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Upbhoktavad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 3

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Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति (श्यामाचरण दुबे) Class 9 - FREE PDF Download

Vedantu provides important questions for Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 3 उपभोक्तावाद की संस्कृति for Class 9, based on the latest CBSE Class 9 Hindi Syllabus. This chapter describes the growing culture of consumerism, where materialism and the desire for endless consumption shape modern society. Understanding the impact of consumerism on individuals and the environment is crucial, and through this chapter, students will explore the social, economic, and cultural aspects of this phenomenon. By practising the Class 9 Hindi Kshitij Important Questions available here, students can strengthen their grasp of the chapter and prepare effectively for their exams. Download the FREE PDF now to understand the concepts and improve your exam performance.

Access Class 9 Hindi Chapter 3: Upbhoktavad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Important Questions

1. उपभोक्तावाद की संस्कृति का क्या अर्थ है?

उत्तर: उपभोक्तावाद की संस्कृति का अर्थ है भौतिक वस्तुओं के अधिग्रहण और उनके लगातार उपयोग पर जोर देना। इस संस्कृति में व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए न केवल अपनी जरूरतों का पालन करता है, बल्कि भौतिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए लगातार नई चीजें खरीदता है। इसका परिणाम समाज में भौतिकवाद का बढ़ावा और सामाजिक रिश्तों में दूरी बनना है।


2. उपभोक्तावाद समाज पर किस प्रकार प्रभाव डालता है?

उत्तर: उपभोक्तावाद समाज में असंतोष और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है। लोग भौतिक वस्तुओं के अधिग्रहण के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे न केवल मानसिक दबाव बढ़ता है, बल्कि यह सामाजिक रिश्तों और पारिवारिक संबंधों को भी प्रभावित करता है। लोग अधिक से अधिक भौतिक सुख प्राप्त करने में लगे रहते हैं, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान कमजोर पड़ती है।


3. उपभोक्तावाद के बढ़ने के कारण क्या हैं?

उत्तर: उपभोक्तावाद के बढ़ने के कारणों में प्रमुख हैं:

  • विज्ञापन और प्रचार: विज्ञापनों के माध्यम से बाजार उपभोक्ताओं को लुभाता है और उन्हें नई चीजें खरीदने के लिए प्रेरित करता है।

  • पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण: लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान को छोड़कर पश्चिमी संस्कृति को अपनाने लगे हैं, जिससे उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिलता है।

  • सामंती मानसिकता: सामंती संस्कृति का प्रभाव अब भी हमारे समाज में है, और लोग अपनी स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए महंगी चीजें खरीदने लगे हैं।


4. क्या उपभोक्तावाद का असर जीवनशैली पर पड़ा है?

उत्तर: हाँ, उपभोक्तावाद ने हमारी जीवनशैली में बदलाव किया है। लोग अब भौतिक सुख-सुविधाओं पर अधिक ध्यान देते हैं और उनका जीवन इस पर निर्भर हो गया है। पहले जो चीजें सामान्य जीवन का हिस्सा होती थीं, अब वे वस्तुएं आदर्श और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई हैं।


5. उपभोक्तावाद के दुष्परिणाम क्या हैं?

उत्तर: उपभोक्तावाद के दुष्परिणामों में शामिल हैं:

  • संसाधनों का अपव्यय: उपभोक्तावाद के कारण सीमित संसाधनों का अधिक उपयोग हो रहा है, जिससे पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो सकता है।

  • सामाजिक दूरी: लोग भौतिक वस्तुओं के पीछे दौड़ते हुए अपने रिश्तों और परिवारों से दूर होते जा रहे हैं।

  • संस्कृति का ह्रास: पारंपरिक मूल्य और संस्कृति कमजोर पड़ती जा रही हैं, और लोग भौतिकवादी दृष्टिकोण अपनाते जा रहे हैं।


6. विलासितापूर्ण वस्तुओं का समाज में क्या प्रभाव पड़ रहा है?

उत्तर: विलासितापूर्ण वस्तुओं की बढ़ती खपत समाज में भौतिकवाद को बढ़ावा देती है। विज्ञापनों और बाज़ार के दबाव के कारण लोग इन वस्तुओं के प्रति आकर्षित होते हैं, और इसे वे अपनी सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा के रूप में देखने लगे हैं। इससे समाज में भेदभाव और असमानता बढ़ती है।


7. आजकल फैशन की प्रतिस्पर्धा किस रूप में देखी जाती है?

उत्तर: आजकल फैशन की प्रतिस्पर्धा मुख्य रूप से महिलाओं के सौंदर्य प्रसाधनों और पुरुषों के स्वास्थ्य और सौंदर्य उत्पादों में देखी जाती है। महिलाएं महंगे सौंदर्य प्रसाधन खरीदती हैं, और पुरुष भी आफ्टर शेव लोशन, कोलोन आदि का उपयोग करते हैं। इसके अलावा, नए डिजाइन के कपड़े और महंगी घड़ियाँ खरीदने का चलन भी बढ़ गया है।


8. लोग क्यों जरूरत से ज्यादा वस्तुएं खरीदने लगे हैं?

उत्तर: लोग अब जरूरत से ज्यादा वस्तुएं खरीदने लगे हैं, क्योंकि वे इन्हें प्रतिष्ठा और सामाजिक स्थिति का प्रतीक मानते हैं। आजकल म्यूजिक सिस्टम, कंप्यूटर, महंगे होटल में भोजन आदि केवल शान-शौकत के लिए खरीदी जाती हैं, न कि असल में इनकी आवश्यकता होती है।


9. समाज में उपभोक्तावाद के कारण कौन से मूल्यों में कमी आई है?

उत्तर: उपभोक्तावाद के कारण समाज में ईमानदारी, सादगी, और साझा भावना जैसी मूल्यों में कमी आई है। लोग अब अधिक से अधिक भौतिक वस्तुएं और सुख-सुविधाएं प्राप्त करने में लगे हैं, जबकि परंपरागत सांस्कृतिक और नैतिक मूल्य धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।


10. क्या उपभोक्तावाद की संस्कृति में बदलाव से मानसिक तनाव बढ़ा है?

उत्तर: हाँ, उपभोक्तावाद की संस्कृति में बदलाव के कारण मानसिक तनाव बढ़ा है। लोग हमेशा अधिक और बेहतर वस्तुएं प्राप्त करने के लिए दबाव में रहते हैं। इस मानसिकता से असंतोष और चिंता उत्पन्न होती है, क्योंकि लोग कभी संतुष्ट नहीं होते और हमेशा कुछ नया खरीदने की इच्छा रखते हैं।


11. क्या उपभोक्तावाद समाज में भेदभाव को बढ़ावा देता है?

उत्तर: हाँ, उपभोक्तावाद समाज में भेदभाव को बढ़ावा देता है। जो लोग महंगी वस्तुएं नहीं खरीद सकते, वे सामाजिक दृष्टि से पिछड़े हुए महसूस करते हैं। इससे अमीर और गरीब के बीच असमानताएँ बढ़ती हैं और समाज में वर्ग भेद की स्थिति उत्पन्न होती है।


12. उपभोक्तावाद से सांस्कृतिक पहचान पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: उपभोक्तावाद से सांस्कृतिक पहचान कमजोर होती है। लोग अपनी पारंपरिक संस्कृति को छोड़कर पश्चिमी संस्कृति को अपनाने लगे हैं। यह बदलाव उनके पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में भी असंतुलन उत्पन्न करता है और पारंपरिक मूल्यों को नष्ट करता है।


13. विज्ञापनों का उपभोक्तावाद पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: विज्ञापनों का उपभोक्तावाद पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। विज्ञापन लोगों को आकर्षित करने और उन्हें नए उत्पादों की ओर मोड़ने का काम करते हैं। ये उत्पादों के गुण-गणों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं, जिससे लोग उन्हें खरीदने के लिए प्रेरित होते हैं।


14. क्या उपभोक्तावाद के कारण समाज में शांति बनी रहती है?

उत्तर: नहीं, उपभोक्तावाद के कारण समाज में शांति नहीं रहती। लोग हमेशा नई चीजों के पीछे दौड़ते रहते हैं, जिससे असंतोष, मानसिक दबाव और सामाजिक प्रतिस्पर्धा बढ़ती है। इस तनाव से समाज में अशांति फैल सकती है।


15. उपभोक्तावाद का समाधान क्या हो सकता है?

उत्तर: उपभोक्तावाद का समाधान यह हो सकता है कि लोग अपनी जीवनशैली में संतुलन बनाए रखें और भौतिक वस्तुओं की बजाय आंतरिक सुख और मानसिक शांति पर ध्यान केंद्रित करें। पारंपरिक मूल्यों को अपनाकर और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करके हम इस संस्कृति का प्रभाव कम कर सकते हैं।


16. उपभोक्तावाद का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: उपभोक्तावाद का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह व्यक्ति को भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए मानसिक रूप से दबाव डालता है और उसे एक उपभोक्ता मानसिकता में ढालता है। इस प्रवृत्ति के कारण व्यक्ति अपनी वास्तविक आवश्यकताओं को भूलकर अनावश्यक चीजों का पीछा करने लगता है, जिससे उसकी मानसिक शांति और संतोष प्रभावित होता है।


17. विलासितापूर्ण वस्तुओं के प्रचार का समाज पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर: विलासितापूर्ण वस्तुओं के प्रचार का समाज पर यह असर पड़ता है कि लोग इन वस्तुओं को हासिल करने के लिए अधिक संघर्ष करने लगते हैं। यह मानसिकता समाज में भौतिकवाद को बढ़ावा देती है और कई बार लोग अपनी आर्थिक स्थिति से बाहर जाकर इन वस्तुओं को खरीदने की कोशिश करते हैं, जिससे उनका मानसिक और आर्थिक दबाव बढ़ता है।


18. आपके अनुसार, उपभोक्तावाद की संस्कृति में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

उत्तर: उपभोक्तावाद की संस्कृति में सुधार के लिए हमें अपनी जीवनशैली को सरल और सशक्त बनाना होगा।

  • आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन: भौतिकता के बजाय मानसिक और आध्यात्मिक शांति पर जोर देना चाहिए।

  • संस्कार और संस्कृति को बनाए रखना: अपनी पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों को अपनाकर जीवन को सादा और संतुलित बनाना होगा।

  • जागरूकता फैलाना: उपभोक्तावाद के दुष्परिणामों के बारे में समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि लोग भौतिक सुखों से अधिक मानसिक सुख की ओर रुख करें।


19. क्या उपभोक्तावाद का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है?

उत्तर: हाँ, उपभोक्तावाद का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है। बच्चों में भी बाजार और विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ता मानसिकता विकसित होती है। वे भी अपने साथियों के मुकाबले महंगे उत्पाद चाहते हैं, जो उनके मानसिक विकास और परंपरागत मूल्यों के साथ मेल नहीं खाता। इसके कारण, वे अधिक भौतिकवादी और इच्छाशक्ति पर आधारित जीवन जीने लगते हैं।


20. उपभोक्तावाद के कारण समाज में क्या असमानताएँ उत्पन्न होती हैं?

उत्तर: उपभोक्तावाद के कारण समाज में आर्थिक असमानताएँ उत्पन्न होती हैं। अमीर और गरीब के बीच भेद बढ़ता है, क्योंकि महंगी चीजों को केवल उच्च वर्ग ही खरीद सकता है, जिससे सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ता है। इसके परिणामस्वरूप, समाज में असंतोष और असमानता की भावना उत्पन्न होती है।


21. "उपभोक्तावाद समाज में असंतोष का कारण बनता है" इस वाक्य का क्या अर्थ है?

उत्तर: इसका अर्थ है कि उपभोक्तावाद के कारण लोग अपनी भौतिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए निरंतर कोशिश करते रहते हैं, लेकिन यह असंतोष का कारण बनता है क्योंकि वे कभी भी पूर्ण संतोष की अवस्था में नहीं पहुंच पाते। उनका जीवन हमेशा अधिक पाने की चाहत में उलझा रहता है, जिससे मानसिक शांति नहीं मिलती और असंतोष बढ़ता है।


22. क्या उपभोक्तावाद के कारण हमारे संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है?

उत्तर: हाँ, उपभोक्तावाद के कारण हमारे सीमित संसाधनों का अत्यधिक उपयोग हो रहा है। लोग अनावश्यक वस्तुओं का सेवन करने के लिए लगातार खरीदारी करते हैं, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हो सकता है।


23. विलासिता के सामानों का समाज में बढ़ते प्रचलन के क्या कारण हैं?

उत्तर: विलासिता के सामानों का समाज में बढ़ता प्रचलन मुख्य रूप से बाजार द्वारा किए जा रहे प्रचार, आर्थिक विकास, और समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करने की इच्छा के कारण है। लोग इन वस्तुओं को केवल भौतिक सुख के लिए नहीं, बल्कि अपनी सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए भी खरीदते हैं।


24. उपभोक्तावाद की संस्कृति के कारण पारिवारिक रिश्तों पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर: उपभोक्तावाद की संस्कृति के कारण पारिवारिक रिश्तों में दरारें आ सकती हैं। लोग अधिक समय और ऊर्जा भौतिक वस्तुओं और सुख-सुविधाओं की प्राप्ति में लगाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप परिवारों के बीच संवाद की कमी हो सकती है। साथ ही, लोग अपने रिश्तों से ज्यादा भौतिक वस्तुओं पर ध्यान देने लगते हैं, जिससे परिवारिक रिश्ते कमजोर हो जाते हैं।


25. समाज में उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने वाले कारक क्या हैं?

उत्तर: समाज में उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारक हैं:

  • विज्ञापन और मीडिया: विज्ञापनों के माध्यम से लोग नए-नए उत्पादों की ओर आकर्षित होते हैं।

  • सामाजिक दबाव: लोग दूसरों से अपनी सामाजिक स्थिति की तुलना करते हैं और उसी के अनुसार वस्तुएं खरीदते हैं।

  • आधुनिकता और पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव: पश्चिमी देशों की संस्कृति का अंधानुकरण करने के कारण लोग भौतिकवाद की ओर आकर्षित होते हैं।

  • आर्थिक विकास: बढ़ती हुई आय और संपत्ति के कारण लोग अधिक उपभोक्ता बनने लगे हैं।


Points To Remember From Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3: Upbhoktavad Ki Sanskriti

1. The chapter discusses how consumerism is growing in society, affecting our lifestyles and relationships. 

2. The materialistic society is shown where consuming goods has become synonymous with happiness. 

3. The chapter highlights how the desire for luxury goods and status symbols has led to the breakdown of familial and social bonds. 

4. The power of advertising is a key theme, where ads glorify products, making consumers believe that they will find happiness or success through possessions. 

5. In today's consumerist world, people are increasingly purchasing items not out of need but for social prestige. 

6. Education is also discussed as a factor in promoting consumerism. With the rise of global media and access to information, even young people are becoming more aware of global consumer trends, leading to a desire for material goods.


Benefits of Important Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 3: Upbhoktavad Ki Sanskriti

  • By focusing on important questions, students can better understand the core ideas presented in the chapter, such as the rise of consumerism, its impact on society, and its consequences on personal and social life. 

  • Practising these questions allows students to prepare more effectively for their exams.

  • Important questions often cover the most frequently asked topics, so practising them can significantly increase the chances of scoring well in the exam.

  • Writing long-form answers to these important questions improves students' writing skills. 

  • They learn how to present their thoughts clearly and logically, structuring their responses in a coherent manner, which is essential for exams.

  • Important questions serve as a great tool for revision. By reviewing these questions, students can quickly revise key points and concepts, saving time and reinforcing their understanding of the chapter.

  • These questions encourage students to look beyond the surface and analyse the impact of consumerism on various aspects of life. 

  • These important questions serve as a comprehensive review of the entire chapter, ensuring that students are prepared for all aspects of the content.


Conclusion

Studying Upbhoktavad Ki Sanskriti helps students understand the growing influence of consumerism on society, highlighting its impact on values, relationships, and the environment. Practising important questions prepares students for exams while encouraging critical thinking about the consequences of materialism. This chapter enhances both writing and analytical skills, making students more aware of the challenges posed by consumer culture in modern life. Download the FREE PDF today and ensure a well-rounded preparation to achieve academic success. 


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FAQs on Upbhoktavad Ki Sanskriti (उपभोक्तावाद की संस्कृति) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 3

1. What is Upbhoktavad Ki Sanskriti about in Class 9 Hindi?

Upbhoktavad Ki Sanskriti explores the rise of consumerism, its impact on society, and how it influences our lifestyle, values, and relationships.

2. How can important questions for Chapter 3 help in exam preparation?

Practising important questions helps students understand the core concepts of the chapter and improves exam performance by covering key topics in depth.

3. Where can I find the FREE PDF for important questions of Chapter 3?

You can download the FREE PDF of important questions for Chapter 3 on Vedantu's website, which covers all the crucial topics in the chapter.

4. What are some common topics covered in the important questions for Upbhoktavad Ki Sanskriti?

The important questions typically cover topics like the impact of consumerism, the rise of materialism, its effects on society, and the role of advertisements in promoting consumer culture.

5. Why is Upbhoktavad Ki Sanskriti an important chapter in Class 9 Hindi?

This chapter is important because it addresses real-life issues like consumerism, and materialism, and their effects on society, helping students understand modern societal trends.

6. How do important questions enhance understanding of Upbhoktavad Ki Sanskriti?

Important questions help break down complex concepts and allow students to analyse the chapter’s themes, making it easier to understand the consequences of consumerism.

7. Can these important questions be used for both long and short-answer-type questions?

Yes, the important questions are designed to help students prepare for both long and short answer-type questions by covering a variety of topics in the chapter.

8. What should I focus on while answering important questions from this chapter?

Focus on explaining key concepts like consumerism, its societal impact, and the cultural shift. Support your answers with examples from the text.

9. How can practising these questions improve my writing skills?

Answering important questions helps you organise thoughts and structure responses, improving both clarity and writing skills for exams.

10. Are these important questions helpful for understanding the chapter in real life?

Yes, these questions encourage students to think critically about consumerism's real-world implications, making the content more relatable and relevant to everyday life.

11. Can I use these important questions for revision before exams?

Yes, these questions are an excellent tool for quick revision, helping you revise key points and ensuring you're well-prepared for your exams.