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Sana-Sana Hath Jodi (साना-साना हाथ जोड़ि) Class 10 Important Questions: CBSE Hindi (Kritika) Chapter 2

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Hindi (Kritika) Important Questions for Chapter 2 साना-साना हाथ जोड़ि (मधु कांकरिया) Class 10 - FREE PDF Downlo

Vedantu provides Important Questions for Class 10 Hindi (Kritika) Chapter 2, “Sana-Sana Hath Jodi” by Madhu Kankariya. Here at Vedantu, we understand the importance of learning the core themes and cultural nuances of this travel narrative set against the serene Himalayan backdrop. Our set of Class 10 Hindi Kritika Important Questions, along with their detailed answers, aims to help you understand the chapter’s essence, strengthen your critical thinking, and refine your answer-writing skills. Download the FREE PDF to explore these insights, improve your preparation, and gain the confidence you need to perform well in your exams, as per the latest CBSE Class 10 Hindi Syllabus.

Access Class 10 Hindi Chapter 2: Sana-Sana Hath Jodi (साना-साना हाथ जोड़ि) Important Questions

1. प्रश्न: लेखिका ने गैंगटॉक शहर को “मेहनती बादशाहों का शहर” क्यों कहा है?
उत्तर: प्रस्तुत सारांश के अनुसार गैंगटॉक शहर के निवासी अत्यंत परिश्रमी हैं। वे कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों और दुर्गम पहाड़ी जीवनशैली के बावजूद अपना जीवन यापन करने में लगे रहते हैं। लेखिका ने शहर के लोगों की मेहनत, उनके आत्मनिर्भर जीवन तथा कठोर मेहनत से सँवारा गया जीवन-स्तर देखा। उन्हें ऐसा लगा जैसे यहाँ का हर व्यक्ति बादशाह के समान है, जो अपने श्रम के बल पर अपना राज्य (घर-परिवार) चला रहा है। इसीलिए वह गैंगटॉक को “मेहनती बादशाहों का शहर” कहती हैं।


2. प्रश्न: लेखिका ने गैंगटॉक के आसमान को देखकर कैसा सम्मोहन महसूस किया, और क्यों?
उत्तर: गैंगटॉक के आसमान में टिमटिमाते असंख्य तारों को देखकर लेखिका को लगा मानो वह किसी रहस्यमय संसार में प्रवेश कर गई हों। शहरों की चकाचौंध और प्रदूषण से दूर, स्वच्छ वातावरण में इतने सारे तारे देखकर उन्हें एक अनोखा आकर्षण, शांति और रहस्य का अनुभव हुआ। आसमान की इस स्वाभाविक सुंदरता ने उन्हें क्षण भर के लिए दैनिक जीवन की आपाधापी से परे एक अद्वितीय आनंद की अवस्था में पहुँचा दिया।


3. प्रश्न: सारांश के अनुसार लेखिका कंचनजंघा की चोटी क्यों नहीं देख सकीं, और उन्होंने इसके बदले किस दृश्य से संतोष प्राप्त किया?
उत्तर: मौसम के साफ न होने के कारण लेखिका कंचनजंघा की प्रसिद्ध बर्फीली चोटी नहीं देख पाईं। बादलों, धुंध और प्रतिकूल मौसम ने पहाड़ों की चोटियों को ओझल कर दिया था। परंतु इसके विपरीत, उन्हें प्रकृति ने ढेरों खिले हुए सुंदर फूलों से हरा-भरा दृश्य प्रस्तुत किया। उन फूलों की विविधता, रंगीन छटा और सौंदर्य ने उन्हें प्रकृति की असीम कृपा और आकर्षण का अनुभव कराया, जिससे उन्हें कंचनजंघा का न दिखना उतना खल नहीं रहा।


4. प्रश्न: सारांश में बौद्ध पताकाओं की क्या महत्ता बताई गई है, और इनका फहराया जाना किन परिस्थितियों में होता है?
उत्तर: सारांश के अनुसार सफेद बौद्ध पताकाएँ शांति और अहिंसा की प्रतीक हैं। किसी बौद्ध अनुयायी की मृत्यु होने पर उसकी आत्मा की शांति के लिए शहर से दूर किसी पवित्र स्थान पर 108 सफेद पताकाएँ फहरा दी जाती हैं। ये पताकाएँ कभी उतारी नहीं जातीं, बल्कि समय के साथ स्वयं नष्ट हो जाती हैं। इसके अतिरिक्त किसी नए शुभ कार्य के अवसर पर रंगीन पताकाएँ भी फहराई जाती हैं। इस प्रकार पताकाएँ मनोकामनाओं, स्मृतियों और सांस्कृतिक परंपराओं का वाहक बनती हैं।


5. प्रश्न: ‘प्रेयर व्हील’ (धर्म चक्र) को घुमाने की क्या मान्यता है, और लेखिका इस दृश्य को कैसे देखती हैं?
उत्तर: सारांश में बताया गया है कि धर्म चक्र या प्रेयर व्हील को घुमाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। यह प्रतीकात्मक आस्था है कि धार्मिक अनुष्ठान द्वारा व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त कर सकता है। लेखिका इस दृश्य को आध्यात्मिक शांति और धार्मिक विश्वास का एक प्रतीक मानती हैं। घुमता हुआ धर्म चक्र उन्हें बताता है कि कठिन पर्वतीय जीवन में भी लोगों ने अपने विश्वासों को दृढ़ता से थाम रखा है, जिससे उन्हें मानसिक संबल मिलता है।


6. प्रश्न: यूमथांग की ओर जाते समय लेखिका को पहाड़ी जीवन और उसकी कठिनाइयों के कौन-से पक्ष देखने को मिले?
उत्तर: यूमथांग की यात्रा के दौरान लेखिका को दुर्गम पहाड़ी रास्तों, कठोर जलवायु, सीमित संसाधनों और जानलेवा हादसों की संभावनाओं का सामना करने वाली स्त्रियों एवं श्रमिकों की स्थिति दिखती है। वे देखती हैं कि पहाड़ों को डायनामाइट से उड़ाते समय पत्थरों के टुकड़े गिरने से अकसर हादसे होते हैं। इस कठोर परिश्रम और जान के जोखिम के बावजूद लोग अपने दैनिक जीवन को चलाते रहते हैं। इस तरह लेखिका पहाड़ी जीवन की जुझारू प्रवृत्ति और कठिन संघर्षों से परिचित होती है।


7. प्रश्न: “थिंक ग्रीन” शब्दों वाले स्थान पर रुकने पर लेखिका को प्रकृति के कौन-कौन से रूप एक साथ दिखाई देते हैं?
उत्तर: “थिंक ग्रीन” लिखे शब्दों के पास रुकने पर लेखिका को एक बहुआयामी प्राकृतिक दृश्य दिखाई देता है। वहाँ लगातार बहते झरने, नीचे वेग से बहती तिस्ता नदी, सामने धुंध, बादलों से घिरा आसमान, और सुगंधित हवा में बिखरी फूलों की महक—ये सब एक साथ उपस्थित हैं। इस बहुरंगी, बहुरूपी प्राकृतिक छटा को देखकर लेखिका को लगता है जैसे प्रकृति कोई जादूई छड़ी घुमाकर पल-पल अपना रूप बदल रही हो।


8. प्रश्न: सिक्किम के पहाड़ी बच्चों की शिक्षा के संदर्भ में सारांश से क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर: सारांश बताता है कि पहाड़ी बच्चे प्रतिदिन तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की कठिन चढ़ाई चढ़कर स्कूल जाते हैं। स्कूल से लौटने पर वे अपनी माँओं के साथ काम में हाथ बँटाते हैं। यह दर्शाता है कि वहाँ के बच्चों के जीवन में बचपन से ही संघर्ष, अनुशासन और श्रम निहित है। इस कठिन दिनचर्या के बावजूद वे शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास जारी रखते हैं, जिससे उनके जुझारूपन और शिक्षा के प्रति समर्पण का पता चलता है।


9. प्रश्न: पहाड़ों पर काम करने वाली महिलाओं की कठिनाइयों और जोखिम भरे जीवन पर सारांश के आधार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर: सारांश में वर्णित महिलाओं को पहाड़ी रास्ते चौड़े करने का काम सौंपा गया है। यह कार्य अत्यंत जोखिमपूर्ण है, क्योंकि डायनामाइट से पहाड़ों को उड़ाते समय पत्थरों के टुकड़े जानलेवा साबित हो सकते हैं। उनके लिए सुरक्षा के साधन सीमित हैं, और यदि सावधानी न बरती जाए तो अकसर मौत जैसी घटनाएँ घट जाती हैं। इस प्रकार महिलाएँ न केवल कठोर शारीरिक श्रम करती हैं, बल्कि जीवन के हर पल को जोखिम में डालते हुए परिवार के भरण-पोषण में जुटी रहती हैं।


10. प्रश्न: सारांश में वर्णित ‘सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल’ के संदर्भ में लेखिका की मनोस्थिति का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: ‘सेवन सिस्टर्स वाटरफॉल’ पर पहुँचे पर लेखिका और अन्य यात्री उसके सौंदर्य को कैमरे में कैद करने लगते हैं। बहते झरने का पानी लेखिका को ऐसा प्रतीत होता है जैसे वह उनके भीतर की सारी बुराइयाँ और नकारात्मक भावनाएँ बहाकर ले जा रहा हो। यह मनोस्थिति दर्शाती है कि प्रकृति की स्वच्छ, ताजा और प्रबल धाराएँ मानव मन में शुद्धि और नवीकरण का अनुभव जगाती हैं। लेखिका प्रकृति को एक ऐसे कारक के रूप में देखती हैं, जो मनुष्य को आंतरिक रूप से निर्मल करने का सामर्थ्य रखती है।


11. प्रश्न: तिस्ता नदी के किनारे फैले पत्थरों पर बैठकर लेखिका क्या महसूस करती है और क्यों?
उत्तर: तिस्ता नदी के किनारे पत्थरों पर बैठकर लेखिका अपनी यात्रा की थकान उतारती है। आस-पास की शांति, प्राकृतिक सुंदरता, कलकल बहती नदी की ध्वनि और स्वच्छ हवा में उड़ते फूलों की महक उन्हें मानसिक रूप से तरोताज़ा कर देती है। इस क्षण में उन्हें एकांत, प्रकृति का सान्निध्य और अंतर्मन की शांति प्राप्त होती है। यह सुखद अनुभव बताता है कि प्रकृति का सान्निध्य मानव मन की थकान और तनाव को दूर करने में सक्षम है।


12. प्रश्न: लायुंग में लेखिका किस प्रकार के जीवन से परिचित होती है और वहाँ की प्रमुख जीविका के साधनों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: लायुंग में लेखिका छोटे-छोटे लकड़ी के घरों का गाँव देखती है, जहाँ प्रकृति के बीच लोग सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं। यहाँ अधिकांश लोग पहाड़ी आलू, धान की खेती और शराब के निर्माण से अपनी जीविका चलाते हैं। लेखिका देखती है कि वहाँ आधुनिक विकास कम होने के कारण लोग अपने पारंपरिक तरीकों से जीवनयापन कर रहे हैं। हालाँकि यह जीवन कठिन है, परंतु अब भी अपने मूल स्वरूप में प्राकृतिक, सांस्कृतिक और आत्मनिर्भर बना हुआ है।


13. प्रश्न: प्रदूषण का पर्वतीय पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है, सारांश के आधार पर समझाइए।
उत्तर: सारांश में उल्लेख है कि पहले जिस क्षेत्र में भरपूर हिमपात होता था, अब वहाँ प्रदूषण के कारण बर्फबारी में कमी आ गई है। इससे स्पष्ट है कि प्रदूषण पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है। हिमालयी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन, असंतुलित तापमान तथा प्रकृति की स्वाभाविक गतिविधियों में कमी आ रही है। यह परिवर्तन न केवल सौंदर्य पर असर डालता है, बल्कि जलसंचय, कृषि, पशुपालन और पर्यटन सब पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।


14. प्रश्न: कटाओ को स्विट्जरलैंड की उपमा क्यों दी गई है, और इससे लेखिका एवं मणि की प्रतिक्रिया कैसी है?
उत्तर: कटाओ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरी-भरी ढलानों, बर्फ से ढके पहाड़ों और स्वच्छ वातावरण के कारण इतना मनोहारी है कि इसे ‘भारत का स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है। मणि, जिसने वास्तविक स्विट्जरलैंड की यात्रा की है, कहती है कि कटाओ उससे भी सुंदर है। यह प्रतिक्रिया बताती है कि यह स्थान पर्यटकों के लिए अभी अछूता और मूल स्वरूप में बना हुआ है, जहाँ प्रकृति अपनी संपूर्ण महिमा में विद्यमान है। लेखिका और मणि दोनों इस अव्यवसायिक, स्वाभाविक प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत हैं।


15. प्रश्न: कठिन पहाड़ी रास्तों पर गाड़ी चलाने वाले जितेन नार्गे के संदर्भ में सारांश क्या संकेत देता है?
उत्तर: सारांश से पता चलता है कि कठिन, खतरनाक और तंग पहाड़ी रास्तों पर जितेन नार्गे अनुमान और अनुभव के सहारे गाड़ी चला रहा है। इससे पता चलता है कि स्थानीय गाइड न केवल कुशल चालक हैं, बल्कि उन्हें भौगोलिक परिस्थितियों, जलवायु और रास्ते के खतरों का गहरा ज्ञान है। वे अपने अनुभव के आधार पर यात्रियों को सुरक्षित गंतव्य तक पहुँचा देते हैं, जो इन दुर्गम स्थलों को पर्यटन के योग्य बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


16. प्रश्न: लेखिका प्रकृति की इस यात्रा को आध्यात्मिक और दार्शनिक दृष्टि से कैसे देखती है?
उत्तर: लेखिका को लगता है कि हिमालय का भव्य परिवेश, नदियों का कलकल नाद, बर्फ से ढकी चोटियों का सौंदर्य और स्वच्छ वातावरण ऋषियों-मुनियों को वेदों की रचना के लिए प्रेरणा प्रदान करने वाला रहा होगा। इस असीम सौंदर्य की उपस्थिति किसी अपराधी या दुष्ट व्यक्ति को भी आध्यात्मिक बना सकती है। इस दृष्टि से लेखिका प्रकृति को न केवल भौतिक रूप से सुंदर बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत मानती हैं, जो मनुष्य के भीतर नैतिकता, सद्गुणों और शांति के भाव जगाती है।


17. प्रश्न: मणि की टिप्पणी कि “प्रकृति सर्दियों में हमारे लिए पानी इकट्ठा करती है” किस गहरी समझ को प्रकट करती है?
उत्तर: मणि की यह टिप्पणी बताती है कि बर्फ से ढके पर्वत प्राकृतिक जलस्रोतों के भंडार हैं। सर्दियों में संचित बर्फ गर्मियों में पिघलकर नदियों के माध्यम से नीचे बहती है, जिससे निचले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझती है, कृषि को जल मिलता है, और जीवनधारा बनाए रखने में मदद मिलती है। यह टिप्पणी दर्शाती है कि प्रकृति एक दूरदर्शी नियंता की तरह जल संचय कर मानव जीवन को दीर्घकालिक आधार पर पोषित करती है।


18. प्रश्न: लेखिका को पहाड़ी जीवन और शहरी जीवन के बीच क्या अंतर महसूस होता है?
उत्तर: पहाड़ी जीवन में कठिन परिश्रम, सीमित संसाधन, कठोर जलवायु और दुर्गम रास्ते हैं, परंतु वहाँ शांति, प्रकृति का सौंदर्य और सामुदायिक आत्मनिर्भरता अधिक है। शहरों की भागदौड़, प्रदूषण, भीड़भाड़ और अति भौतिकवादी दृष्टिकोण की तुलना में पहाड़ों का जीवन भौतिक रूप से कठिन होने पर भी मानसिक शांति, प्रकृति की निकटता और सरलता प्रदान करता है। इस तरह लेखिका को दोनों जीवनों के बीच भौतिक-सुविधाओं और मानसिक-संतुष्टि की द्वंद्वात्मक स्थिति दिखाई देती है।


19. प्रश्न: लेखिका के मन में हिमालय के बारे में “पल-पल परिवर्तित होने” का क्या अर्थ है?
उत्तर: हिमालय के भौगोलिक और जलवायु परिवर्तन क्षण-क्षण में रंग-रूप बदलते प्रतीत होते हैं। कभी बादल छा जाते हैं, कभी धूप निकल आती है, कभी धुंध छिपा लेती है तो कभी बर्फ चमकने लगती है। यह अनवरत परिवर्तनशीलता हिमालय को एक जादूई चरित्र प्रदान करती है। इससे लेखिका समझती है कि प्रकृति स्थिर नहीं है, वह सजीव है, क्रियाशील है, और यह परिवर्तनशीलता ही उसकी सबसे बड़ी खूबी है, जो मनुष्य को आश्चर्य, रोमांच और विनम्रता का पाठ सिखाती है।


20. प्रश्न: सिक्किम की पर्वतीय स्त्रियों को देख लेखिका को जीवन की कौन-सी सार्वभौमिक सच्चाई समझ में आती है?
उत्तर: सिक्किम की पर्वतीय स्त्रियों के कठोर परिश्रम, जोखिम भरे कार्यों और सीमित साधनों के बावजूद जीवटपूर्ण जीवन देखकर लेखिका समझती है कि आम जनजीवन की चुनौतियाँ संसार में हर जगह लगभग एक जैसी हैं। जीवन की कठिनाइयाँ, संघर्ष, श्रम और हादसों की संभावना—ये सभी सार्वभौमिक सत्य हैं जिनका सामना हर समाज अपने-अपने ढंग से करता है। इससे लेखिका को जीवन का एक व्यापक और यथार्थपरक दृष्टिकोण मिलता है।


21. प्रश्न: सारांश में यात्रा अनुभव को लेखिका के भावनात्मक और मानसिक विकास से कैसे जोड़ा जा सकता है?
उत्तर: यात्रा के दौरान लेखिका कई नए अनुभवों, कठिनाइयों, सौंदर्य के भिन्न-भिन्न रूपों, सांस्कृतिक प्रतीकों और कठोर जीवन संघर्षों से रूबरू होती है। ये अनुभव न केवल उनका भावनात्मक विस्तार करते हैं बल्कि मानसिक परिपक्वता भी लाते हैं। प्रकृति से प्राप्त शांति, पहाड़ी लोगों का श्रमसाध्य जीवन, अध्यात्मिक प्रतीक (प्रेयर व्हील), और मौत के खतरों में भी जीवट बनाये रखने वाली स्त्रियों की झलक—all मिलकर लेखिका को एक सम्यक् दृष्टि प्रदान करते हैं। इस प्रकार यात्रा उन्हें संवेदनशील, सहृदय और समझदार बनाती है।


22. प्रश्न: शहरों की आपाधापी से दूर हिमालय की गोद में लेखिका को क्या मूल्यवान सबक मिलते हैं?
उत्तर: शहरों की हलचल, शोर, प्रदूषण और भागमभाग से दूर हिमालय के शांत, निर्मल और प्रकृति-प्रधान वातावरण में लेखिका को जीवन के मूलभूत मूल्य—सादगी, संतोष, प्रकृति के साथ सामंजस्य, आस्था, श्रम का महत्त्व और आंतरिक शांति—समझ में आते हैं। उन्हें यह अनुभव होता है कि सुविधाओं की भरमार होने पर भी शहर के लोग मानसिक रूप से उतने शांत नहीं हो पाते, जबकि कम साधनों और कठिन पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी पहाड़ी लोग प्रकृति के साथ सामंजस्य में संतुष्टि प्राप्त कर लेते हैं।


23. प्रश्न: इस यात्रा-वृतांत में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का पहलू क्यों उभरता है, और इसका क्या संदेश है?
उत्तर: सारांश में यह बताया गया है कि हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात की कमी, प्रदूषण की वजह से हो रही है। यह चर्चा पर्यावरणीय असंतुलन, जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के दुष्प्रभावों की ओर संकेत करती है। संदेश साफ है कि मनुष्य की अनियंत्रित गतिविधियाँ और प्रदूषण प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। यह विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता, जागरूकता और संवेदनशीलता की सीख देता है।


24. प्रश्न: प्रस्तुत सारांश के आधार पर बताइए कि यात्रा का अनुभव लेखिका को किस प्रकार आंतरिक रूप से समृद्ध करता है।
उत्तर: यात्रा के दौरान लेखिका पर्यावरणीय, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामुदायिक पक्षों से परिचित होती है। वह जीवन की कठोर सच्चाइयों, प्रकृति की अनंत सुंदरता, स्थानीय लोगों की सरलता और संघर्षों से प्रभावित होती है। इन अनुभवों से उसकी संवेदनशीलता, सहानुभूति, नैतिक मूल्यों में आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान बढ़ता है। इस प्रकार यात्रा उसे एक व्यापक दृष्टिकोण, गहन समझ और भावनात्मक समृद्धि प्रदान करती है।


25. प्रश्न: सारांश के अंत में जब लेखिका कटाओ के स्वच्छ, प्राकृतिक वातावरण में पहुँचती हैं, तो उन्हें क्या अनुभूति होती है और इसका पाठकों के लिए क्या संदेश है?
उत्तर: कटाओ के स्वच्छ, बर्फीले और शांत वातावरण में पहुँचकर लेखिका को लगता है कि यह स्थल अध्यात्म, शांति और मानसिक शुद्धि का एक जीता-जागता उदाहरण है। उन्हें लगता है कि प्रकृति की ऐसी अपार सुंदरता मनुष्य की आत्मा को ऊँचा उठाने और उसे परिष्कृत करने में सक्षम है। पाठकों के लिए संदेश है कि यदि मानव प्रकृति से जुड़कर उसकी सुन्दरता और महत्त्व को समझे, तो वह न केवल भौतिक स्तर पर, बल्कि मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी समृद्ध हो सकता है।


Points to Remember from Class 10 Hindi Kritika Chapter 2: Sana-Sana Hath Jodi

  • “Sana-Sana Hath Jodi” is a travelogue by Madhu Kankariya, highlighting her experiences in the Himalayan region, away from the hectic city life.

  • The chapter is set in regions around Gangtok and Yumthang in Sikkim. It portrays the pristine natural beauty, changing landscapes, and serene environment of the Himalayas.

  • The people in these Himalayan regions lead a labour-intensive life. 

  • Women and men work in risky conditions to broaden mountain roads, often facing life-threatening situations. Despite hardships, they remain hardworking, patient, and close to nature.

  • School-going children must trek several kilometres uphill daily, reflecting their dedication to education amid challenging terrains.

  • The text touches upon the effects of pollution and climate change, noting reduced snowfall and altered natural patterns.

  • Nature’s cyclical processes, like snow turning into river water, highlight the harmonious balance and resource management of the environment. 

  • This inspires a more responsible and respectful human attitude towards nature.

  • Away from city chaos, the Himalayas offer a peaceful sanctuary, teaching that true contentment and harmony can be found in simplicity, resilience, and natural beauty.


Benefits of Important Questions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2: Sana-Sana Hath Jodi

  • Important questions help you concentrate on the chapter’s key themes, cultural insights, and narrative style, ensuring a more effective and targeted study session.

  • By working through these selected questions, you can gain clarity on the chapter’s setting, character motivations, environmental concerns, and the author’s underlying messages.

  • Analysing important questions encourages critical thinking. You learn how to interpret nuances, relate events to larger themes, and present well-structured arguments in your answers.

  • Formulating comprehensive responses to these questions helps refine your language skills. You become more adept at expressing ideas clearly, coherently, and persuasively in Hindi.

  • Regular practice with important questions familiarises you with the types of questions that may appear in exams, helping you respond confidently and manage your time more effectively during the actual test.

  • Alongside textbooks and class notes, these curated questions serve as an additional resource. 


Conclusion

The Important Questions for Class 10 Hindi Chapter 2, “Sana-Sana Hath Jodi,” are designed to deepen your understanding of the text’s rich cultural context, environmental themes, and human resilience. At Vedantu, we strive to make learning meaningful, accessible, and enjoyable. By practising these questions, you will develop stronger analytical skills, build confidence in your writing, and be better prepared to succeed in your exams. Download the FREE PDF and use it as a reliable resource to improve your revision and excel in your studies.


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FAQs on Sana-Sana Hath Jodi (साना-साना हाथ जोड़ि) Class 10 Important Questions: CBSE Hindi (Kritika) Chapter 2

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This chapter, set in the Himalayan region, highlights cultural traditions, environmental themes, and human resilience, providing students with valuable insights into nature’s beauty and challenges.

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