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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 13 Poem Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Aansu Ujle

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CBSE Class 11 Hindi Antra Important Questions Chapter 13 Poem Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Aansu Ujle - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 13 Poem Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Aansu Ujle prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 13– जाग तुझको दूर जाना है, सब आँखों के आँसू उजले

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)

1. “जाग तुझको दूर जाना” काव्य की रचयित्री का नाम  लिखो। 

उत्तर: प्रस्तुत काव्य की रचयित्री का नाम “महादेवी वर्मा” है।  


2. निम्न का विलोम शब्द लिखिए। 

क्षणिक,  सत्य, जीवन

उत्तर: क्षणिक - शास्वत 

सत्य - झूठ 

जीवन - मृत्यु 


3. निम्न शब्दों का शब्दार्थ लिखिए। 

व्योम, संसृति, पाषाण

उत्तर: व्योम - आकाश, आसमान, गगन  

संसृति - सृष्टि, संसार 

पाषाण - पत्थर, प्रस्तर पाहन  


4. निम्न शब्दों का पर्यायवाची। 

मदिरा, अचल, हृदय 

उत्तर: मदिरा - शराब , पेय पदार्थ, मदपान

अचल - अड़िग, दृढ़, स्तिथ 

हृदय - दिल, मन, हृद 


5. सब आँखों के...... सबके सपनो में......! निम्न पंक्ति को पूरा करो।

उत्तर:  प्रस्तुत पंक्तियाँ काव्य “सब आँखों के आंसू उजले” से ली गयी है। सब आँखों के आंसू उजले सबके सपनों में सत्य पला  काव्य की पहली पंक्ति है। 


लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

1. “जाग तुझको दूर जाना” से हमें किस बात  प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: निम्न पंक्ति से कवयित्री प्रेरित करना चाहती है की हम सदैव अपने लक्ष्य को याद रखे और  कठिन से कठिन परिस्तिथि में भी अपना कार्य रोके नहीं, हमेशा दृण रहें। 


2. कवयित्री ने आगे बढ़ने में किन-किन रुकावटों का ज़िक्र किया है?

उत्तर: कवयित्री ने हिमालय का कंपन, बिजली का तूफ़ान, आकाश का प्रलय एवं घोर अंधकार जैसी रुकावटों का जिक्र किया है। 


3. महादेवी वर्मा ने पवित्रता के प्रतीक किसे माना है?

उत्तर: कवयित्री ने पवित्रता का प्रतीक आँसू  को बताया है।  वे कहती हैं की आँसू मन के भाव के सामान सत्य हैं एवं उनमे छल या कपट नहीं होता। आँसू आत्मा से आने वाले दुःख या सुख का प्रतीक होते हैं इसलिए उन्हें झुटलाया नहीं जा सकता है। 


4. क्या प्रकृति हमें आगे बढ़ने में मदद करती है?

उत्तर: कवयित्री महादेवी वर्मा के विचारो अनुसार हमे प्रकृति से आगे बढ़ने की प्रेरणा तथा जीवन व्यापन करने की सुविधा मिलती है जिससे हम अपने सपने पूरे कर आगे बढ़ने में सक्षम हो सकते हैं। 


5. संसृति के प्रति पग  में मेरी....... एकाकी प्राण चला! 

निम्न पंकितयों में कोनसा अलंकार है?

उत्तर: उपरोक्त काव्यांश की पहली पंक्ति में ‘प्रति पग’ में अनुप्रास अलंकार दिखाई देता है इसी कारणवश भाषा रहस्यवादी प्रतीत होती है। 


लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

1. “सपने-सपने में सत्य ढला” पंक्ति का आशय स्पष्ट करो।

उत्तर: “सपने-सपने में सत्य ढला” से कवयित्री का अभिप्राय है की हर  मनुष्य को सपने देखने का पूर्ण अधिकार हैं तथा हर सपना सत्य होता है। यह उम्मीद हर मनुष्य को सदैव जागृत रखनी चाहिए इससे उन्हें सपने पूरे करने की शक्ति मिलेगी अर्थात वे अपने सपने स्वतः पूर्ण कर पाएँगे।  


2. कवयित्री के अनुसार सपनों को वास्तविक में बदलने के लिए किसके समान परिश्रम करना होगा?

उत्तर: कवयित्री के अनुसार अगर मनुष्य अपने सपनो को वास्तविकता के रूप में ढालना चाहता है तो उसको  पहले एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए क्यूंकि उसके बिना कोई भी सपना अधूरा है।  सपनो को वातविक आधार सेने के लिए निम्न के सामान परिश्रम करना होगा-

(क)  दीपक की तरह जलना होगा अर्थात तप करना होगा अपने सपनो के लिए। 

(ख) फूलों के सामान खिलना होगा अर्थात सदैव नर्म स्वाभाव का होना होगा। 

(ग) पर्वत और सागर के तरह अपना स्वाभाव निश्चित रखना होगा। 

(घ) सोने की तरह तपना होगा ताकि हीरे की तरह चमकदार बन पाए बिना अपने गुणों को खोये।  


3. महादेवी वर्मा के अनुसार प्रकृति मनुष्य  उसके लक्ष्य तक कैसे पहुँचती है?

उत्तर: कवयित्री प्रस्तुत काव्य में बताती हैं की मनुष्य को प्रकृति से प्रेरणा लेनी चाहिए की कैसे प्रकृति में हर एक वस्तु अपने आप में एक उद्धरण है सफलता का, कोमलता का, प्रयत्न का इत्यादि। जैसे दीप प्रकाश करने के लिए जलता है, फूल वातावरण को सुगन्धित करने के लिए, भौंरो को रास प्रदान करने के लिए खिलते हैं, नदियाँ एवं झरने प्यास भुजाने के लिए, पेड़ छाँव तथा फल देने के लिए काम कर रहे हैं बिना रुके, बिना थके अपने लक्ष्य को पूरा  हैं उसी प्रकार मनुष्य को भी अपने लक्ष्य, अपने सपने को पूरा करने के लिए लगातार तत्पर रहना चाहिए।  


4. नभ तारक सा खंडित पुलकित 

यह क्षुर-धरा को चूम रहा,

उपरोक्त पंक्तियों का आशय स्पष्ट करो। 

उत्तर: उपरोक्त पंक्तियों से कवयित्री का आशय मनुष्य के दुष्कर परिस्थितियों में भी कुशल रहने से है।  वे कहती है की  जिस तरह तारे आकाश से टूटने के बाद भी खुशी-खुशी सुरधारा को चूमते है उसी प्रकार मनुष्य को भी कठनाईओं से घबराना नहीं चाहिए तथा उसका निर्भीकता से मुस्कुराते हुए सामना करना चाहिए।  


5. “दोनों संगी, पथ एक किन्तु कब दीप खिला कब फूल जला?”

वह ‘दोनों’ कौन है? उनकी क्या विशेष्ता है?

उत्तर: निम्न पंक्ति में “दोनों” शब्द का प्रयोग दीप तथा फूल  के लिए किया गया है। दीप की विशेष्ता है की वह खुद जल कर प्रकाश फैलाता है अथवा फूल अपने मरकन्द अर्थात रस से अपने आसपास के वातावरण को सुगन्धित करता है। दोनों का काम एक ही है मनुष्य एवं पशु का जीवन सुखद बनाना किन्तु फिर भी दोनों के काम अलग है, न तो दीप खिल सकता है और ना ही फूल जल सकता है। 


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

1. महादेवी वर्मा के अनुसार विपरीत परिस्थितियों में  क्या करना चाहिए? उपरोक्त कविता में से तीन विपरीत परिस्थितयों का उल्लेख करो। 

उत्तर: कवयित्री अपने काव्य में बताना चाहती है की परिस्थिति कितनी भी विपरीत क्यों न हो मनुष्य क अपना कार्यक्षेत्र नहीं छोड़ना चाहिए, हमेशा अड़िग रहना चाहिए अर्थात आगे बढ़ते रहना चाहिए। कविता में जिक्र विपरीत परिस्तिथियों में से निम्न तीन है-

(क) प्रलय के संकेत- बिजली के कड़कने, तूफ़ान आने के संकेत से भी डरना नहीं है फिर चाहें  पूरी सृष्टि जलमग्न ही क्यों न हो जाए परन्तु हमे अपने कार्य को निष्ठा से करना है। 

(ख) अन्धकार की अवस्था- आकाश के प्रकाश के विलुप्त हो जाने पर, सूर्य एवं चंद्र के उस अंधकार में विलीन हो जाने पर भी घबराना नहीं है। अपना कार्य। 

(ग) भूकंप के संकेत- अगर कठोर और दृण रहने वाला पर्वत भी अपने कंपन से भूकंप पैदा करते तब भी डरना नहीं है तथा अपने कर्त्तव्य को पूरा करते रहना है। 


2. ‘मोम के बंधन’ और ‘तितलियों के पर’ इन पंक्ति से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: निम्न शब्द पंक्ति “बाँध लेंगे क्या तुझे यह मोम के बंधन सजीले? पंथ कि बाधा बनेंगे तितलियों के पर रंगीले?” से लिए गए है। कवयित्री का अभिप्राय संसार के मोह से भ्रमित होने से खुद को एवं दुसरो बचाना है।  “मोम के बंधन” का तात्पर्य मोह में लिपटे पारिवारिक संबंधो से है के कहीं यह मोम की तरह पिघलने वाले संबंध तुम्हे या मुझे रोक तो नहीं लेंगे कार्य करने से? अथवा तितलियों के पर से तात्पर्य यौवन तथा सुन्दर युवतियों से है की कहीं उन्हें देखकर भ्रमित तो नहीं हो जाओगे और अपने आप से और कार्य से संतुलन खो बैठोगे।   


3. महादेवी वर्मा ने पाठकों को प्रेरित करने के लिए भवरें, ओस और छाँव का कैसे  प्रयोग किया है?

उत्तर: महादेवी वर्मा भवरें, ओस, और छाँव जैसे शब्दों का प्रयोग कर दर्शाना चाहती की ये सारी चीज़े सुख, आरमदेई जीवन की ओर इशारा करती है जो की संघर्ष के प्रतिरूप नहीं है अर्थात कवयित्री नहीं चाहती की हम सुख सुविधा के चक्कर में समाज-संसार  की दुविधा, रुदन एवं व्यथा भूल जाए।  वे जानती  हैं की सामजिक सुख हमे अपनी मंज़िल तक पहुंचने से रोक सकते इसलिए वे हमे इनसे दूरी बनाये रखने को कह रही हैं। वे कहती हैं की क्या भवरों का मधुर गुनगुन संसार के क्रंदन को छुपा सकता है, क्या फूलो की ओस की बूंदे हमे इतना डूबा देंगी की हम अपना कर्तव्य भूल जाए, नहीं! हमे इन सभी सुखो से अपने देश के प्रति कर्त्तव्य को नहीं भूलना  है एवं दृण बनें रहना है तभी संसार में बदलाव लाया जा सकता है।   


4. कवयित्री महदेवी वर्मा का ‘आग हो उर में’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर: प्रस्तुत पंक्ति के अंश से कवयित्री का अभिप्राय है की हिर्दय में आग होनी चाहिए, विरह की आग से ही अश्रु पनपता हैं और यही आग जरुरी है आने वाली लड़ाई लड़ने के लिए। लड़ाई से अभिप्राय अंग्रेज़ो को साशन से हटाने के लिए, गुलामी मिटाने अर्थात आज़ादी के लिए लड़ी जा रही लड़ाई से है और विरह के अश्रु का अभिप्राय अंग्रेज़ो द्वारा किये जा रहे जुल्मो के कारण है।  कवयित्री कहती है की पुरानी व्यथा को भूल,  हिर्दय में आग लोइये हमे बढ़ते जाना है जब तक की सफलता नहीं मिल जाती फिर चाहे मृत्यु ही क्यों न हो जाए। 


5. “अंगार-शय्या” के प्रयोग से महादेवी वर्मा क्या बताना चाहती हैं?

उत्तर: महादेवी वर्मा बड़े ही सुन्दर तरीके से इस काव्य के अंत पंक्तियों  “है तुझे अंगार-सय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना!” में कहती है की अगर हमे आज़ादी की राह पर चलते हुए अगर अपनी मृत्यु भी देखि पड़े तोह हमे मंज़ूर है। जिस प्रकार पतंगा दीपक की ज्वाला से राख होकर दीपक को अमर कर जाता है उसी प्रकार आज़ादी के जंग में लड़ने वाले मृत्यु पाकर भी अमर हो जाते है। हमे इस पराधीनता को आग की सय्या में समझ इसमें अपनी विजय के, स्वाधीनता रुपी फूल बिछाने होंगे और इस व्यथा का अंत करना होगा।

FAQs on Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 13 Poem Jaag Tujhko Dur Jana Sab Ankho Ki Aansu Ujle

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4. Who is the author of Poem Jaag Tujhko dur jana sab aankhon ki Aansu Ujle?

The poem is written by a famous poet Mahadevi verma. She was born in faridabad. She wrote many poems including geeta, yama and deep sheekha . She completed her education in Indore and got married at the age of 12  She usually wrote about the life of women in past , present and future time. You can get more creatives of Mahadevi verma on Vedantu.com.

5. What is the main idea of the poem Jaag Tujhko dur jana sab aankhon ki Aansu Ujle?

In this poem , Mahadevi verma says to get out from laziness and start struggling so that you can reach your dream and make it a reality. Whether any hurdle comes in front of a person, he should face it with great power and tackle every situation of life so that at last you can achieve what you desire. Stop wasting your time in random things and just struggle for dreams.