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Premchand Ke Phate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 5

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Hindi (Kshitij) Important Questions for Chapter 5 प्रेमचंद के फटे जूते (हरिशंकर परसाई) Class 9 - FREE PDF Download

Vedantu provides for Class 9 Hindi (Kshitij) - Important Questions for Chapter 5 प्रेमचंद के फटे जूते. This chapter, written by Harishankar Parsai, describes the simplicity and profound social insights of the great Hindi writer Premchand. Through a simple yet deep portrayal of Premchand’s worn-out shoes, the author critiques society's superficial values, focusing on how appearances often overshadow deeper truths. This page offers a comprehensive collection of Class 9 Hindi Kshitij Important Questions, designed to help students grasp the essence of the chapter, understand its themes, and excel in their exams. Download the FREE PDF to improve your preparation with carefully created questions and insights according to the latest CBSE Class 9 Hindi Syllabus.

Access Class 9 Hindi Chapter 5: Premchand Ke Phate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते) Important Questions

1. प्रेमचंद के फटे जूते का क्या महत्व है?
प्रेमचंद के फटे जूते उनकी सादगी और गरीबी का प्रतीक हैं। यह दर्शाता है कि वे समाज की असल समस्याओं को समझते थे और उन पर विचार करते थे, जबकि आज के समाज में लोग दिखावे को महत्व देते हैं। जूते का फटना इस बात का भी संकेत है कि वे खुद को शुद्ध और वास्तविक बनाए रखने में विश्वास करते थे, चाहे परिस्थितियाँ जैसी भी हों।


2. परसाई जी ने प्रेमचंद के फटे जूते पर व्यंग्य क्यों किया है?
परसाई जी ने प्रेमचंद के फटे जूते पर व्यंग्य किया क्योंकि वे आज के समाज में दिखावे और अवसरवादिता के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंतित थे। प्रेमचंद के जूते में छेद होने के बावजूद उनकी मुस्कान में एक गहरी अर्थवत्ता थी, जो समाज के दिखावे पर कटाक्ष करती है।


3. "तुम फोटो का महत्व नहीं समझते" का क्या मतलब है?
इस वाक्य का मतलब है कि प्रेमचंद जैसे महान लेखक को समाज और अपने लेखकीय कार्य को प्रदर्शित करने के लिए जो आंतरिक और बाहरी दिखावा करना चाहिए था, वे उससे दूर थे। वे वास्तविकता में जीते थे, न कि किसी आर्टिफिशियल छवि में।


4. प्रेमचंद के व्यक्तित्व के बारे में लेखक का दृष्टिकोण क्या है?
लेखक का दृष्टिकोण प्रेमचंद के व्यक्तित्व के प्रति बहुत सम्मानजनक है। वे प्रेमचंद की सादगी और असलियत को सराहते हैं, और उनकी सहज मुस्कान को समाज के दिखावे से दूर होने के रूप में समझते हैं।


5. "इस मुस्कान में उपहास है" का क्या मतलब है?
इसका मतलब है कि प्रेमचंद की मुस्कान में एक तरह का व्यंग्य और समाज की स्थिति पर कटाक्ष था। वे जानते थे कि समाज में जो दिखावा और अवसरवादिता फैल रही है, वह कितनी बेमानी है, और यही उनका उपहास था।


6. "हम पर्दे पर क़ुर्बान हो रहे हैं" का संदर्भ किससे है?
यह वाक्य समाज में लोगों द्वारा दिखावे और झूठी शान को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति से संबंधित है। लेखक यह कह रहे हैं कि लोग समाज में अपनी छवि बनाने के लिए असल जीवन की सच्चाइयों और संघर्षों से दूर होते जा रहे हैं।


7. परसाई जी के व्यंग्य लेखन का उद्देश्य क्या है?
परसाई जी का उद्देश्य समाज की सच्चाई और दिखावे पर कड़ी टिप्पणी करना था। वे समाज के असल मुद्दों को उजागर करना चाहते थे और लोगों को यह समझाने की कोशिश करते थे कि असली मूल्य सादगी और आत्मसम्मान में हैं, न कि दिखावे में।


8. प्रेमचंद का चित्रण इस कहानी में कैसे किया गया है?
प्रेमचंद का चित्रण एक ऐसे लेखक के रूप में किया गया है, जो अपनी सादगी और मानवीय मूल्यों से दूर नहीं हटते। उनका फटा हुआ जूता और मुस्कान उनकी असलियत और संघर्ष को व्यक्त करते हैं।


9. इस पाठ में किस प्रकार का व्यंग्य किया गया है?
इस पाठ में परसाई जी ने समाज के दिखावे और अवसरवादिता पर व्यंग्य किया है। वे यह दिखाते हैं कि लोग बाहरी छवि को महत्त्व देते हैं, जबकि असली मूल्य सादगी और आंतरिक सच्चाई में छिपे होते हैं।


10. इस पाठ का संदेश क्या है?
इस पाठ का संदेश है कि दिखावे और अवसरवादिता से समाज को कोई लाभ नहीं होता। असली महानता सादगी, आत्मसम्मान और समाज के प्रति सच्ची निष्ठा में है।


11. कहानी में "हम पर्दे पर क़ुर्बान हो रहे हैं" का क्या प्रतीक है?
यह वाक्य समाज में फैले दिखावे की आलोचना करता है। लेखक कहता है कि लोग अपनी असलियत छिपाकर केवल बाहरी छवि बनाने में व्यस्त हैं, जबकि प्रेमचंद जैसे व्यक्ति ने कभी अपने असल स्वरूप को न बदलने की कोशिश नहीं की।


12. क्या परसाई जी का आलोचना करने का तरीका सिर्फ व्यंग्य था?
नहीं, परसाई जी का आलोचना करने का तरीका व्यंग्यात्मक था, लेकिन उनका उद्देश्य केवल हंसी उड़ाना नहीं था। वे समाज में व्याप्त असत्यता और दिखावे के खिलाफ गहरी सोच और समझ का संदेश देना चाहते थे।


13. क्या परसाई जी का प्रेमचंद से कोई व्यक्तिगत संबंध था?
परसाई जी का प्रेमचंद से कोई व्यक्तिगत संबंध नहीं था, लेकिन वे उनके काम और व्यक्तित्व के बड़े प्रशंसक थे। वे प्रेमचंद की सादगी और उनके साहित्यिक योगदान को बहुत सम्मान देते थे।


14. "तुम समझौता नहीं कर सके" का मतलब क्या है?
यह वाक्य प्रेमचंद की सच्चाई और सिद्धांतों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वे कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करते थे, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों।


15. इस कहानी का सामाजिक और साहित्यिक महत्व क्या है?
इस कहानी का सामाजिक महत्व यह है कि यह दिखाती है कि दिखावा और अवसरवादिता आज की समस्या बन गई है। साहित्यिक दृष्टि से, यह प्रेमचंद के व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक दृष्टिकोण पर गहरी टिप्पणियाँ करती है।


16. क्या इस कहानी में प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान को भी प्रदर्शित किया गया है?
हाँ, इस कहानी में प्रेमचंद के साहित्यिक योगदान को न केवल सम्मानित किया गया है, बल्कि उनकी सादगी और समाज के लिए उनके योगदान को भी उभारकर दिखाया गया है।


17. कहानी में समाज की किस समस्या को उजागर किया गया है?
कहानी में समाज में फैल रहे दिखावे, अवसरवादिता, और सतही जीवन जीने की प्रवृत्ति को उजागर किया गया है।


18. क्या परसाई जी ने इस कहानी के माध्यम से कुछ सिखाने की कोशिश की है?
हाँ, परसाई जी इस कहानी के माध्यम से यह सिखाने की कोशिश करते हैं कि असली महानता दिखावे में नहीं, बल्कि सच्चाई और सादगी में है।


19. कहानी में प्रेमचंद का मुस्कान और फटे जूते का क्या महत्व है?
प्रेमचंद की मुस्कान और फटे जूते का यह संकेत है कि वे जीवन में अपनी सच्चाई से कभी नहीं हिले। उनका जीवन संघर्षों और सादगी से भरा हुआ था, और यही उनके अस्तित्व की सबसे बड़ी पहचान थी।


20. इस कहानी से हमें क्या सीखने को मिलता है?
इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि हमें अपनी असलियत और समाज के वास्तविक मुद्दों को समझकर उन्हें स्वीकार करना चाहिए, न कि केवल दिखावे और आडंबर में जीना चाहिए।


21. "तुम फोटो में भी जूता फटा हुआ है" इस कथन का क्या अर्थ है?
यह कथन परसाई जी द्वारा प्रेमचंद के फटे जूते को लेकर एक व्यंग्य है। यह दिखाता है कि प्रेमचंद की सादगी और उनकी वास्तविकता, जो उनके जूते में फटेपन के रूप में परिलक्षित हो रही थी, फोटो में भी स्पष्ट दिख रही थी। यह समाज के दिखावे की आलोचना करते हुए यह बताता है कि समाज में भले ही कुछ प्रदर्शित किया जाए, असलियत कहीं न कहीं बाहर आ ही जाती है।


22. क्यों लेखक प्रेमचंद की मुस्कान को उपहास के रूप में देखते हैं?
लेखक प्रेमचंद की मुस्कान को उपहास के रूप में इसलिये देखते हैं क्योंकि उनके जूते के फटे होने के बावजूद वे अपने चेहरे पर एक आत्मविश्वासपूर्ण मुस्कान लेकर सामने आते हैं, जो कि समाज में प्रचलित दिखावे और अवसरवादिता पर एक व्यंग्य प्रतीत होती है। यह मुस्कान उनकी आत्मसंतुष्टि और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने का प्रतीक है, जो आज के समय में उपहासपूर्ण नजर आती है।


23. "कहानी का क्या संदेश है?"
इस कहानी का संदेश यह है कि दिखावे और झूठी छवि बनाने की बजाय, हमें सच्चाई, सादगी और आत्मसम्मान से जीने की जरूरत है। प्रेमचंद जैसे महान व्यक्ति ने यह सिद्ध किया कि असल महानता बाहरी आडंबर में नहीं, बल्कि आंतरिक सच्चाई और कड़ी मेहनत में है। हमें अपनी असल स्थिति को स्वीकार करना चाहिए और समाज के बनावटी दृष्टिकोण से बचना चाहिए।


24. क्या प्रेमचंद के फटे जूते और उनकी मुस्कान में कोई सांकेतिक अर्थ है?
हां, प्रेमचंद के फटे जूते और उनकी मुस्कान का सांकेतिक अर्थ यह है कि वे भले ही गरीबी और संघर्षों का सामना कर रहे थे, लेकिन उनकी मुस्कान यह दर्शाती है कि वे किसी भी स्थिति में अपनी मानवीय गरिमा और आत्मसम्मान बनाए रखते थे। यह समाज के लिए एक पाठ है कि हम अपनी कठिनाइयों से न भागें, बल्कि उनका सामना करें।


25. क्या इस कहानी में परसाई जी ने केवल प्रेमचंद की आलोचना की है?
नहीं, परसाई जी ने इस कहानी के माध्यम से प्रेमचंद की आलोचना नहीं की है, बल्कि उनकी सादगी और उनके विचारों की सराहना की है। वे प्रेमचंद के जूते के फटे होने के बावजूद उनके आत्मविश्वास और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं। असल में, यह समाज के दिखावे की आलोचना है, जिसमें लोग बाहरी छवि को ज्यादा महत्व देते हैं, जबकि प्रेमचंद जैसे लोग अपने सिद्धांतों के प्रति ईमानदार रहते हैं।


Points to Remember from Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5: Premchand Ke Phate Joote

  • The chapter focuses on the simplicity of Premchand's personality and the depth of his social consciousness. 

  • The author, Harishankar Parsai, uses the image of Premchand’s torn shoes to highlight his refusal to conform to the superficiality and showmanship prevalent in society.

  • Premchand's torn shoes symbolise his modest lifestyle and his commitment to living authentically, despite being a renowned writer. 

  • The chapter discusses how even in the face of his fame, he remained unaffected by the materialistic trends of society.

  • The author criticises the prevalent tendency in society to prioritise appearances over substance. 

  • Through this narrative, the author conveys the message that true greatness lies in simplicity and authenticity. 

  • The contrast between the materialistic world and Premchand’s grounded existence serves as a critique of contemporary society’s values.


Benefits of Important Questions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5: Premchand Ke Phate Joote

  • These important questions help students to better understand the key themes, concepts, and messages of the chapter. 

  • Practising these questions enables students to prepare effectively for their exams. 

  • They cover a wide range of possible exam topics, ensuring that students are well-prepared for both short-answer and long-answer questions.

  • Students can explore deeper meanings behind Premchand’s simple lifestyle, the symbolic significance of his torn shoes, and the author’s commentary on societal superficiality.

  • The questions highlight key aspects of the chapter, like Premchand’s character, the critique of societal values, and the role of symbolism in literature. 

  • These questions are an excellent tool for quick revision before exams. They cover all critical elements of the chapter, allowing students to quickly recall important details and reinforce their learning.

  • These questions encourage students to break down complex ideas and themes into simpler parts, leading to a clearer conceptual understanding.


Conclusion

Vedantu page for Class 9 Hindi Chapter 5: प्रेमचंद के फटे जूते provides an excellent resource for students to master the chapter's key concepts. The Important Questions covered in this PDF will help students gain a deeper understanding of the chapter’s themes, such as the simplicity of Premchand. By practising these questions, students can improve their exam preparation, improve their analytical skills, and develop a clearer understanding of the text. Download the FREE PDF today to build your learning and ensure you're fully prepared for your exams.


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FAQs on Premchand Ke Phate Joote (प्रेमचंद के फटे जूते) Class 9 Important Questions: CBSE Hindi (Kshitij) Chapter 5

1. What is the main theme of Chapter 5: प्रेमचंद के फटे जूते?

प्रेमचंद के फटे जूते का मुख्य विषय प्रेमचंद की सादगी और समाज की दिखावटी प्रवृत्तियों की आलोचना है। इस कहानी में लेखक ने प्रेमचंद के फटे जूते के माध्यम से यह संदेश दिया है कि असली महानता बाहरी आडंबर में नहीं, बल्कि सच्चाई और सरलता में होती है।

2. Why are Premchand's torn shoes significant in the story from Class 9 Hindi Chapter 5?

प्रेमचंद के फटे जूते कहानी में उनके सरल और सच्चे जीवन का प्रतीक हैं। यह उनके समाज के दिखावटी और भ्रामक मूल्यों से इन्कार और उनकी गरीबी, संघर्षों और साहित्यिक महानता को दर्शाते हैं। फटे जूते इस बात को प्रकट करते हैं कि प्रेमचंद ने बाहरी आडंबर की बजाय अपने वास्तविकता और सिद्धांतों को महत्व दिया।

3. How does the author criticise societal values in chapter 5 of Hindi Kshitij Class 9?

The author, Harishankar Parsai, critiques society’s obsession with outward appearances. Through the image of Premchand’s torn shoes, he highlights the gap between societal pretension and real human values, such as simplicity and integrity.

4. What message does the story convey about materialism?

कहानी भौतिकवाद (materialism) के प्रति आलोचना प्रस्तुत करती है। यह संदेश देती है कि समाज में बाहरी आडंबर और दिखावा अधिक महत्व पाते हैं, जबकि सच्ची महानता सादगी और ईमानदारी में होती है। प्रेमचंद के फटे जूते इस बात का प्रतीक हैं कि वास्तविक मूल्य चीजों की भव्यता में नहीं, बल्कि व्यक्ति की सच्चाई और आंतरिक गुणों में होते हैं।

5. How does the author use irony in the story from Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5?

The author uses irony to point out the contrast between Premchand's simplicity and society’s focus on image. The irony of Premchand, a great writer, wearing torn shoes and still smiling despite the hardships, is a powerful critique of society's false values.

6. What is the role of the photograph in the story?

The photograph is used to highlight society’s emphasis on appearances. Premchand’s photograph, where his shoes are torn, contrasts with the societal desire to look perfect in photographs, thus reflecting the false priorities of the world.

7. Why does the author refer to Premchand as a "great writer" despite his poverty?

लेखक प्रेमचंद को "महान लेखक" के रूप में संदर्भित करते हैं क्योंकि उनकी गरीबी के बावजूद उनका साहित्यिक योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण था। उनके विचार, लेखन और समाज के प्रति उनकी जागरूकता ने उन्हें एक महान लेखक बना दिया। उनकी सादगी और संघर्षों के बावजूद, उनके लेखन में गहरी सोच और मानवीय मूल्यों की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता थी, जो उन्हें एक वास्तविक साहित्यिक दिग्गज बनाती है।

8. What is the significance of the author's comparison between his shoes and Premchand's in Chapter 5 Premchand Ke Phate Joote?

लेखक ने अपने जूतों और प्रेमचंद के जूतों की तुलना करके यह दिखाया कि जबकि उनके खुद के जूते भी खटते हैं, वे उतने खराब नहीं हैं, लेकिन प्रेमचंद के जूते के फटे होने के बावजूद, वह उनकी सच्चाई और जीवन की स्थिरता का प्रतीक हैं। इस तुलना से लेखक यह बताना चाहता है कि प्रेमचंद ने अपनी सादगी को अपनी पहचान बना लिया था, जबकि समाज केवल बाहरी आडंबर और दिखावे में विश्वास करता है। यह तुलना प्रेमचंद की महानता और समाज के झूठे मूल्यों के बीच का अंतर उजागर करती है।

9. How can practising these Important Questions help in exam preparation?

Practising these important questions helps students develop a deeper understanding of the chapter, improve their writing skills, and prepare effectively for their exams by focusing on the key themes, character analysis, and literary techniques used in the chapter.