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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 3 - Torch Bechnewale

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CBSE Class 11 Hindi Antra Important Questions Chapter 3 - Torch Bechnewale - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 3 - Torch Bechnewale prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 3- टार्च बेचनेवाले

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक) 

1. टार्च बेचने वाले ने टार्च बेचना क्यों छोड़ दिया था? 

उत्तर: टार्च बेचने वाले ने टार्च बेचना छोड़ दिया क्योंकि अपने मित्र की तरकीब जानकर उसे यह व्यर्थ लगने लगा। 


2. जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है, वह क्या करता है? 

उत्तर: जिसकी आत्मा में प्रकाश फैल जाता है वह हरामखोर हो जाता है। 


3. टार्च बेचने वाला कौन - से सवाल से परेशान था? 

उत्तर: टार्च बेचने वाला इस प्रश्न से परेशान था कि पैसा कैसे कमाया जाए। 


4. किस्मत आजमा लेने के कितने सालों बाद दोनों दोस्तों को वापस मिलने आना था? 

उत्तर: किस्मत आजमाने के पाँच सालों बाद दोनों दोस्तों को वापस मिलना था। 


5. दोनों दोस्त साथ क्या करने गए थे? 

उत्तर: दोनों मित्र अपनी अपनी किस्मत आज़माने निकल पड़े थे। 


लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक) 

6. टार्चवाला टार्च किस ढंग से बेचता था? 

उत्तर: टार्च वाला टार्च बेचने के लिए चौराहे या मैदान में लोगों को इकट्ठा कर लेता था और अंधेरे के डर का एक नाटकीय रूपांतरण दिखाता था जिसकी वजह से उसकी टार्च हाथों हाथ बिक जाती थीं। 


7. दोनों दोस्तों ने कौन-से काम को अपना धंधा बनाया? 

उत्तर: पहले मित्र ने टार्च बेचने को अपना धंधा बनाया तथा दूसरा मित्र संत बन गया और उसे ही अपना धंधा बना लिया। 


8. भव्य पुरुष ने लेखक को कार में खिंचकर क्यों बैठा लिया? 

उत्तर: भव्य पुरुष ने लेखक को कार में खिंचकर बैठा लिया क्योंकि वह पहचान गया था कि वह व्यक्ती उसका पाँच साल पुराना मित्र ही है। उसे हँसता हुआ देखकर उसने लेखक को अपने साथ ले जाना ही उचित समझा। 


9. पैसा कमाने के लिए भव्य पुरुष ने लेखक को कौनसी तरकीब बताई? 

उत्तर: पैसे कमाने के लिए भव्य पुरुष ने लेखक को बताया कि यह टार्च छोड़कर उसे सूक्ष्म टार्च बेचनी चाहिए जिसकी कीमत उसकी टार्च से कई गुना अधिक है। 


10. भव्य पुरुष कौनसी कंपनी का टार्च बेचता था? 

उत्तर: भव्य पुरुष की टार्च किसी कंपनी की नहीं थी। वह संत की वेषभूषा में अपने प्रवचन देता था और लोगों से अंधविश्वास की आड़ में ठगी करता था। 


लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक) 

11. भव्य पुरुष ने अपनी टार्च को सूक्ष्म क्यों बताया? 

उत्तर: भव्य पुरुष ने अपनी टार्च को सूक्ष्म बताया क्योंकि वह कोई दुकान पर मिलने वाली आम टार्च नहीं थी जैसी लेखक बेचना था, बल्कि वह एक बहुत ही आध्यात्मिक परंतु कीमती टार्च थी। 


12. दोनों के धंधे में कैसा फर्क़ है? 

उत्तर: लेखक एक कंपनी की टार्च बेचता था जिसका नाम सूरज छाप था। वह लोगों के आगे नाटकीय रूपांतरण करके मेहनत से टार्च बेचता था। वहीं दूसरी और उसका मित्र संत की वेषभूषा में ठग था जो लोगों में अन्धविश्वास पैदा करके धोखे से पैसे ऐंठता था। 


13. लेखक ने अपनी 'सूरज छाप' टार्च को नदी में क्यों फैंक दिया? 

उत्तर: लेखक ने अपनी सूरज छाप टार्च को नदी में फैंक दिया था क्योंकि उसने पाया कि इतने साल मेहनत करने पर भी उसे इतनी कामयाबी और पैसे नहीं मिले जितने उसके दोस्त ने केवल अंधविश्वास फैलाकर ठग लिए थे वो भी बिना मेहनत पसीने के। यह देखकर उसने भी अपनी टार्च छोड़कर भव्य पुरुष की टार्च अपनाने का फैसला किया और सूरज छाप टार्च को नदी में फैंक दिया। 


14. आध्यात्मिक टार्च बेचने के लिए कैसी कहानियों का होना आवश्यक है? 

उत्तर: अध्यात्मिक टार्च बेचने के लिए डर, खौफ़, जीवन, मृत्यु, अन्धविश्वास आदि से भरी कहानियों का होना आवश्यक है। इस प्रकार की कहानियों के द्वारा ढोंगी लोग बाकियों में अंधविश्वास पैदा करते हैं तथा उसका फायदा उठाकर लोगों से धोखे से पैसा लेते हैं। 


15. भव्य पुरुष की शानो - शौकत का वर्णन करिए। 

उत्तर: भव्य पुरुष को लेखक ने एक मंच पे देखा। उसने रेशमी चमकदार सुन्दर वस्त्र पहने हुए थे, लंबी दाड़ी थी तथा लंबे बाल थे। इतना ही नहीं उसके पास एक कार भी थी जिसमें वह लेखक को बैठक अपने आलीशान बंगले में ले गया जिसे देखकर लेखक दंग रह गया था। उसके पास हर सम्भव चीज़ मौजूद थी। 


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक) 

16. भव्य पुरुष दार्शनिक, संत कहलाता था। टिप्पणी करें। 

उत्तर: भव्य पुरुष दार्शनिक संत कहलाता था क्योंकि उसने अपनी वेषभूषा एक संत के समान ही बनती हुई थी। उसके लंबे बाल, लंबी सफेद दाड़ी तथा वस्त्रों से वह किसी संत से कम नहीं लगता था। यह ही नहीं वह लोगों को जीवन के अन्धकार और प्रकाश के बारे में में अपने सत्संग में बताता था। वह लोगों के जीवन और उनकी आत्मा से अंधकार दूर करने का दावा करता था जिसके नाम पे लोगों से वह बहुत दौलत और पैसा ठग लेता था। 


17. भव्य पुरुष और लेखक के टार्च अलग कैसे हैं? 

उत्तर: लेखक की टार्च भौतिक या बाहरी अंधेरे को दूर करने के लिए उपयुक्त थी। वह लोगों को रात के अंधेरे का डर समझाता था और उससे बचने के लिए अपनी सूरज छाप टार्च को बेचता था। वहीं दूसरी ओर भव्य पुरुष लोगों में मन के अंदर के अंधेरे का खौफ़ पैदा करता था और उसे अपनी अध्यात्मिक टार्च द्वारा दूर करने का दावा करता था। वह लोगों में अंधविश्वास पैदा करके उनसे ठगी करता था। जहां लेखक मेहनत करके टार्च बेचता और पैसे कमाता था वहीं भव्य पुरुष लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करके धोखे से उनसे पैसे ठगता था। 


18. 'सूरज छाप' टार्च बेचने के लिए लेखक कौनसी कहानी सुनाता था? 

उत्तर: सूरज छाप टार्च बेचने के लिए लेखक लोगों में अनेक प्रकार के भय पैदा करता था। वह कहता था कि आज कल चारों ओर अंधेरा है, रात में व्यक्ती के पैर में कांटा लग जाता है तो कभी वह गिर जाता है जिससे उसे चोट आ जाती है। शेर व चीते ऐसे अंधेरे में खूब घूमते हैं जिसका खतरा हर समय बना रहता है। यही नहीं रात को साँप से भी मरने का खतरा मंडराता रहता है। ये सब कहानियां सुनकर लोग डर जाते थे और उसकी टार्च खरीद लेते थे। 


19. लेखक आदमियों को कैसे डराया करता था? 

उत्तर: लेखक आदमियों को रात के अंधेरे से डराया करता था। वह उन्हें रात में घूमने वाले जानवर जैसे शेर, चीता और साँप से खतरे के बारे में बताता था। वह उनके मन में डर बैठा देता था कि यह जानवर अंधेरे की वजह से कभी भी उनकी मृत्यु का कारण बन सकते हैं। लोग ऐसी कहानियाँ सुनकर बेहद डर जाते थे तथा लेखक की टार्च खरीद लेते थे। 


20. 'जहां अंधकार है, वहीं प्रकाश है' तात्पर्य स्पष्ट करें। 

उत्तर: यह वाक्य भव्य पुरुष अपने प्रवचन के दौरान लोगों से कहता है। वह लोगों को पूरे समय उनके अंदर के अंधेरे से डरता है, परंतु अपनी अध्यात्मिक टार्च बेचने के लिए अंत में वह उस अंधेरे को नष्ट करने का उपाय भी बताता है। वह कहता है कि अंदर के अंधेरे को दूर करने के लिए हमने अंदर ही झांकने की ज़रूरत है, जहां अंधेरा है वहीं प्रकाश भी मौजूद होता है। वह लोगों को इस प्रकाश की तलाश के लिए उसके साधना मंदिर में आने के लिए कहता है।

FAQs on Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Antra Chapter 3 - Torch Bechnewale

1. Describe the journey of Satyajit Ray.

Satyajit Ray is one of the most well-known film filmmakers in both Hindi and Bengali cinema, and he requires no introduction. He died in 1992 after giving us memorable cinema. He was born in Kolkata in 1921. Bharat Ratna, Oscar, Légion d'Honneur de France, and a slew of other prestigious prizes are amongst his achievements. With Mr. Ray's films, Indian cinema attained its pinnacle of innovation and art. Pather Panchali in Bangla, his directorial debut, was released in 1955 and garnered international acclaim and distinction. He was the first Indian director to receive such a prestigious award on an international level. He has directed roughly 30 films, which have not only improved Indian cinema but also led to critics and other directors shifting their ideas and thinking in new directions. His films are a mix of intellectual content and depictions of children and animals living simple and innocent lives.

2. What mishaps took place while shooting the movie?

The movie features a dog named Bhoolo, but due to a lack of funding, Satyajit Ray had to stop filming when just half of the dog's scenes had been finished. When he finally had the funds to begin shooting, he discovered that Bhoolo had died in the meantime. After much research, they finally spotted another dog in the same village who looked uncannily like Bhoolo. The death of the actor who played Srinivas during the filming of Pather Panchali was another blow. They needed to locate someone who looked like him and complete the rest of the movie. Due to a shortage of funds, he was unable to shoot in the rain, which is why filming had to be halted during the monsoon season.

3. How did Satyajeet Ray find the main characters of his story?

The main characters in this film are Apu and Durga. Apu's character is a 6-year-old youngster, and he had a hard time casting a 6-year-old boy. Satyajit Ji was able to locate the youngster in his neighborhood. Suber Banerjee was the boy's name. Satyajit Ray had not anticipated that the film would take 2.5 years to complete; as a result, he was concerned that the children would grow up and no longer look the part in the film. Fortunately, this did not occur. For detailed information on Class 11 Hindi Antra Chapter 3, visit Vedantu app and website. To study more about the chapter students can download the PDF of important questions free of cost from the Vedantu website.

4. Why was the shooting stalled every time?

It took about two and a half years to complete the film Pather Panchali. Because Satyajit Ray was working for an advertising agency at the time, the shooting did not take place every day for the entire period. He would resume filming for this film whenever he had any free time from his employment. He didn't have enough money to keep shooting indefinitely, so the action would often come to a halt. For a complete explanation of Class 11 Hindi Antra Chapter 3, visit Vedantu.

5. Why was the shooting postponed for winter?

Palsit, a small town near Kolkata, was the setting for the film. The shooting took place near a sugarcane plantation that was filled with wild sugarcane. He took seven days to complete the scenario, after which he found that all of the animals had consumed the wild sugarcane grass. As a result, the shooting had to be postponed until the following winter season, when the field would be covered in wild sugarcane.