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Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar

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CBSE Class 11 Hindi Aroh Important Questions Chapter 14 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar - Free PDF Download

Free PDF download of Important Questions with solutions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhukh! Mat machal, Hey mere juhi k phool jaise Ishwar prepared by expert Hindi teachers from latest edition of CBSE(NCERT) books.

Study Important Questions Class 11 Hindi Chapter 14 - हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

अति लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                (1 अंक)

1.कवियत्री किस का संदेश लेकर आई है?

उत्तर: कवियत्री अपने आराध्य देव शिव का संदेश लेकर आई है।


2.क्या करने से मनुष्य ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है?

उत्तर: मनुष्य अपनी इंद्रियों को नियंत्रित कर ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है। 


3.ईश्वर कैसा है? 

उत्तर: ईश्वर सुगंधित जूही के पुष्प समान कोमल अथवा परोपकारी है। जो निस्वार्थ अपनी दया सभी मनुष्यों पर एक समान बिखेरता है। 


4.मोह माया क्या है?

उत्तर: मनुष्य के लिए अपना घर परिवार और सांसारिक सुख ही मोह माया है। 


5. मचल तथा पाश का शब्दार्थ बताइए।

उत्तर:मचन- पाने की ज़िद, तड़प। पाश- बंधन।


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                        (2 अंक)

1.कवियत्री किस से प्रार्थना करते हैं कि उनको परेशान ना करें?

उत्तर: कवियत्री स्वयं की इंद्रियों से विनती करती है कि उनकी भूख, प्यास, नींद, क्रोध, मोह, ईर्ष्या, अहंकार एवं लोभ जगा कर उनके मन को विचलित कर उन्हें परेशान ना करें। 


2.कवियत्री किस से प्रार्थना करती है कि उनका संसार से लगाओ समाप्त हो जाए? 

उत्तर: कवियत्री अपने आराध्य (ईश्वर) से प्रार्थना करती है कि उनका सांसारिक लगाव समाप्त हो जाए। 


3.कवियत्री मनुष्य को किन चीजों पर विजय प्राप्त करने को कहती है? 

उत्तर: कवियत्री मनुष्य को अपनी इंद्रियाँ नियंत्रित कर भूख, प्यास, नींद, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार अथवा ईर्ष्या की भावना पर विजय प्राप्त करने को कहती है।  


4.मनुष्य भीख कब मांगता है? 

उत्तर: जब मनुष्य का सब कुछ नष्ट हो जाता है और उसके जीवन में कोई उद्देश्य शेष ना रह जाता है। ऐसी परिस्थिति में मनुष्य भीख मांगता है। 


5.मनुष्य कब वैराग्या की तरफ जाता है?

उत्तर: सब कुछ नष्ट होने की स्थिति में मनुष्य भीख मांगता है और इस स्थिति में  भोजन ना मिलने पर वह वैराग्या की तरफ जाता है। 


लघु उत्तरीय प्रश्न                                                                                          (3 अंक)

1.जूही के फूल का चित्र अंकित के लिए दिया गया है? ईश्वर और जूही के फूलों के बीच समानता का आधार क्या है?

उत्तर: जूही के फूलों का चित्रण ईश्वर (आराध्य) के लिए दिया गया है। ईश्वर और जूही के फूलों के बीच समानता का आधार इसका आकर्षण और सुगंध है। जिस प्रकार जूही के फूल कोमल सुंदर और सुगंध देने वाले होते हैं। ठीक उसी प्रकार ईश्वर का ह्रदय कोमल  एवं दया से परिपूर्ण  होता है जिसमें सभी मनुष्य के लिए एक समान भाव होते हैं। 


2.मनुष्य किस मोह माया में फंसा हुआ है? 

उत्तर: मनुष्य अपने घर परिवार एवं सांसारिक सुखों के मोह माया में फंसा जाता है। जिसके मनुष्य अपने आराध्य को पाने का उद्देश्य भूल जाता है। कवियत्री अपने जीवन में इस मोह माया को त्यागने की बात कहती है क्योंकि सांसारिक लगाव ने उन्हें जकड़ रखा है जो ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में एक बाधा स्वरूप है, इसलिए वह अपना यानी मोह त्याग कर ईश्वर प्राप्ति मार्ग की ओर बढ़ना चाहती हैं। 


3.कवियत्री किसे छोड़ना चाहती है और क्यों? 

उत्तर: कवियत्री सांसारिक सुखों को त्याग कर निस्वार्थ भावना से ईश्वर भक्ति मार्ग में चलना चाहती है। वह जीवन के भौतिक सुखों और मोह माया को त्याग वैराग्य जीवन व्यतीत   करना चाहती है। साथ ही वह ईश्वर की भक्ति में लीन होकर स्वयं को अपने आराध्य को समर्पित करना चाहती है। जिससे उन्हें ईश्वर की प्राप्ति हो सकें। 


4.“हे भूख! मत मचल..... आई हूं संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का” इन पंक्तियों का शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: कवियत्री अक्क महादेवी ने इस कविता की रचना कन्नड़ भाषा में किया था। यहां  इस कविता का हिंदी अनुवाद या गया है। इस पद में संबोधन शैली का प्रयोग किया गया है। इंद्रियों एवं भावों को मानवीय अलंकार द्वारा संबोधित किया गया है। इन पदों में प्रसाद गुण एवं उपदेशात्मक की छाप नजर आती है। पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार एवं  उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है। अत: खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है। 


5.“हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर..... और उसे झपट कर छीन ले मुझसे।” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: अक्क महादेवी ने इस कविता की रचना कन्नड़ भाषा में की थी। यहां इसका हिंदी अनुवाद किया गया है। इन पंक्तियों में जूही के फूलों की तुलना आराध्य (ईश्वर) से की गई है। यहां उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है। भाषा शैली संवादात्मक है। कोई कुत्ता में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है। इस पद में शांत रस की छाप स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।  


दीर्घ उत्तरीय प्रश्न                                                                                      (5 अंक )

1. इंद्रियों का मनुष्य के जीवन में क्या महत्व है?

उत्तर: मनुष्य रूपी जीवन में इंद्रियों का एक महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मनुष्य इंद्रियों के बिना असंवेदनशील और कल्पना से परे तुच्छ वस्तु मात्र के सामान है। इंद्रियां ही मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ बनाती है अथवा अपने भावों पर नियंत्रित ना कर पाने की स्थिति में दुष्परिणाम की ओर भी ले जाती है। यह हमें लक्ष्य मार्ग से भ्रमित कर ईश्वर प्राप्ति मार्ग से दूर ले जाती है और सांसारिक मोह माया में उलझाए रखती है। साथ ही हमें वासना की ओर ढकेलती है।  जिससे यह ईश्वर प्राप्ति के मार्ग में  एक बाधक स्वरूप कार्य करती है इसलिए मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण होना आवश्यक है। 


2. मानव जीवन और भक्ति का क्या संबंध है? 

उत्तर: कवियत्री अक्क महादेवी ने मनुष्य जीवन पाने को सौभाग्य बताया है। अत: जीवन प्रक्रिया जीवन मृत्यु से होकर गुजरती है। जिसमें  मनुष्य द्वारा व्यतीत किए गए समय को पूर्ण एवं सार्थक करने के लिए ईश्वर की भक्ति एकमात्र मार्ग है। इसी कारण  कवियत्री मनुष्यों को भक्ति पथ पर चलने के लिए प्रेरित करती है । मनुष्य अपने इंद्रियों के जाल में फस कर मोह माया में बंध जाता है जिससे वह अपना ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य भूल जाता है। सांसारिक सुख पा कर भ्रमित हो जाता है। इसलिए समय रहते मनुष्य को ईश्वर भक्ति का मार्ग अपनाकर मानव होने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहिए।  


3.“हे भूख मत मचल हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर” कविता का सारांश लिखिए।

उत्तर: इस कविता के माध्यम से कवियत्री हमें भक्ति मार्ग से अवगत कराना चाहते हैं जिससे हमें मनुष्य होने का सौभाग्य प्राप्त हो सके। लेखिका ने मनुष्य को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर भक्ति मार्ग की ओर प्रेरित किया है। वह कहती है कि मनुष्य रूपी जीवन में इंद्रियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है परंतु हमें अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर परम सुख प्राप्त करने की आवश्यकता है। मनुष्य मोह माया त्याग कर ही सत्य के पथ पर चलकर ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है और बुराइयों का अंत कर सकता है। कवियत्री अपने अहंकार मोह माया को त्याग कर ईश्वर भक्ति में  लीन हो जाना चाहती है जिससे उन्हें ईश्वर प्राप्त हो जाए। 


4.”हे भूख! मत मचल...... आई हूं संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: उपरोक्त दिए गए पंक्तियों में कवियत्री संसार के समर्थ उपभोग विलासिता जैसे भौतिक सुखों एवं मोह माया को स्वयं से दूर रहने की प्रार्थना करती है। जो उन्हें भक्ति मार्ग से भ्रमित कर रहे हैं। वह इन सभी सुखो से निम्र निवेदन करती है कि हे भूख मुझे मत सता तथा वह सांसारिक प्यास से कहती है मेरे मन में लालसा की भावना मत जगा। वह अपने क्रोध, आलस्य एवं अहंकार को स्वयं से दूर रहने की प्रार्थना करती है क्योंकि ये सभी वस्तुएं उन्हें मोह के बंधन में बांधते हैं और अपने आराध्य से दूर ले जाते हैं।


5.“हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर........ और उसे झपटकर छीन ले मुझसे” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर: उपरोक्त पंक्तियों में कवियत्री जूही के फूलों की तुलना ईश्वर से करती है तथा स्वयं ईश्वर की भक्ति में लीन रहने की बात करती है। ईश्वर को जूही के फूल समान सुंदर कोमल और परोपकारी मानती है और ईश्वर से अपने जीवन को सार्थक बनाने हेतु सांसारिक मोह माया से दूर करने की प्रार्थना करती है। कवित्री अपने जीवन के भौतिक सुखों को त्याग कर वैराग्य जीवन व्यतीत करना चाहती है। जिससे उनके आराध्य के प्रति भक्ति सार्थक हो सके और ईश्वर उनके मन में अहंकार समाप्त कर भक्ति रूपी दीपक को प्रज्वलित कर उनकी भक्ति स्वीकार करें। 

FAQs on Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 14 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar

1. In the Poem ‘Hey Bhukt! Mat Machal, Hey Mere Juhi Ke Phool Jaise Eshwar’ What Does the Poet Object to?

It is important to comprehend the poem's literal and metaphysical meanings. In this poem, the author discusses the materialistic side of life and uses mythical goddesses and gods to illustrate her ideas. She criticizes the materialistic society for encouraging greed in people. Due to this, they divert from their initial goal and compromise their dignity in favour of material success.

2. What is the Difficulty level of CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 18 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar.

The difficulty level of this poem is not very high. Though there is a metaphysical element to be understood from the poem, the summary and content of this poem are very easy to follow. The language used to explain the poem is extremely lucid, which makes it easier for the students to understand the concepts related to the text or poem.

3. Where can I find Important Questions for CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 18 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar?

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4. What is the weightage of the CBSE Class 11 Hindi Aroh Chapter 18 Poem Hey Bhukh! Mat Machal, Hey Mere Juhi K Phool Jaise Ishwar?

The student must adhere to the NCERT solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 18, Akka Mahadevi, in order to have a thorough understanding of the text. This is a mandatory topic that will undoubtedly be covered in the final exam. If the student is facing any difficulty to understand the poem, Vedantu.com created an extremely thorough lesson plan that gives the students clarity. This helps the students comprehend the poem's ideas, concepts, and historical context, which further enables them to form their own opinions about the text at hand.

5. What is the easiest way to learn Hindi Aroh Chapter 18 Poem?

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