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Saankhiyaan Evam Sabad (साखियाँ एवं सबद) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 7

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Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 7 साखियाँ एवं सबद (कबीर) Class 9 - FREE PDF Download

Vedantu provides Hindi Kshitij Important Questions for Chapter 7, 'साखियाँ एवं सबद.' The stories and hymns of the mystic saint Kabir are referenced in Sakhiyan and Sabad by Kabir. Kabir's life stories, known as Sakhiyan, demonstrate his wisdom, disdain of religious rites, and conviction that one might discover God within oneself. His teachings strongly emphasize that genuine spirituality is founded on love and inner dedication and goes beyond religious designations. Sabads are lyrical hymns that critique materialism and pointless rituals while expressing deep spiritual insights. 


In contrast to outward manifestations of devotion, Kabir's words exhort followers to pursue truth, humility, and inner transformation to establish a direct relationship with the divine. Download the FREE PDF to access CBSE Class 9 Hindi Kshitij Important Questions and make sure that every section of the CBSE Class 9 Hindi Syllabus is thoroughly covered.

Access Class 9 Hindi Chapter 7: Saankhiyaan evam Sabad (साखियाँ एवं सबद) Important Questions

Short Answer Questions

1. कबीर के अनुसार हंसों की तरह जीवन का क्या संदेश है?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि जैसे हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुनते हैं, वैसे ही इंसान भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है और उसे ही सच्चाई मानने लगता है।

2. कबीर प्रेमी के बारे में क्या कहते हैं?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि प्रेमी (ईश्वर) को ढूंढना बहुत मुश्किल है, लेकिन जब प्रेमी मिलता है, तो जीवन का हर कष्ट सुख में बदल जाता है।

3. कबीर ने संसार की तुलना किससे की है?
उत्तर: कबीर ने संसार की तुलना कुत्तों से की है, जो हमेशा भौंकते रहते हैं, लेकिन व्यक्ति को उन कष्टों की अनदेखी करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

4. कबीर के अनुसार सच्चा संत कौन है?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि जो व्यक्ति पक्ष और विपक्ष के झगड़ों से परे रहकर निष्पक्ष रूप से प्रभु भजन करता है, वही सच्चा संत है।

5. कबीर का उच्च कुल के बारे में क्या विचार है?
उत्तर: कबीर कहते हैं कि केवल उच्च कुल में जन्म लेने से कुछ नहीं होता, अगर कर्म अच्छे नहीं हैं तो उच्च कुल भी व्यर्थ हो जाता है।


Long Answer Questions

1. प्रश्न: कबीर जी ने "मानसरोवर सुभर जल, हंसा केलि कराहिं" में क्या संदेश दिया है?

उत्तर: कबीर जी ने इस पंक्ति में हंसों और मानसरोवर का उदाहरण देते हुए यह बताया है कि जैसे हंस मानसरोवर में खेलते हैं और मोती चुनते हैं, और उन्हे छोड़ना नहीं चाहते, वैसे ही इंसान भी जीवन के मायाजाल में बंध जाता है। वह इसे ही सच्चाई मान लेता है और इस भ्रम में फंसा रहता है। कबीर जी यह कहते हैं कि जीवन के भ्रम से बाहर निकल कर सच्चाई की खोज करनी चाहिए।


2. प्रश्न: "मोको कहाँ ढूँढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में" का अर्थ क्या है?

उत्तर: कबीर जी का कहना है कि मनुष्य ईश्वर को हर जगह ढूँढ़ता है—मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश—लेकिन असल में ईश्वर हर जगह मौजूद है। वह ना किसी स्थान विशेष में छिपा है और न ही किसी पूजा-पाठ में। यदि मनुष्य सच्ची खोज करे, तो वह ईश्वर को अपने भीतर, अपनी साँसों और आत्मा में पा सकता है। ईश्वर को बाहरी स्थानों में नहीं, बल्कि अपने भीतर खोजने की जरूरत है।


3. प्रश्न:  कबीर जी ने ज्ञान को किस रूप में प्रस्तुत किया है?

उत्तर: कबीर जी ज्ञान को आंधी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वे कहते हैं कि जैसे आंधी से कमजोर झोपड़ी की दीवारें और बंधन टूट जाते हैं, वैसे ही ज्ञान प्राप्ति से व्यक्ति के मन के भ्रम और बंधन समाप्त हो जाते हैं। जब व्यक्ति को सही ज्ञान प्राप्त होता है, तब उसके भीतर का मोह, लालच और सभी विकार समाप्त हो जाते हैं। यह ज्ञान व्यक्ति को मुक्ति की ओर अग्रसर करता है।


4. प्रश्न:  कबीर जी ने "हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि" में क्या समझाया है?

उत्तर: कबीर जी इस पंक्ति में कहते हैं कि व्यक्ति को ज्ञान रूपी हाथी की सवारी करनी चाहिए और सहज साधना रूपी गलीचा बिछाना चाहिए। संसार की तुलना कुत्तों से की गयी है, जो व्यक्ति के रास्ते में भौंकते रहते हैं। इन भौंकने वाले कष्टों और बाधाओं को नजरअंदाज करते हुए व्यक्ति को अपने ज्ञान और साधना की दिशा में आगे बढ़ते रहना चाहिए। एक दिन ये कष्ट स्वयं ही समाप्त हो जाएंगे।


5. प्रश्न: "पखापखी के कारनै, सब जग रहा भुलान" का अर्थ क्या है?

उत्तर: कबीर जी इस पंक्ति में यह बताते हैं कि संसार में लोग पक्ष और विपक्ष की लड़ाई में उलझे रहते हैं और इस झगड़े में वे प्रभु को भूल जाते हैं। जो व्यक्ति इन पक्ष और विपक्ष के विवादों में नहीं पड़ता और निष्पक्ष रूप से प्रभु का भजन करता है, वही सही मायने में संत और सच्चा मनुष्य है।


6. प्रश्न: कबीर जी ने "हिन्दू मूआ राम कहि, मुसलमान खुदाई" में क्या विचार व्यक्त किए हैं?

उत्तर: कबीर जी इस पंक्ति में यह बताते हैं कि हिन्दू और मुसलमान दोनों ही अपने-अपने धार्मिक शब्दों का जाप करते हुए मर जाते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें ईश्वर की सच्ची प्राप्ति नहीं होती। कबीर जी का कहना है कि असली जीवित व्यक्ति वही है, जो इन धार्मिक शब्दों से परे जाकर सच्चे रूप से ईश्वर को अपने अंदर पहचानता है।


7. प्रश्न: काबा, काशी, राम और रहीम का कबीर जी के दृष्टिकोण में क्या महत्व है?

उत्तर: कबीर जी कहते हैं कि काबा जाएं या काशी, राम का भजन करें या रहीम का, दोनों ही जगहों का उद्देश्य एक ही है—प्रभु का भजन करना। जैसे गेहूं को पीसने से आटा और फिर बारीक पीसने से मैदा बनता है, वैसे ही राम और रहीम के भजन का उद्देश्य भी एक ही है। दोनों ही रूपों में आप केवल प्रभु की प्राप्ति कर सकते हैं।


Value-Based Questions

1. प्रश्न: कबीर जी के अनुसार ईश्वर कहाँ है?
उत्तर: कबीर जी कहते हैं कि ईश्वर किसी विशेष स्थान पर नहीं है, वह हर व्यक्ति की साँसों, हृदय और आत्मा में मौजूद है। वह किसी मंदिर, मस्जिद या तीर्थ स्थल में नहीं मिलता, बल्कि हर कण में व्याप्त है।

2. प्रश्न: कबीर जी ने ज्ञान की महत्ता को किस रूप में बताया है?
उत्तर: कबीर जी ने ज्ञान की तुलना आंधी से की है। जैसे आंधी झोपड़ी के चारों ओर की दीवारों और बंधनों को तोड़ देती है, वैसे ही ज्ञान प्राप्ति से व्यक्ति के मन के भ्रम और बंधन टूट जाते हैं और वह स्वार्थ, मोह और विकारों से मुक्त हो जाता है।


Points to Remember from Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7: Saankhiyaan Evam Sabad 

  1. Kabir compares life to the swan playing in the pure waters of Lake Mansarovar, symbolising how humans get trapped in the illusions of life and consider them as truth.

  2. Kabir emphasises that people search for God everywhere — in temples, mosques, Kaba, and Kailash — but God is found within oneself, in every breath, and in every soul.

  3. Knowledge is compared to a strong wind that removes ignorance. When people gain true knowledge, their illusions and attachments are broken, leading them to liberation.

  4. The poet advises us to ignore the world's distractions (represented as barking dogs) and stay focused on the path of knowledge and spiritual practice.

  5. Real spirituality comes from transcending worldly debates and conflicts (the sides of "pro" and "con") and focusing on devotion to God.

  6. Ritualistic practices, such as chanting "Ram" or "Khuda," do not lead to true liberation unless they are rooted in sincere devotion. Kabir says that living beyond such rituals is the real meaning of life.

  7. Whether you go to Kaba or Kashi, or worship Ram or Rahim, the ultimate goal is the same — to realize God. The paths may differ, but they all lead to the same divine truth.

  8. Kabir criticises the notion that high birth ensures spiritual worth. Good actions and a pure heart matter more than one's family or caste.

  9. Kabir stresses that spiritual knowledge purifies the mind. Only when the mind is clear of attachments and desires can true devotion to God begin.

  10.  The key to experiencing this truth is within oneself, in every breath and action.


Benefits of Important Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7: Saankhiyaan Evam Sabad 

  • By offering a concise synopsis, important questions assist students in remembering the essential concepts and themes without having to read the entire chapter again.

  • They make exam preparation quicker and more efficient by highlighting key concepts, questions, and themes.

  • Simplified Important Questions help students retain important information and comprehend the chapter's main point.

  • Important Questions provide advice on how to formulate responses, particularly for significant exam questions.

  • Students can easily revise and cover all syllabus topics in less time with the help of succinct Important Questions.


Conclusion

In this chapter, Kabir teaches that true spirituality is found within oneself, not in external rituals or places, and it is attained through knowledge and devotion. He emphasizes that liberation comes when one transcends worldly distractions and illusions, realizing that God is present in every breath and all of life. Vedantu provides a FREE PDF of key questions from this chapter to help students understand it better and to help them prepare for tests. Top specialists and master teachers with years of experience working with the CBSE curriculum created this PDF, guaranteeing the content's correctness and applicability.


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Chapter 5 - Premchand Ke Phate Joote Questions

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Chapter 6 - Mere Bachpan Ke Din Questions

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Chapter 8 - Vaakh Questions

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Chapter 10 - Kaidi Aur Kokila Questions

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FAQs on Saankhiyaan Evam Sabad (साखियाँ एवं सबद) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 7

1. What is the central theme of Kabir's Sakhiyan?

कबीर की साखियों का केंद्रीय विषय सत्य की प्राप्ति और ईश्वर को अपने भीतर पहचानने का है। कबीर यह संकेत करते हैं कि वास्तविक आत्मिकता पूजा-पाठ, मंदिरों या मस्जिदों में नहीं मिलती, बल्कि यह आत्म-जागरूकता और आंतरिक भक्ति में पाई जाती है।

2. What does Kabir mean by the phrase "Mohe kahan dhundhe bande, main to tere paas mein"?

इस पंक्ति में कबीर हमें बताते हैं कि भगवान बाहर, मंदिरों या दूरस्थ स्थानों में नहीं हैं। बल्कि, भगवान हर व्यक्ति के भीतर, उनके दिल और आत्मा में हैं। भगवान को बाहरी रूप से ढूँढ़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह पहले से ही हमारे भीतर मौजूद हैं।

3. How does Kabir view the practice of rituals like visiting temples or mosques?

Kabir sees the practice of rituals like visiting temples, and mosques, or performing religious ceremonies as external actions that do not lead to true spiritual enlightenment. He suggests that God cannot be found in these places but within oneself, in one’s own heart and soul.

4. What message does Kabir convey through the metaphor of "Hansa ke liye mana, mukta phal mukta chugay"?

कबीर हंस (हंसा) का उपमा देते हुए जीवन में भ्रांतियों औरAttachments से बंधे व्यक्ति को वर्णित करते हैं। जैसे हंसा मोती खोजने के बाद झील छोड़ने को तैयार नहीं होता, वैसे ही मनुष्य अक्सर भौतिक दुनिया में फंसकर उसे अंतिम सत्य समझने लगता है, जबकि वह यह नहीं समझ पाता कि सत्य उसके भीतर ही है।

5. What is the significance of the line “Premi dhoondhte main phirun, premi mile na koi”?

Kabir expresses the difficulty of finding a true devotee or the true essence of love for God. Despite searching for the true lover (representing God), Kabir finds it challenging to locate him. This suggests that a true connection with God requires deep devotion and is not easy to achieve.

6. What does Kabir mean by "Jogi jugati kari santon bandhi, Nirchu chhavai na paani"?

Kabir refers to the practices of Yogis and saints, which are intended to bring the person closer to God. He emphasises that the true seeker of God transcends external practices and rituals, and only those who are free from worldly desires and deceit can truly experience the divine.

7. What is the meaning of "Hindu mooa Ram kahi, Muslim mooa Khudai"?

Kabir criticizes the blind attachment to religious labels. He explains that both Hindus and Muslims die chanting their respective religious names but without true realisation of God. True spirituality transcends religious divisions and is found in the essence of devotion, not in labels.

8. What is Kabir’s view on social status and high birth in relation to spirituality?

Kabir argues that high birth or social status does not guarantee spiritual wisdom. True spirituality is reflected in a person’s actions, thoughts, and devotion, not in their caste or social class. Even a person from a low social class can achieve spiritual realisation if they live righteously.

9. How does Kabir use the metaphor of "Mota chun maida bhaya, baithi Kabira jeem"?

Kabir uses the metaphor of wheat being ground into flour and then into fine flour (maida) to explain that regardless of the process or form, the essence remains the same. Similarly, whether one practices different forms of worship or religion, the ultimate goal is to realize the same divine truth.

10. What is the role of Shabad (the word) in Kabir's philosophy?

Shabad refers to the sacred sound or word that leads to spiritual awakening. In Kabir’s philosophy, Shabad is seen as the medium through which one can connect with the divine. By chanting or contemplating the divine word, one transcends worldly illusions and attains self-realisation and liberation.