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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7: Kavitavali (Uttarakhand se), Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap (Aroh)

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NCERT Solutions for Class 12 Chapter 7 Hindi - FREE PDF Download

Class 12 Hindi Chapter 7 'Kavitavali (Uttar Kand se)' by Goswami Tulsidas presents a deep emotional reflection on Lord Ram’s grief over Lakshman’s condition and the ensuing Bilap (lament). The chapter is set in the context of Lakshman’s unconscious state during the battle, which leads to Ram's intense sorrow. The kavitavali vividly portrays Ram's human side, revealing his feelings of helplessness and vulnerability. The depiction of Ram's lament showcases not just the bond between the two brothers, but also the emotional struggles of facing loss and separation.


Our solutions for Class 12 Hindi NCERT Solutions PDF breaks the lesson into easy-to-understand explanations, making learning fun and interactive. Students will develop essential language skills with engaging activities and exercises. Check out the revised CBSE Class 12 Hindi Syllabus and start practising Hindi Class 12 Chapter 7. 


Glance on Class 12 Hindi Chapter 7 (Aroh) 

  • Tulsidas depicts Ram's heartfelt sorrow as Lakshman lies unconscious, reflecting a blend of divine and human emotions.

  • Chapter 7 emphasises the deep bond between Ram and Lakshman and Ram’s feeling of helplessness in his brother’s absence.

  • The social and economic disparities of the time are highlighted through Ram’s reflections and Tulsidas's understanding of human suffering.

  • The chapter explores the concept of selfless love, devotion, and the intense pain of separation in a familial bond.

  • Tulsidas uses vivid imagery and symbolism to express the depth of Ram's grief, portraying the emotional struggles of a divine figure.

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Access NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 7 Kavitavali (Uttarakhand se), Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap

1. कवितावली में उद्धृत छंदों के आधार पर स्पष्ट करें कि तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमता की अच्छी समझ है।

उत्तर: कवितावली में उद्धृत छंदों से यह स्पष्ट होता है कि गोस्वामी तुलसीदास को अपने युग की आर्थिक विषमताओं की अच्छी समझ है। तुलसीदास जी ने अपने छंदों में समकालीन समाज की स्थिति का यथार्थवादी चित्रण किया है। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों के बारे में बताते हुए कहा है कि विभिन्न वर्गों के पास कई तरह का काम होता है, जो करके, वे लोग अपना पेट पालते हैं। तुलसीदास जी यहां तक कहते हैं कि लोग अपनी भूख को संतुष्ट करने के लिए उचित एवं अनुचित दोनों ही कार्य करते हैं। उनके अनुसार उस दौर में अधिक गरीबी और बेरोजगारी थी। गरीबी के कारण लोग अपने बच्चों को  बेचने के लिए भी मजबूर थे। बेरोजगारी ऐसी थी कि लोगों को भिक्षा भी नहीं मिलती थी। दुर्बलता के दानवों द्वारा कहर ढाला गया था।


2. पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही करता सकता है - तुलसी का यह काव्य-सत्य, क्या इस समय का भी युग-सत्य है? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।

उत्तर: मनुष्य का जन्म, कर्म, कर्म फल, सब ईश्वर के अधीन है। गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं पेट के आग को बुझाने का कार्य सिर्फ भगवान (राम)  द्वारा किया जा सकता है। अर्थात, तुलसीदास जी कहते हैं कि पेट की आग केवल भगवान की भक्ति से ही बुझ सकती है। यदि मनुष्य भगवान की भक्ति में लीन हो जाए तो भगवान उसकी पेट की आग बुझाने में सक्षम रहते हैं। ईश्वर से फल प्राप्त करने के लिए दोनों के बीच संतुलन होना बहुत ही आवश्यक है। कड़ी मेहनत के साथ-साथ पेट की शांति के लिए भगवान का कृपा होना भी बहुत जरूरी होता है।


3. तुलसी ने यह कहने की जरूरत क्यों समझी? 

“ धूत कहौ, अवधूत कहौ, राजपूती कहौ, जोलहा कहौ कोउ, 

काहू की बेटीसो बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोउ।”

इस सवैया में काहू के बेटा सो बेटी ना ब्याहब कहते, तो सामाजिक अर्थ में क्या परिवर्तन आता? 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी के युग में, जाति से संबंधित नियम बहुत ही सख्त थे। समकालीन समाज ने भी अपनी जाति और जाति के संबंध में सवाल उठाए थे। तुलसीदास जी भक्त कवि थे और सांसारिक संबंधों में उनकी कोई विशेष रूचि नहीं थी। इस कवितावली में वे  ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि अगर मैं अपने देश के बारे में बात करूँगा तो सामाजिक संदर्भ में उसका मतलब अलग होगा। क्योंकि शादी के बाद लड़की को अपनी जाति छोड़कर पति के जाति को अपनाना पड़ता है। दूसरी बात यह है कि यदि तुलसीदास जी अपनी बेटी की शादी ना करने का फैसला करते तो समाज में यह बात निंदा एवं गलतफहमी के रूप में देखी जाती। तीसरी बात यह है कि यदि वे अपनी बेटी की शादी दूसरी जाति में करते तो सामाजिक संघर्ष उत्पन्न हो जाता।


4. “धूत कहौ… …. .. … ” वाले छंद में ऊपर से सरल व नीरीह दिखलाई पड़ने वाले तुलसी  की भीतरी असलियत, एक स्वाभिमानी भक्त हृदय की है। इससे आप कहां तक सहमत है? 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी के स्वाभिमान पर किसी को संदेह नहीं है। उन्होंने इस कविता में अपना स्वाभिमान व्यक्त किया है। वे एक सच्चे भक्त हैं और अपने प्रभु के प्रति पूर्णतया समर्पित है। उन्होंने कभी भी अपने स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने हमेशा एक ही इशारे से राम की पूजा की। यह कविता, भक्त ह्रदय की भक्ति की गहराई और गहनता में, भक्ति का जीवंत चित्रण है। तुलसीदास जी का, जो राम भक्ति में लगे हैं, समाज के कटाक्ष पर कोई प्रभाव नहीं है। वह किसी पर निर्भर नहीं है। वे अपना जीवन भीख मांग कर जीते हैं और मस्जिद में सोते हैं। वह बाहर से सीधे एवं कोमल है परंतु उनके मन में स्वाभिमान कूट-कूट कर भरा है।


5. व्याख्या करें;-

क: मम हित लागी जतिहु पितु माता। सहेहु बिपिन हिम आतप बाता ।

जो जनतेऊँ बन बंधु बिछोहु। पितु बचन मनतेऊँ नहि ओहु।

उत्तर: मूर्छित लक्ष्मण का सिर अपनी गोद में रख कर, श्रीराम विलाप करते हुए उनसे कहते हैं, “ हे लक्ष्मण! तुम तो बहुत त्यागी हो। क्या तुम्हें मेरी व्याकुलता उठने को नहीं कहती? तुमने केवल मेरे हित के लिए माता-पिता और जीवन के सारे सुखों का त्याग कर दिया और मेरे साथ वनवास को आ गए।  वन में रहते हुए तुमने धूप, गर्मी, बरसात, ठंड, सब कुछ सहन किया। यदि मुझे पहले ज्ञात होता कि  वन में मैं अपने भाई से बिछड़ जाऊंगा, तो मैं पिता की बात नहीं मानता और तुम्हें अपने साथ वन को नहीं लाता।”


ख: जथा पंख बिनु खग अति दीना। मनि बिनु फनि करिबर कर हिना।

अस मम जिवन बंधु बिनु तोहि। जौ जड़ दैव जिआवै मोही।। 

उत्तर: मूर्छित लक्ष्मण के सामने, राम विलाप करते हुए कहते हैं, “ हे लक्ष्मण! तुम्हारे बिना मेरी  दशा ऐसी दयनीय हो गई है जैसे पंख बिना पक्षी,  मणि बिना सर्प  और सुड़ बिना हाथी की हो जाती है। मैं तो पूरी तरह असहाय और और असक्षम हो गया हूँ। यदि भाग्य ने मुझे तुम्हारे बिना जीवित रखा तो मेरा जीवन इसी प्रकार शक्तिहीन रहेगा।” यहां से राम के कहने का तात्पर्य यह है कि लक्ष्मण के बगैर श्री राम कुछ नहीं कर सकते। उनके तेज और पराक्रम के पीछे लक्ष्मण की ही शक्ति होती है। अपने भाई के बिना श्री राम असहाय हो जाएंगे।


ग:   माँग कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबोको एकु न दैबको दोऊ।। 

उत्तर: इन दोहे के द्वारा तुलसीदास जी ने समाज से अपनी तटस्था के बारे में कहा है। उन्होंने अपने स्वाभिमान रक्षा का भी संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि समाज के बेबुनियाद बातों से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह किसी पर आश्रित नहीं है। वे केवल राम भक्ति में लीन रहते हैं। संसार से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। इन दोहे में उन्होंने कहा है कि वह भिक्षा मांग कर अपना पेट पाल लेते हैं और रात मस्जिद में काट लेते हैं। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं है।


घ:  ऊँचे नीचे करम, धरम-अधरम करि, पेट ही को पचत, बेचत बेटा-बेटकी।। 

उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने काल की आर्थिक दशा का यथार्थ परक चित्रण किया है। उस दौर में लोग पेट भरने के लिए कोई भी कार्य कर लेते थे। लोगों का काम सिर्फ पेट भरना, पेट की आग बुझाना था। पेट की आग बुझाने के लिए यह नहीं देखते थे कि वह काम उचित है कि अनुचित। उन्हें कर्म की प्रवृत्ति और तरीके की कोई परवाह नहीं थी। लोग अपने पेट को शांत करने के लिए, अपने संतानों तक को बेच देते थे। अर्थात पेट भरने के लिए लोग कोई भी काम कर लेते थे।


6. भ्रातृ शोक में हुई राम की दशा को कवि ने प्रभु की नर लीला की अपेक्षा सच्ची मानवीय अनुभूति के रूप में रचा है। क्या आप इससे सहमत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: लक्ष्मण को बेहोश पड़ा देख, राम का विलाप एक दिव्य लीला की तुलना में एक सामान्य व्यक्ति का प्रलाप, ज्यादा प्रतीत होता है। लक्ष्मण मूर्छित के समय श्री राम के द्वारा कई ऐसी बातें कही गई है जो केवल एक आम व्यक्ति ही कहता है। जैसे कि श्रीराम ने कहा है कि यदि उन्हें पहले पता रहता कि वह वन में अपने भाई से बिछड़ जाएंगे तो वे अपने भाई को कभी वन नहीं लाते। ऐसी कई अन्य बातें  राम ने कही है जो कि आम आदमी के जैसी प्रतीत होती है। राम ये भी कहते हैं कि जब वे अयोध्या वापस जाएंगे तो अपनी माता को लक्ष्मण के बारे में क्या बताएंगे। श्री राम ने अपने प्रिय भ्राता पर इतना शोक व्यक्त किया है जितना कोई साधारण व्यक्ति भी नहीं कर सकता। श्री राम की अशोक दशा बिल्कुल एक मनुष्य की तरह ही थी। वास्तव में, यह विलाप राम की संकीर्णता से अधिक मानवीय अनुभूति है।


7. शोक ग्रस्त माहौल में हनुमान के अवतरण को करुण रस के बीच वीर रस का  अवीरभाव क्यों कहा गया है? 

उत्तर: लक्ष्मण को ठीक करने के लिए संजीवनी बूटी लाना बहुत ही आवश्यक था। संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान को भेजा गया था। ज्यों-ज्यों हनुमान को संजीवनी बूटी लाने में देरी हो रही थी, त्यों-त्यों राम की नाराजगी से वानर सेना शोकाकुल एवं चिंतित हो रही थी। इसी बीच हनुमान संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ लेकर पहुंचे। वैद्य सुषेण ने संजीवनी बूटी ढूंढ कर दवा तैयार किया और लक्ष्मण को पिला दिया। दवा पीने के पश्चात लक्ष्मण ठीक हो गए और यह देखकर राम का शोक समाप्त हो गया। राम अपने भाई को देख कर बहुत प्रसन्न हो गए। लक्ष्मण को जीवित देखकर पूरी वानर सेना में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इस तरह, हनुमान लक्ष्मण के लिए जड़ी बूटियों का पहाड़ उठाकर, शोक के बीच वीर रस का प्रचार कर रहे हैं।


8. जैहउँ अवध कवन मुहुँ लाई। नारि हेतु प्रिय भाइ गँवाई।। 

बरु अपजस सहतेउँ जग माही।। नारि हानि बिसेष छति नाही।। 

भाई के शोक में डूबे राम के इस प्रलाप- वचन मे स्त्री के प्रति कैसा सामाजिक दृष्टिकोण संभावित है? 

उत्तर: लक्ष्मण के शोक में डूबे राम कहते हैं कि जब अयोध्या जाएंगे तो सब उनसे क्या कहेंगे। वे कहते हैं कि अयोध्या के लोग कहेंगे कि राम ने नारी के कारण अपने प्रिय भाई को गवा दिया। अयोध्या के लोग यही कहेंगे कि भाई गवाना बहुत ही बड़ा क्षति है परंतु यदि स्त्री को गवाता तो वह ज्यादा बढ़ा क्षति नहीं होता। यदि एक स्त्री जाति तो दूसरी अवश्य आ जाती। परंतु भाई दूसरा नहीं आता है। राम जी का यह कथन भारत में स्त्रियों का वर्णन नहीं करता। श्री राम कहते हैं कि स्त्री होने का अभ्यस्त वह सह लेते परंतु भाई खोने का दुख वो नहीं सह पाते। आज के युग में नारी का पुरुष के समान अधिकार नहीं है। नारी को केवल उपभोग  की वस्तु समझा जाता है। उसे निर्बल एवं असहाय समझकर, उसके आत्मसम्मान को चोट पहुंचाई जाती है।


9. कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में पत्नी इंदुमती के मृत्यु शोक पर आज तथा निराला की सरोज स्मृति में पुत्री सरोज मृत्यु शोक पर पिता के करुण उद्गार निकले हैं। उनसे भ्रातृ शोक में डूबे राम कि इस विलाप की तुलना करें।

उत्तर: “ सरोज स्मृति” में महाकवि निराला ने  अपनी पुत्री की मृत्यु पर जो शोक व्यक्त किए थे, वे एक असहाय पिता के उद्गार थे जो अपनी पुत्री की आकस्मिक मृत्यु के कारण उपजे थे। जबकि कालिदास के महाकाव्य “रघुवंश”  मे अज के उद्गार अपनी पत्नी के शोक में निकले हैं  जो उनके उच्च प्रेम की छाप छोड़ता है। किंतु निराला के सामने जवान पुत्री की मृत्यु अनायास आ खड़ी हुई थी। वही भाई के शोक में राम का विलाप भी निराला की तुलना में कम है। लक्ष्मण केवल मूर्छित हुए थे परंतु निराला की बेटी तो मर ही चुकी थी। लक्ष्मण के जीने की आस अभी शेष थी। सरोज की मृत्यु के लिए, निराला की कमजोर आर्थिक दशा जिम्मेदार थी। वे अपनी पुत्री की देखभाल नहीं कर पाए थे। अतः उनका दुख बहुत ही विकट था जबकि श्री राम के साथ ऐसा नहीं था।


10. “पेट ही पचत, बचत बेटा बेटकी”, तुलसी के ही युग का नहीं बल्कि आज के युग का भी सत्य है। भुखमरी में किसानों की आत्महत्या और संतानों को भी बेच डालने की हृदय विदारक घटनाएं घटती रहती है। वर्तमान परिस्थितियों और तुलसी के युग की तुलना करें।

उत्तर: तुलसीदास के युग में लोगों की हालत इतनी खराब थी कि वह अपने पेट भरने के लिए अपने संतानों तक को बेच देते थे। आज के युग में भी ऐसी घटनाएं होती ही रहती है। अत्यधिक गरीब और पिछड़े हुए क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं होती ही रहती है। भुखमरी के कारण किसान खुद की भी हत्या कर लेते हैं और कई लोग तो आज भी अपने सन्तानो को बेच देते है। अनैतिकता दोनों युगो में सामान दिखाई देती है।


11. तुलसी के युग के बेकारी के क्या कारण हो सकते हैं? आज की बेकारी की समस्याओं के कारणों के साथ उसे मिलाकर परिचर्चा करें। 

उत्तर: बेकारी एक ऐसी समस्या है जो अभी भी समाप्त नहीं हुई है। बेकारी की समस्या तुलसीदास के युग के साथ-साथ आज के युग में भी देखी जा रही है। बेकारी वही है परंतु कारण बदल सकते हैं। जैसे कि तुलसीदास के युग में बेकारी के अलग कारण थे और अब बेकारी के अलग कारण हैं। तुलसीदास के युग में बड़े एवं धनवान लोग, गरीब लोगों की हक छीन लिया करते थे। इससे क्या होता था कि अमीर और अमीर होते थे और गरीब और गरीब होते जाते थे। अमीरों द्वारा पिछड़े वर्गों को शोषण का शिकार होना पड़ता था। अमीर लोग गरीबों की मदद नहीं करते थे और जिसके कारण उन्हें बेरोजगारी हाथ लगती थी। इस युग में देखा जाए तो अभी भी बेरोजगारी पूर्ण तरह से हटी नहीं है। इस युग में बेरोजगारी के अलग कारण हैं। जैसे कि शिक्षित ना होना। आज के युग में शिक्षित होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। जो व्यक्ति शिक्षित है वह किसी भी तरह से अपने पेट की आग बुझाने के लिए कमा सकता है परंतु जो अशिक्षित है उन्हें बेरोजगारी ही हाथ लगती है।


12. यहाँ कवि तुलसी के दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित सवैया- ये पाँच छंद प्रयुक्त हैं। इसी प्रकार तुलसी साहित्य में  छंद तथा काव्य रूप आए हैं। ऐसे छंदों एवं काव्य रूपों की सूची बनाएं।

उत्तर: तुलसी साहित्य में अन्य छंद एवं काव्य रूप आए हैं जो निम्नलिखित है।

छंद - बरवै,छप्पय और हरिगीतिकाI 

काव्य रूप - रामचरितमानस - प्रबंध काव्य

विनय पत्रिका - मुक्तक काव्य

गीतावली एवं कृष्णावली - गेय पद शैली।


Learnings of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7 

  • Understand the emotional depth of Ram’s lament and how it reflects the human side of a divine character.

  • Explore the social and economic issues of Tulsidas’s time, particularly concerning poverty and human suffering.

  • Analyse the symbolic meaning behind the relationship between Ram and Lakshman and its impact on the narrative.

  • Learn how Tulsidas blends human emotions with divine attributes, creating a rich emotional tapestry.

  • Appreciate the use of poetic devices like metaphors and allusions in expressing complex emotions and societal themes.


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Conclusion

Chapter 7 'Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap' from Tulsidas's Kavitavali brings out the emotional core of Lord Ram, highlighting his intense sorrow and vulnerability as he grieves for his unconscious brother, Lakshman. This blend of human emotion with divine duty makes the chapter a compelling read, offering lessons in devotion, familial bonds, and resilience. NCERT Solutions for this chapter provide students with a clear understanding of the text’s deeper meanings and help in comprehending the emotional layers that Tulsidas has intricately woven into his poetry.


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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Hindi Chapter 7: Kavitavali (Uttarakhand se), Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap (Aroh)

1. How does Tulsidas depict the economic disparity of his time in the poem  'Kavitavali' from NCERT Solutions for Class 12 Hindi?

Tulsidas highlights the economic disparity by showing how people, driven by hunger, resorted to both ethical and unethical means to survive, reflecting the severe poverty of the time.

2. What is the significance of Ram’s lament in 'Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap' in Kavitavali?

Ram’s lament signifies the deep bond between the brothers, showing his vulnerability and how Lakshman’s absence deeply affects him on both a personal and emotional level. Students can visit and download.

3. How does Tulsidas convey Ram’s grief in NCERT Class 12 Hindi 'Kavitavali'?

Tulsidas uses powerful metaphors and vivid imagery to depict Ram’s grief, portraying him as both a divine figure and a human experiencing intense emotional pain over his brother’s condition.

4. What does Tulsidas mean by "पेट की आग का शमन ईश्वर (राम) भक्ति का मेघ ही कर सकता है" in Class 12 Hindi Chapter 7 ?

Tulsidas emphasizes that only devotion to God can bring true peace and satisfaction, suggesting that material needs can only be fully appeased through spiritual fulfillment.

5. What message does Tulsidas convey through the line "धूत कहौ... ... काहू की जाति बिगार न सोउ" in Kavitavali?

According to NCERT Soluitions Tulsidas conveys that he is unaffected by societal judgments regarding caste and status, demonstrating his independence from worldly concerns and his sole focus on devotion to Lord Ram.

6. How does Ram’s reaction to Lakshman’s unconsciousness highlight his human side in Kavitavali of Chapter 7 Hindi?

Ram’s reaction, filled with sorrow and helplessness, shows that despite being a divine figure, he experiences human emotions like grief and vulnerability when his brother Lakshman is unconscious.

7. Why does Tulsidas emphasize the importance of humility in 'Kavitavali' according to NCERT Solutions?

Tulsidas emphasises humility to show that true devotion to God and the path to spiritual enlightenment come from a place of humility and surrender, without pride or ego.

8. How does Tulsidas highlight social issues in 'Kavitavali' from NCERT Solutions for Class 12 Hindi?

Through the depiction of poverty, hunger, and the social disparities of his time, Tulsidas brings attention to the suffering of common people and the harsh realities they faced.

9. What does Ram’s lament reveal about his relationship with Lakshman in Kavitavali?

Ram’s lament reveals the deep love and emotional dependence he has on Lakshman, showing that their bond is not only divine but also deeply human and familial. Students can visit and download other important study materials beneficial for last-minute exam preparations.

10. How does Class 12 Hindi Chapter 7 'Laxman-Murcha aur Ram ka Bilap' teach the importance of resilience and faith?

Chapter 7 teaches that even in the face of great emotional pain and loss, one must remain resilient and have faith in God’s plan, as demonstrated by Ram’s eventual recovery from grief.