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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 - In Hindi

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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 Reproduction in Organism in Hindi Mediem

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Class:

NCERT Solutions for Class 12

Subject:

Class 12 Biology

Chapter Name:

Chapter 1 - Reproduction in Organism

Content-Type:

Text, Videos, Images and PDF Format

Academic Year:

2024-25

Medium:

English and Hindi

Available Materials:

  • Chapter Wise

  • Exercise Wise

Other Materials

  • Important Questions

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Access NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 – Reproduction in Organism

प्रश्नावली

1. जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है? 

उत्तर: जनन जीवों का एक अति महत्त्वपूर्ण लक्षण है। यह एक अति आवश्यक जैविक प्रक्रिया है। जिसके द्वारा न सिर्फ जीवों की उत्तरजीविता में मदद मिलती है बल्कि इससे जीव-जाति की निरन्तरता भी बनी रहती है। जनन जीवों के अमरत्व में भी सहायक होता है। प्राकृतिक मृत्यु, वयता वे जीर्णता के कारण होने वाले जीव ह्रास की आपूर्ति, जनन द्वारा ही होती है। जनने से जीवों की संख्या बढ़ती है। जनन एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा लाभदायक विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक स्थानान्तरित होती हैं। अत: जनन जैव विकास में भी सहायक होता है। इन समस्त कारणों के आधार पर कहा जा सकता है कि जनन जीवों के लिए अनिवार्य है। 


2. जनन की अच्छी विधि कौन-सी है और क्यों ? 

उत्तर: प्राय: लैंगिक जनन (sexual reproduction) को जनन की श्रेष्ठ विधि माना गया है। लैंगिक जनन के दौरान गुणसूत्रों की अदला-बदली होती है जिससे युग्मकों (gametes) में नये लक्षण विकसित होते हैं तथा नये जीव का विकास होता है जो अपने जनकों से भिन्न होता है। अतः लैंगिक जनन जैव विकास में सहायक होता है। लैगिक जनन द्वारा जीवों के जीवित रहने के अवसर अधिक होते हैं, क्योंकि आनुवंशिक विभिन्नताओं के कारण जीव अधिक क्षमतावान होता है। लैंगिक जनन से जीवों की संख्या भी बढ़ती है।लैंगिक जनन से आनुवंशिक विभिन्नताएं अती है| अत: लैंगिक जनन ही, जनन की अच्छी विधि है। 


3. अलैगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति को क्लोन क्यों कहा गया है ? 

उत्तर: आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से एक समान जीव क्लोन (clone) कहलाते हैं। अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तति आनुवंशिक व आकारिकीय रूप से अपने जनक के एकदम समान होती है और इनमें कोई भी आनुवंशिक विभिन्नता नहीं होती है,और नाही ये आवश्यक विभिन्नताओं को अगले पीढ़ी में स्थानांतरित कर पाते है, अत: इसे क्लोन कहते हैं। 


4. लैगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी सन्तति के जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। क्यों ? क्या यह कथन हर समय सही होता है ? 

उत्तर: लैंगिक जनन के दौरान गुणसूत्रों का विनिमय होने से आनुवंशिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जो जनक से सन्तति में स्थानान्तरित होती हैं। युग्मकों की उत्पत्ति व निषेचन के कारण नये तथा बेहतर गुणों युक्त सन्तति का जन्म होता है। अत: लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप उत्पन्न सन्तति के जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। यह कथन सदैव सही नहीं होता है। जनकों के रोगग्रस्त होने पर वह रोग आने वाली पीढ़ियों में स्थानान्तरित हो जाता है जिनका ठीक होना नामुमकिन सा होता है क्यूंकि सुरुअती दौर में स्थानांतरित होने वाले बीमारियों का पता लगाना मुश्किल से होता है|


5. अलैगिक जनन द्वारा बनी सन्तति लैगिक जनन द्वारा बनी सन्तति से किस प्रकार से भिन्न है? 

उत्तर: अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवंशिक व संरचनात्मक रूप से जनक के समान होती है अर्थात् अपने जनक का क्लोन (clone) होती है। इसके विपरीत लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवंशिक रूप से जनक से भिन्न होती है। अलैंगिक जनन कोई भी अच्छे गुडो को अगले पीढ़ियों ने स्थानांतरित नहीं कर पाते है|


6. अलैगिक तथा लैगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैगिक जनन क्यों माना गया है ? 

उत्तर: अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद निम्नलिखित हैं-

                    अलैंगिक जनन

                    लैगिक जनन

1. इसमें सिर्फ एक जनन भाग लेता है।

2. इसमें युग्मक निर्माण व निषेचन का अभाव होता है।

3. यह जनक की कायिकी कोशिकाए भी होता है।

4. इसमें सम सूत्री विभाजन होता है।

5. यह सरल और तीव्र गति से होने वाला जनन है ।

6. इसके द्वारा उत्पन्न संतति आनुवंशिक रूप से जनक के समान होता है।

7. जनक इकाई कालिका, खंड या जनक का सम्पूर्ण शरीर होता है।

8. इस प्रकार का जनन निम्न अकशेरुकी व निम्न कांडेट में पाया जाता है।

1. इनमें दो जनक नर तथा मदा भग लेते है।

2. इसमें  युग्मक निर्माण व निषेचन होता है।

3. यह जनक की जनन कोशिकाओं में होता है

4. इसमें आर्धासुत्री तथा समसुत्री दोनों प्रकार के विभाजन होते है।

5. यह जटिल व धीमी गति से होने वाला जनन है।

6. इसके द्वारा उत्पन्न संतति आनुवंशिक रूप से अपने जनन से भिन्न होता है।

7. जनक इकाई युग्मक होते है।

8. यह उच्च पौधे व जन्तु में पाया जाता है।


कायिक जनन (vegetative reproduction), अलैंगिक जनन की ऐसी विधि है जिसमें पौधे के कायिक भाग से नये पौधे का निर्माण होता है। अतः इसमें एक ही जनक भाग लेता है तथा इसके द्वारा उत्पन्न सन्तति आनुवंशिक व आकारिकी में अपने जनक के समान होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कायिक जनन वास्तव में प्रारूपिक अलैंगिक जनन है। 


7. कायिक प्रवर्धन से आप क्या समझते हैं ? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दो। 

उत्तर: कायिक प्रवर्धन जनन की ऐसी विधि है जिसमें पौधे के शरीर का कोई भी कायिक भाग प्रवर्धक का कार्य करता है तथा नये पौधे में विकसित हो जाता है। मातृ पौधे के कायिक अंग; जैसे-जड़, तना, पत्ती, कलिका आदि से नये पौधे का पुनर्जनन, कायिक प्रवर्धन कहलाता है। कायिक प्रवर्धन के दो उदाहरण निम्न हैं – अजूबा (Bryophyllum) के पौधे में पत्तियों के किनारों से पादपकाय उत्पन्न होते हैं जो मातृ पौधे से अलग होकर नये पौधे को जन्म देते हैं। आलू के कन्द में उपस्थित पर्वसन्धियाँ (nodes) कायिक प्रवर्धन में सहायक होती हैं। पर्वसन्धियों में कलिकाएँ स्थित होती हैं तथा प्रत्येक कलिको नये पौधे को जन्म देती है। 


8. व्याख्या कीजिए – 

(क) किशोर चरण 

उत्तर: किशोर चरण (Juvenile phase) – सभी जीवधारी लैंगिक रूप से परिपक्व होने से पूर्व एक निश्चित अवस्था से होकर गुजरते हैं, इसके पश्चात् ही वे लैंगिक जनन कर सकते हैं। इस अवस्था को प्राणियों में किशोर चरण यो अवस्था तथा पौधों में कायिक अवस्था (vegetative phase) कहते हैं। इसकी अवधि विभिन्न जीवों में भिन्न-भिन्न होती है। 


(ख) प्रजनक चरण 

उत्तर: प्रजनक चरण (Reproductive phase) – किशोरावस्था अथवा कायिक प्रावस्था के समाप्त होने पर प्रजनक चरण अथवा जनन प्रावस्था प्रारम्भ होती है। पौधों में इस अवस्था को स्पष्ट पहचाना जा सकता है। क्योंकि पौधों में पुष्पन (flowering) प्रारम्भ हो जाता है। प्राणियों में भी अनेक शारीरिकी एवं आकारिकी परिवर्तन आ जाते हैं। इस चरण में जीव संतति उत्पन्न करने योग्य हो जाता है। यह अवस्था विभिन्न जीवों में अलग-अलग होती है। 


(ग) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था। 

उत्तर: जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescent phase) – यह जीवन चक्र की अन्तिम अवस्था अथवा तीसरी अवस्था होती है। प्रजनन आयु की समाप्ति को जीर्णता चरण या जीर्णावस्था की प्रारम्भिक अवस्था माना जा सकता है। इस चरण में उपापचय क्रियाएँ मन्द होने लगती हैं, ऊतकों का क्षय होने लगता है तथा शरीर के अंग धीरे-धीरे कार्य करना बन्द कर देते हैं और अन्ततः जीव की मृत्यु हो जाती है। इसे वृद्धावस्था भी कहते हैं। 


9. अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों ने लैगिक प्रजनन को पाया है, क्यों ? 

उत्तर: लैंगिक प्रजनन जटिल तथा धीमी गति से होने के बावजूद भी अनेक रूप से उत्तम है। इस प्रकार के जनन के दौरान गुणसूत्रों का विनिमय होने से नये लक्षण विकसित होते हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तरित होते रहते हैं। गुणसूत्रों के आदान-प्रदान से विभिन्नताएँ भी उत्पन्न होती हैं, जो जैव विकास में सहायक होती हैं, और जब अच्छे गुड़ों का स्थानांतरण अगले पीढ़ी में होता है तो वो बदलते वातावरण के साथ अपने आप को भी बदलकर अपने अस्तित्व की बनाय रखते हैं|अपने इन्हीं गुणों के कारण बड़े जीवों में लैंगिक जनन पाया जाता है। 


10. व्याख्या करके बताएँ कि अर्द्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकजनन सदैव अन्तर-सम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होते हैं। 

उत्तर: लैंगिक जनन करने वाले जीवधारियों में प्रजनन के समय अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) तथा युग्मकजनन (gametogenesis) प्रक्रियाएँ होती हैं। सामान्यतया लैंगिक जनन करने वाले जीव द्विगुणित (diploid) होते हैं। युग्मक निर्माण प्रक्रिया को युग्मकजनन (gametogenesis) कहते हैं। शुक्राणुओं के निर्माण को शुक्रजनन तथा अण्डाणुओं के निर्माण को अण्डजनन कहते हैं। इनका निर्माण क्रमशः नर तथा मादा जनदों (gonads) में होता है। युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है, अर्थात् युग्मक अगुणित (haploid) होते हैं। युग्मकजनन प्रक्रिया अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा होती है। अतः युग्मकजनन तथा अर्द्धसूत्री विभाजन क्रियाएँ अन्तरसम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होती हैं। निषेचन के फलस्वरूप नर तथा मादा अगुणित युग्मक संयुग्मन द्वारा द्विगुणित युग्माणु (diploid zygote) बनाता है। द्विगुणित युग्माणु से भ्रूणीय परिवर्धन द्वारा नए जीव का विकास होता है। 


11. प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानिए तथा लिखिए कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित (2n) अण्डाशय परागकोश अण्डा या डिम्ब पराग नर युग्मक युग्मनज 


Vertical cut of a bisexual flower


उत्तर: पुष्पीय भाग – 1.अण्डाशय (Ovary) – द्विगुणित (2n)

2.परागकोश (Anther) – द्विगुणित (2n) 

3.अण्डा या डिम्ब (Ova) – अगुणित (n) 

4.परागकण (Pollen grain) – अगुणित (n) 

5.नर युग्मक (Male gamete) – अगणित (n) 

6.युग्मनज (Zygote) – द्विगुणित (2n) 

युग्मनज (zygote) शुक्राणु तथा अण्ड के मिलने से बनी द्विगुणित संरचना (2n) होती है। 


12. बाह्य निषेचन की व्याख्या कीजिए। इसके नुकसान बताइए। 

उत्तर: बाह्य निषेचन (External Fertilization) – शुक्राणु (नरे युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) के संयुग्मन या संलयन को निषेचन कहते हैं। इसके फलस्वरूप द्विगुणित युग्माणु (diploid zygote) का निर्माण होता है। अधिकांश शैवालों, मछलियों में और उभयचर प्राणियों में शुक्राणु (नर युग्मक) तथा अण्ड (मादा युग्मक) का संलयन शरीर से बाहर जल में होता है, इसे बाह्य निषेचन (external fertilization) कहते हैं। 

बाह्य निषेचन से हानियाँ (Disadvantages of External Fertilization) – 

1.जीवधारियों को अत्यधिक संख्या में युग्मकों का निर्माण करना होता है जिससे निषेचन के अवसर बढ़ जाएँ अर्थात् इनमें युग्मक संलयन के अवसर कम होते हैं। 

2.संतति अत्यधिक संख्या में उत्पन्न होती हैं। 

3.संतति शिकारियों द्वारा शिकार होने की स्थिति से गुजरती है, इसके फलस्वरूप इनकी उत्तरजीविता जोखिमपूर्ण होती है अर्थात् सन्तानें कम संख्या में जीवित रह पाती हैं। 


13. जूस्पोर (अलैगिक चल बीजाणु) तथा युग्मनज के बीच विभेद करें। 

उत्तर: जूस्पोर (अलैंगिक चल बीजाणु) – यह नग्न, चल, कशाभिका युक्त संरचना है जो अलैंगिक जनन की इकाई है। इनका निर्माण जनक कोशिका के जीवद्रव्य से सूत्री विभाजन द्वारा होता है। इनके अग्र भाग पर स्थित कशाभिका जल में तैरने हेतु सहायक होती हैं। ये चलबीजाणु धानी में बनते हैं। उदाहरण – यूलोथ्रिक्स, क्लेमाइडोमोनास आदि। 

युग्मनज (Zygote) – लैंगिक जनन के दौरान नर तथा मादा युग्मकों (gametes) के निषेचन से बनी रचना, युग्मनज कहलाती है। यह द्विगुणित (diploid = 2n) होता है तथा विकसित होकर भ्रूण अथवा लार्वा में परिवर्तित हो जाता है। लैंगिक जनन करने वाले जीवों का विकास युग्मनज से होता है। बाह्य निषेचन करने वाले जीवों में युग्मनज का निर्माण बाह्य माध्यम (जल) में होता है; जैसे – मेढ़क जबकि आन्तरिक निषेचन करने वाले जीवों में यह मादा के शरीर में विकसित होता है; जैसे – मनुष्य आदि। 


14. युग्मकजनन एवं भ्रूणोद्भव के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर:

      युग्मकजनन  (Gametogenesis)

        भ्रूणोद्भव (Embryogenesis)

1. नर तथा मदा जनादो में अगुणित युगमको के बनने की प्रक्रिया को युग्मकजनन कहते है।

2. यह अर्द्ध सूत्री विभाजन द्वारा होता है।

3. युग्मकजनन दो प्रकार के होते है:- 

     1 शुक्रजनन (spermatogenesis)

      2 अंडाजनन (oogenesis)


 


1. युग्मनज या युग्मानु से संतति के विकसित होने की क्रिया को भरूंद्भव कहते है।

2. यह सूत्री विभाजन द्वारा होता है।

3. भ्रनोद्भव के अंतर्गत निम्नलिखित प्रक्रियां होती है।

  1. युगमकजनं (gametogenesis)

  2. निषेचन(fertilization)

  3. विदलन एंव भ्रुण निर्माण (segmentation and embryo formation

 

15. एक पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए। 

उत्तर: पुष्प में निषेचन-पश्च परिवर्तन (Post fertilization development in a flower)-पुष्पीय पौधों में दोहरा निषेचन तथा त्रिक संलयन (double fertilization and triple fusion) होता है। इसके फलस्वरूप भ्रूणकोष (embryo sac) में द्विगुणित युग्मनज (zygote) तथा त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (primary endosperm nucleus) बनता है। इनसे क्रमशः भ्रूण (embryo) तथा भूणपोष (endosperm) बनता है। भ्रूणपोष विकासशील भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। इसके साथ-साथ बीजाण्ड में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं जिसके फलस्वरूप बीजाण्ड से बीज तथा अण्डाशय से फलावरण (pericarp) का निर्माण होता है। 

1.बीजाण्डवृन्त – बीजवृन्त बनाता है। 

2.अध्यावरण – बीजावरण बनाता है। 

3.अण्डद्वार – बीजद्वार बनाता है। 

4.बीजाण्डकाय (nucellus) – प्रायः नष्ट हो जाता है, कभी-कभी भोजन संचित होने के कारण पेरिस्पर्म (perisperm) बनाता है। 

5.भ्रूणकोष (embryo sac) 

  • अण्ड कोशिका (egg cell) – भ्रूण (embryo) बनाती है। 

  • सहायक कोशिकाएँ (synergids) – नष्ट हो जाती हैं। 

  • प्रतिमुख कोशिकाएँ (antipodal cells) – नष्ट हो जाती हैं। 

  • ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) – भ्रूणपोष बनाता है। 

6.अण्डाशय की भित्ति – फलभित्ति बनाती है। बीज में भ्रूण सुप्तावस्था में रहता है। बीज चारों ओर से बाह्यकवच तथा अन्त:कवच (testa & tegmen) से बने अध्यावरण से घिरा होता है। भ्रूण बीजपत्रों के मध्य स्थित होता है। फलभित्ति की संरचना के आधार पर फल सरस अथवा शुष्क होते हैं। 


16. एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस-पास से पाँच द्विलिंगी पुष्पों को एकत्र कीजिए और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता कीजिए। 

उत्तर: द्विलिंगी पुष्प (Bisexual flower) – जब पुष्प में पुमंग (androecium) तथा जायांग (gynoecium) दोनों होते हैं तो पुष्प द्विलिंगी (bisexual) कहलाता है। सामान्यतया समीपवर्ती क्षेत्रों में पाए जाने वाले द्विलिंगी पुष्प जैसे – 

1.सरसों – बेसिका कैम्पेस्ट्रिस (Brassica campestris) 

2.मूली – रेफेनस सैटाइवस (Raphanus sativus) 

3.मटर – पाइसम सटाइवम (Pisum sativum) 

4.सेम – डॉलीकोस लबलब (Dolichos lablab) 

5.अमलतास – केसिया फिस्टुला (Cassia fistula) 

6.गुड़हल – हिबिस्कस रोजा सिनेन्सिस (Hibiscus rosa sinensis) 


17. किसी भी कुकुरबिट पादप के कुछ पुष्पों की जाँच कीजिए और पुंकेसरी व स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश कीजिए। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं? 

उत्तर: कुकुरबिट पादप पुष्प एकलिंगी होते हैं। नर पुष्प में जायांग अनुपस्थित होता है। पुष्प में पाँच पुंकेसर होते हैं। ये प्राय: (2 + 2 + 1) के रूप में संयुक्त रहते हैं। इनके परागकोश व्यावृत (twisted) होते हैं। मादा पुष्प में पुमंग (androecium) अनुपस्थित होता है। जायांग त्रिअण्डपी, युक्ताण्डपी, एककोष्ठीय तथा अधोवर्ती अण्डाशय से बना होता है। इसमें भित्तिलग्न बीजाण्डन्यास होता है। अण्डाशय से विकसित सरल सरस फल पेपो (pepo) कहलाता है। 

अन्य एकलिंगी पौधे – 

1.मक्का – जिआ मेज (Zeq muys) 

2.खजूर – फीनिक्स सिल्वेस्ट्रिस (Phoenix sylvestris) 

3.पपीता – कैरिका पपाया (Carica papaya) 

5.नारियल – कोकोस न्यूसीफेरा (Cocos nucifera) 


18. अण्डप्रजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तरजीवन (सरवाइवल) सजीवप्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या कीजिए। 

उत्तर: अण्डप्रजक (oviparous) प्राणियों में निषेचित अण्डे (युग्मनज) का विकास मादा प्राणी के शरीर से बाहर होता है। मादा कैल्सियमयुक्त कवच से ढके अण्डों को सुरक्षित स्थान पर निक्षेपित करती है। अण्डों में भ्रूणीय विकास के फलस्वरूप शिशु का विकास होता है। शिशु निश्चित अवधि के पश्चात अण्डे के स्फुटन के फलस्वरूप मुक्त हो जाता है। अण्डप्रजक में बाह्य परिवर्द्धन (external development) होता है। यह पर्यावरणीय प्रतिकूल परिस्थितियों तथा शिकारी प्राणियों से प्रभावित होता है। इसके फलस्वरूप इन प्राणियों की उत्तरजीविता अधिक जोखिमयुक्त होती है। अण्डप्रजक प्राणियों को विकास के लिए कम समय मिलता है। अत: इन जीवों में आन्तरिक परिपक्वता सजीवप्रजक की तुलना में कम होती है। जैसे – मत्स्य, उभयचर, सरीसृप तथा पक्षी वर्ग के प्राणी अण्डप्रजक होते हैं। 

सजीवप्रजक (जरायुज – viviparous) में निषेचित अण्डे (युग्मनज) का परिवर्द्धन मादा प्राणी के शरीर में होता है। इसे आन्तरिक परिवर्द्धन (internal development) कहते हैं। शिशु का विकास पूरा होने के पश्चात् प्रसव द्वारा इनका जन्म होता है, शिशु का विकास आन्तरिक होने के कारण और परिवर्द्धन में अधिक समय लगने के कारण इनकी उत्तरजीविता अपेक्षाकृत कम जोखिमपूर्ण होती है। आन्तरिक परिवर्द्धन होने के कारण ये बाह्य वातावरण तथा बाह्य परभक्षी जीवों से सुरक्षित रहते हैं। यही कारण है कि सजीवप्रजक की उत्तरजीविता अण्डप्रजक की अपेक्षा अधिक होती है।


NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 Reproduction in Organism in Hindi

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FAQs on NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 - In Hindi

1. What is reproduction according to NCERT Solutions for Chapter 1 of Class 12 of Biology?

The biological process which is performed by organisms while producing their offspring is known as reproduction. Reproduction in organisms is an important process since it allows the continuity of generations in all species. There are two types of classifications in this process known as sexual and asexual modes of reproduction. Students can find detailed explanations of this process available in NCERT Solutions for Chapter 1 of Class 12 of Biology in Hindi provided by Vedantu on website as well as app.

2. Why is reproduction essential for organisms according to Chapter 1 of Class 12 of Biology?

Reproduction in organisms is a very essential process. The reasons for this significance held by the process of Reproduction are:

  • It helps in maintaining the birth and death rate. This means that without the process of reproduction taking place, living beings will cease to exist.

  • It facilitates the continuation of generations of various species.

  • It brings variation in the species, further helping in the evolution and development of abilities to make chances of survival better.

3. Which Is a better mode of reproduction: sexual or asexual? Explain why according to Chapter 1 of Class 12 of Biology.

Sexual reproduction has been considered the better mode of reproduction because:

  • This mode of reproduction results in new variants being formed as a result of combining DNA from two individuals, usually from each of the two sex.

As a part of the process, fertilization to produce variants takes place between the female and male gamete. The resulting variants are unidentical to the parents’ progeny. This variation helps the produced offspring to adapt and evolve according to the surroundings leading to the survival of the better-suited individuals.

4.  Is Biology of Class 12 in Hindi easy?

Class 12 Biology may seem difficult for some students in comparison to the other science subjects due to the enormity of the syllabus, detailed concepts, or several diagrams. However, the subject can be made easier to study and understand by following a few simple tips including:

  • Thoroughly read every chapter and make notes

  • Practice writing answers

  • Revise regularly 

  • Practice drawing well-labeled  diagrams

  • Refer to NCERT Solutions, important questions, etc

  • Solve sample papers regularly

5. Where can I NCERT Solutions for Chapter 1 of Class 12 of Biology in Hindi?

Students facing difficulty in solving NCERT questions provided in the Class 12 Biology textbook can find the required help on Vedantu’s website as well as the mobile app. NCERT Solutions for Chapter 1 - Reproduction in Organism in Class 12 Biology in Hindi has been designed for each chapter by subject experts to provide answers that have been explained in a language that can be easily comprehended and increase the student’s understanding. Students can also find other helpful material for preparation on Vedantu. The solutions are free of cost.