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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 1: Devsena Ka Geet, Karneliya Ka Geet (Antra)

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NCERT Solutions for Hindi Class 12 Chapter 1 - FREE PDF Download

Class 12 Hindi NCERT Chapter 1, Devsena Ka Geet and Karneliya Ka Geet bring out two powerful narratives of emotional struggle, love, and self-realisation. In Devsena Ka Geet, the central character Devsena expresses her deep sorrow and disillusionment when her love for Skandagupta is not reciprocated. The poem reflects on themes of lost hope, the futility of unrequited love, and the inner strength to accept one's fate. Karneliya Ka Geet, on the other hand, showcases India’s cultural richness, hospitality, and compassion through Karneliya's perspective, an outsider who admires India's greatness.


Our solutions for  Class 12 Hindi Antra NCERT Solutions break the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and practise Hindi Class 12 Chapter 1.


Glance on Class 12 Hindi Chapter 1 Devsena Ka Geet, Karneliya Ka Geet (Antra)

  • Devsena Ka Geet captures the pain of unfulfilled love and lost hope.

  • Devsena's inner conflict and struggle with her emotions are central to the poem.

  • Karneliya Ka Geet highlights India’s unique cultural values and hospitality.

  • Both poems use rich symbolism and imagery to convey deeper emotional and cultural messages.

  • The themes of love, loss, and admiration for India’s culture are vividly portrayed.

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(क) देवसेना का गीत

1. “मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई”‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: ऊपर लिखित पंक्ति में कवि ने देवसेना की वेदना का परिचय दिया है। देवसेना स्कंद गुप्ता से प्रेम करती हैं पर स्कंद गुप्त देवसेना से प्रेम नहीं करते थे। जब देवसेना को इस बात का पता चलता है तो वह बहुत दुखी होती है और वह कंद गुप्त को छोड़ कर चली जाती हैं। देवसेना कहती है कि मैंने प्रेम के भ्रम में अपने जीवन भर की अभिलाषा को रूपी भिक्षा को लुटा दिया है। इस पंक्ति में कवि ने देवसेना की पीड़ा को दर्शाया है उनको भ्रम था कि स्कंद गुप्त भी उसे प्रेम करते हैं इसी भ्रम में देवसेना अपना सब कुछ लुटा कर स्कंदगुप्त  से प्रेम करती हैं। अतः मनुष्य जीवन तभी सार्थक है जब उसके जीवन में कोई उमंग हो। नहीं तो मनुष्य का जीवन निरर्थक हो जाता है देवसेना के जीवन में अब कोई आभिलाषा नहीं है।

 

2. कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?

उत्तर: आशा में मनुष्य बावला हो जाता है और आशा से मनुष्य को शक्ति मिलती है। प्रेम में तो आशा बहुत ही बावली होती है। वह जिसे प्रेम करता है उसके प्रति हजारों सपने बुनता है फिर उस का प्रेमी उस से प्यार करें या ना करें तो वह आशा के सहारे सपनों में तैरता रहता है। जब देव सेना ने स्कंद गुप्त से प्रेम की आशा में उसके साथ अपने जीवन के सपने बुने तो वह आशा में इतना डूब चुकी थी कि उन्हें वास्तविकता का ज्ञान ही नहीं था। यही कारण है कि आशा बावली होती है।

 

3. “मैंने निज दुर्बल….. होड़ लगाई” इन पंक्तियों में ‘दुर्बल पद बल’ और ‘हारी होड़’ में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: "दुर्बल पद बल" में निहित व्यंजना देवसेना के बल का ज्ञान कराती हैं अर्थात देवसेना अपने बल की सीमा को बहुत अच्छी तरह से जानती हैं उन्हें पता है कि वह बहुत कमजोर हैं इसके बाद भी वह अपने भाग्य से लड़ रही हैं।

"हारी होड़" पंक्ति में निहित व्यंजना देवसेना की प्रेम की लगन को दर्शाती है देवसेना जानती है की प्रेम में उन्हें हार ही प्राप्त होगी पर वह हार नहीं मानती और पूरी लगन के साथ हार का सामना करती हैं।

 

4. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :

(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया ……… तान उठाई।

उत्तर: इन पंक्तियों का भाव यह है कि देवसेना स्मृति में डूबी हुई है जिस प्रकार घने जंगल में राही थक - हार कर पेड़ों की छाया  में सो जाता है उसी प्रकार  देवसेना अपनी मिठ्ठी यादें और जो सपने देखे थे स्कंद गुप्त को पाने के उसमें खोई हुई है। उनसे वह हार गई। और यहां वह अपने आप को पीथक के रूप में अभिव्यक्त करती है और कहती है कि उसे स्कंद गुप्त का प्रेम निवेदन अच्छा नहीं लग रहा। इन पंक्तियों के माध्यम से देवसेना की असीम वेदना स्पष्ट रूप से दिखती है। सपने को कवि ने श्रम रूप में कहकर गहरी व्यंजना व्यक्त की है। गहन - विपिन एवं तरु -छाया में समास शब्द है । विहग राग का उल्लेख है।

 

(ख) लौटा लो …………………….. लाज गँवाई।

उत्तर: इन पंक्तियों में देवसेना की निराश से युक्त मनोस्थिति का वर्णन है। स्कंद गुप्त का प्रेम वेदना बनकर उसे प्रताड़ित कर रहा हैं। इन पंक्तियों का भाव यह है की देवसेना कहती है स्कंद गुप्त तुम अपने सपनों की धरोहर मुझसे वापस ले लो जो मैंने तुम्हारी याद में संजोए थे। मेरा हृदय इनको और संभाल नहीं पा रहा है और मैंने अपने मन की लाज भी गंवा दी है।


शिल्प - सौंदर्य

  1. करुण रस है

  2.  मानवीय करण किया गया है 

  3. व्योग श्रृंगार है 

  4. लाज गवाना मुहावरे का प्रयोग है

  5.  तत्सम शब्द खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है

5. देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं?

उत्तर: राजकुमारी देवसेना स्कंद गुप्त से प्रेम करती थी उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किए पर स्कंद गुप्त ने देवसेना के प्यार को अस्वीकार कर दिया। देवसेना का सारा परिवार वीरगति को प्राप्त हो गया था। इसलिए  देवसेना का जीवन संकटों से भरा था। वह जीवन की विपरीत परिस्थितियों में जीती है। उनकी विपरीत परिस्थितियां इतनी प्रबल है कि वह हार जाती है। यह उसके लिए घोर निराशा का कारण था। उसने अपनी विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने की कोशिश की पर वह जीत नहीं पाई।

 

(ख) कार्नेलिया का गीत

1. कार्नेलिया का गीत कविता में प्रसाद ने भारत की किन विशेषताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर: हमारे भारत की संस्कृति महान है। हमारा देश लालिमा युक्त मिठास से भरा हुआ है। यहां पर मेहमान को घर में प्रेम पूर्व रखा जाता है और मेहमान को भगवान का रूप समझा जाता है। भारत में सूर्य की किरनें सबसे पहले पहुंचती हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। यहां के लोग सहानुभूति और करुणा के भावनाओं से भरे हुए हैं और अनजान लोगों को अपने यहाँ शरण दे देते है।

 

2. ‘उड़ते खग’ और ‘बरसाती आँखों के बादल’ में क्या विशेष अर्थ व्यंजित होता है?

उत्तर: उड़ते खग का अर्थ है आप्रवासी लोग। कवि के अनुसार जिस देश में बहार से आकर पक्षी आश्रय लेते हैं। अर्थात बाहर भारत बाहर से आने वाले लोगों को आश्रय देता है। भारत में आश्रया लेने वाले लोगों को सुख शांति भी प्राप्त होती है। "बरसाती आंखों के बादल' पंक्ति का अर्थ है कि जो आंखें किसी के दुख में बरस पड़े अर्थात भारतीय लोग अनजान लोगों के दुख में भी दुखी हो जाते हैं वह दुख उनकी आंखों से आंसू के रूप में निकल पड़ता है। भाव यह हैं कि भारत के लोग किसी को दुख में नहीं देख सकते।

 

3. काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :

हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।

उत्तर: कवि कहता है मानो उषा रूपी पनिहारी जिसको  मानवकृत महिला के रूप में चित्रित किया गया है जो समय रूपी स्वर्ण कलश में सुख व समृद्धि रुपए जल भरकर भारत भूमि पर लुढ़का देती है। प्रातःकालीन में भारतवासी सुख समृद्धि से भरपूर दिखाई पड़ते हैं। इन पंकितयों में भोर का सौंदर्य हर जगह दिखाई देता है। और रात भर जागने के कारण तारे भी नींद की खुमारी में मस्त रहते हैं पर अब सोने की तैयारी कर रहे हैं। भाव यह है की चारों तरफ भोर हो चुकी है और सूर्य की किरने लोगों को उठा रही हैं क्योंकि अब उजाला होने वाला है।

(क) उषा तथा तारे का मानवीकरण करने के कारण मानवीय अंलकार है।

(ख) काव्यांश में गेयता का गुण विद्यमान है। अर्थात इसे गाया जा सकता है।

(ग)  जब-जगकर में अनुप्रास अलंकार है।

(घ)  हेम कुंभ  में रूपक अलंकार है।

 

4. ‘जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा’- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति का आशय है कि हमारे देश में अनजान लोगों को यानी दूर से आए हुए लोगों को भी अपनापन और सहारा मिलता है अर्थात यहां पहुंचकर अनजान क्षितिज को भी सहारा मिल जाता है। कवि ने इन पंक्तियों में भारत के विशालता का वर्णन किया है।

 

5. कविता में व्यक्त प्रकृति-चित्रों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: प्रसाद जी के अनुसार भारत का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है यहां भोर होने पर सूर्य उदय का दृश्य बड़ा मनोहारी होता है। भोर के समय सूर्य के उदित होने के कारण चारों ओर फैली लालिमा बहुत मंगलकारी प्रतीत होती है।  मलय पर्वत की शीतल वायु का सहारा पाकर अपने छोटे पंखों से उड़ते पक्षी ऐसा प्रतीत होते हैं मानों आकाश में सुंदर इंद्रधनुष उभर आया हो। सूर्य सोने के कुंभ के समान अकाश में शोभित होता हुआ प्रतीत होता है। उस की किरने लोगों में आलस्य निकालकर सुख  बिखेर देती हैं। तलाब में उत्पन्न कमलों पर तथा वृक्षों की चोटियों पर पड़ने वाली सूर्य की किरने ऐसे प्रतीत होती हैं मानो नाच रही हों।


योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1. भोर के दृश्य को देखकर अपने अनुभव काव्यात्मक शैली में लिखिए।

उत्तर: 1.भोर का दृश्य –

लाल सूरज,

मानो चमकता हुआ गोला,

आकाश की काली पटल पर

गेरू की रेखाएँ खींचता हुआ,

हमें अपनी ओर बुलाता,

और दिल को लुभाता है।


प्रश्न 2.जयशंकर प्रसाद की काव्य रचना ‘आँसू’ पढ़िए।

उत्तर: आँसू जयशंकर प्रसाद लिखित प्रदीर्घ गीतात्मक काव्य ह। इस काव्य का प्रकाशन १९२५ ई॰ में साहित्य सदन, चिरगाँव (झाँसी) से हुआ था। 'आँसू' वेदना-प्रधान काव्य है। इस काव्य में वेदना का उल्लेख इतना हैं के इसके प्रकाशन के बाद लोगों ने अंदाज़ा लगाया कि प्रसाद जी ने अपनी किसी प्रेमिका के विरह में इसकी रचना की होगी। इस संबंध में जब स्वयं प्रसाद जी से पूछा गया तो उन्होंने लिखित रूप में कविता में ही उत्तर देते हुए इस विवाद को पूरी तरह निरर्थक करार दिया। उन्होंने 'आँसू' काव्य का आधार-पात्र किसी नायिका को न मानकर 'प्रेम' तत्त्व को माना जो न तो स्त्री है न पुरुष। उनका छन्द इस प्रकार है :

  • ओ मेरे मेरे प्रेम विहँसते, तू स्त्री है या कि पुरुष है!

  • दोनों ही पूछ रहे हैं कोमल है या कि परुष है ?

  • उनको कैसे समझाऊँ तेरे रहस्य की बातें,

  • जो तुझको समझ चुके हैं अपने विलास की घातें !

  • इसे विद्यार्थियों को स्वयं करना है।

 

 

प्रश्न 3.जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हमारा प्यारा भारतवर्ष’ तथा रामधारी सिंह दिनकर की कविता ‘हिमालय के प्रति’ का कक्षा में वाचन कीजिए।

उत्तर: हमारा प्यारा भारतवर्ष (जयशंकर प्रसाद):

हिमालय के आँगन में उसे, प्रथम किरणों का दे उपहार ।

उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक-हार ।।

जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक ।

व्योम-तुम पुँज हुआ तब नाश, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।।

विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत ।

सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत ।।

बचाकर बीच रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत ।

अरुण-केतन लेकर निज हाथ, वरुण-पथ में हम बढ़े अभीत ।।

सुना है वह दधीचि का त्याग, हमारी जातीयता का विकास ।

पुरंदर ने पवि से है लिखा, अस्थि-युग का मेरा इतिहास ।।

सिंधु-सा विस्तृत और अथाह, एक निर्वासित का उत्साह ।

दे रही अभी दिखाई भग्न, मग्न रत्नाकर में वह राह ।। 

धर्म का ले लेकर जो नाम, हुआ करती बलि कर दी बंद ।

हमीं ने दिया शांति-संदेश, सुखी होते देकर आनंद ।।

विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम ।

भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम ।

यवन को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि ।

मिला था स्वर्ण-भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि ।।

किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं ।

हमारी जन्मभूमि थी यहीं, कहीं से हम आए थे नहीं ।।

जातियों का उत्थान-पतन, आँधियाँ, झड़ी, प्रचंड समीर ।

खड़े देखा, झेला हँसते, प्रलय में पले हुए हम वीर ।।

चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न ।

हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न ।।

हमारे संचय में था दान, अतिथि थे सदा हमारे देव ।

वचन में सत्य, हृदय में तेज, प्रतिज्ञा मे रहती थी टेव ।।

वही है रक्त, वही है देश, वही साहस है, वैसा ज्ञान ।

वही है शांति, वही है शक्ति, वही हम दिव्य आर्य-संतान ।।

जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे यह हर्ष ।

निछावर कर दें हम सर्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष ।।

 

हिमालय के प्रति (रामधारी सिंह दिनकर):

मेरे नगपति! मेरे विशाल!

साकार, दिव्य, गौरव विराट,

पौरुष के पुंजीभूत ज्वाल।

मेरी जननी के हिम-किरीट,

मेरे भारत के दिव्य भाल।

मेरे नगपति! मेरे विशाल!

युग-युग अजेय, निर्बंध, मुक्त

युग-युग गर्वोन्नत, नित महान्।

निस्सीम व्योम में तान रहा,

युग से किस महिमा का वितान।

कैसी अखंड यह चिर समाधि?

यतिवर! कैसा यह अमर ध्यान?

तू महाशून्य में खोज रहा

किस जटिल समस्या का निदान?

उलझन का कैसा विषम जाल?

मेरे नगपति! मेरे विशाल!

ओ, मौन तपस्या-लीन यती!

पल-भर को तो कर दृगोन्मेष,

रे ज्वालाओं से दग्ध विकल

है तडप रहा पद पर स्वदेश।

सुख सिंधु, पंचनद, ब्रह्मपुत्र

गंगा यमुना की अमिय धार,

जिस पुण्य भूमि की ओर बही

तेरी विगलित करुणा उदार।

जिसके द्वारों पर खडा क्रान्त

सीमापति! तूने की पुकार

‘पद दलित इसे करना पीछे,

पहले ले मेरे सिर उतार।

उस पुण्य भूमि पर आज तपी!

रे आन पडा संकट कराल,

व्याकुल तेरे सुत तडप रहे

डस रहे चतुर्दिक् विविध व्याल।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Antra Chapter 1

  1. Themes of Love and Loss: Understand the emotional journey of Devsena and her struggle with unrequited love.

  2. Cultural Admiration: Learn how Karneliya Ka Geet reflects the richness and compassion of Indian culture.

  3. Poetic Devices: Learn about the use of metaphors, similes, and symbolism in both poems to express emotions.

  4. Character Strength: It explains how both Devsena and Karneliya exhibit strength in their respective circumstances.

  5. Literary Appreciation: Improve your understanding of how Hindi poetry conveys complex emotions through simple yet powerful language.


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Conclusion

The NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 1 Devsena Ka Geet and Karneliya Ka Geet offer insight into the emotional and cultural layers of the poems. Through these solutions, students can better learn the essence of the character's emotions, the significance of the literary devices used, and the broader messages conveyed. These solutions are essential for both exam preparation and for gaining a greater appreciation of Hindi poetry's subtle beauty and depth.


Chapter-wise NCERT Solutions Class 12 Hindi - (Antra)

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 1: Devsena Ka Geet, Karneliya Ka Geet (Antra)

1. What is the main theme of Devsena Ka Geet in Chapter 1 of Class 12 NCERT?

The main theme revolves around Devsena's sorrow and realisation of unrequited love and the emotional toll it takes on her.

2. What is the significance of ‘ashaa bawli hoti hai’ in Devsena Ka Geet of Chapter 1?

The phrase emphasises how hope can make a person lose touch with reality, as Devsena's hope for Skandagupta’s love leads her to disillusionment.

3. What literary devices are used in NCERT  Chapter 1 Class 12 Hindi Devsena Ka Geet?

The poem uses metaphors, imagery, and personification to express Devsena’s emotional turmoil and the pain of unreciprocated love.

4. How does NCERT Solutions of Chapter 1 Karneliya Ka Geet reflect India’s culture?

Karneliya Ka Geet highlights India’s hospitality, cultural richness, compassion, and respect for guests through the eyes of an outsider.

5. What emotions are central to Devsena Ka Geet in Chapter 1 of Class 12?

The emotions of sorrow, disillusionment, and self-realisation are central as Devsena comes to terms with her unfulfilled love as discussed in NCERT Solutions of Chapter 1.

6. Why does NCERT Solutions of Chapter 1 Devsena feel she has lost everything in Devsena Ka Geet?

Devsena feels she has lost everything because she gave her love, dreams, and hopes to Skandagupta, who did not reciprocate her feelings.

7. What does the poet mean by ‘hara hoon’ in Devsena Ka Geet Chapter 1 NCERT Solutions?

This phrase refers to Devsena’s inner realisation that she has lost the battle of love, even though she gave it her all.

8. How is India’s nature depicted in Class 12 Chapter 1 Karneliya Ka Geet?

India’s nature is depicted through beautiful imagery, like the sunrise, the welcoming environment, and the compassionate behaviour of its people.

9. What is the key message in Chapter 1 of Class 12 Karneliya Ka Geet?

The key message is India’s openness and willingness to embrace and provide shelter to people from all over the world.

10. How do the NCERT Solutions help in understanding Devsena Ka Geet and Karneliya Ka Geet?

The solutions provide in-depth explanations of each verse, simplify difficult lines, and clarify the underlying themes, making it easier for students to understand and prepare for exams.