रो रहे हैं।

2. बिलख-बिलखकर - अपने पुत्र की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।

3. तड़प-तड़पकर - अंधविश्वास और ईलाज न होने की वजह से सांप के काटे जाने पर लोग तड़प-तड़पकर मर जाते

हैं।

4. लिपट-लिपटकर - कई दिनोंबाद सहेलियां लिपट-लिपटकर मिलीं।


25. निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़ि़ए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए:

(क)   1. लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।

2. उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।

3. चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।

(ख)  1. अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है।

2. भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।

उत्तर: (क)

1. बच्चे नींद से उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।

2. आज मां का जन्मदिन है तो उपहार लाना ही होगा।

3. मां सोहन को पढ़ाना चाहती थी, चाहे उसके हाथ के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाए।

(ख) 

1. जो जैसा करता है, वैसा ही भरता है।

2. बीमार श्याम जो एक बार शांत हुआ तो फिर न बोला।


NCERT Solutions for class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar - A Summary

Class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar is a story written by Yashpal. The author is best known for his social commentary through his writings. The story “Dukh Ka Adhikar” is also a social commentary on the dichotomy between the rich and the poor.


The story depicts the pain and grief of losing a child while also depicting the difference in how different classes of society mourn the departure of a loved one. The author writes about how the right to mourn or perhaps the privilege of mourning is reserved for the privileged strata of society.


The story depicts how an old woman who lost her son is forced to sell watermelons on the very next day of her son’s death. And how she is criticised for her actions by society. The narrator ends the story with the harsh realisation that society only allows the privileged the right to grieve, in other words, grief is a privilege enjoyed by the lesser.


The story also depicts the moral dilemma of the writer who wants to console and help the poor lady selling watermelons but cannot do so as he is from the upper class. The story is a captivating narration of the troubles and dilemmas of the writer while commenting on the social structure and prejudices.


Benefits of NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 Dukh Ka Adhikar

Here are a few points that explain the Advantages of NCERT Solutions for Class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar:


  1. Comprehensive Coverage: Provides thorough coverage of the chapter's content, including summaries and explanations.

  2. Aligned with CBSE Curriculum: Ensures content relevance and adherence to CBSE guidelines.

  3. Clarity and Understanding: Offers clear explanations for better comprehension and retention.

  4. Practice and Revision: Offers ample practice opportunities for effective learning and revision.

  5. Accessible and Convenient: Easily accessible in PDF format for flexible and convenient studying.


NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1 Dukh Ka Adhikar serves as a crucial resource for students seeking to deepen their understanding of this poignant text. The chapter explores the theme of suffering and the inherent rights individuals have in confronting and expressing their pain. By engaging with the detailed solutions provided, students can clarify their doubts, grasp key concepts, and appreciate the emotional depth of the narrative. Ultimately, utilising these resources develops a greater appreciation for literature and the powerful messages it conveys, equipping students for academic success and personal growth.


Important Study Material Links for Class 9 Hindi - Sparsh Chapter 1

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1

Class 9 Dukh Ka Adhikar Notes

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh PDF Download

Apart from the Dukh Ka Adhikar Class 9 PDF of NCERT Solutions, all the other chapters' solutions are available on Vedantu so that you can download them easily and use them for revision of the entire syllabus and score more marks in the final examinations.




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FAQs on NCERT Solutions for Class 9 Hindi (Sparsh) Chapter 1: Dukh Ka Adhikar (दुख का अधिकार)

1. What is the significance of Class 9 Hindi Chapter 1 Dukh Ka Adhikar?

Class 9 dukh ka adhikar is a thought-provoking poem by Girija Kumar Mathur that delves into the concept of the right to sorrow. It explores the idea that every individual has the right to express and acknowledge their sorrows without any inhibition.

2. How can NCERT Solutions for "Dukh Ka Adhikar" aid in my understanding of the poem?

NCERT Solutions provide a detailed analysis of the poem, including explanations of difficult words, summaries of each stanza, and insights into the themes and emotions conveyed by the poet. They serve as a comprehensive guide to understanding the nuances of the poem.

3. Are NCERT Solutions available for FREE download?

Yes, NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1, "Dukh Ka Adhikar," can be downloaded for FREE in PDF format from Vedantu’s website.

4. How can I use NCERT Solutions effectively for exam preparation?

You can use NCERT Solutions to practise answering questions based on the poem, revise key concepts, and enhance your comprehension skills. Additionally, you can refer to the solutions to clarify any doubts or queries you may have regarding the poem.

5. Are there any sample questions provided in the NCERT Solutions?

Yes, NCERT Solutions include sample questions and answers that cover important aspects of the poem, such as theme analysis, character sketches, and critical appreciation.

6. Can NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 Dukh Ka Adhikar help improve my Hindi language skills?

Absolutely! By engaging with the poem and its analysis provided in the solutions, you can enhance your vocabulary, comprehension, and interpretation skills in Hindi literature.

7. What are some common themes explored in Class 9 dukh ka adhikar?

Some common themes in the poem include the human experience of sorrow, the importance of empathy and understanding, and the acceptance of emotional vulnerability.

8. Are there any poetic devices used in the poem of Class 9 dukh ka adhikar?

Yes, the poet employs various poetic devices such as imagery, metaphors, similes, and personification to convey the depth of emotions and create vivid imagery throughout the poem.

9. How can I analyse the structure of the poem with the help of NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 Dukh Ka Adhikar?

NCERT Solutions provides a breakdown of the poem's structure, including its rhyme scheme, stanza formation, and overall organisation, allowing for a comprehensive analysis of its poetic elements.

10. Are there any real-life examples that resonate with the themes of Class 9 dukh ka adhikar?

Yes, you can draw parallels between the themes of the poem and real-life experiences of individuals facing sorrow, loss, or adversity, making the poem relatable and impactful.